रविवार, 19 अगस्त 2018

निर्देशन में महारत हासिल है धर्मेंद्र चौबे को

जाने माने खलनायक अभिनेता , निर्देशक धर्मेन्द्र चौबे अब फिल्मो की मांग है। उन्होंने करीब 25 फिल्मे की है और छालीवुड मे अपनी पहचान बना चुके हैं। रिकार्ड कमाई करने वाली फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा में धर्मेन्द्र चौबे मुख्य खलनायक की भूमिका में है। इतना ही नहीं धर्मेन्द्र चौबे फिल्मो में बुरे इंसान जरूर है पर असल
जिंदगी में वे जिंदादिल इंसान और मिलनसार हैं।उन्होंने बही तोर सुरता म के बाद बंधन पीरित के का बेहतर निर्देशन किया है. यह फिल्म दो हीरो की कहानी है.जिसमे धर्मेंद्र ने कड़ी मेहनत की है.या हम ये कहे की इस फिल्म से उनके तकदीर जुडी है तो कोइ बड़ी बात नहीं होगी। फिल्म "बंधन पीरित के" को बेहतर से बेहतर बनाने की कोशिश की है. इसमें कोई शक नहीं कि धर्मेंद्र चौबे छालीवुड के सबसे सफल निर्देशकों में शामिल हैं। जिनकी हर फिल्म की सफलता की गारंटी होती है। साथ ही इनके कहानी कहने का अंदाज इतना जुदा है.कि फिल्म दर्शकों के दिल में घर कर जाती है। धर्मेंद्र बताते हैं कि  "बंधन पीरित के" में सभी कलाकारों ने काफी मेहनत की है.मुरली आचारी, पूनम मिश्रा, रियाज खान माहिरा ये ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने फिल्म को अपना पूरा योगदान दिया है.सभी कलाकारों का आभारी हूँ. धर्मेंद्र खुद कई फिल्मो में अभिनय किया है.वे जितने अच्छे डायरेक्टर हैं उतने ही अच्छे कलाकार भी हैं.

फिर एक फिल्म की तैयारी में जुटे अभिषेक मूवी प्रोडक्शन हाउस

भोजपुरी और छत्तीसगढ़ी फिल्म तहलका मोर नाव के बना चुके अभिषेक मूवी प्रोडक्शन हाउस फिर एक फिल्म बनाने की तैयारी में जुटे हैं. इस बार भी दोनों ही भाषा में फिल्म बनांयेंगे। यह फिल्म अक्टूबर माह में
बनेगी। साथ ही इस प्रोडक्शन हाउस कुछ एल्बम भी बनाने की तैयारी में है. अभिषेक मूवी प्रोडक्शन हाउस के संचालक श्री अमरनाथ पाठक काफी मेहनती और जूनून के पक्के हैं.वे एक बेहतरीन कलाकार भी हैं.उनके स्टूडियो में कई बड़े फिल्मो के काम हुए हैं.जहां सभी तरह की सुविधाएं हैं. गाने की रिकार्डिंग, शूटिंग, एडिटिंग, डबिंग सब कुछ बड़ी आसानी से किये जा सकते हैं.अभी इस स्टूडियो में और बड़ी बड़ी फिल्मो का काम होने वाले हैं जिसमे भोजपुरी फिल्म एक शमा दो परवाने भी शामिल हैं। वर्तमान में सारी लव यू का काम भी उनके ही स्टूडियो में चल रहा है.इसके पहले श्री पाठक ने भोजपुरी और छत्तीसगढ़ी फिल्म तहलका मोर नाव के बनाई थी जिसमे मुम्बई की प्रीति सिंह मुख्य भूमिका में थी. खुद अमरनाथ पाठक ने पुलिस इन्स्पेक्टर की भूमिका निभाई थी.निर्माता अभिषेक पाठक थे। जाने-माने निर्देशक मिथिलेश अविनाश ने इस फिल्म का निर्देशन किया था। इस फिल्म में 8 गानेथे और सभी गाने बेहद कर्णप्रिय है जिसमे संगीत सूरज महानंद ने दिए थे।

