शनिवार, 13 मई 2017

फिल्म विकास निगम को लेकर राजनीति शुरू

छालीवुड स्टारडम का सम्पादकीय 
छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम की घोषणा के 6 माह बाद भी जब कई पहल सरकार की ओर से नहीं हुई तब एक बार फिर छालीवुड के कलाकार मुखर हो गए हैं और फिर से संघर्ष करने की योजना पर काम कर रहे हैं। इसके साथ ही राजनीति भी शुरू हो गई है। यहां एक दो नहीं कई गुट है जो अपनी गोटी बैठाने की फिराक में है। मुख्यमंत्री को घोषणा से पहले शायद यह पता नहीं रहा होगा कि छालीवुड में इतनी मारामारी भी है। एक ओर संघर्ष के लिए बैठको का दौर शुरू हो गया है वही कुछ कलाकार इसे गलत कदम बता रहे हैं। एक कलाकार ने तो मुझे फोन करके यहां तक कह दिया कि सीएम पर यह गलत प्रहार है। एक बड़े कलाकार ने तो बाकायदा मुख्यमंत्री को पत्र लिखाकर फिल्म विकास निगम नहीं बनाने का अनुरोध तक किया है। छालीवुड में कई ऐसी भी हस्तियां है, जिन्होंने इस इंडस्ट्री को अपना सबकुछ दे दिया है। ऐसे लोग चुप बैठकर नजारा देख रहे है, पर दावेदारी नहीं जता रहे है। फिल्म विकास निगम के सही दावेदार यही लोग है, जैसे- श्री संतोष जैन, मोहन सुंदरानी, प्रेम चंद्राकर, सतीष जैन, अनुज शर्मा। निगम के लिए दावेदारी ऐसे लोग जता रहे है। जिन्होंने छालीवुड को कुछ भी नहीं दिया है। ऐसे लोगों की काबिलियत सबको पता है। फिल्मों में काम कर लेने से कोई योग्य नहीं हो जाता। सबसे मजेदार बात तो यह है कि निगम-मंडल का पद राजनीतिक होता है। सत्तारूढ़ दल के मुखिया पार्टी के निष्ठावान नेताओं को यह दायित्व सौंपता है। जो फिल्म विकास निगम मेें भी यही होगा। निगम की अभी सिर्फ घोषणा हुई है, गठन नहीं। इसके अस्तित्व में आते-आते चुनावी वर्ष आ जाएगा और चुनावी वर्ष में निगम-मंडल भंग कर दिए जाते है। खैर जो भी हो सरकार की ओर से पहल सकारात्मक है। इसे छालीवुड के लोग उत्साह से स्वीकारें। ताजुब तो तब हुआ जब एक ऐसे कलाकार ने सोशल मीडिया के जरिए निगम अध्यक्ष के लिए दावेदारी जता दी, जो काबिल तो कहीं से भी नहीं है। हां, पूरे समय विवादों में जरूर रहा है। योग्य लोग खामोश है। सीएम की इस घोषणा से ये जरूर साफ हो गया कि कौन लालची है ओर कौन सही में योग्य है।
छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम आखिर कब तक बनेगी, यह प्रश्न सभी कलाकारों के मन में है क्योकिं संस्कृति विभाग में निगम का तो बोर्ड लगा दिया गया है पर बजट में इसका कोई प्रावधान नहीं किया गया है। सरकार वर्षों से सिर्फ कलाकारों को दिलासा देती आ रही है। निगम का मसौदा कई साल पहले ही वरिष्ठ आईपीएस श्री राजीव श्रीवास्तव ने तैयार कर सरकार को दे दिया था, लेकिन आज तक वह आगे नहीं बढ़ पाया। सचिव संस्कृति विभाग आरसी सिन्हा  दिनों पहले ही कहा था कि छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम के गठन की दिशा में तेजी से कार्य किया जा रहा है। अन्य राज्य के फिल्म विकास निगम के नियमों का अध्ययन किया जा रहा है। इनमें से जो बेहतर और छत्तीसगढ़ के लिए उपयोगी हैं, उन्हें इसमें शामिल किया जाएगा। चलो मान लेते है कि निगम बनाने की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ा दी है, पर जब सरकार ने बजट ही नहीं दिया है तो आगे काम कैसे होगा। छत्तीसगढ़ के कलाकार लंबे अरसे से फिल्म विकास निगम के गठन की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कई बार धरना-प्रदर्शन तक किया। 18 सितंबर 2013 धरना-प्रदर्शन कर कलाकारों ने मुख्यमंत्री को इस संबंध में ज्ञापन भी सौंपा था। यही नहीं, विधानसभा चुनाव में राज्य की दोनों प्रमुख पार्टियों ने अपने घोषणापत्र में भी फिल्म विकास निगम के गठन की घोषणा की थी।पर लगता है यह टाँय टाँय फिस्स ही होगा। 

दीवाना छत्तीसगढिय़ा में दिखा भारती धुरी का जलवा


छालीवुड में सिंगर से फिल्मो में कदम रखने वाली भारती धुरी की तमन्ना एक अच्छी अदाकारा बनने की है। वे छालीवुड में सभी प्रकार की भूमिका निभाना चाहती है ताकि उन्हें हर प्रकार अनुभव हो जाए। वे कहती है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में गुणवत्ता हो तो जरूर थियेटरों में चलेगी। भारती कहती है कि सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके।अभी हाल ही में प्रदर्शित फिल्म दीवाना छत्तीसगढिय़ा में भारती धुरी का जलवा देखने को मिल रहा है। भारती जितनी अच्छी कलाकार है उतनी ही सुन्दर भी है।  बिलासपुर की रहने वाली भारती धुरी कहती है कि मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। गाने गाते गाते एक्टिंग करने लगी। पहले एल्बम की फिर मुझे असली संगवारी में काम करने का मौका मिला और आज आपके सामने हूँ। वे कहती है कि आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए । थियेटरों  की कमी को सरकार पूरा करे। उनका कहना है कि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां होती है। फिल्मो में वो गुणवत्ता नहीं होती जो यहां के लोगो को चाहिए। प्रोड्यूसरों को इस और ध्यान देने की जरुरत है। भारती धुरी कहती है कि मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी। क्योकिं छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहती हूँ। लोग मुझे एक अच्छी अभिनेत्री के रूप में जाने पहचाने बस यही तमन्ना है। भारती को अपने परिवार से वि सहयोग नहीं मिला है जो एक लडक़ी को मिलना चाहिए। अब कला ही उनकी जिंदगी है और जीवन यापन का साधन भी। उनके पति भी एक अच्छे कलाकार हैं। 

नैनी की मोंगरा में शानदार एंट्री

कवियित्री से फिल्मों का सफर  
किसी एक इंसान में बहुत सारे गुण हो ऐसे बिरले लोग ही मिलते हैं। जी हाँ यही गुण है नंदिनी तिवारी नैनी में। वे एक शिक्षिका होने के साथ साथ कवयित्री, लेखिका, एक्ट्रेस, एंकर और डांस कोरियोग्राफर भी है। नैनी की तमन्ना फिल्मो में धूम मचाने की है। उनकी फिल्म मोंगरा में धमाकेदार एंट्री हुई है। ईएसके पहले नैनी एजाज वारसी की ड्रीम प्रोजेक्ट अंधियार में भूमिका निभा चुकी है। अब वे फिल्मों में किस्मत आजमा रही है। मुंगेली की रहने वाली नैनी अभी केन्द्रीय विद्यालय नवरंगपुर ओडिशा में शिक्षिका के पद पर कार्यरत है। नंदिनी तिवारी नैनी  का मेरा जन्म एक साहित्यकार परिवार में हुआ। जो लेखन के लिए प्रेरक रही एवं आसपास के कुदरती वातावरण उनके भीतर कविता का सृजन करते हैं ।वे कहती है कि पारिवारिक माहौल के साथ मेरी भावनाओं ने मेरी गीत-गज़़लों को अल्फ़ाज़ दिए। अब फिल्मो में कूद पडी है। उनकी दिली तमन्ना छालीवुड फिल्मो में काम करते रहने की है।
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संक्षिप्त परिचय 





नाम   - नंदिनी तिवारी नैनी
शिक्षा    एम•ए(हिन्दी), बी•एड•,पीएचडी(हिंदी)
व्यवसाय   - शिक्षिका, कवयित्री, लेखिका, ऐक्ट्रेस, एंकर
रुचि  - सिंगिंग, डांसिंग, रीडिंग लिट्रेचर बुक
उपलब्धि  -  सद्भावना साहित्य संस्थान द्वारा सम्मानित
                     डायट ओडिशा द्वारा सम्मानित
हिंदी विषय पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तरीय सेमीनार में व्याख्यान ।
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बेटियों को लेकर बेहतरीन सन्देश है मोगरा
लेखक निर्देशक निर्माता सोहन लाल वर्मा की फिल्म मोगरा देश के प्रमुख 10 भाषाओं में एक साथ रिलीज होगी। यह फिल्म अभी छत्तीसगढ़ी भाषा में शूट की गयी है। फिल्म की कहानी नारी प्रधान है जिसमे बेटी बचाने का बेहतरीन सन्देश दिया जा रहा है। निर्माता के सोच को सलाम किया जा सकता है। निर्माता सोहन लाल वर्मा ने बताया कि फि़ल्म मोंगरा की लगभग पूरी शूटिंग हो गयी है। इस फि़ल्म में एजाज वारसी सउदी अरब के मुश्लिम की भूमिका में रहेंगे। फि़ल्म के गाने बेहद कर्ण प्रिय बनाये गए है।जिसे सन्तोष यादव ने संगीतबद्द किया जो पांच साल मुंबई में रह चुके है आज देशभर में उनका हिंदी आर्केस्ट्रा चलता है।गायिका छाया प्रकाश जैन जाना पहचाना नाम है। वही नेहा तिवारी ने आइटम सांग गाया । पवन शर्मा ने साई भजन गीत गाया इस फि़ल्म में आठ अलग अलग प्रकार के गाने है जिसे बाजारवाद को ध्यान में रखकर बनाया गया है ,जिसे देश के प्रमुख 10 भाषओं में एक साथ रिलीज करेंगे।फि़ल्म को राष्ट्रिय लेबल के मार्केट  को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है जिसका विजुवल इफेक्ट देखते बनता है खासकर फाइट शीन में आपको दक्षिण भारतीय तडक़ा नजर आयेगा। फि़ल्म के हीरो दीपक सोनी, हीरोइन अंजना दास , माँ की भूमिका में है श्वेता शर्मा ,खलनायक एजाज वारसी व् विजय भैमिक पवन शर्मा । लेखक निर्देशक निर्माता सोहन लाल वर्मा, मोंगरा फि़ल्म का अगला शेड्यूल 25 मई से लगाने की तैयारी है। 

नए रूप में दिखाई दे रहे हैं राजेश पण्डया

काम करता हूं ,फल की चिंता नहीं करता
छालीवुड अभिनेता राजेश पण्डया आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है. लेकिन इन दिनों वे नए रूप में दिखाई दे रहे हैं । उन्हें कैमरे के साथ खेलते  सकता है। उनके एल्बम छत्तीसगढ़ के गांव गांव और हर घरों में देखे सुने जाते हैं। सहज सरल राजेश की दिली तमन्ना है की लोग उन्हें एक अच्छे कलाकार के रूप में ही जाने पहचाने7 कई फिल्मों व एल्बमों में अपनी कला का जादू बिखेर चुके राजेश का कहना कि एक कलाकार कभी भी अपने कामो से संतुष्ट नहीं हो सकता। मुझे अभी बहुत कुछ करना है बहुत कुछ सीखना है। मै काम करता हूं ,फल की चिंता नहीं करता7 वे कहतें हैं कि छत्तीसगढ़ फिल्मों को थियेटरों की कमी से जूझना पड़ रहा है अगर सरकार सहूलियत दे और कारपोरेट सेक्टर प्रदेश में सौ-डेढ़ सौ नए सिनेमाघर बना दे तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों का रंग ही बदल जायेगा।
वे कहते हैं की छतीसगढ़ी फिल्में इस कारण थियेटर में ज्यादा नहीं चल पाती क्योंकि आज के बच्चे बॉलिवुड फिल्म को ज्यादा महत्व देते हैं। दूसरी तरफ जो गाँव के लोग है वो छतीसगढ़ी फिल्म को बड़े ही चाव से देखते है और महत्व भी देते है। लेकिन हम उन तक नहीं पंहुच पाते। राजेश का कहना है कि मैंने पूरी ईमानदारी से अपने किरदार के साथ न्याय किया है। जब मै भूमिका में होता हूं तो अपने किरदार में पूरी तरह से डूब जाता हूं । बचपन से ही उन्हें एक्टिंग का शौक रहा है। स्कूल कालेज के समय से ही ड्रामा और डांस करते आ रहा है फिर एल्बम करने लगा. जिसमे उसे लोगो ने बहुत सराहा वही उनका सबसे बड़ा तोहफा भी है। एलबम का उन्हें सुपरस्टार भी कहा जा सकता है। राजेश का कहना है की वे कभी निराश नहीं होते और ना कभी निराशा मिली है।एक कलाकार कभी भी अपने कामो से संतुष्ट नहीं हो सकता। मुझे अभी बहुत कुछ करना है बहुत कुछ सीखना है।छत्तीसगढ़ी सिनेमा में शौकिया तौर पर फिल्म बनाने वाले लोग बड़ी संख्या में आ रहे है। कई भाषाओं में क्षेत्रीय फिल्म निर्माण से छत्तीसगढ़ी फिल्मों की आउट सोर्सिंग हुई है भोजपुरी, और उडिय़ा से नया बाजार मिला है इसी तरह और भी तरीके ईजाद करने से इंडस्ट्रीज के
सभी लोगों का भला होगा। यहां कलाकारों की कतई कमी नहीं है।
छत्तीसगढ़ फिल्मों को थियेटरों की कमी से जूझना पड़ रहा है अगर सरकार सहूलियत दे और कारपोरेट सेक्टर प्रदेश में सौ-डेढ़ सौ नए सिनेमाघर बना दे तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों का रंग ही बदल जायेगा। उद्योगों की तरह रियायती दर में जमीन और उस पर कामर्शियल काम्प्लेक्स के निर्माण की अनुमति से नहीं कंपनियां सिनेमाघरों के निर्माण के लिए आकर्षित हो सकती है। राजेश की तमन्ना छालीवुड की फिल्मों में छा जाना की है।  उनका  सपना छालीवुड की सबसे अच्छे स्टार बनने की ही है।लोग मुझे छालीवुड स्टार के नाम से ही जाने।वे कहते है की हर प्रकार की भूमिका पसंद है। अब तक सभी रोल कर चुका हूँ , नायक ,खलनायक सह अभिनेता की भूमिका सब कुछ कर चुका हूँ।

