गुरुवार, 23 जनवरी 2020

" फिल्मसिटी " की घोषणा पर छिड़ी बहस

0 इस मुद्दे पर बटें नजर आये फ़िल्म निर्माता
0 कोई सरकार के साथ तो कोई विरोध में
अरुण बंछोर/ श्रीमती केशर सोनकर
रायपुर । राज्य सरकार ने रायपुर में फिल्मसिटी बनाने की घोषणा की है उसके साथ ही प्रदेश भर में इस निर्णय का विरोध भी शुरू हो गया है। छालीवुड के फ़िल्म निर्माताओं ने दो टूक शब्दों में कहा है कि उन्हें फिल्मसिटी नही बल्कि प्रदेश भर में थियेटर चाहिए। वहीं कुछ निर्माताओं का कहना है कि फिलसिटी तो चाहिए ही ,  थियएटर है उसी में हम फिल्म नहीं लगा पा रहे हैं। हमने छालीवुड के जाने माने निर्माताओं से बात की है.आइए जानते है क्या कहते हैं निर्माता।

पहले थियेटर बने - संतोष जैन

छत्तीसगढ़ फ़िल्म प्रोड्यूसर एसोसिएशन के अध्यक्ष फ़िल्म निर्माता संतोष जैन का कहना है कि फ़िल्म सिटी का हम विरोध नही करते हैं पर हमारी पहली प्राथमिकता थियेटर है। प्रदेश भर में ज्यादा से ज्यादा मिनी थियेटर और टूरिंग टाकीज बने और सरकार उन्हें सब्सिडी दें। इससे छालीवुड बहूत आगे जाएगा। थियेटर की कमी के चलते छत्तीसगढ़ के दर्शक हमारी मूवी नही देख पाते। सरकार को इस दिशा में विचार करना चाहिए।  फिल्मसिटी का हम स्वागत करते हैं पर हमारी पहली प्राथमिकता थियेटर ही होगी। सीधी सी बात है मिनी थियेटर और टूरिंग टॉकीज होगी तो गांवों के दर्शकों को बड़े शहर नही आना पड़ेगा और आसानी से फ़िल्म देखने को मिलेगा। बहुत ऐसे भी लोग होते है जो शहर जाते ही नही और मनोरंजन के शौकीन होते हैं। ऐसे लोगो के लिए मिनी थियेटर या टूरिंग टाकीज चाहिए।

फिल्मसिटी की क्या जरूरत- मनोज वर्मा
छत्तीसगढ़ी फिल्मों के जाने माने निर्माता निर्देशक एवं प्रोड्यूसर एसोसिएशन के सचिव मनोज वर्मा का दो टूक शब्दों में कहना है कि यहाँ फ़िल्म सिटी की जरूरत ही नही है। क्यों चाहिए और किसे चाहिए फ़िल्म सिटी। छत्तीसगढ़ में शूटिंग के लिए सब कुछ है। सुंदर सुंदर लोकेशन है, नदी है, झरना है, पहाड़ है, जंगल है, गांव है, मंदिरें है, सब कुछ तो है फिर फ़िल्म सिटी की क्या जरूरत। कौन जाएगा वहां शूटिंग करने। नेचुरल चीजें है उसे हम दिखातें हैं फिल्मों में, जिसे देखकर दूर दूर से पर्यटक छत्तीसगढ़ आते हैं। हमें तो बस मिनी थियेटर चाहिए ब्लाक स्तर पर। सारी समस्याएं थियेटर बना देने से खत्म हो जाएगी। यहां फिल्मसिटी बनेगी बाहर के लोग आएंगे दुकान लगाएंगे। छोटे छोटे सेट लगाकर शूट करेंगे। हमारे किसी काम के नही। ना तो यहां वेब्सिरिज बनता है, ना सीरियल बनता है तो फिर फिल्मसिटी किसलिए। नही चाहिए फिल्मसिटी। हमारी मांग है थियेटर बस।

फिल्मसिटी से क्या होगा - अशोक तिवारी
छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माता अशोक तिवारी भी फ़िल्म सिटी बनाने के सरकार के फैसले से सहमत नही है। उनका कहना है कि फिल्मसिटी के बन जाने से क्या होगा। ना निर्माताओं को फायदा है और ना ही कलाकारों का। फिर फिल्मसिटी क्यों। आज हम मनपसंद लोकेशन पर मुफ्त में फिल्मों की शूटिंग कर लेते है। फिल्मसिटी बन जाने से हमारा खर्च बढ़ जाएगा। शूटिंग के लिए वहां पैसा देना होगा। ये तो बाद की बात है। सबसे पहली बात है कि वहां शूटिंग के लिए जाएगा कौन। छत्तीसगढ़ में इतने सुंदर सुंदर लोकेशन है जैसा चाहे हमे मिलता है। छालीवुड की हितैषी है तो सरकार विकास खंडों में थियेटर बनाये सब्सिडी दे और टूरिंग टॉकीजों को लाइसेंस दे बस । फिर देखो छत्तीसगढ़ी फ़िल्म कैसे दौड़ती है।