सिंगर से एक्टर बने कृष्णा साहू

सुंदर मोर छत्तीसगढ़ में दिखेगा जलवा 
सिंगिंग से छत्तीसगढ़ी फिल्मो में एक्टर बने  कृष्णा साहू का जलवा फिल्म सुंदर मोर छत्तीसगढ़ में दिखेगा। कृष्णा ने इस फिल्म में कॉमेडियन बनकर लोगों को हसाने की कोशिश की है. अब कितना लोगों का मनोरंजन कर पाएगें  ये तो दर्शक ही बताएँगे। उन्हें इस फिल्म से बहुत ही उम्मीद हैं. वे कहते हैं कि सुंदर मोर छत्तीसगढ़ को दर्शकों के लायक बनाने के लिए हमने बहुत ही मेहनत की है. गाने का मुझे शौक था लेकिन अब एक्टिंग में किस्मत आजमाने मैंने यह फिल्म की है. अब इस क्षेत्र में ही आगे बढूंगा। अब वे लगातार फिल्मे ही करते रहना चाहते हैं। दैनिक राष्ट्रीय हिंदी मेल ने उनसे हर पहलुओं पर बात की।
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। जब मै छोटा था तब से कुछ अलग करने की सोच ली थी। मन में लगन हो तो सब संभव है।
0 छालीवुड की क्या सम्भावनाये दिखती है?
00 बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ऑर है।
0 तो छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है?
00 क्योकि यहां की फिल्मो में अपनी संस्कृति और मौलिकता की कमी झलकती है। कलाकारों का चयन भी पात्रों के अनुसार नहीं होता।
0 फिर मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 एक्टिंग मैंने खुद से सीखा है। मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। गाने से कॅरियर से शुरुवात की है और मेरी पहली फिल्म सुंदर मोर छत्तीसगढ़ है जो बड़े परदे पर आने वाली है। भुवनेश साहू ने मुझे इस फिल्म के लिए ऑफर दिया और आज मै आपके सामने हूँ।
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
00 हाँ ! शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चला था। पर गायन के क्षेत्र में चला गया था। इसी लाईन पर काम करता रहूंगा। लगातार काम करूंगा।
0  छालीवुड फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगे।
00  मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगा ताकि मुझे सभी प्रकार का अनुभव हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है। मैं किसी भी भाषा की फिल्म हो जरूर करूंगा।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
00 छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहता हूँ। अब लगातार फिल्मो में ही काम करते रहने की तमन्ना है। 

लोग मुझे बेस्ट एक्टर के रूप में ही पहचाने - महावीर

छत्तीसगढ़ी फिल्मो को बढ़ावा देना जरूरी 
छत्तीसगढ़ी फिल्मो में नया नाम है महावीर सिंह चौहान,जिन्होंने कुछ ही फिल्मो में अपने अभिनय से निर्माता निर्देशकों का दिल जीत लिया है। उनका कहना है कि लोग मुझे बेस्ट एकत्र के रूप में ही पहचाने। वे कहतें हैं कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो का भविष्य काफी अच्छा है। छत्तीसगढ़ी फिल्मों में शानदार भूमिका निभाने वाले महावीर कहते हैं कि सरकार को भी छालीवुड की ओर ध्यान देना चाहिए जिससे कलाकारों का भला हो सके।उन्हें एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में नाटकों में भाग लिया करता था फिर फिल्मो में आये । उनका कहना है कि जब जब टीवी देखता था तब तब मुझे लगता था कि मुझे भी कुछ बनना चाहिए । छालीवुड की सम्भावनाओ पर महावीर कहतें हैं कि आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ऑर है।
छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है इसका कारण है कि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां दिखती है। दूसरी ओर लोगो को छत्तीसगढ़ी फिल्मो के बारे में बताया जाना चाहिए। महावीर का कोई रोल मॉडल नहीं है। उन्होंने कई फिल्मे कर ली है। ड्रामा करने के बाद लोगो ने उनका अभिनय देखा और फिल्मो में मौका दिया। कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ? इस प्रश्न का जवाब था नहीं। शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की नहीं सोचा था। अब फिल्मो में आ गया हूँ तो इसी लाईन पर काम करता रहूंगा। मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगा , लेकिन निगेटिव रोल पसंद है। सरकार से उन्हें अपेक्षाएं हैं. वे कहते है कि सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके। महावीर का कहना है कि छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहता हूँ। अब लगातार फिल्मो में ही काम करते रहने की तमन्ना है। मै चाहता हूँ कि लोग मुझे बेस्ट एक्टर के रूप में लोग जानें।