उभरती अदाकारा अंजना दास

बिन बिहाव गवना में दोहरी भूमिका में दिखेंगी 
छॉलीवुड की उभरती अदाकारा अंजना दास होम प्रोडक्शन की फिल्म बिन बिहाव गवना में दोहरी भूमिका में नजर आएंगी । यह फिल्म अगले महीने फरवरी में रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म की डायरेक्टर उनकी मम्मी ही है। अंजना कहती है की यह फिल्म बहुत ही अच्छी बनी है और मुझे इस फिल्म से बहुत ज्यादा उम्मीदें है। यह दो बहनों की कहानी है और दोनों बहनों की भूमिका में अंजना दास ही नजर आएंगी। अंजना ने इस फिल्म के लिए बहित ही मेहनत की है। उनके मम्मी पापा ने बेटी को लेकर बिन बिहाव गौना बनाई है जो एक पारिवारिक फिल्म है जिसमे अंजना की भूमिका भी प्रभावशाली है।


अंजना की एक ही तमन्ना है कि वे फिल्मों में अपनी अदाकारी से नाम कमाकर अपनी माता पिता का सपना पूरी कर सके. उनमे खूबियों का खजाना है। वे एक अच्छी कलाकार है ।  उन्हें अपने काम के प्रति जूनून है। उनका कहना है कि वे छालीवुड की फिल्मों में छा जाना चाहती हैं । उनका सपना छालीवुड के साथ बंगाली फिल्मों की स्टार बनने की है।  छत्तीसगढ़ी फिल्मों के साथ साथ अंजना अभी हिन्दी और भोजपुरी फिल्मों में भी अपनी कला का लोहा मनवा रही हैं। उन्होंने पांच फिल्में और 150 से ज्यादा एल्बम किया है।
अंजना को एक्टिंग का शौक नहीं था, पर मम्मी डॉ काजुल् दास की जिद्द और मेहनत ने उसे छालीवुड की एक अच्छी अदाकारा बना दी है7 मम्मी -पापा ही अंजना के लिए सब कुछ है यही कारण है कि अब अंजना के लिए एक्टिंग शौक नहीं , पागलपन बन गया है। वे कहती है कि़ शौक तो ख़त्म हो जाता है पर पागंलपन हमेशा बना रहता है। ये मेरा जूनून है जो कभी ख़त्म नहीं होगा। अब यही उनका करियर है।
अंजना छालीवुड की फिल्मों के साथ साथ बंगाली फिल्मों में भी छा जाना चाहती है। उनका सपना बंगाली की  सुपरस्टार बनने ने की ही है। लोग मुझे बंगाली फिल्मों कीश्रेष्ठ स्टार के रूप में जाने यही उनकी ख्वाहिश है7 अंजना की अभी दो फिल्में बंध गईल पिरितिया के डोर (भोजपुरी) और मोगरा (छत्तीसगढ़ी) निर्माणाधीन है7 अंजना की फिल्मों में एंट्री भी दिलचस्प है7 मनोजदीप के एक एल्बम में उनकी एक्टिंग से प्रभावित होकर फिल्म असली संगवारी के डायरेक्टर ने उन्हें अपने फिल्म में ले लिया7 अंजना की माने तो यहां फिल्मे कमजोर बन रही है और  की नकल होती है। फिल्मे नहीं चल पाती इसकी वजह भी हैं और वो सब जानते हैं कि पिछड़े हुए राज्य में टॉकीजों का विकास नहीं होना। छत्तीसगढ़ में मिनी सिनेमाघर दो सौ दर्शकों की क्षमता वाली टॉकिजों की बड़ी आवश्यकता है जहां छत्तीगसढ़ी फिल्मों के दर्शक आसानी से पहुंच सके। पात्र के हिसाब से कलाकारों का चयन नहीं होता। कुछ लोग इस इंडस्ट्री को खराब कर रहे हैं , वे ऐसे लोग है जो काम लागत में कुछ भी फिल्में बना लेते हैं। 

कब आएंगे अच्छे दिन

अरुण कुमार बंछोर 
छत्तीसगढ़ी भाषा की फि़ल्मों को इस साल 52  बरस होने जा रहा हैं, लेकिन आधी सदी पुराना छत्तीसगढ़ का फि़ल्म उद्योग अब भी पहचान के के लिए तरस  रहा है.। नया राज्य बनने के बाद से 198 फि़ल्में छत्तीसगढ़ी भाषा में बनी हैं.यह और बात है कि दजऱ्न भर फि़ल्मों को छोड़ अधिकांश फिल्में अपनी लागत भी नहीं निकाल पाई है। पहली छत्तीसगढ़ी फि़ल्म 1965 में बनी थी-‘कही देबे संदेश’. इस फि़ल्म के गाने बेहद लोकप्रिय हुए थे, जिन्हें मोहम्मद रफ़ी, महेंद्र कपूर और मन्ना डे जैसे गायकों ने आवाज़ दी थी.लेकिन, फि़ल्म प्रदर्शन से पहले ही जात-पात की राजनीति करने वालों के निशाने पर आ गई और रायपुर के बजाए फि़ल्म का प्रदर्शन दुर्ग के तरुण टॉकीज़ में करना पड़ा था। बाद में फि़ल्म को सहकारिता को प्रोत्साहित करने वाली बताकर मनोरंजन कर में छूट भी दी गई.
इसके बाद निर्माता विजय कुमार पांडेय ने 1971 में ‘घर द्वार’ नाम से फि़ल्म बनाई. फि़ल्म के निर्देशक थे निर्जन तिवारी. फि़ल्म तत्कालीन मध्यप्रदेश के अलावा पड़ोसी राज्यों में भी रिलीज़ की गई. फि़ल्म के बारे में दावा किया जाता है कि यह फि़ल्म अच्छी चली. लेकिन ‘कही देबे संदेश’ और ‘घर द्वार’ के ‘चलने’ में मुनाफ़ा शामिल नहीं था, यही कारण है कि लगभग 30 साल तक किसी ने फिर छत्तीसगढ़ी फि़ल्म बनाने के बारे में सोचा भी नहीं.तीसरी छत्तीसगढ़ी फि़ल्म कोई तीस साल बाद वर्ष 2000 में ‘मोर छंइहा भुंइया’ नाम से बनी. छत्तीसगढ़ राज्य बनने वाला था और भाषाई प्रेम ज़ोर पर था. छत्तीसगढिय़ा अस्मिता की ताल ठोंकने वाले समय में परदे पर आई सतीश जैन की इस फि़ल्म ने इतिहास रचा. नया राज्य बनने से ठीक पहले आई इस फि़ल्म को देखने के लिए लोग सिनेमाघरों में टूट पड़े. यह सिलसिला अगले 2-3 बरसों तक बना रहा.इसके बाद छत्तीसगढ़ी में फि़ल्म बनाने का सिलसिला तो जारी रहा, लेकिन फि़ल्मों की सफलता का नहीं.‘मया देदे मया लेले’, ‘झन भूलो मां बाप ला’ और ‘मया’ जैसी कुछ फिल्मों को छोड़ दिया जाए तो इस पूरे दौर में छत्तीसगढ़ी फि़ल्में बनती रहीं और मुंह के बल गिरती रहीं।
छॉलीवुड के नाम से पुकारे जाने वाली छत्तीसगढ़ी भाषा की फि़ल्मों के सबसे लोकप्रिय हीरो अनुज शर्मा की राय है कि छत्तीसगढ़ी की फि़ल्मों का अपना कोई स्वतंत्र बाज़ार नहीं है और इन्हें हिंदी फि़ल्मों से मुक़ाबला करना होता है. अनुज कहते हैं, मोर छइहा भुइंया फि़ल्म मोहब्बतें और मिशन कश्मीर जैसी फि़ल्मों के साथ रिलीज हुई थी. लगभग 20 लाख रुपये की लागत से बनी इस फि़ल्म ने इतिहास रचा था. हमारी फि़ल्मों का बजट तो हिंदी सिनेमा के जूते-चप्पल के बजट के बराबर होता है. फिर भी हम बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में कॉमेडी फि़ल्में भी बन रही हैं और हॉरर भी, यहां तक कि वयस्क फि़ल्में भी. डबल रोल वाली फि़ल्में और थ्रीडी फि़ल्में तो हैं ही.हालांकि, अधिकांश फि़ल्मों की कहानी गांव केंद्रित होती है और अधिक हुआ तो गांव से शहर आए नायक की कहानी फि़ल्मों का आधार होती है.यही कारण है कि कई निर्माता-निर्देशक तो अपनी फि़ल्मों की शूटिंग अपने आसपास के गांव में ही करते हैं।
कभी-कभार आप रायपुर शहर के किसी चौक-चौराहे पर फि़ल्म की शूटिंग देख सकते हैं, लेकिन निर्माता-निर्देशक पड़ोसी राज्य ओडिशा को शूटिंग और संपादन के लिहाज से बेहतर मानते हैं। इसी तरह, अधिकांश फि़ल्मकारों की कोशिश होती है कि गीतकार-संगीतकार स्थानीय हों, लेकिन गायक या गायिका कोई बॉलीवुड से जुड़ा नाम हो. लेकिन इन फि़ल्मी गानों में भाषा भर छत्तीसगढिय़ा होती है, संगीत और ताम-झाम मुंबइया फि़ल्मों जैसा ही होता है.फि़ल्मों का बजट 15-20 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ तक होता है और फि़ल्म में कलाकारों को अधिकतम 3 से 5 लाख रुपये मिलते हैं.फि़ल्म में स्थानीय कलाकार ही मुख्य भूमिका निभाते हैं, लेकिन हीरोइनों के लिए छत्तीसगढिय़ा फि़ल्मकारों को कई बार भोजपुरी, उडिय़ा या मुंबई की कम बजट वाली हीरोइनों का मुंह देखना पड़ता है.छत्तीसगढ़ी फिल्मों में मुंबइया लटके-झटके और नकल के रास्ते सफलता तलाशने की भी लगातार कोशिश हो रही है.कई बार तो हिंदी समेत दूसरी भाषा की फि़ल्मों को सीधे-सीधे छत्तीसगढ़ी में डब किया जा रहा है या उनकी हास्यास्पद कि़स्म की रीमेक बन रही हैं.दिलचस्प यह है कि छत्तीसगढ़ी में डब की जाने वाली फि़ल्मों में मिथुन चक्रवर्ती की फि़ल्में पहले नंबर पर हैं.छत्तीसगढ़ में रहते हुए सुप्रसिद्ध लेखिका अमृता प्रीतम की लिखी ‘गांजे की कली’ कहानी पर योगेंद्र चौबे ने कलात्मक फि़ल्म बनाई, जिसकी दुनिया भर में प्रशंसा हुई.इस फि़ल्म के निर्माता अशोक चंद्राकर कहते हैं, हमने मान लिया है कि छत्तीसगढ़ी फि़ल्म का मतलब है ऐसी फि़ल्म, जिसकी भाषा छत्तीसगढ़ी हो और वह लो बजट वाली हो. छत्तीसगढ़ी की फि़ल्म में यहां लाइफ स्टाइल, संस्कृति होनी चाहिए. जो आमतौर पर यहां की फि़ल्मों में दिखाई नहीं देती. बस्तर के इलाके में अविनाश प्रसाद जैसे लोगों ने हल्बी भाषा में ‘मोचो मया’ जैसी फि़ल्में बनाईं और नाम भी कमाया. ज़ाहिर है, हल्बी की फि़ल्म थी, इसलिए दर्शक भी केवल बस्तर के ही मिले. लेकिन अविनाश इससे निराश नहीं हैं। 

एक अच्छी खलनायिका बनना चाहती है संजू

हर काम पसंद है सिर्फ कहना बनाना नहीं
छालीवुड में हर प्रकार की भूमिका निभा चुकी संजू साहू की दिली तमन्ना एक अच्छी खलनायिका बनने की है। छोटी सी उम्र में कला के प्रति समर्पित संजू ने कम उम्र में ही फिल्म मोर छईयां - भूइयां में अनुज शर्मा की माँ का रोल कर अपने अभिनय से सबको चौका दिया था। तब से लेकर अब तक उन्होंने पीछे मुडकऱ नहीं देखा। आज वे एक कामयाब अभिनेत्री है। वे कहती है कि अभी तो छालीवुड में बहुत कुछ करना है ,अब तक जो किया है वह काम है। संजू एक गृहणी भी है उन्हें घर का हर काम पसंद है पर खाना बनाना नहीं। सन 2005 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री चुनी गयी थी। छोटी बड़ी सौ फिल्में, 300 से अधिक एल्बम और 450 से अधिक स्टेज शो कर चुकी है।
संजू को मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में नाटकों में भाग लिया करती थी। जब जब मैं  देखती थी तब तब मुझे लगता था कि मुझे भी ऐसे ही कुछ बनना चाहिए । फिर बड़े बड़े लोकगायकों के साथ स्टेज शो करने लगी थी। शुरू से ही मेरा रुझान इसी ओर था। मेरे मन में बहुत कुछ कर गुजरने की इच्छा थीजिसे लेकर मैं आगे बड़ी और आज मै इस मुकाम पर हूँ। उनकी पहली फिल्म मोर छईयां - भूइयां है वे कहती है की उसमे मुझे बहुत ही काम उम्र में माँ का रोल दिया गया और जब मैंने अपने किरदार के साथ न्याय किया तो सब देखते ही रह गए। फिर मैंने पीछे पलटकर नहीं देखा। फिल्म दाई में मैंने मुख्य किरदार में थी तब लोगो को मेरा अभिनय इतना पसंद आया कि मुझे लेडी अमिताभ का खिताब दिया गया जो मेरे लिए सबसे बड़ा अवार्ड है। उसके बाद तो मुझे कई अवार्ड मिले।
संजू की नजर में छालीवुड की सम्भावनाये बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए । थियेटरों  की कमी को सरकार पूरा करे। क्योकि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां होती है। फिल्मो में वो गुणवत्ता नहीं होती जो यहां के लोगो को चाहिए। कहानी प्रधान फिल्में नहीं बनती, मिट्टी से जुड़ाव होना चाहिए , फूहड़ कॉमेडी नहीं होना चाहिए, अगर अच्छी फिल्में बने तो लोग जरूर देखेंगे। संजू बताती है कि मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। नाटकों में भाग लेने के बाद लोगो ने मेरा अभिनय देखा और फिल्मो में मौका दिया। फिल्म अभिनेत्री श्रीदेवी को मैं सबसे ज्यादा पसंद करती हूँ। हेमामालिनी, रेखा, अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना मेरे आदर्श हैं। प्रेम की जीत को वे अपनी सबसे अच्छी फिल्म मानती है! उनका कहना है कि शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चली हूँ। अब इसी लाईन पर काम करती  रहूंगी। मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी  , लेकिन निगेटिव रोल पसंद है। सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके। संजू की तमन्ना है कि छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहती हूँ। एक अच्छी खलनायिका बनने की तमन्ना है।
अब गायन में दे रही है ध्यान
छालीवुड की जानी मानी अभिनेत्री संजू साहू जितनी सुन्दर है उतनी ही अच्छी अदाकारा भी है। संजू को खूबियों का खजाना कहे तो कोइ अतिशियोक्ति नहीं होगी। परेम की जीत में दोहरी भूमिका निभाकर छालीवुड को एक नई दिशा भी उन्होंने ही दी है। एक्टिंग में माहिर संजू का इन दिनों एक नया रूप भी सामने आया है। वे इन दिनों गायन में ज्यादा ध्यान दे रही है। उनकी अपनी संस्था है संजू साहू स्टार नाईट जिसकी कमान जाने माने अभिनेता डॉ अजय सहाय के हाथों में है। वे एक मात्रा ऐसी अभिनेत्री है जिन्होंने फिल्म दाई में अपने बच्चे को बचाने के लिए सच में शेर से भीड़ गयी थी। ऐसा आज तक छत्तीसगढ़ी फिल्मो में नहीं हुई है। बॉलीवुड में जरूर देखने को मिलता है। भले ही शेर पालतू हो लेकिन उसके सामने जाने में अच्छों अच्छों की साँसे रूक जाती है। यह बात मुझे अभी हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान पता चला तो अच्छा भी लगा और आश्चर्य भी। अच्छा इसलिए की हमारे छालीवुड में ऐसे साहसी कलाकार भी है जो अपने किरदार को जीवंत बनाने के किये कोइ कसर नहीं छोड़ते। संजू सच्चाई पसंद अभिनेत्री है।उन्होंने फिल्म छइयां भुईयां में बहुत ही कम उम्र में माँ की अच्छी भूमिका निभाकर सबको आश्चर्य में डाल दिया था। यहीं से उनकी पहचान फिल्मों में बनी थी और उन्हें ब्रेक मिला प्रेम की जीत से। संजू अब संगीत के हर अंदाज़ को जीना चाहती है और कुछ नया करना चाहती है। गाना सुन-सुनकर संगीत को महसूस करना सीखा है.