फिल्मसिटी ही चाहिए, स्वागतेय निर्णय-मोहन सुंदरानी
छालीवुड के भीष्मपितामह मोहन सुंदरानी ने कहा है कि हमे तो फिल्मसिटी ही चाहिए। सरकार का निर्णय स्वागतेय है। 20 सालों में किसी ने भी फ़िल्म ओर संस्कृति की ओर ध्यान नही दिया। मैं आभारी हूँ भूपेश बघेल का जिन्होंने हमारी सुध तो ली और फिल्मसिटी बनाने का निर्णय लिया। बहुत फायदा है इससे। फ़िल्म निर्माताओं को सारा लोकेशन एक ही स्थान पर मिलेगा। आज यहां वहां भटकना पड़ता है। रही बात थियेटर की तो क्यों चाहिए। जितनी थियेटर अभी है उसी में निर्माता फ़िल्म नही लगा पाते। मैं छालीवुड के निर्माताओं से पूछना चाहता हूं कि क्या सभी सेंटरों पर फ़िल्म लगाते हैं। नही ना,तो फिर ओर थियेटर क्यों चाहिए। सरकार का कदम सही है हमें फिल्मसिटी ही चाहिए।

फिल्मसिटी आज की जरूरत है- अमरनाथ पाठक
अभिषेक मूवी के संचालक फ़िल्म निर्माता अमरनाथ पाठक का कहना है कि फिल्मसिटी आज की जरूरत है। थियेटर की जरूरत नही है जितने थियेटर है हम उसी का उपयोग नही कर पाते है तो फिर और क्यों चाहिए। फिल्मसिटी बनाने से निर्माताओं को शूटिंग में सहूलियत होगी। जो चशिये वो एक ही स्थान पर उपलब्ध होगी। यहां वहां शिफ्ट नही होना पड़ेगा। यही समय की मांग है। धन और समय दोनों की बचत होगी।


फिल्मसिटी का विरोध नही पर औचित्य भी नही- अलक राय
फ़िल्म निर्माता एवं डिस्ट्रीव्यूटर अलक राय का कहना है कि मैं फिल्मसिटी का विरोध नही कर रहा हूँ पर यहां फिल्मसिटी का कोई औचित्य नही है। पूरा छत्तीसगढ़ अपने आप मे एक फ़िल्म सिटी है। हमे तो थियेटर चाहिए इससे रिकवरी होगी। जहां हमारे दर्शक है वहां थियेटर नही है। थियेटर वहां है जहां दर्शक नही है। सिमगा, में नही है, गरियाबंद में नही है ,चौकी में नही है, डोंगरगांव में नही है। यहां थियेटर चाहिए। छत्तीसगढ़ में कोई लोकेशन की कमी तो है नही की फिल्मसिटी बनाएं। शासन अपने गार्डन तक का तो मेंटनेंस नही कर पाती। फिल्मसिटी क्या मेंटेन करेंगे।

सरकार मरीजों का मर्ज तो जाने- प्रकाश अवस्थी
फ़िल्म निर्माता निर्देशक एवं अभिनेता प्रकाश अवस्थी का कहना है कि सरकार मरीजों का मर्ज जाने बिना कैसे फिल्मसिटी का ऐलान कर दिया।सरकार पहले थियेटर खोलने सब्सिडी दे। सरकार तो थियेटर खोलेगी नही, तो गांवों के बेरोजगार युवकों को थियेटर खोलने सब्सिडी दे ताकि जो फ़िल्म देखना चाहते हैं उसे साधन मिल जाए। जुआ ओर शराब ही इंटरटेनमेंट का साधन ना हो फ़िल्म भी गांवों तक पहुंचे। फिल्मसिटी हमारी कोई जरूरत नही है बल्कि यहां सुंदर सुंदर गार्डन है उसे शूटिंग के लिए फ्री कर दें। फिल्मसिटी पर 500 करोड़ खर्च करोगे। 100 करोड़ में तो  दो ढाई सौ थियेटर खुल जाएंगे।

थियेटर हो तो सारी समस्या खत्म - डॉ अजय सहाय
छालीवुड के जाने माने अभिनेता, निर्माता निर्देशक डॉ अजय मोहन सहाय का कहना है कि हमारी सबसे बड़ी सज़्मस्या थियेटर है।सरकार इस दिशा में कदम उठाए। थियेटर होगा तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों को लोग देख सकेंगे। गांव के दर्शक फ़िल्म देखने गांव से शहर नही आते। उन्हें उनके नजदीक तक हमारी फिल्म ले जानी होगी यानी कस्बों में थियेटर बने। फ़िल्म सिटी का यहां कोई काम नही है। जो सरकार के पास साधन है उसे शूटिंग के लिए फ्री कर दें। मुक्तांगन में शूटिंग करनी है तो हमे पैसा देना होता है। फिल्मसिटी बन जायेगा तो वहां भी पैसा वसूला जाएगा। अभी हमारे निर्माता जहां चाहे वह मनमर्जी से शूटिंग कर लेते हैं।

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