अगस्त में छत्तीसगढ़ी फिल्मों की मारामारी

चार फिल्मो की रिलीजिंग तारीख तय 
अगस्त महीना को छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए जाना जाएगा। अब तक के इतिहास में ऐसा कोइ महीना नहीं है जिसमे चार छत्तीसगढ़ी फिल्मे रिलीज हुई हो लेकिन अगस्त 2018 में ऐसा होने जा रहा है जो अपने आप में एक रिकार्ड होगा। 3 अगस्त को आई लव यू , 10 अगस्त को दबंग दरोगा , 24 अगस्त को
तोर मोर यारी एवं 31 अगस्त को बंधन प्रीत के रिलीज होने जा रही है. इसके अलावा प्रेम अमर हे भी इसी माह आने की संभावना है.आईये इन फिल्मो के बारे में हम विस्तार से जाने।
आई लव यू 
वीडियो वर्ल्ड के संचालक मोहन सुंदरानी की यह फिल्म कम लागत में बड़े कलाकारों को लेकर बनाई गयी है जिसमे सभी कुछ मसाला डाला गया है. कांकेर के हसीनवादियों में शूट की गयी आई लव यू एक अलग कहानी पर बनी है. तीन नायिका अनिकृति चौहान, सोनाली सहारे और मुस्कान साहू है नायक मन कुरैशी है। फिल्म आई लव यू कम बजट की एक ऐसी फिल्म है जिसमें सभी स्टार कास्ट है और बेहतरीन स्टोरी पर बनी चर्चित फिल्म है।  एक्शन, मारधाड़, हास्य, रोमांस दर्शकों को देखने को मिलेगा। फिल्म बड़ी इसलिए है कि यह एक बेहतर कहानी पर बनी स्टार कलाकारों से भरा है। इस फिल्म का आकर्षण होगी सान्वी सुंदरानी।
दबंग दरोगा
सुपर स्टार अनुज शर्मा अभिनीत छत्तीसगढ़ी फिल्म दबंग दरोगा भी अब रिलीजिंग के लिए तैयार हैं.इस फिल्म में उनकी दबंगई दिखाई गयी है. उनके अलावा जीत शर्मा, नेहा शर्मा रीमा सिंह मुख्य भूमिका में है.यह फिल्म बेहतरीन कहानी पर दर्शकों की पसंद को ध्यान में रखकर बनाई गयी है.इस फिल्म से छालीवुड को बहुत ही उम्मीद है. बड़े बजट की फिल्मो में से यह फिल्म भी एक है.अनुज शर्मा का छालीवुड में अपना एक मुकाम है। उनके नाम से ही फिल्म चलती है. वहीं रीमा भी एक अच्छी कलाकार है.2015 में उन्हें बेस्ट अभिनेत्री का अवार्ड मिल चुका है.
तोर मोर यारी
अजय त्रिपाठी निर्मित इस फिल्म के निर्देशक प्रिंस विकास है.यह फिल्म भी बड़े बड़े कलाकारों से सजी हुई है. दो दोस्त एजाज वारसी और पुष्पेंद्र सिंह प आधारित है. निर्माता अजय त्रिपाठी ने भी इस फिल्म में अपना अभिनय दिखाया है.तान्या तिवारी अभिनेत्री है जिन्हने इस फिल्म में बहुत ही पसीना बहाया है. यह उनकी पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म थी. यह बात और है की बाद में बनी उनकी कुछ फिल्मे पहले रिलीज हो गयी.डॉ अजय सहाय,  वैषणव, पुष्पांजली शर्मा , आशीष शेंद्रे जैसे कलाकार इस फिल्म में हैं.
बंधन प्रीत के
पारिवारिक फिल्म बंधन प्रीत के एक ऐसी फिल्म है जो रिलीज होने से पहले ही चर्चा में है. निर्देशक धर्मेंद्र चौबे ने इस फिल्म पर कड़ी मेहनत की है. वे जितने अच्छे निर्देशक है उतने ही अच्छे कलाकार भी है.दो हीरो को लेकर बनी इस फिल्म की कहानी नई है और दर्शकों को पसंद आएगी ऐसी आशा है. फिल्म स्टार कलाकारों से भरी हुई है. इसकी पूरी शूटिंग भिलाईनगर में ही हुई है.रियाज खान और के मुरली इस फिल्म के नायक हैं.

