- अरुण कुमार बंछोर
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने राज्य में फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने के लिए फिल्म विकास निगम जल्द बनाने की घोषणा की और शासन स्तर पर इस पर काम भी शुरू हो गया है। लेकिन शायद कलाकारों को नहीं मालूम की कुछ लोग फिल्म विकास निगम नहीं बनना देना चाहते। खबर मिली है कि कुछ बड़े कलाकारों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर निगम नहीं बनाने की अपील की है। इससे निगम के गठन में विलम्ब हो सकता है। ये राजनीति जऱा समझ से पर हैं। जबकि मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी फिल्मों की विकास यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा था कि सन 1965 में मनु नायक द्वारा निर्मित पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म 'कहि देबे संदेस' से लेकर अब तक लगभग डेढ़ सौ फिल्में यहां बन चुकी हैं। भले ही ये फिल्में आर्थिक रूप से अपेक्षाकृत उतनी कामयाब न हो पायी हो, लेकिन इसके बावजूद हमारे यहां के फिल्म निर्माताओं और कलाकारों ने प्रदेश की कला और संस्कृति के प्रति पागलपन की हद तक अपना समर्पण भाव दिखाया है और इस दिशा में लगातार सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के फिल्म कलाकार पैसों के लिए काम नहीं करते। वे अपनी कला साधना के लिए समर्पित रहते हैं। उनका यह जुनून सचमुच अदभुत है। प्रदेश में छत्तीसगढ़ी सिनेमा उद्योग को बढ़ावा देने, यहां के प्रतिभावान कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में जल्द से जल्द फिल्म विकास निगम का गठन किया जाएगा, जिसकी मांग हमारे फिल्मकार और कलाकार काफी समय से करते आ रहे हैं। जब मुख्यमंत्री तैयार हैं तो अब निगम के गठन में रुकावट क्यों?
निगम बनने से छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माण, प्रदर्शन, तकनीकी व फाइनेंस संबंधी दिक्कतें जल्द ही दूर होंगी। यहां का फिल्म व्यवसाय व्यवस्थित हो जाएगा। अच्छी फिल्मों का निर्माण होगा जो यहां की संस्कृति और भाषा दोनों को संवर्धित करेंगी।राज्य बनने के बाद से प्रदेश में छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माण में तेजी आई है। अब तक तकरीबन 200 फिल्में प्रदर्शित हो चुकी हैें, जिनमें से काफी संख्या में हिट भी हुई हैं। सीमित संसाधन के बीच छत्तीसगढ़ी फिल्म व्यवसाय से जुड़े लोग लगातार फिल्में बना रहे हैं। स्थानीय भाषा में होने के कारण प्रदेश में ये फिल्में अच्छा व्यवसाय कर रही हैं। अब इन फिल्मों के निर्माण, प्रमोशन और प्रदर्शन में आने वाली समस्याएं फिल्म विकास निगम के माध्यम से दूर होंगी।2013 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने एजेंडे में फिल्म विकास निगम के गठन को शामिल किया था।
ये कमियां होंगी दूर
1. फिल्मों का प्रदर्शन के लिए थियेटरों की कमी
2. फिल्म सिटी बनने का रास्ता होगा साफ
3. अच्छे स्टूडियो की कमी होगी दूर
4. फिल्म अकादमी और ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट खुलेंगे
5. तकनीकी और आर्थिक सहयोग मिलेगा
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने राज्य में फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने के लिए फिल्म विकास निगम जल्द बनाने की घोषणा की और शासन स्तर पर इस पर काम भी शुरू हो गया है। लेकिन शायद कलाकारों को नहीं मालूम की कुछ लोग फिल्म विकास निगम नहीं बनना देना चाहते। खबर मिली है कि कुछ बड़े कलाकारों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर निगम नहीं बनाने की अपील की है। इससे निगम के गठन में विलम्ब हो सकता है। ये राजनीति जऱा समझ से पर हैं। जबकि मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी फिल्मों की विकास यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा था कि सन 1965 में मनु नायक द्वारा निर्मित पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म 'कहि देबे संदेस' से लेकर अब तक लगभग डेढ़ सौ फिल्में यहां बन चुकी हैं। भले ही ये फिल्में आर्थिक रूप से अपेक्षाकृत उतनी कामयाब न हो पायी हो, लेकिन इसके बावजूद हमारे यहां के फिल्म निर्माताओं और कलाकारों ने प्रदेश की कला और संस्कृति के प्रति पागलपन की हद तक अपना समर्पण भाव दिखाया है और इस दिशा में लगातार सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के फिल्म कलाकार पैसों के लिए काम नहीं करते। वे अपनी कला साधना के लिए समर्पित रहते हैं। उनका यह जुनून सचमुच अदभुत है। प्रदेश में छत्तीसगढ़ी सिनेमा उद्योग को बढ़ावा देने, यहां के प्रतिभावान कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में जल्द से जल्द फिल्म विकास निगम का गठन किया जाएगा, जिसकी मांग हमारे फिल्मकार और कलाकार काफी समय से करते आ रहे हैं। जब मुख्यमंत्री तैयार हैं तो अब निगम के गठन में रुकावट क्यों?
निगम बनने से छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माण, प्रदर्शन, तकनीकी व फाइनेंस संबंधी दिक्कतें जल्द ही दूर होंगी। यहां का फिल्म व्यवसाय व्यवस्थित हो जाएगा। अच्छी फिल्मों का निर्माण होगा जो यहां की संस्कृति और भाषा दोनों को संवर्धित करेंगी।राज्य बनने के बाद से प्रदेश में छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माण में तेजी आई है। अब तक तकरीबन 200 फिल्में प्रदर्शित हो चुकी हैें, जिनमें से काफी संख्या में हिट भी हुई हैं। सीमित संसाधन के बीच छत्तीसगढ़ी फिल्म व्यवसाय से जुड़े लोग लगातार फिल्में बना रहे हैं। स्थानीय भाषा में होने के कारण प्रदेश में ये फिल्में अच्छा व्यवसाय कर रही हैं। अब इन फिल्मों के निर्माण, प्रमोशन और प्रदर्शन में आने वाली समस्याएं फिल्म विकास निगम के माध्यम से दूर होंगी।2013 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने एजेंडे में फिल्म विकास निगम के गठन को शामिल किया था।
ये कमियां होंगी दूर
1. फिल्मों का प्रदर्शन के लिए थियेटरों की कमी
2. फिल्म सिटी बनने का रास्ता होगा साफ
3. अच्छे स्टूडियो की कमी होगी दूर
4. फिल्म अकादमी और ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट खुलेंगे
5. तकनीकी और आर्थिक सहयोग मिलेगा
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