बुधवार, 9 दिसंबर 2020

खाकी को समर्पित : सर का मर्तज़मींबा !

- अरुण बंछोर 

म्यूजिक अल्बम सरज़मीं का मर्तबा पुलिस विभाग को समर्पित है इस गाने के माध्यम से ईमानदार पुलिस ऑफिसर के परिवार और फ़र्ज़ के बीच की उलझन  को दिखाया गया है ! बॉलीवुड के जानेमाने सींगर शाहिद मालया ने गाया है ! विवेक भारती और इशिता विश्वकर्मा ने भी अपनी आवाज़ दिया है इस गाने में ! 

हाफ गर्ल फ्रेंड, वेलकम बैक, लवरात्रि जैसे बड़े फिल्मो के लिए गाने लिख चुके   दिग्गज गीतकार  अरफ़ात मेहमूद ने लिखा है इस गाने को ! म्यूजिक रोमी मुखर्जी और अरफ़ात मेहमूद ने दिया है ! इस गाने मे जिन कलाकारो ने काम किया है वो हैं कुंदन सिंह, अनुषा शर्मा, सुनैना दुबे, प्रीत कौर, दीपक सिन्हा ! डायरेक्टर :धीरज ठाकुर, कास्टिंग डायरेक्टर  हर्ष झा, एसोसिएट डायरेक्टर कुणाल सूर्यवंशी हैँ ! इस गाने को प्रोड्यूस किया है साईं विनायक फ़िल्म ने और जिसके फाउंडर हैँ बॉलीवुड अभिनेता कुंदन सिंह !

कुंदन हैँ कीमेरे द्वारा इस कम्पनी की स्थापना का मकसद आर्मी और पुलिस की गौरव गाथा को जन जन तक पहुँचाना है ! देश की पुलिस और आर्मी हीं हमारे असल हीरो हैँ हमें उनको हीं अपना रोल मॉडल मानना चाहिए क्युकी वो धूप बरसात की परवाह किये बगैर अपने परिवार से दूर रहकर हमारी हिफाज़त करते हैँ उनके लिए हमारे दिल मे सम्मान  ज़रूर होनी चाहिए ! लेकिन बड़ी दुख की बात है की कुछ क्रप्ट ऑफिसर्स के कारण लोग पुरे पुलिस विभाग को हीं ग़लत समझने लगे हैँ जबकि हकीकत बिलकुल अलग है,  आज भी देश मे कई ऐसे ऑफिसर्स हैँ जो अपने आप मे एक मिसाल हैँ ! समाज मे पुलिस के प्रति एक ग़लत धारणा बन चुकी है जिसके पीछे सिनेमा का बहुत बड़ा हाथ है सिनेमा मे शुरू से हीं पुलिस की छवि को दागदार दिखाया गया है, मै भी इसी सिनेमा का हिस्सा हुँ और मै सिनेमा के माध्यम से हीं समाज मे पुलिस के प्रति फैली ग़लत धारणा को चेंज करना चाहता हुँ ! जिसके लिए मैंने अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस डाला है जो आर्मी और पुलिस के लिए लगातार फ़िल्म और गानो का निर्माण कर रही है !

शुक्रवार, 27 नवंबर 2020

बॉलीवुड में धूम मचा रही है छत्तीसगढ़ की अनुषा

अपने कला के दम पर पहचान बनाने की तमन्ना है



छत्तीसगढ़ की अनुषा शर्मा आज किसी परिचय की मोहताज नही है। भिलाई की इप्टा से अपना कला का सफर शुरू कर आज मुम्बई में अपने अभिनय का लोहा मनवा रही है. धारावाहिक तारक मेहता का उलटा चश्मा,मिमकी मुखिया, लापतागंज, मेरे साईं, ये रिश्ता क्या कहलाता है, कसौटी जिंदगी के , मेरे पापा मेरे हीरालाल, विक्रम बेताल, छोटी सरदारनी, बावले उतावले, ये तेरी गलियां, ये हैं मोहब्बतें, ये हैं चाहतें ,अग्नि फेरा ,ये रिश्ते प्यार के , श्रीकृष्णा , अपना टाईम आएगा , क्राइम पेटोल ,राजस्थनी सीरियल और डीडी नेशनल पर लाल रेखा जैसे कई सीरियलो में अनुषा अपनी कला का जलवा दिखा चुकी है।

उनकी कला में वो जादू है कि जो भी एक बार देखे, उनकी कला के कायल हो जाएंगे। उनकी एक्टिंग में जीवंतता झलकती है. वे कहती है की मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता। जो मन में ठान ले उसे पूरा करके ही रहती हूँ। वे अपने कला के दम पर पहचान बनाना चाहती है. अनुषा शर्मा कभी निराशा नहीं होती है और यही उनकी सफलता का राज भी है. अभी वे साई विनायक प्रोडक्शन के साथ गाने करने भिलाई आई हुई हैं. साथ काम करने वाले कलाकरो की एक कोशिश जो हमेशा ही रियल पुलिस और सेना और आर्मी को लेकर फ़िल्म और गाना कर उनका मनोबल बढ़ाना है. अनुषा ने दो छत्तीसगढ़ी फिल्मे भी की है। भकला और भुला झन देवे। वे भोजपुरी और हिंदी फिल्मे भी कर चुकी हैं। अनुषा शर्मा साईं विनायक के गाना करने छत्तीसगढ़ आई थी. इस दौरान वे हमारे दफ्तर भी आई तब हमने हर पहलुओं पर उनसे बेबाक बात की. पेश है बातचीत के सम्पादित अंश.

 

 आपको एक्टिंग के प्रति कैसे दिलचस्पी हुई ?
बचपन से ही शौक था एक्टिंग करने का। स्कूलों में नाटकों में भाग लिया करती थी। बाद में मुझे थियेटर का शौक हुआ। ऐसा करते करते मैंने छत्तीसगढ़ी फिल्मो की ऑर कदम बढ़ाया। उसके बाद मुम्बई चली गयी वहां मेरे अभिनय को देखकर निर्माता तो खुश हुए और मुझे लगातार काम मिलता गया। लोगो को देखकर लगा की मुझे भी इस क्षेत्र में कुछ करना चाहिए।
0 अब तक की आपकी उपलब्धी क्या है?
मैंने 2 छत्तीसगढ़ी फिल्मो में काम किया है और कुछ एल्बम बनाये है। मुम्बई में कई धारावाहिकों में मैंने है जैसे - तारक मेहता का उलटा चश्मा,मिमकी मुखिया, लापता गंज मेरे साईं ये रिश्ता क्या कहलाता है, ये रिश्ते प्यार के , श्रीकृष्णा , अपना टाईम आएगा , क्राइम पेटोल। , कसौटी जिंदगी के ,चाहत ,अग्नि फेरा। इसके अलावा राजस्थानी व् अन्य भाषाओं के भी सीरियल है.
0 आप छत्तीसगढ़ी फिल्मों में अपना आदर्श किसे मानते है?
छालीवुड में काम करने वाले मेरे कोइ आदर्श नहीं है और सभी कलाकार मेरे आदर्श है भी। क्योकि सबसे मुझे कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता है। बॉलीवुड में मुझे राजकपूर पसंद थे
० क्या आप छत्तीसगढ़ी फिल्मों में लौटेंगे ?
०० जरूर अच्छी कहानी हो और भूमिका अच्छी हो तो जरूर छत्तीसगढ़ी फिल्मे करूंगी।
० कैसी भूमिका आपको पसंद है या करना चाहेगी ?
० ऐसी भूमिका करना पसंद करूंगी जिसमे किरदार दमदार हो.महिला प्रधान फिल्मे करना चाहूंगी।


0 क्या आप अपने कामों से संतुष्ट हैं?
हाँ, मैं अपने कामों से पूरी तरह से संतुष्ट हूँ। मैंने जितने भी फिल्मों या धारावाहिकों में काम किया है सभी मेरे जीवन की बेहतर फ़िल्में और सीरियल्स है।
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
हाँ ! शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चली हूँ। अब इसी लाईन पर काम करती रहूंगी।
० आपको कभी निराशा हुई है ?
हाँ बहुत बार निराशा हुई है.लेकिन मई निराशा को अपने ऊपर हावी नहीं होने देती।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
अपने कला के दम पर पहचान बनाऊँ तथा लोग मुझे एक अच्छी अभिनेत्री के रूप में जाने , यही मेरा सपना है.