संघर्ष ने बनाया प्रेम यादव को अभिनेता


चार फिल्मों के निर्माता और हीरो हैं 
मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोई भी काम असम्भव नहीं होता। जो मन में ठान ले उसे पूरा करके ही रहता है। यह कर दिखाया है प्रेम कुमार यादव ने। प्रेम गीतकार बनने मुंगेली से मुम्बई गए थे लेकिन वहां उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा.जीवनयापन के लिए उन्हें नौकरी भी करनी पडी. जब उन्हें कोइ रास्ता नहीं सुझा तो वे फिल्म निर्माता बन गए,साथ ही अभिनेता भी.प्रेम यादव चार फिल्मे बना चुके हैं और सभी फिल्मों में वे ही हीरो हैं.लेखन में प्रेम की अच्छी पकड़ है. उनकी करीब 400 कवितायें अखबारों में प्रकाशित हो चुकी है. उन्होंने अभी हांल ही में छत्तीसगढ़ी फिल्म संगी रे की शूटिंग पूरी की है. इसके पहले उन्होंने दो भोजपुरी फिल्म गाँव आ जा रे परदेशी ,बलमा हरजाई रे और एक हिंदी फिल्म ब्लैक बनाई थी.
प्रेम कुमार यादव की गीतकार से फिल्म निर्माता और अभिनेता बनने की कहानी भी रोचक है. उनका असली नाम भागीरथ यादव है लेकिन फिल्मों के लिए उन्होंने अपना नाम बदलकर प्रेम कुमार यादव कर लिया।फिल्मो में काम करने प्रेम छत्तीसगढ़ के मुंगेली से मुम्बई पहुंचे। पर उन्हें फिल्मो में काम नहीं मिला। मुम्बई में टिके रहने के लिए प्रेम ने एक कोरियर सर्विस में नौकरी कर ली.काफी संघर्ष के बाद उन्होंने खुद ही फिल्म बनाने की सोची और जुट गए फिल्म निर्माण में.सबसे पहले उन्होंने भोजपुरी फिल्म गाँव आ जा रे परदेशी बनाई जिसमे संगीतकार थे रविंद्र जैन और आवाजें दी थी साधना सरगम, श्रेया घोषाल और वाडेकर थे. फिर 2007 में एक और भोजपुरी फिल्म बनाई बलमा हरजाई रे. एक प्रश्न के उत्तर में प्रेम यादव कहते हैं कि छत्तीसगढ़ी फिल्मे नहीं चलती इसलिए भोजपुरी फिल्मे बनाई।अब छत्तीसगढ़ी फिल्म संगी रे बनाकर किश्मत आजमा रहा हूँ. संगी रे एक रोमांटिक और शिक्षाप्रद फिल्म हैं. यह कहानी और आगे बढ़ेगी। अक्टूबर में संगी रे 2 बनाने जा रहा हूँ जो इस फिल्म के आगे की कहानी होगी।