छालीवुड में सनम की शानदार एंट्री

लोग मुझे अच्छी एक्ट्रेस के रूप में पसंद करे 
- अरुण बंछोर 
छालीवुड में एक और नई नायिका सनम ने शानदार एंट्री की है। वैसे तो छत्तीसगढ़ में नायिकाओं की लंबी फेहरिश्त है लेकिन दमदार अभिनेत्रियों की कमी है ऐसे में सनम की एंट्री मायने रखती है। सनम जितनी सुन्दर है उतनी ही एक्टिंग में भी माहिर है। उनकी सक्रियता छालीवुड को एक अच्छी नायिका की कमी पूरी कर सकती है। बिलासपुर की सनम ने फिल्म प्रेम के बंधना से छालीवुड में कदम रखी है। इस फिल्म के मुख्य भूमिका में अनुज शर्मा और लवली अहमद है। सनम सह अभिनेत्री है। उन पर एक गाने मुक्तांगन में फिल्माए गए जहां हमारी उनसे मुलाक़ात हुई।
वे कहती है कि मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में नाटकों में भाग लिया करती थी फिर नाटकों में किया। जब जब टीवी देखता था तब तब मुझे लगता था कि मुझे भी कुछ बनना चाहिए । प्रेम के बंधना उनकी डेव्यू फिल्म है उसके बारे में उनका कहना है कि इसमें मेरा रोल अच्छा है मैं सह अभिनेत्री हूँ। फिल्म बहुत ही अच्छी बनी है काम करके मजा आया। सभी कलाकारों का भरपूर सहयोग मिला। उनकी नजर में छालीवुड की सम्भावनाये अच्छी है, बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए । यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां होती है। फिल्मो में वो गुणवत्ता नहीं होती जो यहां के लोगो को चाहिए। प्रोड्यूसरों को इस और ध्यान देने की जरुरत है। वे बताती है कि मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। नरेश केशरवानी ने मेरा अभिनय देखा और अपनी फिल्म में मौका दिया। मेरी माँ ही मेरे प्रेरणाश्रोत है जो हर पल मेरे साथ होती है।
सनम फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाने की सोचकर चली है! उनका कहना है कि शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चली हूँ। अब इसी लाईन पर काम करती  रहूंगी।मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी  , अच्छी किरदार मेरी प्राथमिकता होगी। हर ऐसी रोल करना चाहूंगी जो दर्शकों को पसंद आये। वे अपने सपने के बारे में कहती है कि छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहती हूँ। एक अच्छी अभिनेत्री के रूप में मुझे लोग पसंद करे यही तमन्ना है।  

फिल्म ही मेरी जिंदगी है : राजू पांडे

 हर भूमिका मुझे पसंद है  

 छत्तीसगढ़ के कलाकार राजू पांडे अब छालीवुड को ही अपनी जिंदगी मानते हैं। आठ फिल्मो में अपनी किस्मत आजमा चुके राजू को माटी मोर मितान फिल्म में ब्रेक मिला उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुडक़र नहीं देखा और आगे बढ़ते गए। राजू पांडे को अपनी नई फिल्म रंगरसिया से बहुत उम्मीद है। वे कहते हैं कि प्रचार प्रसार और विज्ञापन में कमी फिल्म नहीं चलने का सबसे बड़ा कारण है। थियेटर भी एक कारण हो सकता है। गाँव गाँव तक हम अपनी फिल्म नहीं पंहुचा पा रहे हैं। बेहतर प्रचार पसार हो और प्रदेश के सभी टाकीजों में फिल्म लग जाए तो लागत एक हप्ते में निकल आएगी। सरकार मदद नहीं करती और डिस्ट्रीब्यूशन भी सही नहीं है।जब तक टेक्नीकल क्षेत्र में एक्सपर्ट लोग नहीं होंगे तब तक ऐसी ही कमजोर फिल्मे बनती रहेंगी। यहां जिसे जो नहीं आता वही करते हैं । गायक निर्देशक बन जाता है। कोई भी फाइट मास्टर बन जाता है। आप अंदाज लगा ले कैसी फिल्मे बनेंगी। छालीवुड की संभावनाएं अच्छी है पर फिल्मे अच्छी नहीं बन रही है।राजू का मानना है कि यहां फिल्मे कमजोर बनती रही है । फिल्मे नहीं चल पाती इसकी वजह भी हैं और वो सब जानते हैं कि पिछड़े हुए राज्य में टॉकीजों का विकास नहीं होना। प्रमोशन और प्रचार प्रसार जब तक नहीं होगी फिल्मो का चलना मुश्किल है। छत्तीसगढ़ में मिनी टॉकिजों की बड़ी आवश्यकता है जहां छत्तीगसढ़ी फिल्मों के दर्शक आसानी से पहुंच सके। प्रचार प्रसार की कमी है।
राजू बताते हैं की रंगरसिया की शूटिंग के दौरान बहुत कुछ सीखने को मिला है। पुष्पेंद्र सिंह का डायरेक्शन में दम है वे सबको लेकर चलते है। शूटिंग के दौरान कलाकारों से बड़े प्यार से जो एक्टिंग करा ले वही अच्छे निर्देशक होते हैं जो गुण पुष्पेंद्र जी में है।
वे बताते हैं की मै थियेटर से फिल्मो में आया हूँ। बहुत साल तक थियेटर किया फिर एल्बम में काम किया। उसके बाद फिल्मे करने लगा। लोगो को मेरा काम पसंद आया ,ये मेरे लिए सबसे बड़ा तोहफा है।बस टीवी देखकर और थियेटर करते करते फिल्मो की ओर रुझान हुआ। मुझे हर प्रकार का रोल पसंद है मुझे जो रोल दिया जाता है मै सहर्ष स्वीकार कर लेता हूँ और उसमे डूबकर काम करता हूँ। इसलिए मेरा राह आसान हुआ। उनका कहना है कि मैं लगातार फिल्मे करता रहूंगा। यही मेरी जिंदगी है। फिल्म मैं पैसों के लिए नहीं करता बल्कि ये मेरे जीवन का अहम हिस्सा है। गॉडफादर जैसे रोल करने की तमन्ना है, जो किसी के जीवन पर आधारित हो। 

2016 में बनी ताबड़तोड़ 25 छत्तीसगढ़ी फिल्मे

10 फिल्मे रिलीज हुई, कुछ फिल्मे अभी भी अधूरी
- अरुण बंछोर 
छालीवुड की सम्भावनाये बेहतर है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता। कहा जाता है की छत्तीसगढ़ी फिल्मे अपनी लागत नहीं निकाल सकती। इसके बावजूद निर्माता निर्देशकों का रुझान फिल्मो की ओर बढ़ता ही जा रहा है यह छालीवुड के लिए एक अच्छा संकेत है। 2016 में बनी ताबड़तोड़ 25 छत्तीसगढ़ी फिल्मे बनी है हालांकि अभी कुछ फिल्मे अधूरी है पर इतने ही फिल्मो की शूटिंग शुरू हुई । इस साल 10 फिल्मे रिलीज हुई जिसमे से दो फिल्मे मया के मंदिर और किरिया पुरानी थी। किरिया फिल्म 5 साल पहले बनकर तैयार थी लेकिन उसे इस साल डीवीडी में लाया गया। अभिनेताओं में अनुज शर्मा आगे रहे जिन्होंने बतौर हीरो तीन फिल्मे की अभिनेत्रियों में अनिकृति चौहान ने नायिका के रूप में सबसे ज्यादा चार फिल्मे की है। वैसे अहाना फ्रांसिस ने 6 फिल्मे की है लेकिन हीरोइन के रूप में उनकी एक ही फिल्म है। चरित्र अभिनेत्रियों में उपासना वैष्णव ने साल 2016 में 14 फिल्मे की है जिसमें छत्तीसगढ़ी फिल्मे उनकी 11 है \ दूसरे नंबर पर श्वेता शर्मा है जिन्होंने 13 फिल्मे की है जिसमे उनकी भी 11 छत्तीसगढ़ी फिल्मे है। चरित्र अभिनेताओं में प्रदीप शर्मा ने सबसे अधिक 15 फिल्मे की है लेकिन छत्तीसगढ़ी फिल्मो की बात करें तो वे डॉ अजय सहाय से पिछड़ते नजर आ रहे है। अजय सहाय ने 14 फिल्मे की है जिसमे उनकी छत्तीसगढ़ी फिल्मे 10 है जबकि प्रदीप शर्मा के 15 फिल्मो में उनकी छत्तीसगढ़ी फिल्मे 6 ही हैं।
2016 में बनने वाली फिल्मे 
1 दबंग देहाती, 2. चक्कर गुरूजी के, 3. दांव, 4. प्रेम सुमन, 5. मोगरा, 6. दीवाना छत्तीसगढिय़ा, 7. धरतीपुत , 8.बही तोर सुरता म, 9. तहलका मोर नाव के,10 .राजा छत्तीसगढिय़ा 2 , 11. तोर मोर यारी, 12. आशिक छत्तीसगढिय़ा, 13. प्रेम के बंधना, 14 नाग और नागिन, 15 बेलबेलही टूरी , 16 मोर मया ला राखे रहिबे, 17 भूलन द मेज, 18 सजना साथ निभाबे, 19 अंधियार, 20 त्रिवेणी, 21 रंगरसिया, 22. टूरी रम पम पम , 23 गुरु घासीदास बाबा, 24 कोइला, 25 बेर्रा।

नायक (टॉप 3)
1. अनुज शर्मा - 3
2 .चंद्रशेखर चकोर - 2
3 .राजू त्रिपाठी - 2
नायिका (टॉप 3)
1. अनिकृति चौहान - 5  
2 .अंजना दास - 4
3 .तान्या तिवारी  - 3
चरित्र अभिनेता (टॉप 3)
1.डॉ अजय सहाय - 16 (छत्तीसगढ़ी-10, अन्य भाषा- 6)
2 .प्रदीप शर्मा  - 16 (छत्तीसगढ़ी-6 , अन्य भाषा- 10)
3 .सलीम अंसारी - 14 (छत्तीसगढ़ी-7 , अन्य भाषा- 7)
चरित्र अभिनेत्री (टॉप 3)
1. उपासना वैष्णव - 14 (छत्तीसगढ़ी-11 , अन्य भाषा- 3)
2 .श्वेता शर्मा - 13 (छत्तीसगढ़ी-11, अन्य भाषा- 2)
3 .पुष्पांजली शर्मा - 12 (छत्तीसगढ़ी-9 , अन्य भाषा- 3)