गुरुवार, 22 अक्तूबर 2020

निशा के कला के कायल हैं छत्तीसगढ़िया

 जीवंतता नजर आती है उनके अभिनय में

छालीवुड की चरित्र अभिनेत्री निशा चौबे के अभिनय के यहां के दर्शक कायल हैं. उनके अभिनय में जीवंतता झलकती है.उन्हें सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेत्री का अवार्ड भी मिल चुका है। छालीवुड स्टारडम ने उन्हें 2018 का सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेत्री का अवार्ड दिया था। वे कहती है कि चरित्र को फिल्म में जीवंत बनाने की पूरी कोशिश करती हूँ। फिल्मो में हर प्रकार की भूमिका निभाना उन्हें पसंद है उनकी तमन्ना इस भूमिका को लगातार आगे भी जीते रहने की है।इस समय उनकी रावत नाच की तर्ज पर बनी गॉसिप खूब पसंद किये जा रहे हैं. महज 13 साल की छोटी सी उमर में अपने नृत्य कला की शुरुवात करने वाली निशा चौबे राजनीति के साथ साथ अब फिल्मो में काम कर रही है। उनके छालीवुड में आने से एक चरित्र अभिनेत्री की कमी पूरी हुई है। निशा में काम करने का जूनून है, वे कहती है कि मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता। जो मन में ठान ले उसे पूरा करके ही रहता है। फिल्म आई लव यूं में उनके कामों की तारीफ़ छालीवुड के महानायक मोहन सुंदरानी ने भी की है.

वे समाजसेवा और राजनीति में भी सक्रिय है. निशा छत्तीसगढ़ फिल्म इंडस्ट्री एसोसिएशन के बेमेतरा जिला अध्यक्ष भी है. छालीवुड में काम करने वाली सभी अभिनेत्रियां उनके आदर्श है। क्योकि सबसे उन्हें कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता है। वे अब तक के अपने कामो से पूरी तरह से संतुष्ट है. निशा छत्तीसगढ़ी के साथ भोजपुरी फिल्म में भी अपना जलवा दिखा रही है. मेरी नजर में निशा छत्तीसगढ़ के एक छोटे से कस्बे बेमेतरा में पली बढ़ी और अपनी छोटी सी उम्र में एक बड़ी उपलब्धी हासिल कर ली है। वे कहती है कि फिल्मो में भी बेहतर कॅरियर है और वे फिल्म को ही अपना कॅरियर बनाएगी। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में कॅरियर नहीं है कहने वालों को निशा बेहतर जवाब देती है वे कहती है कि काम अच्छा हो तो हर क्षेत्र में कॅरियर बनता है.प्रतिभा को अवसर मिले तो सोने पे सुहागा हो जाता है। वह कहती है कि उनकी तमन्ना एक सफल अभिनेत्री बनने की है। उन्हें छालीवुड में सिर्फ नाम और शोहरत चाहिए। लोगो का प्यार और तालियां मुझे मिला तो मुझे अपार खुशी होगी। साथ ही अपने लोकमंच का संचालन भी सफलतापूर्वक कर रही है.संघर्ष कला को निखारता है निशा ने अपने कला को बढ़ाने के लिए बहुत संघर्ष किया है.

बुधवार, 21 अक्तूबर 2020

माँ बेटे के दर्द भरे जसगीत है “दाई तोर ममता के करजा”


एक बेटा अपनी जन्मदात्री माँ का कर्जा जिंदगी भर नहीं उतार सकता। चाहे वह अपनी माँ के लिए कुछ भी कर लें. निर्माता निर्देशक मनोज दीप ने बहुत ही दर्द भरे जसगीत यूट्यूब पर पेश किया है जिसे सुनकर आँखों में आंसू भर आता है. जसगीत की भावना बहुत ही साफ सुथरी और दिल को छू लेने वाली है.इस जसगीत से बहुत ही प्रेरणा मिलती है.इसमें यह बताया गया है कि “दाई तोर ममता के करजा” मई कैसे उतारूं। जानी मानी कलाकार उर्वशी साहू ने जबरदस्त अभिनय किया है. कॉमेडी के लिए मशहूर चुलबुली अभिनेत्री ने दर्द भरा अभिनय किया है. निर्देशक मनोज दीप को उम्मीद थी कि उर्वशी साहू कॉमेडी के अलावा यह भावुक अभिनय भी बेहतर ढंग से कर लेगी। जिसमे उर्वशी साहू खरा उतरी है.स्वर दिया है विनोद वर्मा ने. गीत सरिता लहरे की है, संगीत दिया है विवेक शर्मा ने और इसे कैमरे में कैद किया है संजय महतो ने.

सोमवार, 14 सितंबर 2020

अशरफ और अनिकृति में होगा "पहली नजर के प्यार"

 

पहली नजर में प्यार होता है या नहीं ये तो हम नहीं जानते पर अशरफ अली और अनिकृति चौहान में पहली नजर में प्यार जरूर होगा। सच में नहीं फ़िल्मी परदे पर दोनों रोमांस करते नजर आएंगे। यह फिल्म स्वर्ण फिल्म्स के बैनर तले बनने जा रही है. निर्माता आलोक स्वर्णकार ने इसकी शूटिंग पर जाने की तैयारी पूरी कर ली है. पिछले दिनों इस फिल्म का मुहूर्त हुआ.फिल्म का निर्देशन करेंगे भूपेंद्र चंदनिया। फिल्म के टाइटल से ही पता चलता है की यह फिल्म रोमांस से भरपूर होगा। एक्शन ,फाइट, रोमांस, शानदार लोकेशन, सुमधुर गीत,संगीत सब कुछ इस फिल्म में होंगे जो दर्शकों को चाहिए होता है. कलाकारों का चयन स्टारकास्ट है. अनिकृति चौहान आज छालीवुड की सबसे चर्चित और सबसे पसंदीदा अभिनेत्री है.खूबसूरत चहरे की मल्लिका अनिकृति चौहान के अभिनय में जीवंतता झलकती है.

एक शब्द में कहे तो अनिकृति चौहान छोटी उम्र में बड़ी कामयाबी है. अशरफ अली छॉलीवुड के एक चुलबुले अभिनेता है उन्होंने कई फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा बिखेरा है। पहल भी इन दोनों की जोड़ी "ले चल  नदिया के पार" में भी आ चुकी है.

बुधवार, 26 अगस्त 2020

मम्मी-पापा का सपना ही अंजली का सपना है

फ़िल्मी सफर छोटा है पर बेहतर है



छत्तीसगढ़ी फिल्मो कीअदाकारा अंजली ठाकुर आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है. उनकी कला में वो जादू है कि जो भी एक बार देखे, उनकी कला के कायल हो जाएंगे। उनकी एक्टिंग में जीवंतता झलकती है. वे कहती है की मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता। जो मन में ठान ले उसे पूरा करके ही रहती हूँ। वे अपने कला के दम पर पहचान बनाना चाहती है. उनका कहना है कि छालीवुड में उनका कोइ आदर्श नहीं है। अपने कामो से पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हूँ। मुझे अभी बहुत कुछ करना है. अंजली ठाकुर को कभी निराशा नहीं होती । यही उनकी सफलता का राज है. उन्होंने बतौर नायिका चार फिल्मे की है. फ़िल्मी सफर उनका छोटा है पर बेहतर है. पेश है बातचीत के सम्पादित अंश - अरुण बंछोर