रोगोवती में फिर नजर आएंगी अनुज- लेजली जोड़ी

छत्तीसगढ़ी फिल्म रंगरसिया की सुपरहिट जोड़ी अनुज शर्मा और लेजली त्रिपाठी की जोड़ी एक बार फिर फिल्म रोगोवती में नजर आएंगी। निर्माता अशोक तिवारी ने इस जोड़ी को लेकर अपनी फिल्म की तैयारी भी शुरू कर दी है.बेस्ट फिल्म रंगरसिया के डायरेक्टर पुष्पेंद्र सिंह ही इस फिल्म के भी डायरेक्टर होंगे। निर्माता अशोक तिवारी और निर्देशक पुष्पेंद्र सिंह की माने तो 90 फीसदी कलाकार इस फिल्म में नए होंगे। अभी तक निर्माता ने
अपनी पुरानी टीम के तीन लोगों निर्देशक पुष्पेंद्र सिंह, नायक अनुज शर्मा और नायिका लेजली त्रिपाठी को रिपीट करने का निर्णय लिया है.अन्य कलाकारों की कास्टिंग डायरेक्टर पुष्पेंद्र सिंह करेंगे। रंगरसिया फिल्म की सफलता से निर्माता दोनों ही उत्साहित हैं.इस फिल्म से बेहतर नतीजे मिले है जिससे छत्तीसगढ़ फिल्म इंडस्ट्री को आक्सीजन भी मिला। अनुज शर्मा एक ऐसे नायक हैं जिनके नाम से भी लोग फिल्म को देखने जाते हैं.पुष्पेंद्र सिंह का काम इस फिल्म में देखने को मिला था. अब निर्माता ने इसे फिर से भुनाने के लिए अपनी नई फिल्म रोगोवती ने इन्हे आजमाने का फैसला किया है.अनुज शर्मा की 10 फिल्मो ने एक मिलियन से भी अधिक व्यूज का कीर्तिमान स्थापित किया है.वहीं बॉलीवुड अभिनेत्री लेजली त्रिपाठी ने कभी असफलता नहीं देखी है या हम यह कह सकतें कि सफलता का ही नाम है लेजली त्रिपाठी है.उनकी भोजपुरी फिल्म निरउहा हिन्दुस्तानी 2 ने रिकार्ड बनाया था.एक अभिनेत्री के अलावा लेजली महानदी सुरक्ष्य योजना के लिए युवा राजदूत,  विश्वभर में बच्चों को शिक्षित करने के सशक्तीकरण के लिए एकसां गुरुकुल का चेहरा, सेवा फाउंडेशन की कर्ताधर्ता, अनंत साहित्य पत्रिका,  लिंग संवेदनशीलता टी-शर्ट्स, आशा किरण और संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित दुनिया के मुद्दों और क्रिया केंद्रों के लिए भारतीय युवा राजदूत हैं।एशियाई कॉलेज ऑफ जर्नलिज़म, चेन्नई से पत्रकारिता  डिग्री लेने वाली लेजली अभिनय में महारत है. 