फिल्म विकास की ओर सरकार ने बढ़ाया एक कदम

निगम बनना आसान नहीं
-  अरुण कुमार बंछोर
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने राज्य में फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने के लिए फिल्म विकास निगम जल्द बनाने की घोषणा की और शासन स्तर पर इस पर काम भी शुरू हो गया है। सरकार ने छत्तीसगढ़ फिल्म विकास बोर्ड या फिल्म विकास समिति के गठन के लिए एक 13 सदस्यीय परामर्शदात्री समिति का गठन कर दिया है इसके अध्यक्ष संस्कृति मंत्री होंगे। फिल्म जगत से छालीवुड के भीष्मपितामह कहे जाने वाले मोहन सुंदरानी, सुपर स्टार अनुज शर्मा और फिल्म अभिनेता भाजपा सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक राजेश अवस्थी को शामिल किया गया है. 13 सदस्यीय ये समिति बोर्ड की रूपरेखा तैयार कर सरकार को सौपेगी। कुछ भी यह एक अच्छी खबर है, पहल तो हुई. रायपुर में फिल्म विकास संघर्ष समिति ने और बिलासपुर में अभी हाल ही में वहां के कलाकारों ने जेठू साहू के  नेतृत्व में सीएम को एक ज्ञापन सोपकर निगम बनाने की मांग की थी, जिसका परिणाम है 13 सदस्यीय परामर्शदात्री समिति का गठन। लेकिन शायद कलाकारों को नहीं मालूम की कुछ लोग फिल्म विकास निगम नहीं बनना देना चाहते।
खबर मिली है कि कुछ बड़े कलाकारों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर निगम नहीं बनाने की अपील की है। इससे निगम के गठन में विलम्ब हो सकता है। ये राजनीति जऱा समझ से पर हैं। जबकि मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी फिल्मों की विकास यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा था कि सन 1965 में मनु नायक द्वारा निर्मित पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म 'कहि देबे संदेस' से लेकर अब तक लगभग डेढ़ सौ फिल्में यहां बन चुकी हैं। भले ही ये फिल्में आर्थिक रूप से अपेक्षाकृत उतनी कामयाब न हो पायी हो, लेकिन इसके बावजूद हमारे यहां के फिल्म निर्माताओं और कलाकारों ने प्रदेश की कला और संस्कृति के प्रति पागलपन की हद तक अपना समर्पण भाव दिखाया है और इस दिशा में लगातार सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के फिल्म कलाकार पैसों के लिए काम नहीं करते। वे अपनी कला साधना के लिए समर्पित रहते हैं। उनका यह जुनून सचमुच अदभुत है। प्रदेश में छत्तीसगढ़ी सिनेमा उद्योग को बढ़ावा देने, यहां के प्रतिभावान कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में जल्द से जल्द फिल्म विकास निगम का गठन किया जाएगा, जिसकी मांग हमारे फिल्मकार और कलाकार काफी समय से करते आ रहे हैं। जब मुख्यमंत्री तैयार हैं तो अब निगम के गठन में रुकावट क्यों?
निगम बनने से छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माण, प्रदर्शन, तकनीकी व फाइनेंस संबंधी दिक्कतें जल्द ही दूर होंगी। यहां का फिल्म व्यवसाय व्यवस्थित हो जाएगा। अच्छी फिल्मों का निर्माण होगा जो यहां की संस्कृति और भाषा दोनों को संवर्धित करेंगी।राज्य बनने के बाद से प्रदेश में छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माण में तेजी आई है। अब तक तकरीबन 200 फिल्में प्रदर्शित हो चुकी हैें, जिनमें से काफी संख्या में हिट भी हुई हैं। सीमित संसाधन के बीच छत्तीसगढ़ी फिल्म व्यवसाय से जुड़े लोग लगातार फिल्में बना रहे हैं। स्थानीय भाषा में होने के कारण प्रदेश में ये फिल्में अच्छा व्यवसाय कर रही हैं। अब इन फिल्मों के निर्माण, प्रमोशन और प्रदर्शन में आने वाली समस्याएं फिल्म विकास निगम के माध्यम से दूर होंगी।2013 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने एजेंडे में फिल्म विकास निगम के गठन को शामिल किया था।
ये कमियां होंगी दूर
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1. फिल्मों का प्रदर्शन के लिए थियेटरों की कमी
2. फिल्म सिटी बनने का रास्ता होगा साफ
3. अच्छे स्टूडियो की कमी होगी दूर
4. फिल्म अकादमी और ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट खुलेंगे
5. तकनीकी और आर्थिक सहयोग मिलेगा

सफलता का ही नाम है लेजली त्रिपाठी

रंगरसिया मेरी सबसे बेहतर फिल्म

बॉलीवुड अभिनेत्री लेजली त्रिपाठी आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है. उन्होंने कभी असफलता नहीं देखी है या हम यह कह सकतें कि सफलता का ही नाम है लेजली त्रिपाठी है. उनकी भोजपुरी फिल्म निरउहा हिन्दुस्तानी 2 आज बिहार में रिलीज हुई है. वे कहती है की रंगरसिया मेरी सबसे बेहतर फिल्म है. यह उनकी पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म है जो जल्द ही रिलीज होने जा रही है. लेजली आरस्या  ज्वेलरी की ब्रांड एम्बेसेडर है. एक अभिनेत्री के अलावा लेजली महानदी सुरक्ष्य योजना के लिए युवा राजदूत,  विश्वभर में बच्चों को शिक्षित करने के सशक्तीकरण के लिए एकसां गुरुकुल का चेहरा, सेवा फाउंडेशन की कर्ताधर्ता, अनंत साहित्य पत्रिका,  लिंग संवेदनशीलता टी-शर्ट्स, आशा किरण और संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित दुनिया के मुद्दों और क्रिया केंद्रों के लिए भारतीय युवा राजदूत हैं।एशियाई कॉलेज ऑफ जर्नलिज़म, चेन्नई से पत्रकारिता  डिग्री लेने वाली लेजली आज तक , हेडलाइंस टुडे के साथ शाहरुख खान, रितिक रोशन, शाहिद कपूर का साक्षात्कार करने वाले लोगों की टीम में शामिल रही है. वे पुस्तक "एज़ आई एम ए गर्ल" के लेखक एवं पॉसीई इंडिया इंटरनेशनल के संपादक भी हैं। फिल्म महिला में रूह मलिक के रूप में भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार , 8 गवर्नर पुरस्कार और राज्य राजीव गांधी समन, मजेदार फियरलेस महिला पुरस्कार, कला, सार्वजनिक सेवा, सिनेमा और संस्कृति और सक्रियता में योगदान के लिए यूथ आइकन पुरस्कार से भी उन्हें नवाजा जा चुका है.
लेजली कहती है कि रंग रसिया एक उम्दा और बेहतरीन फिल्म है। हर पार्ट अच्छे है चाहे वह गीत हो या संगीत, कॉमेडी हो या रोमांस, एक्शन फाइट सब कुछ है. कुल मिलाकर रंगरसिया एक सम्पूर्ण पारिवारिक फिल्म है जो दर्शकों को खूब भाएगी। इस छत्तीसगढ़ी फिल्म में काम करने का अनुभव काफी अच्छा रहा. छत्तीसगढ़ के लोग काफी मिलनसार हैं. निर्देशन तो बहुत ही बेहतर रहा है. पुष्पेंद्र जी ने कलाकारों से बेहतर काम लिया। इस फिल्म के नायक अनुज शर्मा के होने के कारण और उस फिल्म का कद काफी उंचा हो गया है।यह एक ऐसी फिल्म है जो दर्शकों का खूब मनोरंजन करेगी, क्योकि इस फिल्म में वो सब कुछ है जो दर्शक पसंद करते है। लेजली कहती है कि इस फिल्म में कामेडी भी है तो एक्शन भी है। गीत अच्छे हैं तो संगीत भी कर्णप्रिय हैं। अनुज छत्तीसगढ़ के सबसे लोकप्रिय नायक है जिसे सभी वर्ग ए लोग फिल्मो में देखना चाहते हैं। उनकी लोकप्रियता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है जब कवर्धा में शूटिंग चल रही थी तब लोग उन्हें आकर घेर लेते थे। आटोग्राफ और साथ में फोटो खिचाने के आग्रह से उनकी शूटिंग में बाधा पंहुच रही थी। वहां और भी बहुत से कलाकार थे लेकिन लोगो को सिर्फ अनुज शर्मा की एक झलक चाहिए होता था। ये छत्तीसगढ़ी फिल्मो के लिए एक अच्छा संकेत है

कि लोग अपने कलाकारों को जानते हैं पहचानते हैं।छालीवुड फिल्मो के भविष्य पर उनका कहना है कि आने वाला समय बेहतर है। यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ऑर है। वे बताती है कि उन्हें एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। उन्होंने खुद से एक्टिंग सीखा है। उनका कोई रोल मॉडल भी नहीं है।

शुक्रवार, 12 मई 2017

श्वेता की दो फिल्मो में शानदार एंट्री

ये उनकी 25 वीं फिल्म होगी 
छालीवूड़ की चरित्र अभिनेत्री श्वेता शर्मा की दो और फिल्मो में एंट्री हुई है और दोनों ही फिल्मो में उन्हें बड़ी भूमिका मिली है । इसके साथ ही उनकी फिल्मो की संख्या 25 हो जायेगी। दोनों ही फिल्मो की शूटिंग चल रही है। बाबी खान की फिल्म मोर मया ला राखे रहिबे में श्वेता मुख्य चरित्र अभिनेत्री की भूमिका में है। इस भूमिका के लिए पहले उपासना वैष्णव को कास्ट किया गया था लेकिन दूसरी फिल्म की शूटिंग में व्यस्त होने के कारण उपासना इस फिल्म के लिए समय नहीं दे पाई। श्वेता शर्मा भी इस फिल्म के लिए पहले से ही कास्ट थी लेकिन अब उनकी भूमिका में परिवर्तन किया गया। इस फिल्म में श्वेता राजेश नायक के अपोजिट नजर आयेगी। इस फिल्म की कुछ सीन श्वेता ने शूट किये है। दूसरी फिल्म श्वेता को प्रेम के बंधना मिली है जिसकी शूटिंग बिलासपुर जिले के तखतपुर में चल रही है। इस फिल्म में अनुज शर्मा मुख्य भूमिका में है। फिल्म गोहार रामराज से अपनी फि़ल्मी करियर की शुरुआत करने वाली श्वेता के खाते में अब 25 फिल्मे हो गयी हैं । उस फिल्म में वे मंत्री जी की पत्नी की भूमिका में है और फिल्म मोहनी में ठकुराइन की भूमिका की है जो उनकी पसंदीदा फिल्म है। इस फिल्म में भी उनकी भूमिका में बदलाव किया गया है। पहले वह छोटी भूमिका में थी अब उन्हें बड़ी भूमिका दी गयी है। 

अनुज की ऊँची छलांग

फालोवर्स की संख्या एक लाख से ऊपर
छत्तीसगढ़ी फिल्मो के सुपर स्टार अनुज शर्मा की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि फेसबुक पर उनके फालोवर्स की संख्या एक लाख से भी ऊपर हैं और उसके आसपास कोइ भी छत्तीसगढ़ के कलाकार नही है। उनके फेसबुक पेज को 42279 लोग पसंद करते है जबकि 153 लोगों ने साझा किया है। यह अपने आप में एक रिकार्ड है। कलाकारों में तो दूर छत्तीसगढ़ में कोइ भी (मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को छोडक़र) उनके करीब भी नहीं है। छालीवूड़ में कहने को तो बहुत से सुपर स्टार है लेकिन दर्शकों की नजर में एक ही सुपर स्टार है अनुज शर्मा। हमने छत्तीसगढ़ के तमाम शहरों में लोगो से बात की सबने अनुज को ही अपना सुपर स्टार बताया। फेसबुक पर छत्तीसगढ़ी नायको के अकाउंट है जिसमे अनुज शर्मा के फालोवर्स 1 लाख 3हजार से ऊपर है, 42279 लोग उमके पेज को पसंद करते हैं। दूसरे नंबर पर करण खान है जिनके दो फेसबुक एकाउंट में 7984 फालोवर्स हैं। प्रकाश अवस्थी के दो एकाउंट में 6072 फालोवर्स हैं और 891 लोग उनके पेज को पसंद करते है। नायक सुनील तिवारी के नाम पर हमें फेसबुक एकाउंट नहीं मिले। ये सभी आंकड़े 23 नवम्बर 2016 के दोपहर तक के हैं। अनुज ने अब तक लगभग कई फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाई है 7 छत्तीसगढ़ी कि अब तक कि सबसे सफल पांच सिल्वर जुबली फिल्मों में से सभी के नायक अनुज ही है 7 अपनी अभिनय कला और बहुमुखी प्रतिभा के चलते वे लोक-आंचलिक फिल्मों के अत्यंत चहेते एवं सफल कलाकार हैं 7
रामानुज शर्मा छत्तीसगढ़ में अनुज शर्मा के नाम से जाने जाते हैं 7 उन्होंने अभिनय के साथ गायन और फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी अपना लोहा मनवाया है 7 छत्तीसगढ़ी फिल्मों के सबसे लोकप्रिय नायक और आज के सुपर स्टार बहुमुखी प्रतिभा के धनी अनुज सदैव सक्रिय और अग्रणी रहे 7
पद्म श्री से सम्मानित अनुज सन 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के साथ फिल्म मोर छईहां भुइंयाँ के नायक के रूप में युवाओं के आदर्श, चरित्र और सपनों के प्रतीक बन गए 7 यह फिल्म मोर मोर छईहां भुइंयाँ रायपुर के बाबूलाल टाकीज में 106 दिन लगातार 5 शो में चली और सफलतापूर्वक 27 सप्ताह तक चल कर शोले और जय संतोषी मन जैसी फिल्मों के रिकार्ड तोड़े वहीँ नयापारा और राजिम के एक-एक सिनेमा हाल में पुरे 24 घंटे में आठ शो में प्रदर्शन का अनूठा रिकार्ड बनाया 7 उसके बाद उनकी फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा ने भी अभी हाल ही में रिकार्ड बनाए। उनकी ही फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा2 अगले महीने रिलीज होने वाली है। अनुज ने ई टीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ पर आंचलिक लोक संगीत के कार्यक्रम फोक झमाझम का संचालन प्रारंभ किया जो बहुत ही सफल रहा 7 एंकर के रूप में अनुज द्वारा प्रस्तुत कुल 125 एपिसोड प्रतिष्ठित और लोकप्रिय हुए 7 94.3 माय एफएम पर उन्होंने छत्तीसगढ़ी गीतों का कार्यक्रम माय 36 डिग्री प्रस्तुत किया और वे इस माध्यम से पहले छत्तीसगढ़ी आरजे बने 7 कार्यक्रम के गीतों को रोचक और दिलकश अंदाज़ में प्रस्तुत करने के उनके तरीके के कारण यह कार्यक्रम आरम्भ से ही लोकप्रियता कि बुलंदियों को छूने लगा 7 छत्तीसगढ़ के आलावा उन्होंने महाराष्ट्र, उड़ीसा और मध्यप्रदेश में 300 से भी अधिक स्टेज शो किये हैं7 4 बार बेस्ट एक्टर पुरस्कार और बेस्ट प्ले बैक सिंगर से सम्मानित अनुज को छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत, संस्कृति और भाषा में योगदान के लिए भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सन 2014 में पद्म श्री से सम्मानित किया है 7 स्वच्छ भारत अभियान में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जी ने अनुज को प्रदेश के 9 रत्नों में शामिल किया है 7

छत्तीसगढ़ की प्रिया की छोटे परदे पर धूम

लोग मुझे मेरे अभिनय से पहचाने यही तमन्ना है - प्रिया शर्मा
- अरुण बंछोर
छत्तीसगढ़ की बेटी प्रिया शर्मा आज छोटे परदे पर अपने अभिनय का जादू बिखेर रही है। सीआईडी जैसे धारावाहिक में काम करना सबका सपना होता है प्रिया को मुम्बई जाते ही सीआईडी में काम करने का मौका मिला. ससुराल सिमर का, अकबर बीरबल, जय श्री अग्रसेन जैसी शारावाहिक कर रही प्रिया का कहना है कि लोग मुझे मेरे अभिनय से पहचाने बस यही तमन्ना है। वे कहती है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो के लिए राज्य सरकार को बेहतर से बेहतर करना चाहिए। प्रिया को दु:ख इस बात का है कि आज के युवा अपनी भाषा के प्रीति रुचि नहीं रखते7 हमने इनसे हर पहलुओं पर बेबाक बात की है।