आपने कितनी फिल्मे या एल्बम किये हैं?
4 फिल्म लीड़ की हूँ, शुरूवाती दौर मे 2 -3 मूवी में छोटा छोटा सा किरदार निभाई हूँ. छत्तीसगढ़ी एल्बम तो अनगिनत है। ओड़िया और हिन्दी एल्बम भी की हूँ|
आपको एक्टिंग के प्रति कैसे दिलचस्पी हुई ?
बचपन मे जब टी.वी. देखतीं थी, तो सोचा करती थी कि इसके अंदर कोई इंसान कैसे जाते हैं और एक बार जब मेरे घर का टी. वी. फूट गया तो मैं उस दिन स्कूल जाना छोड़ के बस यही देखतीं रही.. इसके अंदर के लोग अभी तक बाहर कैसे नहीं आये मैं तब 5-6 साल की थी उस समय अपनी माँ से पूछती भी थी... मुझे भी टी.वी. के अंदर जाना हैं कैसे जाते है. बचपन से रूचि थी
कैसे और कहाँ से आपने एक्टिंग का सफर शुरू किया?
जब मैं हायर सेकेंडरी मे थी तभी से मैंने शुरुआत किया हैं मेरी मम्मी जब अपना और मेरा फोटोज फेसबुक पर अपलोड करती थीं तभी से मेरे पास फिल्मों और एल्बम के ऑफर आने लगे थे.
आप छत्तीसगढी में अपना आदर्श किसे मानते है?
किसी को नहीं..।
अब तक की आपकी उपलब्धी क्या है?
4 फिल्म बि ना किसी के रिफरेंस के की हूँ अपनी मेहनत और हूनर से की हूँ.मेरे लिये यही बहुत बडी बात हैं.. इंडस्ट्री मे मेरा कोई बाप दादा नहीं हैं... अपनी मेहनत और अपने काम के प्रति जो लगन हैं उसी के बलौलत धीरे-धीरे आगे बढ़ रही हूँ.
आप छत्तीसगढ़ी फिल्मों में अपना आदर्श किसे मानते है?
किसी को भी नहीं। लेकिन हाँ मेरी माँ बहुत कम समय मे छत्तीसगढ़ फिल्मों मे अपनी कला का जादू बिखेर रही हैं और मेरी माँ फिल्मों मे हो या मेरी जिन्दगी मे हो आर्दश मेरे लिए एक मात्र वहीं हैं लीना ठाकुर जी.
क्या आप अपने कामों से संतुष्ट हैं?
संतुष्ट नहीं हूँ मैं..मुझे जैसा काम करना पसंद हैं वैसा काम नहीं मिल पा रहा हैं. कुछ अच्छा काम सोचो या करने की कोशिश करो तो यहां पैर खिचने वाले बहुत हैं मगर हाथ खिच के कोई साथ नहीं देते हैं ।
आप किस कलाकार को फॉलो करते है?
मैं किसी कलाकार को फॉलो नहीं करती मुझे अपनी कला से उभरना हैं किसी का कॉपी कर के नहीं।

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कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
बचपन से यही सोच बना के चलतीं आई हूँ.. मेरी माँ का ये सपना भी हैं.. की मैं अपने कला से अपने दर्शको के दिल मे राज करुं और अपना कॉरियर इसी मे बनाऊ क्योंकि जब मैं 1 साल की भी नहीं थी तो मेरी माँ के पास फिल्मो के ऑफर आते थे तो वो मुझे छोटी हैं बोल के नहीं कर पाई थी और उनका सपना अधूरा था और उस सपने को मैं पूरा कर रही हूँ धीरे-धीरे।
छालीवुड फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगे।
मुझे गांव घर की बहू और स्कूल लाइफ वाली फिल्म करना अच्छा लगेगा,परिवार के साथ बैठ के देख सके वैसा फिल्म पसंद हैं।
आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
मेरे मम्मी पापा का सपना ही मेरा सपना है और उसे ही मैं पूरा होते देखना चहती हूँ.

शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

छत्तीसगढ़ी प्रतिभाओं को बॉलीवुड तक ले जाने की ख्वाहिश रखते हैं


छत्तीसगढ़ी कलाकारों के लिए बहुत कुछ करना चाहतें है आलोक स्वर्णकार 

छत्तीसगढ़ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है , जरुरत हैं उन्हें तराशने की और इन प्रतिभाओं को सही मंच प्रदान करने की। यह कहना है छालीवुड फिल्म निर्माता आलोक स्वर्णकार का| कलाकारों को लगातार काम मिलता रहे और छालीवुड की पहचान देश दुनिया में बढ़ता रहे इसके लिए उन्होंने यूट्यूब चैनल लेकर आये हैं जो पूरे बारह महीने कलाकारों को काम देता रहेगा ताकि कलाकारों को काम की तलाश में भटकना ना पड़े और छत्तीसगढ़ की जनता का मनोरंजन भी होता रहे. आज हमारी मुलाक़ात आलोक स्वर्णकार से हुई। साथ में थे अभिनेता अशरफ अली. तो संक्षिप्त मुलाक़ात में ही उनसे बहुत सारी बातें हो गयी. 

उन्होंने अपनी भावी योजना बताई जो छत्तीसगढ़ और यहां के कलाकारों के लिए मिल का पत्थर साबित होगा।आलोक स्वर्णकार ने बताया कि इस यूट्यूब चैनल चैनल में छत्तीसगढ़ के नई नई प्रतिभाओं को मौका दिया जाएगा अभी शुरुआती दौर पर नए म्यूजिक डायरेक्टर व सिंगर को मौका दिया जा रहा है इसके लिए आलोक स्वर्णकार लगातार नई प्रतिभाओं की खोज कर रहे हैं और जो कलाकार मिल रहे हैं उन्हें पूरी तरह से अपने साथ जोड़ रहे हैं ताकि उनकी प्रतिभा भी निखरे और उन्हें लगातार काम भी मिले। जब हमने इस संदर्भ में अशरफ से बात की तब उन्होंने बताया कि आलोक स्वर्णकार पेशे से इंजीनियर है और वह जो भी काम करते हैं उस का स्तर बहुत उच्च होता है उन्होंने बताया कि कोरोना के दौर में आलोक स्वर्णकार ने बहुत से कलाकारों की आर्थिक मदद भी की थी और वह कलाकारों के हित के लिए अच्छे कार्य करते रहते हैं यह नए कलाकारों के लिए एक बहुत अच्छा अवसर होगा कि उन्हें इतने बड़े मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा जब हमने आलोक स्वर्णकार से बात की तो उन्होंने कहा कि इस चैनल को लेकर उनकी भविष्य की बहुत सी योजनाएं हैं जो धीरे-धीरे लोगों को पता चलेंगी उनका कहना है कि कलाकारों को लगातार काम मिलता रहना चाहिए और जब तक पढ़े-लिखे निर्माता इस फील्ड में नहीं आएंगे तब तक छत्तीसगढ़ के कलाकारों का उद्धार नहीं हो सकता इसलिए वह एक उच्च स्तर का प्लेटफार्म कलाकारों को देना चाहते हैं और इस प्लेटफार्म में छोटे से छोटे गांव के भी प्रतिभावान कलाकारों को वह मौका देंगे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ फिल्म में रीजनल क्षेत्रों के लोगों व उनके भाषाओं का भी प्रयोग किया जाना चाहिए। लोगों को जागरूक करने के लिए फिल्में सामाजिक क्षेत्र, शिक्षा के क्षेत्र, खेल के क्षेत्र आदि में भी काम करने की जरुरत है जो समाज के लिए संदेश वाहक होती हैै। फिल्म निर्माता आलोक स्वर्णकार ने छत्तीसगढ़ी फिल्म कलाकारों काे बाॅलीवुड तक ले जाना अपना मुख्य उद्देश्य बताया। 

