छालीवुड स्टारडम का सम्पादकीय
छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम की घोषणा के 6 माह बाद भी जब कई पहल सरकार की ओर से नहीं हुई तब एक बार फिर छालीवुड के कलाकार मुखर हो गए हैं और फिर से संघर्ष करने की योजना पर काम कर रहे हैं। इसके साथ ही राजनीति भी शुरू हो गई है। यहां एक दो नहीं कई गुट है जो अपनी गोटी बैठाने की फिराक में है। मुख्यमंत्री को घोषणा से पहले शायद यह पता नहीं रहा होगा कि छालीवुड में इतनी मारामारी भी है। एक ओर संघर्ष के लिए बैठको का दौर शुरू हो गया है वही कुछ कलाकार इसे गलत कदम बता रहे हैं। एक कलाकार ने तो मुझे फोन करके यहां तक कह दिया कि सीएम पर यह गलत प्रहार है। एक बड़े कलाकार ने तो बाकायदा मुख्यमंत्री को पत्र लिखाकर फिल्म विकास निगम नहीं बनाने का अनुरोध तक किया है। छालीवुड में कई ऐसी भी हस्तियां है, जिन्होंने इस इंडस्ट्री को अपना सबकुछ दे दिया है। ऐसे लोग चुप बैठकर नजारा देख रहे है, पर दावेदारी नहीं जता रहे है। फिल्म विकास निगम के सही दावेदार यही लोग है, जैसे- श्री संतोष जैन, मोहन सुंदरानी, प्रेम चंद्राकर, सतीष जैन, अनुज शर्मा। निगम के लिए दावेदारी ऐसे लोग जता रहे है। जिन्होंने छालीवुड को कुछ भी नहीं दिया है। ऐसे लोगों की काबिलियत सबको पता है। फिल्मों में काम कर लेने से कोई योग्य नहीं हो जाता। सबसे मजेदार बात तो यह है कि निगम-मंडल का पद राजनीतिक होता है। सत्तारूढ़ दल के मुखिया पार्टी के निष्ठावान नेताओं को यह दायित्व सौंपता है। जो फिल्म विकास निगम मेें भी यही होगा। निगम की अभी सिर्फ घोषणा हुई है, गठन नहीं। इसके अस्तित्व में आते-आते चुनावी वर्ष आ जाएगा और चुनावी वर्ष में निगम-मंडल भंग कर दिए जाते है। खैर जो भी हो सरकार की ओर से पहल सकारात्मक है। इसे छालीवुड के लोग उत्साह से स्वीकारें। ताजुब तो तब हुआ जब एक ऐसे कलाकार ने सोशल मीडिया के जरिए निगम अध्यक्ष के लिए दावेदारी जता दी, जो काबिल तो कहीं से भी नहीं है। हां, पूरे समय विवादों में जरूर रहा है। योग्य लोग खामोश है। सीएम की इस घोषणा से ये जरूर साफ हो गया कि कौन लालची है ओर कौन सही में योग्य है।
छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम आखिर कब तक बनेगी, यह प्रश्न सभी कलाकारों के मन में है क्योकिं संस्कृति विभाग में निगम का तो बोर्ड लगा दिया गया है पर बजट में इसका कोई प्रावधान नहीं किया गया है। सरकार वर्षों से सिर्फ कलाकारों को दिलासा देती आ रही है। निगम का मसौदा कई साल पहले ही वरिष्ठ आईपीएस श्री राजीव श्रीवास्तव ने तैयार कर सरकार को दे दिया था, लेकिन आज तक वह आगे नहीं बढ़ पाया। सचिव संस्कृति विभाग आरसी सिन्हा दिनों पहले ही कहा था कि छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम के गठन की दिशा में तेजी से कार्य किया जा रहा है। अन्य राज्य के फिल्म विकास निगम के नियमों का अध्ययन किया जा रहा है। इनमें से जो बेहतर और छत्तीसगढ़ के लिए उपयोगी हैं, उन्हें इसमें शामिल किया जाएगा। चलो मान लेते है कि निगम बनाने की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ा दी है, पर जब सरकार ने बजट ही नहीं दिया है तो आगे काम कैसे होगा। छत्तीसगढ़ के कलाकार लंबे अरसे से फिल्म विकास निगम के गठन की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कई बार धरना-प्रदर्शन तक किया। 18 सितंबर 2013 धरना-प्रदर्शन कर कलाकारों ने मुख्यमंत्री को इस संबंध में ज्ञापन भी सौंपा था। यही नहीं, विधानसभा चुनाव में राज्य की दोनों प्रमुख पार्टियों ने अपने घोषणापत्र में भी फिल्म विकास निगम के गठन की घोषणा की थी।पर लगता है यह टाँय टाँय फिस्स ही होगा।
छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम की घोषणा के 6 माह बाद भी जब कई पहल सरकार की ओर से नहीं हुई तब एक बार फिर छालीवुड के कलाकार मुखर हो गए हैं और फिर से संघर्ष करने की योजना पर काम कर रहे हैं। इसके साथ ही राजनीति भी शुरू हो गई है। यहां एक दो नहीं कई गुट है जो अपनी गोटी बैठाने की फिराक में है। मुख्यमंत्री को घोषणा से पहले शायद यह पता नहीं रहा होगा कि छालीवुड में इतनी मारामारी भी है। एक ओर संघर्ष के लिए बैठको का दौर शुरू हो गया है वही कुछ कलाकार इसे गलत कदम बता रहे हैं। एक कलाकार ने तो मुझे फोन करके यहां तक कह दिया कि सीएम पर यह गलत प्रहार है। एक बड़े कलाकार ने तो बाकायदा मुख्यमंत्री को पत्र लिखाकर फिल्म विकास निगम नहीं बनाने का अनुरोध तक किया है। छालीवुड में कई ऐसी भी हस्तियां है, जिन्होंने इस इंडस्ट्री को अपना सबकुछ दे दिया है। ऐसे लोग चुप बैठकर नजारा देख रहे है, पर दावेदारी नहीं जता रहे है। फिल्म विकास निगम के सही दावेदार यही लोग है, जैसे- श्री संतोष जैन, मोहन सुंदरानी, प्रेम चंद्राकर, सतीष जैन, अनुज शर्मा। निगम के लिए दावेदारी ऐसे लोग जता रहे है। जिन्होंने छालीवुड को कुछ भी नहीं दिया है। ऐसे लोगों की काबिलियत सबको पता है। फिल्मों में काम कर लेने से कोई योग्य नहीं हो जाता। सबसे मजेदार बात तो यह है कि निगम-मंडल का पद राजनीतिक होता है। सत्तारूढ़ दल के मुखिया पार्टी के निष्ठावान नेताओं को यह दायित्व सौंपता है। जो फिल्म विकास निगम मेें भी यही होगा। निगम की अभी सिर्फ घोषणा हुई है, गठन नहीं। इसके अस्तित्व में आते-आते चुनावी वर्ष आ जाएगा और चुनावी वर्ष में निगम-मंडल भंग कर दिए जाते है। खैर जो भी हो सरकार की ओर से पहल सकारात्मक है। इसे छालीवुड के लोग उत्साह से स्वीकारें। ताजुब तो तब हुआ जब एक ऐसे कलाकार ने सोशल मीडिया के जरिए निगम अध्यक्ष के लिए दावेदारी जता दी, जो काबिल तो कहीं से भी नहीं है। हां, पूरे समय विवादों में जरूर रहा है। योग्य लोग खामोश है। सीएम की इस घोषणा से ये जरूर साफ हो गया कि कौन लालची है ओर कौन सही में योग्य है।
छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम आखिर कब तक बनेगी, यह प्रश्न सभी कलाकारों के मन में है क्योकिं संस्कृति विभाग में निगम का तो बोर्ड लगा दिया गया है पर बजट में इसका कोई प्रावधान नहीं किया गया है। सरकार वर्षों से सिर्फ कलाकारों को दिलासा देती आ रही है। निगम का मसौदा कई साल पहले ही वरिष्ठ आईपीएस श्री राजीव श्रीवास्तव ने तैयार कर सरकार को दे दिया था, लेकिन आज तक वह आगे नहीं बढ़ पाया। सचिव संस्कृति विभाग आरसी सिन्हा दिनों पहले ही कहा था कि छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम के गठन की दिशा में तेजी से कार्य किया जा रहा है। अन्य राज्य के फिल्म विकास निगम के नियमों का अध्ययन किया जा रहा है। इनमें से जो बेहतर और छत्तीसगढ़ के लिए उपयोगी हैं, उन्हें इसमें शामिल किया जाएगा। चलो मान लेते है कि निगम बनाने की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ा दी है, पर जब सरकार ने बजट ही नहीं दिया है तो आगे काम कैसे होगा। छत्तीसगढ़ के कलाकार लंबे अरसे से फिल्म विकास निगम के गठन की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कई बार धरना-प्रदर्शन तक किया। 18 सितंबर 2013 धरना-प्रदर्शन कर कलाकारों ने मुख्यमंत्री को इस संबंध में ज्ञापन भी सौंपा था। यही नहीं, विधानसभा चुनाव में राज्य की दोनों प्रमुख पार्टियों ने अपने घोषणापत्र में भी फिल्म विकास निगम के गठन की घोषणा की थी।पर लगता है यह टाँय टाँय फिस्स ही होगा।
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