0 आपने अपने कॅरियर के लिए फिल्म लाईन को ही क्यों चुना?                      
00 बचपन से ही मेरी रुचि एक्टिंग में ही रही है।और समय के साथ ये प्रोफेशनल बन गया।
0 इस क्षेत्र में कब से है और कैसे ब्रेक मिला?
00 स्कूल के जमाने से अही मै इस क्षेत्र में हूँ कालेज आते आते तो परिपक्व हो गयी थी एक्टिंग में। सरकारी विज्ञापन और डाक्यूमेंट्री फिल्म से करियर की शुरुआत की।
0 आप अपना आदर्श किसे मानते है?
00 मेरी माँ ही मेरी आदर्श है7 जब जब मै निराश हुई हूँ मेरी माँ ने ही मेरा आत्मबल बढ़ाया।
0 अपने इस जीवन में कभी निराशा मिली है?
00 जी हाँ बिलकुल निराशा मिली है। पर मैंने उससे कभी हार नहीं माना और आगे बढ़ाना ही सीखा है इसलिए निराशा के बाद सफलता ही मिली।
0 सबसे ज्यादा उत्साहित कब हुए ?
00 मुम्बई आने के बाद जब मुझे सीआईडी धारावाहिक में रोल मिला। ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी, क्योकि मुम्बई में आना ही सपना जैसी बात थी वहां मै कुछ ही दिनों में फेमस सीरियल की हिस्सा बन गयी।
0 आप छत्तीसगढ़ की है तो यहाँ की फिल्मे करना चाहेंगी?
00 जरुर करूंगी अगर अच्छा प्रोजेक्ट मिला तो। मैंने अपनी एक्टिंग की शुरुआत ही छत्तीसगढ़ से की है।
0 फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगे।
00 सारे किरदारों का अपना अलग ही मजा है इसलिए मै हर तरह का रोल करना चाहूंगी। अभिनय के माध्यम से अलग अलग किरदारों को जीने का मौका मिलता है मै ऐसा एक भी अवसर गंवाना नहीं चाहूँगी।
0 सरकार से आपको क्या अपेक्षाएं हैं?
00 छत्तीसगढ़ी फिल्मो के लिए सरकार को बेहतर से बेहतर करना चाहिए7 सबसे बड़ी दुख की बात है कि हमारे युवा अपनी भाषा के प्रति रुचि नहीं दिखाते।        
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
00 लोग मुझे मेरी कला के लिए जाने पहचाने इससे बढकर और कुछ नहीं है।मै ऐसे कलाकार बनाना चाहती हूँ कि लोगो के लिए उदाहरण बन सक1
0 रील लाईफ में हम हजारों किरदारों को जीते हैं पर रियल लाईफ इससे बिलकुल अलग होती है वहां आपका अपना एक अलग अस्तित्व होता है7 

छालीवुड की नई नायिका ज्योति वैष्णव

कुछ करके दिखाना चाहती हूँ 
छालीवुड को ज्योति वैष्णव के रूप में अब एक नई नायिका मिल गयी है। ज्योति ने अंधियार फिल्म से फि़ल्मी दुनिया में कदम रखी है और इस समय संत शिरोमणि गुरु घासीदास बाबा की शूटिंग में व्यस्त है। उनकी एक्टिंग में दम है. ज्योति एक अच्छी कलाकार है तो उतने ही अच्छी डांसर भी है। वे कहती है कि छालीवुड में अपने दम पर कुछ करके दिखाना चाहती है। उनकी तमन्ना एक अच्छी फिल्म अभिनेत्री बनने की है।  ज्योति कहती है कि एक्टिंग मैंने खुद से सीखा है । मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। एल्बम में डायरेक्टर मनोज् दीप  ने मेरा काम देखा और मौका दिया है।बस एक ही तमन्ना है कि छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहती हूँ। अपनी मेहनत से एक अच्छी एक्ट्रेस बनना चाहती हूँ।

छालीवुड फिल्मो के भविष्य पर उनका कहना है कि आने वाला समय बेहतर है। यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ऑर है। वे बताती है कि उन्हें एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। उन्होंने खुद से एक्टिंग सीखा है। उनका कोई रोल मॉडल भी नहीं है। मनोजदीप ने उनका काम देखा और मौका दिया है।इस तरह छालीवुड को एक नई नायिका मिली। छत्तीसगढ़ में नायिकाओं की कमी है पेशेवे नायिका नहीं होने के कारण यहाँ के निर्माताओं को बाहर से नायिका बुलानी पड़ती है। उम्मीद है ज्योति इस कमी को पूरा करेगी। ज्योति का कहना है कि मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी ताकि मुझे सभी प्रकार का अनुभव हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है। जब मैं कोई भूमिका निभाती हूँ तो पहले गंभीरता से मनन करती हूँ।

छालीवुड की खबरें

आशीष शेंद्रे छाये रहेंगे भूलन में
छालीवुड के सीनियर कलाकार आशीष शेंद्रे मनोज वर्मा की फिल्म भूलन द मेज में छाये रहेंगे। वे अपने अभिनय से काफी संतुष्ट हैं। वे एक मंजे हुए कलाकार है उन्हें कला अपने पिताजी से विरासत में मिली है। भूलन द मेज एक ऐसी फिल्म है जिसमे काम करना हर कलाकार अपना गर्व समझ रहे है। मनोज वर्मा ने कई साल की तपस्या और तैयारी के बाद अब जाकर यह फिल्म बनाई है। आशीष शेंद्रे के नाम कई हिट फिल्मे है। वे हर प्रकार की भूमिका को निभाने में माहिर है। वे छालीवुड के कादर खान है। छत्तीसगढ़ी फिल्मों में अपनी अभिनय का लोहा मनवा चुके अभिनेता आशीष शेंद्रे की तमन्ना है कि हिन्दी फिल्मो में भी अभिनय करने की है। भूलन को वे अपने जिंदगी का सबसे बेहतरीन उप्लब्द्धी मानते हैं।

18 दिनों में पूरी हुई फुलवा 
छत्तीसगढ़ फिल्म निर्माता निर्देशक वृंदावन यादव व कथा पटकथा निर्देशक नेतराम यादव ने बताया कि फिल्म फुलवा की शुटिंग पूर्ण हो चुकी है। यह ऐतिहासिक समय है कि सभी कलाकारों के सहयोग से फिल्म सिर्फ 18 दिनों में पूर्ण कर ली गई है। फिल्म में टिपाखोल गांववासियों एवं खैरपुर के सरपंच का भी सहयोग रहा। वहीं फिल्म के कैमरा मैन संपादन राजेंद्र तिवारी एवं कैमरा सुरेश लाला का सराहनीय सहयोग प्राप्त रहा। उम्मीद की जा रही है कि फिल्म जनवरी माह में रिलीज हो जाएगी। संगीत निर्देशक ठा. मनहरण सिंह के मधुर संगीत एवं गायक राकेश शर्मा के मधुर आवाज की सराहना की जा रही है कि फुलवा के मधुर गीत एवं संगीत से छत्तीसगढ़ माटी की खुशबू महकेगी। फिल्म के सभी कलाकार स्थानीय है जिनको प्रोत्साहित करते हुए रायगढ़ में इस फिल्म का निर्माण किया गया है। इस सामाजिक सरोकार वाली छत्तीसगढ़ी फिल्म फुलवा को बड़ी भव्यता के साथ राज्य के सिनेमा घरों में प्रदर्शित की जाएगी। वहीं इस फिल्म का दर्शकों को भी बेसब्री से इंतजार है।
अंधियार का डान है शंकर
रंगमंच से फिल्मो में कदम रखने वाले शंकर चंदनानी फीचर फिल्म अंधियार में एक खूंखार डान के रूप में नजर आयेंगे। यह उनकी डेब्यू फिल्म  भी है इसके पहले शंकर ने कई टेली फिल्में की है। उनकी ख्वाहिशें फि़ल्मी दुनिया में आगे बढटे रहने की है। उनका कहना है कि जब तक टेक्नीकल क्षेत्र में एक्सपर्ट लोग नहीं होंगे तब तक ऐसी ही कमजोर फिल्मे बनती रहेंगी। यहां जिसे जो नहीं आता वही करते हैं । गायक निर्देशक बन जाता है। कोई भी फाइट मास्टर बन जाता है। कोई प्लानिंग नहीं होती जो पैसा नहीं लेते वही कलाकार यहाँ चलते है। तो आप अंदाज लगा ले कैसी फिल्मे बनेंगी। एजाज वारसी छालीवूड़ में उनका पसंदीदा डायरेक्टर है। वे कहते हैं कि प्रचार प्रसार और विज्ञापन में कमी छत्तीसगढ़ी फिल्मो के नहीं चलने का सबसे बड़ा कारण है। थियेटर भी एक कारण हो सकता है। गाँव गाँव तक हम अपनी फिल्म नहीं पंहुचा पा रहे हैं। बेहतर प्रचार पसार हो और प्रदेश के सभी टाकीजों में फिल्म लग जाए तो लागत एक हप्ते में निकल आएगी। सरकार मदद नहीं करती और डिस्ट्रीब्यूशन भी सही नहीं है। वे फिल्म अंधियार में काम करके बहुत ही संतुष्ट है। उन्हें इस फिल्म से बड़ी उम्मीदें भी है।
सजना साथ निभाबे में दिखेंगी उर्वशी 
छत्तीसगढ़ी फिल्म सजना साथ निभाबे में छालीवुड की मशहूर कलाकार उर्वशी साहू भी नजर आयेंगी। वे कहती है कि इस फिल्म से उन्हें बहुत ही उम्मीद है क्योकि फिल्म अच्छी बन पडी है। कहानी और फिल्म के कलाकार सब एक से बढाकर एक हैं। क्वछत्तीसगढ़ी फिल्मो की चर्चित नाम है उर्वशी साहू जिन्होंने 27 फिल्मों में माँ और भाभी की भूमिका निभाई है। अब तक करीब 70 फिल्मो में अपनी कला का जादू दिखा चुकी है अधिकाँश फिल्मो में वे लडती झगड़ती नजर आती है। कुछ फिल्मो में वे कामेडी भी करती हुई नजर आई है। झन भुलाहू माँ-बाप ला उनकी एक बेहतरीन फिल्म है जिसमे उन्हें दर्शकों ने खूब सराहा। मोर डौकी के बिहाव में तो उन्होंने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। ऑटो वाले भांटो में उनकी लड़ाई झगड़ा दर्शक भूल ही नहीं पायेंगे । इस फिल के लिए उन्हें बेस्ट चरित्र अभिनेत्री का एवार्ड भी मिला। उर्वशी कहती है कि उसे सभी तरह के रोल पसंद है। लेकिन सजना साथ निभाबे में उनका रोल जऱा हट के है जो जनता को खूब अच्छा लगेगा।
दो बहनों की कहानी है मोर मया ला राखे रहिबे 
छत्तीसगढ़ी एवं भोजपुरी में बन रही फिल्म मोर मया ला राखे रहिबे एक पारिवारिक फिल्म है जिसमे दो बहनों की कहानी को बेहतर ढंग से चित्रित किया जाएगा। इस फिल्म का कल रायपुर के मुक्तांगन में शूटिंग शुरू हुई। बाबी खान , राजेश नायक, अक्षरा सिंह, प्रतिभा पांडे, शैलेन्द्र साव , शैलेन्द्र भट्ट, श्वेता शर्मा, उपासना वैष्णव, ललित उपाध्याय एवं अनुराधा दुबे मुख्य भूमिका में है। भोजपुरी में अविनाश मिथलेश और छत्तीसगढ़ी में राजेश नायक इस फिल्म का निर्देशन करेंगे। एबी फिल्म्स के बेनर तले बन रही इस फिल्म के कैमरामेन तोरण राजपूत हैं। इस फिल्म के गाने की शूटिंग चल रही है। ड्रामा पोरशन की शूटिंग तरपोंगी में और क्लाईमेक्स की शूटिंग माढर में होगी। फिल्म के सहायक निर्देशक भूपेन्द्र चंदनिया है।
लगातार 15 घंटे शूटिंग की अनुज ने
स्टार कास्ट छत्तीसगढ़ी फिल्म रंगरसिया की शूटिंग आज पूरी हो गयी। सुपर स्टार अनुज शर्मा ने लगातार 15 घंटों से अधिक शूटिंग कर फिल्म पूरी की। रायपुर से सटे बिरगांव में फिल्म के आखिऱी गाने की शूटिंग की गयी जो देर रात 3 बजे तक चली। इसके पहले सुबह 10 बजे से शाम तक फिल्म के एक और गाने की शूटिंग मुक्तांगन में हुई। बिरगाव में  अनुज शर्मा को देखने भीड़ उमड़ पडी थी जिसे व्यवस्थित करने मे आयोजकों और पुलिस को भारी मशक्कत करनी पडी थी। लोग उनकी एक झलक पाने मेकअप र्रोम तक जा पहुंचते थे। फिल्म के निर्माता अशोक तिवारी ने बताया कि अब फिल्म की शूटिंग इस गाने के साथ ही पूरी हो गयी है। अनुज ने भी सुपर स्टार होते हुए भी लगातार काम कर सबका दिल जीत लिया है। अनुज शर्मा के बारे में एक बात साफ़ तौर पर कही जा सकती है कि उनमे बड़प्पन दिखाने के सारे गुण मौजूद हैं। रंगरसिया एक पारिवारिक और कामेडी से भरपूर फिल्म है जिसके निर्देशक पुष्पेद्र सिंह और कोरियोग्राफर निशांत उपाध्याय है। अन्य कलाकारों में नायिका लेजली त्रिपाठी , सान्या कम्बोज मुख्य भूमिका में है।
सजना साथ निभाबे में एलीना 
छत्तीसगढ़ी फिल्म सजना साथ निभाबे में छालीवुड की नायिका एलीना डेविड मसीह भी नजर आयेंगी। इस फिल्म की अधिकाँश शूटिंग पूरी हो गयी हैं। एलीना इस फिल्म में उर्वशी साहू की बेटी की भूमिका में हैं। एलीना को इस फिल्म से बहुत ही उम्मीद है। वे कहती है कि फिल्मों में अपनी भूमिका को इंज्वॉय करती हूँ। जो भी भूमिका मिलती है उसमे डूब जाती हूँ और दिल से पूरा करती हूँ ताकि लोग मेरे अभिनय को सराहे। बचपन से ही मेरी रूचि कला के क्षेत्र में रही है। मुझे गाने का बहुत शौक था। टीवी रेडियो में गाने देखकर सुनकर मुझे भी वैसे ही बनने की इच्छा होती थी। बचपन से ही उनकी रूचि कला के क्षेत्र में रही है। उन्हें एक्टिं का बहुत शौक था। टीवी देखकर उसे भी वैसे ही बनने की इच्छा होती थी। और आज वे सफलता के मुकाम पर है।
बेर्रा को दर्शकों ने नकारा 
छालीवुड की एक और अच्छी फिल्म को दर्शकों ने सिर्फ एक कलाकार के चलते नकार दिया। यह फिल्म है बेर्रा जिसकी कहानी, फिल्मांकन और डायरेक्शन तो अच्छा है पर  एक कलाकार के चलते दर्शकों ने इस फिल्म को देखना मुनासिब नहीं समझा। भिलाई के चंद्रा मौर्या में 28 नवम्बर को रात का शो बंद करना पड़ा क्योकि दर्शक पंहुचे तो थे फिल्म देखने लेकिन पोस्टर देखते ही बिना टिकिट लिए लौट गए। सिर्फ दो दर्शक थे इसलिए 9 बजे का शो बंद करना पड़ा। कुछ लोगो से हमने टाकीज के बाहर बात की तो पोस्टर की ओर इशारा करते हुए उनका कहना था कि ये कलाकार अब गुजरे जमाने के हैं इसे कौन देखेगा। खैर जो भी हो बेर्रा के निर्माता को इसका खामियाजा तो भुगतना ही पडेगा।
प्रेम के बंधन से बाहर करने से उर्वशी नाराज 
छालीवुड की सीनियर कलाकार उर्वशी साहू इन दिनों फिल्म प्रेम के बंधना के निर्माता निर्देशक से बेहद नाराज है। उनका कहना है की मुझे फिल्म से हटाने के पहले या रि- शूट करने से पहले मुझे सूचना दी जानी चाहिए था। वही डायरेक्टर का कहना था की उन्होंने ना तो शूट पर आई और ना ही कोइ जानकारी ही दी, फोन तक नहीं रिसीव किये। उर्वशी का कहना है कि मिर्माता निर्देशक के इस कदम से मुझे मानसिक रूप से बहुत क्षति पंहुची है कईकई मैं पारिवारिक व्यस्तता के कारण शूट पर नहीं जा पाई, मुझे समय दिया जाना चाहिए था।
मुझे अफसोस है मैं भूलन का हिस्सा नहीं हूँ 
छालीवुड के वरिष्ठ कलाकार रजनीश झांझी का कहना है कि छत्तीसगढ़ी और हिंदी में बन रही फिल्म भूलन द मेज एक बेहतरीन फिल्म है जो छत्तीसगढ़ का नाम पूरे देश में रोशन करेगा, लेकिन मुझे अफ़सोस है कि मैं इस फिल्म का हिस्सा नहीं हूँ। थियेटर से फिल्मो में आये रजनीश एक मंजे हुए कलाकार हैं।  उन्होंने इस फिल्म में काम कर रहे सभी कलाकारों को शुभकामनाएं दी है।
नए रिकार्ड की ओर राजा छत्तीसगढिय़ा 2 
निर्माता अनुराग साहू की नई फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा 2 एक नए रिकार्ड की ओर कदम बढ़ा रही है। 4 दिसम्बर को प्रदेश के 30 सिनेमाघरों में एक साथ प्रदर्शित होने जा रही है जो अपने आप में एक नया किर्तीमान होगा। इस फिल्म के नायक है छालीवुड के सुपर स्टार अनुज शर्मा । अनुज अभिनीत राजा छत्तीसगढिय़ा ने भी छबिगृहों में छत्तीसगढ़ी फिल्मो को नई संजीवनी देने का काम किया था और रिकार्ड आय हासिल की थी। अनुज शर्मा का कहना है की यह फिल्म भी पहले की तरह बहुत ही अच्छी बनी है जो दर्शकों को पसंद आएगी।
तोर सुरता एल्बम में नैनी  
छालीवुड अभिनेत्री नैनी तिवारी इन दिनों एक एलबम के निर्माण में व्यस्त है। एलबम तोर सुरता की शूटिंग बिलासपुर जिले के चकरभांटा और तालगांव हो रही है। दो गाने शूट किये जा चुके है और अभी छह गाने और शूट होने है। किसी एक इंसान में बहुत सारे गुण हो ऐसे बिरले लोग ही मिलते हैं। जी हाँ यही गुण है नंदिनी तिवारी नैनी में। वे एक शिक्षिका होने के साथ साथ कवयित्री, लेखिका, एक्ट्रेस, एंकर और डांस कोरियोग्राफर भी है। वे कहती हैं कि कविता लिखना चुनौती नहीं एक साधना हैं। मेरे गीत, गज़़लें कविता लोगों की पसंद बने यही आरजू है। फिल्म अंधियार से छालीवुड में डेव्यू की है और अभी एलबम में व्यस्त हैं। 