जल्द रिलीज करेंगे  फिल्म मोर भाई नंबर वन

छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार फिल्म मोर भाई नंबर वन में बॉलीवुड टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है। फिल्म में कलाकारों द्वारा काफी मेहनत की गई है। संगीत के पक्ष को भी मजबूत रखा गया है।उन्होंने बताया कि फिल्म मोर भाई नंबर वन में क्षेत्रिय स्टूमेंट का भी प्रयोग किया गया है।स्वर्ण फिल्म्स द्वारा प्रस्तुत छत्तीसगढ़ी फिल्म मोर भाई नंबर वन को वे जल्द ही लाकडाउन खुलते ही रिलीज करने की सोच रहे हैं। फिल्म मोर भाई नंबर वन में मुख्य भूमिका करन, अखिलेश पाण्डेय, प्रियंका परमार व सेजल साहू ने निभाई है। निर्माता आलोक स्वर्णकार, निर्देशक करन खान, कोरियोग्राफर निशांत उपाध्याय, संगीतकार अमित प्रधान, स्वर सुनील सोनी, मुनमुन चक्रवर्ती ने दिया हैं। 

शनिवार, 8 फ़रवरी 2020

अपने दम पर पहचान बनाना चाहती है जागेश्वरी मेश्राम

छालीवुड अदाकारा की एक्टिंग में जीवंतता झलकती है

- अरुण कुमार बंछोर 

छत्तीसगढ़ी फिल्मो कीअदाकारा जागेश्वरी मेश्रामआज किसी परिचय की मोहताज नहीं है. उनकी कला में वो जादू है कि जो भी एक बार देखे, उनकी कला के कायल हो जाएंगे। उनकी एक्टिंग में जीवंतता झलकती है. वे कहती है की मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता। जो मन में ठान ले उसे पूरा करके ही रहती हूँ। वे अपने कला के दम पर पहचान बनाना चाहती है. उनका कहना है कि छालीवुड में काम करने वाली सभी कलाकार उनके आदर्श है। क्योकि सबसे मुझे कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता है। मै अपने कामो से पूरी तरह से संतुष्ट हूँ। जागेश्वरी मेश्राम को कभी निराशा नहीं होती । यही उनकी सफलता का राज है.मैंने फिल्म दइहान देखी तो उनकी एक्टिंग देखता रह गया. ऐसा लग रहा था जैसे वे फिल्मों में नहीं सच में सामने थी. उन्होंने बतौर नायिका तीन फिल्मे की है. मैंने जागेश्वरी मेश्राम से हर पहलूओं पर बात की.
0 आपको एक्टिंग के प्रति कैसे दिलचस्पी हुई ?
बचपन से शौक था एक्टिंग करने का। स्कूलों में नाटकों में भाग लिया करती थी। बाद में मुझे थियेटर का शौक हुआ। ऐसा करते करते मैंने छत्तीसगढ़ी फिल्मो की ऑर कदम बढ़ाया। लोगो को देखकर लगा की मुझे भी इस क्षेत्र में कुछ करना चाहिए।

0 अब तक की आपकी उपलब्धी क्या है?
मैंने करीब 7 छत्तीसगढ़ी फिल्मो में काम किया है और कुछ एल्बम बनाये है। मेरे पापा से मुझे कला विरासत में मिली है. मैंने लोकरंग ज्वाइन कर अपना कदम आगे बढ़ाया है. और आज आपके सामने हूँ.
0 आप छस्तीस्सगढ़ी फिल्मों में अपना आदर्श किसे मानते है?
छालीवुड में काम करने वाली सभी कलाकार मेरे आदर्श है। क्योकि सबसे मुझे कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता है।
0 क्या आप अपने कामों से संतुष्ट हैं? 
हाँ, मैं अपने कामों से पूरी तरह से संतुष्ट हूँ। मैंने जितने भी फिल्मों में काम किया है सभी मेरे जीवन की बेहतर फ़िल्में है।
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
हाँ ! शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चली हूँ। अब इसी लाईन पर काम करती  रहूंगी।
0  छालीवुड फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगे।
मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी  , लेकिन लीड रोल मुझे ज्यादा पसंद है।
0 सरकार से आपको क्या अपेक्षाएं हैं?
सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
अपने कला के दम पर पहचान बनाऊँ तथा लोग मुझे एक अच्छी अभिनेत्री के रूप में जाने , यही मेरा सपना है. 

शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

ए टी म्यूजिक का यूट्यूब में धमाका

छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माता अजय त्रिपाठी ने यूट्यूब में ए टी म्यूजिक वर्ल्ड के रूप में तहलका मचा दिया है।  उनके गाने खूब पसंद किये जा रहे हैं. अजय ने चारामा मे पत्रकारिता से अपनी सार्वजनिक जीवन की शुरूवात की थी, पहले फिल्मो में आये और तोर मोर यारी फिल्म बनाई।  इस फिल्म में उन्होंने अभिनय भी किया है. अब यूट्यूब प् धमाल कर रहे हैं. आजा आजा मोर मैना मंजूर गीत अभी यूट्यूब पर लोग खूब देख सुन रहे हैं.गीतकार संगीतकार घनश्याम महानंद है। अजय त्रिपाठी और पूजा देवांगन ने इस गीत पर शानदार अभिनय और डांस करसबका दिल जीत लिया है. कांसेप्ट भीआजाय त्रिपाठी का ही है जिसे कोरियोग्राफ किया है चंदनदीप ने.अजय  त्रिपाठी का कहना है कि फिल्म दुनिया में तो हम है ही लेकिन आज ज़माना यूट्यूब का है इसलिए मैंने इस क्षेत्र में भी कदम रखा है.

छालीवुड में संध्या वर्मा की धमाकेदार एंट्री

छत्तीसगढ़ी फिल्मो में मौलिकता और संस्कृति की कमी झलकती है
- अरुण कुमार बंछोर
छत्तीसगढ़ी फिल्मो की उभरती नायिका संध्या वर्मा की दिली तमन्ना छत्तीसगढी फिल्मे लगातार करने और अपने माता पिता का नाम रौशन करने की है.फिल्म सनम तोर कसम मेवे नायिका है और वे इसी फिल्म से
छालीवुड में धमाकेदार एंट्री करने जा रही है. धमाकेदार हम इसलिए कह रहे हैं क्योकि इस फिल्म में संध्या ने बहुत ही शानदार अभिनय किया है. ट्रीजर में ही इसकी झलक दिखती है। संध्या ने सिंगिग से अपने कॅरियर की शुरुआत की थी और आज छत्तीसगढ़ी फिल्मों का एक हिस्सा बन गयी है। उन्होंने एक हिंदी की भी एक फ़िल्में की है। अब वे लगातार फिल्मे ही करते रहना चाहती है। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में मौलिकता और छत्तीसगढ़ी संस्कृति की कमी झलकती है।
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। जब मै छोटी थी तभी से फिल्म देकहती आ रही हूँ। तभी से कुछ अलग करने की सोच ली थी। मन में लगन हो तो सब संभव है। मैंने थियेटर ज्वाइन किया और आज इस मुकाम पर हूँ।
0 छालीवुड की क्या सम्भावनाये दिखती है?
00 बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ऑर है।
0 तो छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है?
00 क्योकि यहां की फिल्मो में अपनी संस्कृति और मौलिकता की कमी झलकती है। कलाकारों का चयन भी पात्रों के अनुसार नहीं होता क्योकि निर्माता सबसे पहले फाइनेंसर की तलाश में होता है। जो पैसा लगाता है वो कलाकार बन जाता है।
0 फिर मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 एक्टिंग मैंने खुद से सीखा है। मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। मै थियेटर से आई हूँ। मेरी पहली फिल्म एक हॉरर फिल्म है। सही मायने में मेरी पहली फिल्म सनम तोर कसम है जो बड़े परदे पर आने वाली है। इसके पहले बरात ले के आ जा में सेकण्ड लीड रोल में हूँ. मेरे माता पिता सिंगर है जिससे मुझे कला विरासत में मिली है.
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
00 हाँ ! शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चली थी । इसी लाईन पर काम करती रहूंगी।
0  छालीवुड फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगी।
00  मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी ताकि मुझे सभी प्रकार का अनुभव हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है। मैं किसी भी भाषा की फिल्म हो जरूर करूंगी।
0 आप फिल्मो में भूमिका को लेकर कैसा महसूस करते हैं ?
00 जब मैं कोई भूमिका निभाती हूँ तो पहले गंभीरता से मनन करती हूँ। उसमे पूरी तरह से डूब जाती हूँ।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
00 छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहती हूँ। अब लगातार फिल्मो में ही काम करते रहने की तमन्ना है। 