छालीवुड को अच्छी व् गुणवत्ता फि़ल्मो की ज़रूरत

- नंदिनी तिवारी नैनी
छत्तीसगढ़ी सिनेमा का इतिहास यूँ तो कई सालों से चला आ रहा है।बीते इन सालों में छालीवुड ने बहुत सी फि़ल्मे हमारे सामने रखी जिनमे बहुत सारी फि़ल्मो ने, कलाकारों ने अपना वजूद, अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया और उन फि़ल्मो के गीत- संगीत आज भी हमें कर्णप्रिय लगते हैं।ऐसी फिल्मों को सभी पसंद करते थे गांव हो या शहर हर जगह उस फि़ल्म के गीत- संगीत सुनाई पड़ते थे। किन्तु आज के दौर में देखा जाए कुछ ही अच्छी फि़ल्मो को छोड़कर ऐसी फि़ल्मे बन रही है जो न कि पारिवारिक होती है, न ही सामाजिक, न ही ऐतेहासिक। छालीवुड सिनेमा अब तक अपना अस्तित्व पूरी तरह जनता के सामने नहीं बना पाई है। इसका कारण यही है की अच्छी व् गुणवत्ता की फि़ल्मे बन नहीं पा रही।यही वजह है कि आज छत्तीसगढ़ के लोग भी छत्तीसगढ़ी फि़ल्मे देखने बहुत कम ही जाते हैं।हम दूसरे राज्यों में देखते हैं की वहां की जनता क्षेत्रीय फिल्मों को पहले महत्व देती है और वहां का बच्चा-बच्चा भी क्षेत्रीय फिल्मों के कलाकारों और फिल्मों के बारे में जानकारी रखता है किन्तु छालीवुड में कुछ नामी लोगों को छोड़ दिया जाए तो यहाँ की फिल्मों के नाम तो बहुत दूर कोई कलाकारों को भी नहीं पहचान पाता।मैं यह मानती हूँ कि फि़ल्मो का निर्माण करना इतना आसान नहीं, बहुत मेहनत,बहुत पैसे और समय के साथ दिमागी मेहनत करने पर एक फि़ल्म का निर्माण होता है। फिर भी कई मुश्किलों का सामना निर्माता व् निर्देशक को करना पड़ता है।लेकिन इतनी मेहनत ,इतना समय अगर हम लगा ही रहे हैं तो एक अच्छी व् गुणवत्ता वाली फि़ल्मे समाज व् राज्य के सामने रखनी चाहिए।ऐसे फि़ल्म जो छालीवुड में एक नया इतिहास रच दे जिसे केवल छत्तीसगढ़ की जनता के साथ हर राज्य की जनता देखने के लिए उमड़ पड़े।और छालीवुड की चर्चा पूरे देश में हो।इसके लिए फि़ल्म बनाने से पहले यह सोचना होगा की हम किसके लिए फि़ल्मो का निर्माण कर रहे हैं, अपनी स्वार्थपरक दृष्टि को बदलकर हमें समाज के बारे में सोचना होगा, अपनी छत्तीसगढ़ महतारी के बारे में सोचना होगा, परिवार के बारे में सोचना होगा, हमारे छत्तीसगढ़ के गौरवपूर्ण इतिहास के बारे में सोचना होगा।तब जाकर हम अच्छी फि़ल्मे समाज,राज्य,परिवार के बीच रख पाएंगे और तब ये फि़ल्मे हमारे छालीवुड सिनेमा का गौरवगान करेगी।मेरी यही अपेक्षा लोगों से कि छत्तीसगढ़ की जनता को पारिवारिक फि़ल्मे दे,सामाजिक फिल्में दे,ऐतेहासिक फि़ल्मे दे जिससे छालीवुड सिनेमा हर छत्तीसगढ़ वासियों की लोकप्रिय बन सके और घर-घर में क्षेत्रीय सिनेमा का बोलबाला हो।
  

खुद को सबसे बड़ी चुनौती मानती है नेहा

लोग उनकी कला को सराहे, यही तमन्ना है 
मराठी फिल्मो की चरित्र अभिनेत्री नेहा राउत ने छालीवुड फिल्मो में धमाकेदार एंट्री की है। वे फिल्म संत शिरोमणी गुरु घासीदास बाबा से छालीवूड़ में कदम रखी है। जिसमे नेहा उनकी माता अमरौतीन की भूमिका में है। नेहा अपने आप को ही सबसे बड़ी चुनौती मानती है। वे देखना चाहती है कि वे क्या क्या कर सकती है। वे मराठी फिल्मो की एक जाना पहचाना नाम है। कई एल्बमों में अपनी कला का जादू बिखेर चुकी नेहा कहती है कि अमरौतीन माता की भूमिका बहुत ही प्रभावित करने वाली है। स्कूल के समय से ही नाटकों में अपनी कला का प्रदर्शन करने वाली नेहा के नाम कई उपलब्धियाँ है । बचपन से ही उन्हें एक्टिंग और सिंगिंग का शौक रहा है बाद में वे एंकरिंग भी करने लगी। आईटी इंजीनियर नेहा डिजिटल और साईबर क्राईम में स्नातक है। 8 साल की उम्र में उन्होंने अपने अभिनय की शुरुवात की फिर पीछे पलटकर नहीं देखा। उनकी तमन्ना है कि लोग उन्हें बड़े परदे पर देखकर उनकी सराहना करें और अपने दम पर बतौर अभिनेत्री अवार्ड जीतना चाहती हूँ।

नेहा पांच साल से फिल्मो में अभिनय कर रही है। वे मराठी फिल्मो और एल्बम में काम करती रही है अब उन्होंने छालीवूड़ में कदम रखी है। वे कहती है कि उनके पापा ही उनके प्रेरणाश्रोत रहे हैं उन्होंने मुझे कदम कदम पर साथ दिया है। वही उर्मिला मातोंडकर उनकी आदर्श है जिन्हें वे फालो करती हैं। नेहा ने बचपन ने अपने स्कूल में जब सोलो डांस किया तब उन्हें ना केवल सराहना मिली बल्कि उनकी कला की जमकर तारीफ़ हुई थी. वही से नेहा को एक राह मिली जिस पर वे आगे बढ़ती चली गयी और आज सबके सामने हैं। तीन साल पहले अपने पापा के निधन से नेहा टूट गयी थी लेकिन उनकी तमन्ना को पूरी करने जल्द ही वह सम्हल भी गयी. अब वे अपने पापा की इच्छाओं को पूरी करने में लगी हुई हैं। क्योकि उनके पापा ही उनके लिए सब कुछ थे। धर्मेद्र और सन्नी देवोल से मिलकर नेहा सबसे ज्यादा उत्साहित हुई थी क्योकि इस दोनों मशहूर अभिनेताओं के उन्हें आगे बढऩे का आशीर्वाद दिए थे। नेहा अपने आप को ही सबसे बड़ी चुनौती मानती है। वे देखना चाहती है कि वे क्या क्या कर सकती है। उनकी ख्वाहिश है कि लोग उन्हें उनकी कला से जाने पहचाने और तारीफ़ करें। अभिनय का अवार्ड जीतना भी उनका मकसद है। 

चुनौतीपूर्ण भूमिका ही पसंद है आशीष को


थियेटर से फिल्मो तक का सफऱ 
- अरुण बंछोर
छालीवुड के जाने माने चरित्र अभिनेता आशीष शेंद्रे आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। थियेटर से फिल्मो में आये आशीष शेंद्रे ने पूरे देश भर में घूम घूमकर थियेटर में अपनी कला का लोहा मनवाया है। देश का ऐसा कोइ शहर नहीं है जहां इनकी कला की धूम ना हो।  ''हो जिनका हौसला बुलंद, भला कौन रोक सकता है उनको बुलंदियों से  " कुछ इन्हीं पंक्तियों के साथ छत्तीसगढ़ के इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने वाले श्री आशीष जो अपने कामों और फिल्मों के बलबूतों पर प्रेरणा के उदाहरण बन गये हैं। 200 से अधिक थियेटर करने के बाद उन्होंने फिल्मो में कदम रखा और आज 50 से अधिक फिल्मो में अपनी अभिनय से सबका दिल जीत चुका है। इनकी फिल्मो में एंट्री भी बड़ी दिलचस्प है। फिल्म छइयां भुईयां के लिए सतीश जैन इन्हें बतौर हीरो साइन करने आये थे लेकिन थियेटर में व्यस्त होने के कारण उन्हें पिता की भूमिका में ले लिए। आशीष का कहना है कि छालीवुड में कलाकारों का शोषण नहीं होता बल्कि कलाकार खुद अपना स्तर गिरा लेते हैं। इन्हें कला विरासत में मिला है उनके पिताजी घनश्याम शेंद्रे भी एक मंजे हुए कलाकार है। चरित्र अभिनेता आशीष शेंद्रे आज हमारे दफ्तर आये तो हमने उनसे हर पहलुओं पर बेबाक बात की है।
0 अभिनय में आप माहिर हैं , इसकी बारीकियां आपने कहाँ से सीखी?
00 अभिनय की बारीकियां हमने थियेटर से सीखी है। थियेटर के कलाकार को हर क्षेत्र में महारत हासिल होता है क्योकि थियेटर ही कला की पहली पायदान है।
0 थियेटर में क्या किया, कैसे शुरुआत की?
00 हमने थियेटर में करीब 200 से अधिक नाटकों का देश भर में मंचन किया है। देश का ऐसा कोइ बड़ा शहर नहीं है जहां हमने नाटकों का मंचन ना किया हो। हर बारीकियां वहीं से सीखी है। मुम्बई में हमने सईंया भये कोतवाल का मंचन किया जिसे सबने सराहा। कोलकाता दिल्ली चेन्नई जैसे शहरों में भी हमारे छत्तीसगढ़ी मंचन को खूब तारीफ़ मिली है।
0 फिल्मो में एंट्री कैसे मिली?
00 मेरी पहली फिल्म छइयां भुईयां है जिसमे मुझे सतीश जैन जी ने बतौर हीरो साइन करने आये थे उन्होंने मेरा अभिनय थियेटर में ही देखा था। जब उन्हें पता चला कि हम थियेटर में बीजी हैं तो पिताजी की भूमिका में ही ले लिए। वे चाहते थे कि मै इस फिल्म में हरहाल में काम करूँ।
0 आपकी सबसे पसंदीदा फिल्म कौन सी है और आपकी तमन्ना क्या है?
0 झन भूलव माँ बाप ला मेरी पसंदीदा फिल्म है और लोग मुझे अपनी कला के जरिये दुनिया भर में जाने यही मेरी तमन्ना है।
0 क्या आप मानते है फिल्मो में कलाकारों का शोषण होता है?
00 बिलकुल नहीं होता बल्कि कलाकार अपना स्तर खुद गिरा लेते हैं। बड़े परदे पर दिखने के लिए या तो कम पैसों में काम करने या फिर मुफ्त में काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं। कुछ कलाकार तो ऐसे है कि काम करने के लिए पैसा तक निर्माता को दे देते है।
0 आपको कैसा रोल पसंद है ?
00 मुझे चैलेंजिंग रोल पसंद है चाहे वह निगेटिव हो या पाजिटिव हो. जो भी रोल मिलता है उसमे डूबकर काम करता हूँ। कहानी के अनुसार अपने को ढ़ालता हूँ और डायरेक्टर क्या चाहता है उसके साथ तालमेल करके अपना अभिनय को जीवंत बनाता हूँ।
0 फिल्मे नहीं चलने का कारण आप क्या मानते हैं?
00 यहाँ के फिल्म निर्माता फिल्म बनाने की सही प्रक्रिया पर नहीं चलते। अच्छी कहानी हो, पात्रों का चयन सही हो। जो नहीं होता। यहाँ तो जुगाड़ से फिल्म बनती है कास्ट्यूम खुद कलाकार लातें है। ऐसे में फिल्मे कहाँ टिक पायेगी। अभी भूलन कांदा फिल्म बनने वाली है उसमे हर पात्र हीरे की तरह लिए गए हैं। ऐसा ही चयन चाहिए फिल्मो में। इस फिल्म की स्टोरी अच्छी है बनने से पहले ही तारीफ़ हो रही है। 

रंग रसिया एक उम्दा फिल्म

अनुज की लोकप्रियता रंग लायेगी 

रंग रसिया एक उम्दा फिल्म है। जो अनुज शर्मा के नायक होने के कारण और उस फिल्म का कद काफी उंचा हो गया है। इसका निर्देशन किया है पुष्पेन्द्र सिंह ने जो एक अच्छे डायरेक्टर एक्टर तो हैं ही, वे एक फिल्म निर्माता भी है। इसे उनके करियर का बेहतरीन काम कहा जा सकता है। यह एक ऐसी फिल्म है जो दर्शकों का खूब मनोरंजन करेगी, क्योकि इस फिल्म में वो सब कुछ है जो दर्शक पसंद करते है। अनुज शर्मा के साथ है मुम्बई की लेजली त्रिपाठी जो एक बेहतरीन नायिका है। अनुज फिल्म में सान्या कम्बोज के साथ रोमांस करते नजर आयेंगे। इस फिल्म में कामेडी भी है तो एक्शन भी है। गीत अच्छे हैं तो संगीत भी कर्णप्रिय हैं। अनुज छत्तीसगढ़ के सबसे लोकप्रिय नायक है जिसे सभी वर्ग ए लोग फिल्मो में देखना चाहते हैं। उनकी लोकप्रियता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है जब कवर्धा में शूटिंग चल रही थी तब लोग उन्हें आकर घेर लेते थे। आटोग्राफ और साथ में फोटो खिचाने के आग्रह से उनकी शूटिंग में बाधा पंहुच रही थी। वहां और भी बहुत से कलाकार थे लेकिन लोगो को सिर्फ अनुज शर्मा की एक झलक चाहिए होता था। ये छत्तीसगढ़ी फिल्मो के लिए एक अच्छा संकेत है कि लोग अपने कलाकारों को जानते हैं पहचानते हैं। हीरा क्रियेशन फिल्म निर्माता अशोक तिवारी की यह दूसरी फिल्म है। श्री तिवारी ने पहली फिल्म से मिली अनुभव के बाद कोइ रिस्क नहीं लेते हुए अनुज शर्मा को ही साइन किया। उन्हें भी इस फिल्म से काफी उम्मीदें है। 

छालीवुड ही मेरी जिन्दगी है

कभी निराश नहीं होता - अरविन्द
छत्तीसगढ़ी फिल्मो के खलनायक अरविंद गुप्ता की एक्टिंग का अब सभी निर्माता निर्देशक कायल हैं। वे जितने अच्छे एक्टर हैं उतने ही मिलनसार और व्यवहारिक भी है। जिन्दगी में काफी उतार चढ़ाव देखने वाले अरविंद का कहना है कि छालीवुड ही मेरी जिन्दगी है और मै यहाँ काम करता रहूंगा। काम नहीं मिलाने पर मै निराश भी नहीं होता। छालीवुड में काम करने वाली सभी एक्टर उनके आदर्श है। क्योकि सबसे मुझे कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता है। मै अपने कामो से पूरी तरह से संतुष्ट हूँ। अरविंद को कभी निराशा नहीं होती । उनकी आने वाली फिल्म है-  डर्टी मया, अंधियार, हिन्दी में प्रतिशोध। डर्टी मया को लेकर अरविन्द गुप्ता बहुत ही उत्साहित है क्योकि इस अफिल्म ने उन्होंने विलेन की भूमिका अदा की है। वे कहते है कि वे नक़ल नहीं करना चाहते और अपने बलबूते पर ही आगे बढऩा चाहते हैं। अरविन्द स्कूल में ड्रामा किया करता था और आज फिल्मो के विलेन है।

उनकी आने वाली फिल्म है - डर्टी मया, अंधियार, हिन्दी में प्रतिशोध। वे कहतें हैं कि ये तीनों ही फिल्मे मेरे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। डर्टी मया कुछ सालो से बनाकर तैयार है अब तकनीक रूप से पूरी होने वाली है। अरविंद को बचपन से शौक था एक्टिंग करने का। वे कहते है कि लोगो को देखकर लगा की मुझे भी इस क्षेत्र में कुछ करना चाहिए। स्कूल में ड्रामा तो करता ही था। बाद में मुझे थियेटर का शौक हुआ। ऐसा करते करते मैंने छत्तीसगढ़ी फिल्मो की ऑर कदम बढ़ाया। अरविन्द बतातें हैं कि पिछले 16 सालों से मै इस क्षेत्र में काम कर रहा हूँ। इसके पहले हिन्दी एल्बम में काम किया है जो काफी चर्चित हुई थी। मैंने करीब 14 छत्तीसगढ़ी फिल्मो में काम किया है और कुछ एल्बम बनाये है। हिन्दी में बनी एल्बम साईं मेरे सरकार सबसे चर्चित एल्बम है जो पूरे देश में देखे और सुने जाते है। इसमें मैंने एक्टिंग भी की है। उनका कहना है कि छालीवुड में काम करने वाली सभी एक्टर उनके आदर्श है। क्योकि सबसे मुझे कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता है। वे अपने कामों से पूरी तरह से संतुष्ट है। अरविन्द किसी की नक़ल नहीं करना चाहते और अपने बलबूते पर ही आगे बढऩा चाहते हैं। सब उनके लिए अच्छे है पर वे किसी भी कलाकार को भी फॉलो नहीं करता। फिल्म निर्माता निर्देशक और एक्टर एजाज वारसी उनके प्रेरणाश्रोत है। उन्होंने ही उसे इस क्षेत्र में लेकर आये है और काम दिलाये उसके बाद से उन्होंने पीछे मुडकऱ नहीं देखा । फिल्म में उन्हें उनके कामो के लिए हर तरफ तारीफ़ ही मिली है। अरविन्द कभी निराश नहीं होते। उनका कहना है कि मैं सिखता रहता हूँ और कोशिश करता हूँ की मुझे काम मिलता रहे। काम नहीं मिलने पर भी मै निराश नहीं होता हूँ। 

बाबा घासीदास की जीवनी अब परदे पर

बिल्हा में चल रही है फिल्म की शूटिंग

बाबा गुरु घासीदास को एक समाज विशेष के लोग भगवान् मानते हैं। उनके कई धार्मिक सन्देश भी है। उनका जीवन बड़ा ही सात्विक था। अब उनका पूरा जीवन वृत्त बड़े परदे पर दिखाई देगा। छत्तीसगढ़ के बिल्हा में इस फिल्म की शूटिंग चल रही है। जिसका पहला शेड्यूल आज समाप्त हुआ। संदीप गर्ग निर्मित इस फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं मनोज दीप जो छालीवूड़ के श्रेष्ठ कोरियोग्राफर भी है और उन्हें हिन्दी फिल्म डायरेक्ट कन्ने का भी अनुभव है। उनके साथ दिनेश चेल्के भी डायरेक्शन में लगे हुए हैं। फिल्म में बाबा गुरु घासीदास के जन्म से लेकर अंत तक की कहानी का बड़ी बखूबी से वार्वन किया जा रहा है। चांपा के रंजन राय पिता मंहगू दास और महाराष्ट्र की नेहा राउत माता अमरौतीन की भूमिका में है। इस फिल्म में करीब 90 कलाकार होंगे।
बाबा गुरु घासीदास का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में गिरौद नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम मंहगू दास तथा माता का नाम अमरौतिन था और उनकी धर्मपत्नी का सफुरा था। गुरु घासीदास का जन्म ऐसे समय हुआ जब समाज में छुआछूत, ऊंचनीच, झूठ-कपट का बोलबाला था, बाबा ने ऐसे समय में समाज में समाज को एकता, भाईचारे तथा समरसता का संदेश दिया।  घासीदास की सत्य के प्रति अटूट आस्था की वजह से ही इन्होंने बचपन में कई चमत्कार दिखाए, जिसका लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा। गुरु घासीदास ने समाज के लोगों को सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने न सिर्फसत्य की आराधना की, बल्कि समाज में नई जागृति पैदा की और अपनी तपस्या से प्राप्त ज्ञान और शक्ति का उपयोग मानवता की सेवा के कार्य में किया।   इसी प्रभाव के चलते लाखों लोग बाबा के अनुयायी हो गए। फिर इसी तरह छत्तीसगढ़ में 'सतनाम पंथ' की स्थापना हुई। इस संप्रदाय के लोग उन्हें अवतारी पुरुष के रूप में मानते हैं। गुरु घासीदास के मुख्य रचनाओं में उनके सात वचन सतनाम पंथ के 'सप्त सिद्धांत' के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इसलिए सतनाम पंथ का संस्थापक भी गुरु घासीदास को ही माना जाता है। बाबा ने तपस्या से अर्जित शक्ति के द्वारा कई चमत्कारिक कार्यों कर दिखाएं। बाबा गुरु घासीदास ने समाज के लोगों को प्रेम और मानवता का संदेश दिया। संत गुरु घासीदास की शिक्षा आज भी प्रासंगिक है। 

थियेटरों की कमी से पिछड़ती हैं छत्तीसगढ़ी फिल्म : अशोक

0 फिल्मों में काम करते रहने की तमन्ना है 
छत्तीसगढ़ी फिल्मों में कदम रखने वाले अभिनेता अशोक खंडेलवाल की तमन्ना है कि हिन्दी फिल्मो में भी अभिनय करे। वे कहते है कि प्रमोशन की कमी और थियेटर नहीं मिलने के कारण छत्तीसगढ़ी फिल्मे अन्य भाषी फिल्मो से पिछड़ गयी है। सरकार का भी सही ढंग से सहयोग नहीं मिल पाता। जबकि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में अपनी संस्कृति, भाषा और लोक कला का भरपूर प्रदर्शन होता है,जो लोगो के दिलो को छू जाता है। रायपुर में पढ़े लिखे अशोक ने छत्तीसगढ़ी भाषा की फिल्म अंधियार से छालीवूड़ में एंट्री की है। उनसे हमने हर पहलूओं पर बेबाक बात की।

0 आपका रुझान फिल्मो की और कैसे हुआ?
00 बचपन से ही मुझे फिल्मो का शौक रहा है। जब मै कोई फिल्म देखता था तो उसे दोहराता था। और जब बड़ा हुआ तो मैंने अपना शौक दिल में ही दबाये रखा लेकिन अब अंधियार में मुझे मौका मिला तो एक्टिंग कर ली। रवि शर्मा ने मुझे सहयोग किया और हम एक्टिंग की दुनिया में आ गए।
0 अभिनय के लिए आपने क्या किया?
00 कुछ ख़ास नहीं । रूची थी पर अभिनय नहीं किया था। स्थानीय मंचो पर ही अभिनय करता रहा है। बचपन में ही मैंने लक्ष्य तय कर लिये था कि मुझे आगे चलकर अभिनय करना है।
0 अब तक आपने कितनी फिल्मे की है?
00 अभी अभी तो छालीवूड़ में एंट्री की है। अंधियार में मुझे ब्रेक दिया है एजाज वारसी ने।
0 छत्तीसगढ़ी फिल्मे खूब चले इसके लिए और क्या चाहिए?
00 प्रमोशन खूब करना होगा, प्रचार प्रसार की कमी है। थियेटर का अभाव है। यहां के थियेटर छत्तीसगढ़ी फिल्मो को ज्यादा दिन तक चलाना नहीं चाहते। दर्शक है पर थियेटर नहीं है। सरकार ऐसा नियम बनाये की पहले हमारे फिल्मो को थियेटरों में प्रदर्शन करना अनिवार्य होगा, अन्यथा उन पर कार्रवाई होगी। तब छत्तीसगढ़ी फिल्मो का भविष्य बन पायेगा।
0 क्या हिन्दी फिल्मो में काम करने के इच्छुक है।
00 हाँ जरूर! अगर मौका मिला तो जरूर अपने अभिनय को दिखाना चाहूँगा।
0 फिल्मो में अभिनय के अलावा और क्या करना चाहेंगे ?
00 अभिनय ही करना चाहूँगा। इसी क्षेत्र में आगे बढना चाहता हूँ। लोग मुझे एक कलाकार के रूप में जाने यही तमन्ना है। 

श्वेता भी दिखेंगी भूलन में



छालीवुड में सिल्वर जुबली फिल्मे करने वाली श्वेता शर्मा भी मनोज वर्मा की फिल्म भूलन द मेज में दिखाई देंगी। वे कहती है कि इस फिल्म का हिस्सा होना ही मेरे लिए बड़ी बात है। बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री राखी की तरह अदा बिखेरने के कारण ही श्वेता शर्मा को छत्तीसगढ़ी फिल्मो की राखी कहा जाने लगा है। श्वेता हर तरह की भूमिका निभाने में माहिर है। करीब 26 फिल्मो में माँ की भूमिका निभा चुकी श्वेता कहती है कि मन में लगन और दृढ़ इच्छा हो तो कोई भी काम असंभव नहीं होता। टीवी देख- देखकर मैंने भी फिल्मो में काम करने की सोची थी और आज सबके सामने हूँ। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में उनकी एंट्री भी नाटकीय ढंग से हुई थी। कोरियोग्राफर मनोजदीप ने उन्हें मंच दिया और फिल्मो में काम करने को प्रोत्साहित किया ,बस फिर क्या था फिल्मो में आ गयी । कम पढ़ी लिखी होने के बावजूद श्वेता ने अपने अभिनय को ऐसे निभाया कि हर तरफ उनके कामों की तारीफ़ होने लगी और उन्हें छत्तीसगढ़ी फिल्मो की राखी कही जाने लगा। निर्देशक एजाज वारसी ने ही पुष्पांजली की तरह इन्हें भी ब्रेक दिया और आज एक सफल अभिनेत्री है। श्वेता की भूमिका को लोगो ने कई फिल्मो में सराहा लेकिन श्वेता को खुद राजा छत्तीसगढिय़ा में अपनी भूमिका बहुत पसंद है। वो बताती है कि बिना तैयारी के शूटिंग में गयी थी और बेहतर ढंग से भूमिका निभा पाई।