गुरुवार, 23 जनवरी 2020

" फिल्मसिटी " की घोषणा पर छिड़ी बहस

0 इस मुद्दे पर बटें नजर आये फ़िल्म निर्माता
0 कोई सरकार के साथ तो कोई विरोध में
अरुण बंछोर/ श्रीमती केशर सोनकर
रायपुर । राज्य सरकार ने रायपुर में फिल्मसिटी बनाने की घोषणा की है उसके साथ ही प्रदेश भर में इस निर्णय का विरोध भी शुरू हो गया है। छालीवुड के फ़िल्म निर्माताओं ने दो टूक शब्दों में कहा है कि उन्हें फिल्मसिटी नही बल्कि प्रदेश भर में थियेटर चाहिए। वहीं कुछ निर्माताओं का कहना है कि फिलसिटी तो चाहिए ही ,  थियएटर है उसी में हम फिल्म नहीं लगा पा रहे हैं। हमने छालीवुड के जाने माने निर्माताओं से बात की है.आइए जानते है क्या कहते हैं निर्माता।

पहले थियेटर बने - संतोष जैन

छत्तीसगढ़ फ़िल्म प्रोड्यूसर एसोसिएशन के अध्यक्ष फ़िल्म निर्माता संतोष जैन का कहना है कि फ़िल्म सिटी का हम विरोध नही करते हैं पर हमारी पहली प्राथमिकता थियेटर है। प्रदेश भर में ज्यादा से ज्यादा मिनी थियेटर और टूरिंग टाकीज बने और सरकार उन्हें सब्सिडी दें। इससे छालीवुड बहूत आगे जाएगा। थियेटर की कमी के चलते छत्तीसगढ़ के दर्शक हमारी मूवी नही देख पाते। सरकार को इस दिशा में विचार करना चाहिए।  फिल्मसिटी का हम स्वागत करते हैं पर हमारी पहली प्राथमिकता थियेटर ही होगी। सीधी सी बात है मिनी थियेटर और टूरिंग टॉकीज होगी तो गांवों के दर्शकों को बड़े शहर नही आना पड़ेगा और आसानी से फ़िल्म देखने को मिलेगा। बहुत ऐसे भी लोग होते है जो शहर जाते ही नही और मनोरंजन के शौकीन होते हैं। ऐसे लोगो के लिए मिनी थियेटर या टूरिंग टाकीज चाहिए।

फिल्मसिटी की क्या जरूरत- मनोज वर्मा
छत्तीसगढ़ी फिल्मों के जाने माने निर्माता निर्देशक एवं प्रोड्यूसर एसोसिएशन के सचिव मनोज वर्मा का दो टूक शब्दों में कहना है कि यहाँ फ़िल्म सिटी की जरूरत ही नही है। क्यों चाहिए और किसे चाहिए फ़िल्म सिटी। छत्तीसगढ़ में शूटिंग के लिए सब कुछ है। सुंदर सुंदर लोकेशन है, नदी है, झरना है, पहाड़ है, जंगल है, गांव है, मंदिरें है, सब कुछ तो है फिर फ़िल्म सिटी की क्या जरूरत। कौन जाएगा वहां शूटिंग करने। नेचुरल चीजें है उसे हम दिखातें हैं फिल्मों में, जिसे देखकर दूर दूर से पर्यटक छत्तीसगढ़ आते हैं। हमें तो बस मिनी थियेटर चाहिए ब्लाक स्तर पर। सारी समस्याएं थियेटर बना देने से खत्म हो जाएगी। यहां फिल्मसिटी बनेगी बाहर के लोग आएंगे दुकान लगाएंगे। छोटे छोटे सेट लगाकर शूट करेंगे। हमारे किसी काम के नही। ना तो यहां वेब्सिरिज बनता है, ना सीरियल बनता है तो फिर फिल्मसिटी किसलिए। नही चाहिए फिल्मसिटी। हमारी मांग है थियेटर बस।

फिल्मसिटी से क्या होगा - अशोक तिवारी
छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माता अशोक तिवारी भी फ़िल्म सिटी बनाने के सरकार के फैसले से सहमत नही है। उनका कहना है कि फिल्मसिटी के बन जाने से क्या होगा। ना निर्माताओं को फायदा है और ना ही कलाकारों का। फिर फिल्मसिटी क्यों। आज हम मनपसंद लोकेशन पर मुफ्त में फिल्मों की शूटिंग कर लेते है। फिल्मसिटी बन जाने से हमारा खर्च बढ़ जाएगा। शूटिंग के लिए वहां पैसा देना होगा। ये तो बाद की बात है। सबसे पहली बात है कि वहां शूटिंग के लिए जाएगा कौन। छत्तीसगढ़ में इतने सुंदर सुंदर लोकेशन है जैसा चाहे हमे मिलता है। छालीवुड की हितैषी है तो सरकार विकास खंडों में थियेटर बनाये सब्सिडी दे और टूरिंग टॉकीजों को लाइसेंस दे बस । फिर देखो छत्तीसगढ़ी फ़िल्म कैसे दौड़ती है।

फिल्मसिटी ही चाहिए, स्वागतेय निर्णय-मोहन सुंदरानी
छालीवुड के भीष्मपितामह मोहन सुंदरानी ने कहा है कि हमे तो फिल्मसिटी ही चाहिए। सरकार का निर्णय स्वागतेय है। 20 सालों में किसी ने भी फ़िल्म ओर संस्कृति की ओर ध्यान नही दिया। मैं आभारी हूँ भूपेश बघेल का जिन्होंने हमारी सुध तो ली और फिल्मसिटी बनाने का निर्णय लिया। बहुत फायदा है इससे। फ़िल्म निर्माताओं को सारा लोकेशन एक ही स्थान पर मिलेगा। आज यहां वहां भटकना पड़ता है। रही बात थियेटर की तो क्यों चाहिए। जितनी थियेटर अभी है उसी में निर्माता फ़िल्म नही लगा पाते। मैं छालीवुड के निर्माताओं से पूछना चाहता हूं कि क्या सभी सेंटरों पर फ़िल्म लगाते हैं। नही ना,तो फिर ओर थियेटर क्यों चाहिए। सरकार का कदम सही है हमें फिल्मसिटी ही चाहिए।

फिल्मसिटी आज की जरूरत है- अमरनाथ पाठक
अभिषेक मूवी के संचालक फ़िल्म निर्माता अमरनाथ पाठक का कहना है कि फिल्मसिटी आज की जरूरत है। थियेटर की जरूरत नही है जितने थियेटर है हम उसी का उपयोग नही कर पाते है तो फिर और क्यों चाहिए। फिल्मसिटी बनाने से निर्माताओं को शूटिंग में सहूलियत होगी। जो चशिये वो एक ही स्थान पर उपलब्ध होगी। यहां वहां शिफ्ट नही होना पड़ेगा। यही समय की मांग है। धन और समय दोनों की बचत होगी।


फिल्मसिटी का विरोध नही पर औचित्य भी नही- अलक राय
फ़िल्म निर्माता एवं डिस्ट्रीव्यूटर अलक राय का कहना है कि मैं फिल्मसिटी का विरोध नही कर रहा हूँ पर यहां फिल्मसिटी का कोई औचित्य नही है। पूरा छत्तीसगढ़ अपने आप मे एक फ़िल्म सिटी है। हमे तो थियेटर चाहिए इससे रिकवरी होगी। जहां हमारे दर्शक है वहां थियेटर नही है। थियेटर वहां है जहां दर्शक नही है। सिमगा, में नही है, गरियाबंद में नही है ,चौकी में नही है, डोंगरगांव में नही है। यहां थियेटर चाहिए। छत्तीसगढ़ में कोई लोकेशन की कमी तो है नही की फिल्मसिटी बनाएं। शासन अपने गार्डन तक का तो मेंटनेंस नही कर पाती। फिल्मसिटी क्या मेंटेन करेंगे।

सरकार मरीजों का मर्ज तो जाने- प्रकाश अवस्थी
फ़िल्म निर्माता निर्देशक एवं अभिनेता प्रकाश अवस्थी का कहना है कि सरकार मरीजों का मर्ज जाने बिना कैसे फिल्मसिटी का ऐलान कर दिया।सरकार पहले थियेटर खोलने सब्सिडी दे। सरकार तो थियेटर खोलेगी नही, तो गांवों के बेरोजगार युवकों को थियेटर खोलने सब्सिडी दे ताकि जो फ़िल्म देखना चाहते हैं उसे साधन मिल जाए। जुआ ओर शराब ही इंटरटेनमेंट का साधन ना हो फ़िल्म भी गांवों तक पहुंचे। फिल्मसिटी हमारी कोई जरूरत नही है बल्कि यहां सुंदर सुंदर गार्डन है उसे शूटिंग के लिए फ्री कर दें। फिल्मसिटी पर 500 करोड़ खर्च करोगे। 100 करोड़ में तो  दो ढाई सौ थियेटर खुल जाएंगे।

थियेटर हो तो सारी समस्या खत्म - डॉ अजय सहाय
छालीवुड के जाने माने अभिनेता, निर्माता निर्देशक डॉ अजय मोहन सहाय का कहना है कि हमारी सबसे बड़ी सज़्मस्या थियेटर है।सरकार इस दिशा में कदम उठाए। थियेटर होगा तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों को लोग देख सकेंगे। गांव के दर्शक फ़िल्म देखने गांव से शहर नही आते। उन्हें उनके नजदीक तक हमारी फिल्म ले जानी होगी यानी कस्बों में थियेटर बने। फ़िल्म सिटी का यहां कोई काम नही है। जो सरकार के पास साधन है उसे शूटिंग के लिए फ्री कर दें। मुक्तांगन में शूटिंग करनी है तो हमे पैसा देना होता है। फिल्मसिटी बन जायेगा तो वहां भी पैसा वसूला जाएगा। अभी हमारे निर्माता जहां चाहे वह मनमर्जी से शूटिंग कर लेते हैं।

मंगलवार, 14 जनवरी 2020

“आ जा नदिया के पार” ज्ञानेश तिवारी का ड्रीम प्रोजेक्ट

एक्शन से भरपूर रोमांटिक एवं पारिवारिक फिल्म  
अरुण बंछोर छॉलीवुड स्टारडम 

श्रीराम मोशन पिक्चर्स के बेनर तले बनी निर्माता निर्देशक ज्ञानेश तिवारी की फिल्म “आ जा नदिया के पार” उनकी ड्रीम प्रोजेक्ट है. इस फिल्म में उन्होंने दर्शकों की पसंद का विशेष ख्याल रखा है और वो सब कुछ देने की कोशिश की है जो छत्तीसगढ़ की जनता फिल्मों में देखना चाहती हैं. ये फिल्म श्री तिवारी की दिशा और दशा दोनों तय करेगी. “आ जा नदिया के पार” एक ऐसी फिल्म है जिसमे आपको रोमांस भी मिलेगा तो एक्शन ,मारधाड़ ,सन्देश , शानदार लोकेशन भी देखने को मिलेगा. इस फिल्म की कहानी पारिवारिक है जो मौजूदा हालातों को प्रदर्शित करती है. कहानी क्या है ये हम अभी नहीं बताएँगे इसके लिए आपको टाकीजों तक जाना होगा. पर यह जरुर है कि फिल्म देखकर आपको कहीं भी निराशा नहीं होगी. ज्ञानेश तिवारी का निर्देशन में बेहतर अनुभव है., फिल्म के नायक अशरफ अली है और नायिका आस्था दयाल दोनों के अभिनय में माहिर हैं और कम समय में इस फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अच्छी पहचान बनाई है. दोनों की फिल्मे टाकीजों में पहले भी अच्छा प्रदर्शन कर चुकी है. अशरफ ने प्रेम के बंधना और ले चल नदिया के पार में तो आस्था ने तहूँ कुंवारा महूँ कुंवारी में लोगो का दिल जीता है. विनायक अग्रवाल एक मझे हुए बेहतरीन कलाकार हैं, सरला सेन का अभिनय हमेशा लोगो को पसंद आया है इस फिल्म में भी सरला ने अपना अच्छा अभिनय देने की कोशिश की है. अन्य कलाकार है मंदिरा नायक, दूजे निषाद, विनोद. टाईटल गीत खुद निर्माता ज्ञानेश तिवारी ने लिखे हैं तो संगीत दिया है अभिनव तिवारी ने. अभिनव और चम्पा निषाद के स्वर से गाने सजे हैं. फिल्म में चार गाने हैं जो दर्शकों को पसंद आयेगा, ऐसी उम्मीद है.