माही की फिल्मो में धमाकेदार एंट्री

पंजाबी फिल्म करने की तमन्ना है 
- श्वेता शर्मा  
छालीवूड़ में माही अहीर की धमाकेदार एंट्री हुई है। एक साल पहले माही ने छालीवूड़ की ओर रूख किया और इतने कम समय में उनके नाम एक हिन्दी और एक छत्तीसगढ़ी फिल्म है। इसके अलावा इन्होने कई शार्ट फिल्मे भी कर ली जिसमे श्री राजीव श्रीवास्तव की फिल्म छू लूंगी आसमान प्रमुख है। माही एजाज वारसी निर्देशित फिल्म अंधियार में अपनी भूमिका को बहुत ही चुनौतीपूर्ण मानती है। माही की दिली तमन्ना पंजाबी फिल्म करने की है। एक्टिंग के साथ साथ सिंगिंग उनका शौक है। इस समय माही क्लासिकल म्यूजिक की तालीम ले रही है। माही कहती है कि यहाँ छत्तीसगढ़ी फिल्मे इसलिए नहीं चलती क्योकि अच्छे लेवल की फिल्मे नहीं बनती।.माही छालीवुड में सभी प्रकार की भूमिका निभाना चाहती है ताकि उन्हें कटु अनुभव हो जाए। वे कहती है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में गुणवत्ता हो तो जरूर थियेटरों में चलेगी। माही कहती है कि मुझे एक्टिंग का शौक नहीं रहा है। पापा के कहने पर इस क्षेत्र में आई हूँ। आज तक मैंने सिर्फ एक छत्तीसगढ़ी फूलम देखी है वह भी पापा ने बैठाकर जबरन दिखाया था। उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए । थियेटरों  की कमी को सरकार पूरा करे। यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां होती है। फिल्मो में वो गुणवत्ता नहीं होती जो यहां के लोगो को चाहिए। माही कहती है कि शुरू से मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर नहीं चली हूँ। लेकिन अब इसी लाईन पर काम करती रहूंगी। मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी। वे कहती है कि हिन्दी फिल्में जरूर करना चाहेंगी और छत्तीसगढ़ को प्रमोट करने की बड़ी तमन्ना है। माही का आदर्श भी कोई नहीं है, ऐसा कोई है नहीं जिसे वे फालो करती हों। एजाज वारसी ने उन्हें हिन्दी फिल्मो में उनका काम देखकर छत्तीसगढ़ी फिल्म अंधियार में काम दिया है। वैसे एजाज ही हैं जिन्होंने माही को ब्रेक दिया है। वे कहती है कि एजाज जी के मार्गदर्शन में फिलहाल वे काम करते रहना चाहेंगी। 

मोगरा देगी बेटी बचाने का सन्देश

0 बेटियाँ ही परिवार की सशक्त धुरी होती है

बेटियाँ किसी भी मायने में कमजोर नहीं होती और बेटियाँ ही परिवार की सशक्त धुरी होती है। यह सन्देश देगी छत्तीसगढ़ी फिल्म मोगरा। बेटी बचाओ बेटी पढ़ावो का सन्देश पूरे विश्व में अभी गूँज रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर पूरा भारत इसी सन्देश को लेकर चर्चा में है। और इसी सन्देश को लेकर बनी है फिल्म मोगरा। निर्माता निर्देशक सोहन लाल वर्मा ने बड़ी ही खूबसूरती से यह फिल्म बनाई है जो बेटी की परिपक्वता और गुण को दर्शाता है। यह फिल्म बहुत ही अच्छी बनी है अगर आप टाकीज पर देखेंगे तो जरुर कहेंगे कि छत्तीसगढ़ को ऐसी फिल्मो की जरुरत है। कहानी तो हम अभी नहीं बताएँगे लेकिन इतना जरुर बता देते हैं कि जिस बेटी को पोइदा होने पर मारने की कोशीश की जाती है वही बेटी आगे चलकर बहुत ही होनहार होती है और लोगो की एक डाक्टर के रूप में सेवा करती है। यहाँ तक की अपने पिता की जान तक बचाती है। सोहन वर्मा का डायरेक्शन बहुत ही अच्छा है उतने ही अच्छे उनकी सोच है। फिल्म में मुख्य भूमिका अंजना दास और श्वेता शर्मा की है। इस नारी प्रधान फिल्म में दोनों ने माँ बेटी की भूमिका अदा की है। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में माँ और भाभी की भूमिका निभाने वाली श्वेता शर्मा  आज एक अच्छी अदाकारा के रूप में जानी पहचानी जाती है । अपनी असल जिंदगी में भी भारी उतार चढ़ाव देखने वाली श्वेता कहती है कि सरकार का सहयोग मिले तो छत्तीसगढ़ी फिल्मो के भी दिन बहुर जाएंगे। छत्तीसगढ़ में भी अच्छी अच्छी जगहें हैं जहां फिल्मो की शूटिंग की जा सकती है। अंजना आने वाली समय की सुपर स्टार होगी इससे कोइ इनकार नहीं कर सकता। गजब की एक्टिंग प्रतिभा है अंजना दास में। फिल्म मोग्या की मुख्य नायिका अंजना ने इस फिल्म में अपनी अदाकारी से सबको अचंभित किया है। शूटिंग के समय मै स्वयम सेट पर मौजूद था अंजना ने वन टेक में अपनी शूटिंग पूरी की है। 

फिल्म प्रेम के बंधना में स्टार कास्ट

 0 अनुज शर्मा हैं मुख्य भूमिका में 
0 बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक उदित नारायण के स्वर हैं 

छत्तीसगढ़ फिल्म प्रेम के बंधना में सुपर स्टार अनुज शर्मा सहित कई बड़े कलाकार अपना जलवा दिखाते नजर आएंगे। बिलासपुर के तखतपुर में फिल्म की शूटिंग 10 नवम्बर से शुरू हुई जो अब ख़त्म हो गयी हैं जिसके निर्माता- अशोक सिंह ठाकुर एवं निर्देशक- शिवनरेश केशरवानी हैं । फिल्म में मुख्य भूमिका में अनुज शर्मा, लवली अहमद की जोड़ी एवं सेकेण्ड लीड में बिलासपुर के उभरते कलाकार अशरफ अली और सनम परवीन की जोड़ी नजर आएगी।। एवं सहायक कलाकारों में प्रदीप शर्मा, अनिल शर्मा, उपासना वैष्णव, चन्द्रकला तिवारी, धर्मेंद्र चौबे, हेमलाल कौशल, संतोष निषाद, संतोष सारथी, श्वेता शर्मा, सरला सेन , पुष्पेंद्र सिंह जैसे कलाकार हैं. इस फिल्म के निर्देशक शिवनरेश केशरवानी इसके पहले भी मोहनी, और चंदू अऊ चांदनी जैसी बड़ी फिल्म बना चुके हैं।। चंदू अऊ चांदनी में तो उन्होंने बॉलीवुड के तीन बड़े कलाकार स्व.रज्ज़ाक खान, मुश्ताक खान एवं सहजाद खान को लेकर काम कर चुके हैं। और इस बार फिर छत्तीसगढ़ के सभी बड़े स्टार कास्ट को लेकर प्रेम के बंधना बना रहे हैं।इस फिल्म की सभी गाने की रिकॉर्डिंग कटक में पूरी की गयी है जिसमे छत्तीसगढ़ के सभी बड़े गायक गायिका के सांथ बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक उदित नारायण ने भी इस फिल्म के गानों को अपने स्वर से सजाया हैं।

जादूगर बने डॉ अजय सहाय

पांच भाषाओं में अभिनय करना भी एक रिकार्ड है
सुपर स्पेशिलिटी हास्पीटल चलाने वाले डॉ. अजय सहाय अब जादूगर बन गए हैं। चौकिये नहीं यह सच है। डॉ सहाय ने फिल्म दीवाना छत्तीसगढिय़ा में जादूगर की भूमिका निभाये है और और दर्शकों को खूब हंसाते हुए नजर आयेंगे। बिलासपुर के समाजसेवक जेठू राम साहू ने कलाकारों को मंच देने के लिए फिल्म दीवाना छत्तीसगढिय़ा बनाई है। इस फिल्म में डॉ सहाय नए रूप में दिखेंगे। उनमे गजब की प्रतिभा है। नायक ,खलनायक ,लेखक ,निर्देशक साहित्यकार, कवि, रंगकर्मी, पटकथा जैसे अनेक कला किसी एक व्यक्ति में हो ऐसे बिरले ही होते है और यह सब कला है डॉ अजय सहाय में। छत्तीसगढ़ी फिल्मो का वे एक आधार स्तम्भ है। उन्होंने एक नहीं कई भाषाओं की फिल्मो में अभिनय कर सबके सामने एक चुनौती पेश की है। पांच भाषाओं में अभिनय करना भी उनका एक रिकार्ड है। जितने अच्छे वे मधुमेह व् हृदयरोग विशेषज्ञ है उतने ही बेहतर कलाकार है।
डॉ सहाय को कला विरासत में मिली है। माँ से कला मिली है तो पिता से शिक्षा। छालीवुड में डॉ सहाय एक ऐसे नायक खलनायक लेखक ,निर्देशक है जिन्होंने फिल्म उद्योग पर हर भूमिका में एकछत्र राज कर रहे हैं और अपने अभिनय का लोहा मनवाया है। उनके स्वाभाविक अभिनय और प्रतिभा की पराकाष्ठा ही थी कि लोगों के बीच वे काफी लोकप्रिय हैं। उन्होंने जितने भी फिल्मों में रोल किया उसे देखकर ऐसा लगता है कि उनके द्वारा अभिनीत पात्रों का किरदार केवल वे ही निभा सकते थे। उनकी अभिनीत भूमिकाओं की यह विशेषता रही है कि उन्होंने जितनी भी फिल्मों मे अभिनय किया उनमें हर पात्र को एक अलग अंदाज में दर्शकों के सामने पेश किया। रूपहले पर्दे पर डॉ सहाय ने जितने रोल किए उनमें वह हर बार नए तरीके से संवाद बोलते नजर आए। अभिनय करते समय वे उस रोल में पूरी तरह डूब जाते हैं। परिवर्तन धारावाहिक में स्थानीय कलाकारों को लेना वे अपनी सबसे बड़ी उपलब्धी मानते है। समय की कदर नहीं करने वालों से डॉ सहाय काफी निराश होते हैं। वे कहते है कि जूनून से अच्छी फिल्म नहीं बनती। कहानी, संवाद,  निर्देशन, सब कुछ फिल्मो में होनी चाहिए। पैसों से ज्यादा समय की कीमत होती है। कई बार उनके साथ ऐसा हुआ है कि निर्माता निर्देशक उन्हें शूटिंग पर बुलाकर घंटों लेट आये हैं। ऐसे लोगो के लिए उनका एक ही सन्देश है समय की कदर करो। 

फिल्म को ही अब कॅरियर बनाएंगी प्रीति

छालीवुड में शोहरत मिले यही तमन्ना है 
छत्तीसगढ़ी फिल्म दीवाना छत्तीसगढिय़ा की नायिका प्रीति शर्मा कहती है की एक्टिंग मेरा शौक है और चाहत भी, फिल्म को ही अपना कैरियर बनाउंगी। जब इंडस्ट्री में आ ही गयी हूँ तो पीछे नहीं हटूंगी। इस फिल्म में छत्तीसगढ़ के कई बड़े कलाकारों ने भी काम किया है। उनका कहना है कि मुझे हर तरह के रोल करने की इच्छा है डेव्यु फिल्म में नायिका हूँ ,और अपनी भूमिका के साथ बहुत ही मेहनत की है।
वे कहती हैं कि दीवाना छत्तीसगढिय़ा मेरी पहली फिल्म है इसमें मुझे नायिका का रोल दिया गया है। डेब्यू फिल्म से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। मैंने एक आधुनिक लड़की का किरदार निभाया है। इस फिल्म में बहुत मेहनत करनी पडी है। फिल्म दीवाना छत्तीसगढिय़ा में सन्देश भी है तो कामेडी भी है जो दर्शकों को पसंद आएगा। इसमें सब कुछ है आप अपने जिंदगी को कैसे जी सकते है इस फिल्म में बेहतर तरीके से बताया गया है। इस फिल्म को लेकर हम आश्वस्त हैं। प्रीति का कहना है कि पहली बार कैमरे के सामने आने पर बिलकुल भी डर नहीं लगा। हम सब ने इसमें एक साथ कैमरे का सामना किया है। इस फिल्म से हमें उम्मीद है कि और बॉलीवुड की अन्य फिल्मो की तरह ही चलेंगी। इसमें सब कुछ है। आप देखिये ,हमें तो पूरी उम्मीद है।

वे कहती हैं कि मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में भी एक्टिंग किया करती थी। कई नाटकों में भाग लिया था। वैसे अभी तक मेरा रुझान माडलिंग की तरफ ही रहा है। एक्टिंग मैंने खुद से सीखा है । मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। मेरे परिवार का बहुत ही सहयोग मिलता है और मेरे प्रेरणास्रोत भी मेरे परिवार ही हैं। मेरे लगन को देखकर मेरे माता-पिता ने मुझे फिल्म करने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके ही कारण मैं फिल्म में अच्छे से रोल कर पाई हूँ। प्रीति बताती है कि उनका रुझान माडलिंग की ऑर ही था। एक्टिंग करने की नहीं सोची थी । अब फिल्मो में काम करती रहूंगी, पीछे नहीं हटूंगी। प्रीत्ति का तमन्ना छालीवुड में खूब नाम और शोहरत कमाने की है । वे चाहती है कि फिल्म दीवाना छत्तीसगढिय़ा खूब चले जनता मेरी एक्टिंग को सराहे। प्रीति के जीवन में कभी निराशा नहीं है । पर फिल्म में काम करने से मुझे बहुत खुशी हुई है क्योकि इससे मेरे जीवन में एक नया मोड़ आया है।