प्रतिस्पर्धा की होड़ में छालीवुड

प्रतिस्पर्धा छालीवुड के लिए ठीक नहीं – मोहन सुन्दरानी 
हर माह आये एक फिल्म, तो ही अछा – संजय बत्रा 
- रोहित बंछोर
छत्तीसगढ़ फिल्म इंडस्ट्री 20 साल के सफ़र में आज भी ठीक से स्थापित नहीं हो पाए हैं इसका कारण जो भी हो लेकिन फिल्मों की होड़ से यह इंडस्ट्री आगे जाने के बजाय पीछे ही जायेगी. फिल्मे बनना अच्छी बात है इससे कलाकारों को रोजगार तो मिलता है लेकिन फिल्मे ज्यादा व्यवसाय नहीं कर पाती जिससे सीधे सीधे निर्माताओं को ही नुकसान होता है. छत्तीसगढ़ की जनता हर सप्ताह एक फिल्म देखने की स्थिति में नहीं है, हाँ माह में एक फिल्म जरुर देख सकते हैं. फरवरी माह में सात छः फिल्मे रिलीज हो रही है. 7 फरवरी को आ जा नदिया के पार, दईहान और बेनाम बादशाह फिल्म. 14 फरवरी को तैं मोर लव स्टोरी, 21 फरवरी को जय भोले मया मा डोले और 28 फरवरी को तोर मोर यारी. अब दर्शक क्या एक हप्ते में ये छः फिल्मे देखा पायेंगे, प्रतिस्पर्धा का क्या नतीजा होगा, क्या इस तरह एक साथ कई फिल्मे रिलीज होनी चाहिए, आईये जानते हैं हमारे निर्माता निर्देशक क्या कहतें हैं?
प्रतिस्पर्धा ठीक नहीं – मोहन सुन्दरानी
छालीवुड के भीष्मपितामह मोहन सुन्दरानी का इस क्षेत्र में अछा खासा लंबा अनुभव है. वे कहतें हैं कि इस तरह की प्रतिस्पर्धा ठीक नहीं है. आज तो कुछ भी फिल्मे बन रही है. फिउल्मे अच्छी बने तभी छत्तीसगढ़ के दर्शक फिल्म देखेंगे. हामरे दर्शक इतने अमीर नहीं है कि हर सप्ताह एक फिल्म देखें, अछा होगा कि माह में एक या दो फिल्मे ही रिलीज हो. अन्यथा निर्माता को सीधे सीधे नुकसान होगा. कलाकारों को तो उनकी मेहनत का फल पहले ही मिल जाता है. अब फरवरी में ६ फिल्मे आ रही है ये दर्शकों पर बोझ की तरह है किसे देखे किसे नहीं. अगर प्रतिस्पर्धा होती रही तो इस फिल्म इंडस्ट्री को बह्गुत ही नुकसान होगा.
हर हप्ते एक फिल्म ठीक नहीं – संजय बत्रा 
छालीवुड के लिजेंड एक्टर जो बालीवुड में भी धूम मचा रहे हैं का कहना है कि हर हप्ते एक फिल्म का रिलीज होना कतई ठीक नहीं है. माह में एक फिल्म आये तो दर्शक देख पायेंगे. छत्तीसगढ़ में ऐसा दर्शक नहीं है जो अपना कामधाम छोइदकर हर हप्ते फिल्म देखने जाएँ. प्रतिस्पर्धा कतई ठीक नहीं है यहाँ मनोरंजन का मामला है कोइ व्यवसाय नहीं. हाँ एक बात और फिल्म साल में भले ही दो चार बने लेकिन अच्छी कहानी पर ही बने , गुणवत्ता भी ठीक हो वरना छालीवुड का भगवान् ही मालिक होगा. आज तो हालात ये है कि किसी भी विषय पर कुछ भी फिल्मे बन रही है जिससे छालीवुड आगे जाने की बजाय पीछे ही जा रहा है.
ऐसी प्रतिस्पर्धा के ही ख़िलाफ़ हूँ  - नीरज श्रीवास्तव
इतनी अधिक संख्या में छत्तीसगढ़ी फिल्मों का निर्माण होना वाकई में सुखद एहसास कराता है , इसमें कोई दोराय नहीं है ।परंतु एक निर्माता फ़िल्म का भला निर्माण करता क्यों है ? सीधी सी बात है क्यूँकि अधिक से अधिक संख्या में दर्शकों का प्यार उस फ़िल्म को प्राप्त हो सके । मगर इन दिनों हमारी छोलीवुड इंडस्ट्री में एक ही महीने में छह फ़िल्मों को रिलीज़ करने का लेटेस्ट फ़ार्मूला पेश किया जा रहा है । मेरी मानें तो यह नया एक्सपेरिमेंट दर्शकों के साथ - साथ निर्माता - निर्देशकों के लिए भी निश्चित ही हानिकारक है । बतौर निर्देशक में तो कभी भी नहीं चाहूँगा कि मेरी फ़िल्में उस महीने सिनेमाघरों में आये जिस महीने छह और अलग -अलग फ़िल्में प्रदर्शित होने को तैयार हैं । सच कहूँ तो मैं ऐसी प्रतिस्पर्धा के ही ख़िलाफ़ हूँ । मेरा मानना है कि हमें मिलकर इस छोलीवुड इंडस्ट्री को और आगे बढ़ाने एवं सशक्त बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिए ना की फल फूल रहे इस उद्योग को डुबाने में अपना समय लगाना चाहिए। रिलीजिंग में कोई भी कॉम्पिटिशन नहीं होना चाहिए।
प्रतिस्पर्धा अवश्य होना चाहिए-अलीम बंशी 
फिल्में चलाने हेतु कुछ महीने ही उपयुक्त होते हैं जिसमें अधिक व्यवसाय की उम्मीद निर्माता करता वह किसी को बोल तो सकता नहीं कि आप मत लगाओ मैं अपनी फिल्म लगा लगाऊंगा अब अगर फिल्म बनाया है निश्चित रूप से उसे व्यवसाय करना है और वह मार्केट पर आएगी ही चाहे संख्या जो भी हो.प्रतिस्पर्धा अवश्य होना चाहिए प्रतिस्पर्धा होने से हम अपनी कमियों को समझ पाएंगे निश्चित रूप से वह दिन आएगा जब हम दर्शकों की चॉइस को पहचान पाएंगे हमें दर्शक को क्या देना है छोटी इंडस्ट्रीज तो टॉलीवुड भी थी पर निर्माण अच्छा किया जाना शुरु किया गया दर्शकों की नब्ज पहचान ली गई तो वह बॉलीवुड को भी पीछे छोड़ता है. रहा प्रश्न नतीजे का हम धीरे-धीरे अब मेकिंग की ओर खुद ही बढ़ रहे हैं हम खुद ही फैसला कर रहे हैं कि दर्शकों को क्या देना है जब तक हम धोखा नहीं खाएंगे तब तक सीख नहीं पाएंगे मेकिंग मेकिंग होती है उसके लिए अनुभव की आवश्यकता होती है अनुभव से कई निर्माता और कंपनियां कार्य कर रही है कुछ का रिजल्ट बहुत अच्छा आता है कुछ कुछ सामान्य होता है यदि हम छत्तीसगढ़ी फिल्म की बात करें तो हमारे पास संस्कृति ही मुख्य संस्कृति के गीत संगीत कथा को साथ ले चलें तरक्की संभव है हमें इस बात को ध्यान रखना होगा कैमरा पकड़ लेने से आर्टिस खड़े हो जाने से फिल्म नहीं बन जाती अनुभव जरूरी है वरना डुब्बत में आते रहेंगे
पूरी इंडस्ट्री को उठाना पड़ेगा नुकसान - अम्न हुसैन
 हमारी इंडस्ट्री छोटी है दर्शक कम है एक-एक सप्ताह में फिल्म लगेगी तो दर्शक बार-बार टॉकीज तक फिल्म देखने नहीं आएंगे अगर ऐसा होता है तो चंद खराब फिल्मों के साथ एक अच्छी फिल्म भी पीस जाएगी दर्शक उसे भी नहीं देखने आएंगे और इसका नुकसान कुल मिलाकर पूरी इंडस्ट्री को उठाना पड़ेगा।
प्रतिस्पर्धा स्वस्थ  होनी चाहिए- डॉ अजय सहाय 
फिल्म हर हप्ते नहीं लगना चाहिए ,क्यों देखेगा कोई ?  इंसान टाइम क्राइसिस के दौर से गुजर रहा है और भी काम हैँ जमाने मेँ ! प्रतिस्पर्धा तॊ प्रकृति के प्रादुर्भाव से ही रही है हर जगह , चाहें वो इन्सान हो या जीव जंतु । जहॉं  प्रतिस्पर्धा होती है वहाँ लक्ष्य पाने के लिए जोश भी बढ़ जाता है और एक से बढ़ कर एक सुखद परिणाम सामने आते है । डार्विन के अनुसार जो सबसे ज्यादा "फिट" हॊता है वही "सर्वाइव" करता है (survival of the fittest) बाकी सब विलुप्ति के कगार पर पहुंच जाते हैँ । सर्वाइव वही करेगा जो बतौर  चेलेंज काम करेगा । प्रतिस्पर्धा स्वस्थ  होनी चाहिए,  उसमें दुश्मनी या नफरत  की बू नहीँ आनी चाहिए । इतनी सारी फ़िल्में एक साथ रिलीज़ होने से कुछेक  अच्छी फ़िल्मेँ  ही चल पाएंगी ,  बाकी सब नुकसानदायी साबित होंगीं । आखिर करेँ भी तॊ क्या ?  निर्माताओं के पास कोई विकल्प भी तॊ नहीँ है । छत्तीसगढ़ी फ़िल्मों की बाढ़ सी आ गयी है । जिसे  देखो वो कलाकारों से  चंदा लेकर  व नाना प्रकार के जुगाड़ लगाकर फ़िल्में बना रहा है ।  अनगिनत फिल्में बनी पड़ी हैँ । निर्माताओं पर निवेशकों व कलाकारों का दबाव है । उन्हें लगाना मजबूरी सी है ..।
ज़मीनी हकीकत भी समझना होगा- रजनीश 
वैसे फरवरी माह में स्वयं मेरी ही 3 फिल्म्स आ रही है, पर अलग अलग डेट में, यथा 7 फरवरी को दईहान 14 फरवरी को तए मोर लव स्टोरी(नाम बदल के) 21 फरवरी को जय भोले मया मा डोले, इसी माह बेनाम बादशाह और ले चल नदिया के पार के भी रिलीज होने की जानकारी मिली है,इस तरह 5 फिल्म्स की जानकारी है मेरे पास,,,,हालाकि ज़मीनी हकीकत भी समझना होगा रिलीज की तैयारियोँ को ले के,,,,घोषणाएं तो होती रहती हैं और समय से बदल भी जाती है,,,,ये सब परिदृश्य जनसँख्या विस्फोट की तरह दिखता है मुझे,,,,ये व्यापार है,,,जो जिद के उन्माद में साक्षात हो रहा, छोटी सी हमारी दुनिया है परिस्थितनुसार उसके हिस्से बाँट कर क्रमवार सब चलेंगे तो  कुछ संभावना है सफलता की,,,पर एक ही शहर के अलग-अलग सिनेमा में एक ही डेट में अलग-अलग छत्तिसगडी फिल्म लगती है तो दर्शक फिल्म चयनित कर देखने के मोड में आ जाता है, और निर्माता की कमाई बट जाएगी,,,,यहाँ प्रतिस्पर्धा का जन्म होगा,,,जो बेहतर फिल्म ले के आयेगा वो एडवांटेज में रहेगा ।
राज साहू की अपील – ना लगाएं फिल्म 
फिल्म जोहार छत्तीसगढ़ के निर्माता राज साहू का कहना हैं कि इस तरह फिल्म रिलीज करने से निर्माताओं को अच्छा खासा नुकसान होगा और दर्शकों को भी मनोराब्न्जन नहीं मिल पायेगा. उन्होंने फिल्म निर्माताओं से अपील की है कि 31 जनवरी को जोहार छत्तीसगढ़ रिलीज हो रही है जिसे अभी से लोगों का आशीर्वाद मिल रहा है ऐसी स्थिति में फरवरी में फ़िल्में रिलीज ना करें ताकि छत्तीसगढ़ी फिल्म जोहार छत्तीसगढ़ को अपार सफलता मिल सके. कम समय में लगातार फिल्मो के रिलीज होने से फिल्मों को ही नुकसान होगा.
बिलकुल भी रिलीज नहीं होनी चाहिए – अलक
फिल्म निर्माण से फिल्म वितरण के क्षेत्र ने झंडा गाड़ने वाले अलक राय कहतें हैं कि बिलकुल भी लगातार फिल्मे रिलीज नहीं होनी चाहिए. अपनी फिल्म इंडस्ट्री बहुत ही छोटी है यहाँ लोगो को मिलजुलकर फिल्म के हित में काम करना चाहिए. ताकि फिल्मों का भविष्य सुनहरा रहे और एक निर्माता जो बड़ी मेहनत से पैसा लगाकर फिल्म बनाता है उसकी रिकवरी के भी चांसेस होना चाहिए.
लगातार फिल्मे देखना संभव नहीं – अरविंद मिश्र 
शिक्षाविद, साहित्यकार, समाजसेवा में जुटे अफसर अरविंद मिश्र का कहना है कि लगातार छत्तीसगढ़ी फिल्मे देखना हमारे दर्शकों के लिए संभव ही नहीं है. इसलिए बहुत ही सोच समझकर फिल्मे रिलीज किया जाना चाहिए. प्रतिस्पर्धा अच्छी बात है लेकिन स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए. स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो तो फिल्मों की गुणवत्ता बढेगी. एक साथ कई फिल्मे यी हर हप्ते एक फिल्मे रिलीज नहीं होनी चाहिए इससे निर्माताओं का ही नुकसान है. 

शनिवार, 4 जनवरी 2020

दर्शकों को भायेगी “ जोहार छत्तीसगढ़”

स्टार कास्ट संदेशात्मक फिल्म
-       अरुण बंछोर / श्रीमती केशर सोनकर,

छत्तीसगढ़ी फिल्म जोहार छत्तीसगढ़ दर्शकों को कितना भायेगी, यह 31 जनवरी को पता चलेगा लेकिन इस फिल्म से निर्माता निर्देशक ,कलाकार और दर्शकों सभी को बहुत ही उम्मीद है. इसके दो पहलु है- पहला फिल्म स्टार कलाल्कारों से सजी हुई है और दुसरा इस फिल्म की कहानी में दम है. ऐसी कहानी पर छत्तीसगढ़ में अब तक कोइ फिल्म ही नहीं बनी है. कहानी तो हम नही बताएँगे लेकिन सार यह है कि बाहरी लोगो द्वारा स्थानीय लोगो पर राज करने और शोषण करने की कहानी है जिसे बड़ी ही खूबसूरती से फिल्माया गया है.इस फिल्म में सभी कलाकारों ने बड़ी मेहनत की है. स्टार कास्ट में पहला नाम आता है शिखा चिताम्बरे का जिन्होंने छालीवुड में एकक्षत्र राज किया है. नायक है देवेन्द्र जांगडे जिनके नाम बेस्ट डेव्यु एक्टर का अवार्ड है. पुष्पेन्द्र सिंह बेस्ट डायरेक्टर के साथ साथ जाने माने अभिनेता हैं. उपासना वैष्णव एक ऐसी अभिनेत्री है जो छालीवूड की ममात्रामायी माँ है. जिनके अभिनय के आसपास कोइ नहीं है. अनिल शर्मा छालीवूड के एकमात्र लिजेंड एक्टर है. फिल्म रोमियो राजा के सेट पर  फिल्म जोहार छत्तीसगढ़ के कई कलाकारों से हमारी मुलाक़ात हुई तो हमने फिल्म के बारे में चर्चा छेड़ी.
मैंने फिल्म को सब कुछ दिया है – राज साहू

जोहार छत्तीसगढ़ फिल्म के निर्माता और एक्टर राज साहू का कहना है कि इस फिल्म से मुझे बहुत ही उम्मीद है क्योकि मैंने इस फिल्म को सब कुछ दिया है. पूरी मेहनत के साथ जिस चीज की भी जरूरत हुई मैंने दिया है. फिल्म के निर्माण में अच्छाई के लिए मैंने कोइ समझौता नहीं किया है. फिल्म को इस तरह से फिल्माया गया है कि वास्तविकता लगता है. सभी कलाकारों ने बहुत मेहनत किया है जिसके चलते फिल्म अच्छी बनी है. फिर कहानी का विषय एकदम नया है इसलिए मुझे इस फिल्म से बहुत ही उम्मीद है.
हमने फिल्म को अच्छी बनाने की कोशिश की है – देवेन्द्र
जोहार छत्तीसगढ़ फिल्म के नायक और निर्देशक देवेन्द्र जांगडे का कहना है कि हमने इस फिल्म को बेहतर बनाने के लिए कोइ कसर नहीं छोडी है. एक एक वस्तुओं और कास्ट्यूम पर विशेष ध्यान दिया है. तमाम स्टार कलाकार इस फिल्म में अपना योगदान दिए हैं. लक्ष्मण यादव जैसे डीओपी है. पहली बार हम नई कहानी लेकर आये हैं इसलिए उम्मीद है जनता की नजरों में हम खरा उतरेंगे. शानदार गीत है, संगीत है, एक्शन , रोमांस, फाईटिंग सब कुछ है. निर्देशन में भी मैंने बहुत ही बारीकियों का ध्यान रखा है. जो फिल्म को बेहतर बनाता है.
एक बेहतरीन फिल्म है – अनिल शर्मा
फिल्म जोहार छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री का किरदार निभा रहे विलेन अनिल शर्मा का कहना है कि यह फिल्म एक बेहतरीन फिल्म साबित होगी क्योकि इस फिल्म में किसी भी बात के लिए निर्माता और डायरेक्टर ने समझौता नहीं किया है , जो जरूरत है उसे पूरा किया है, शानदार लोकेशन , मुख्यमंत्री का काफिला, कास्ट्यूम सब कुछ वास्तविकता लगता है. सबसे अच्छी बात है पूरी फिल्म का फिल्मांकन बेहतरीन है इसलिए फिल्म बेहतरीन है.
कहानी में दम है – क्रांति दीक्षित
छालीवूड के बेहतरीन खलनायक क्रांति दीक्षित का कहना है कि इस फिल्म की कहानी में दम है. नई कहानी है जो हर किसी राज्य की वास्तविकता से परिपूर्ण है. बाहरी लोग आकर स्थानीय लोगो पर कैसे राज करते है, कैसे शोषण करते है और उसका कैसे प्रतिकार होता है यह फिल्म में बताया गया है. इसे हम राज्य की ज्वलंत मुद्दा भी कह सकते है. जिसे खूबसूरत ढंग से फिल्माया गया है. इस मुद्दे पर आज तक छालीवूड में कोइ फिल्म नहीं बनी है. इसलिए हमें बहुत उम्मीद है कि दर्शक इसे जरुर पसंद करेंगे.