छत्तीसगढ़ की माटी भा गयी प्रियंका को

यहां के लोगों का प्यार चाहती है
- श्रीमती केशर सोनकर
भोपाल से छत्तीगढ़ी फिल्म करने रायपुर आई अभिनेत्री प्रियंका परमार को छत्तीसगढ़ की माटी इतनी भा गयी कि अब वह यही बसने की सोच रही है. तीन छत्तीसगढ़ी फिल्म में अपने अभिनय का जलवा दिखा चुकी प्रियंका को बस छत्तीसगढ़ की जनता का प्यार और सम्मान चाहिए। उन्हें बॉलीवुड में जाना कटी भी पसंद नहीं

है.उनकी तमन्ना छालीवुड की सुपर स्टार बनने की है। वे एक मंजे हुए कलाकार है.दो फिल्मे उन्होंने कारन खान के साथ की है और तीसरी फिल्म अभी प्रेम यादव के साथ संगी रे है. फिल्म च्च्संगी रे च्च् से प्रियंका परमार को काफी उम्मीद है. उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्म करने का आनंद ही कुछ अलग है.यहां बहुत प्यार और सहयोग मिलता है.इसलिए मैंने छत्तीसगढ़ को प्राथमिकता दी है. संगी रे फिल्म करके मुझे अच्छा लगा. यह एक पारिवारिक फिल्म है.इस फिल्म की सम्भावनाये बेहतर दिखती है उम्मीद है कि और बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी। इसमें सब कुछ है। आप देखिये आपको पुराने दिन याद आ जाएंगे। कैमरे के सामने आने से पहले मै अपने किरदार को लेकर बहुत मेहनत करती हूँ.जिससे करेक्टर को समझने का मौका मिले और अपनी भूमिका आसान हो जाए। निर्देशक श्रीकांत सोनी और नायक प्रेम कुमार यादव का काफी सहयोग मिला। फिल्म की सफलता पर प्रेम के साथ मै संगी रे 2 में काम करना चाहूंगी। संगी रे जो फिल्म बनी है वह परिवार के साथ बैठकर देखने योग्य
फिल्म है.प्रियंका कहती है कि एक्टिंग मैंने खुद से सीखा है। मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। मेरे माता -पिता ही मेरे प्रेरणास्रोत है। मेरे लगन को देखकर उन्होंने मुझे फिल्म करने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके ही कारण मैं फिल्म में अच्छे से रोल कर पा रही हूँ।  मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी जो फिल्म प्रधान हो। ताकि मुझे सभी प्रकार का अनुभव हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है। प्रियंका परमार का कहना है कि रिल और रियल लाइफ में बहुत अंतर है। रील लाइफ काल्पनिक होता है और रियल लाइफ में सच्चाई होती है। एक प्रश्न के उत्तर में उनका कहना है कि अब मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चल रही हूँ। इसी लाईन पर काम करती रहूंगी, पीछे नहीं हटूंगी। उनकी ख्वाहिश बड़ी है और वे एक दिन जरूर कामयाब होगी।  वे कहती है कि छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहती हूँ। अपनी मेहनत से एक अच्छी एक्ट्रेस बनना चाहती हूँ।

बिलास राउत की कला दिखती है "आई लव यूं " में

फिल्म की सफलता में जितनी भूमिका कलाकारों की होती है उतनी ही भूमिका उन लोगों की होती है जो परदे के
पीछे काम करते हैं.उन्ही में से एक हैं बिलास राउत। जिनमे कई कला कूट कूट कर भरा हुआ है. वे एक अच्छे मेकअप मेन है तो एक कॉस्ट्यूम डिजाइनर भी है.इतना ही नहीं बिलास राउत उतने ही अच्छे कोरियोग्राफर भी है.अभी हालिया रिलीज फिल्म आई लव यूं में बिलास राउत की कला दिखती है. फिल्म की सफलता में उनका भी उतना ही योगदान है.जितना निर्माता निर्देशक से लेकर कलाकारों का है. बिलास राउत इस फिल्म में कॉस्ट्यूम डिजाइनर का काम किया है. एक एक कलाकार का कॉस्ट्यूम खुद से तैयार करवाया है. फिल्म में सारे कलाकारों का ड्रेस शानदार है. अभिनेत्री अनिकृति चौहान के कॉस्ट्यूम ने दर्शकों को आकर्षित किया है.उस ड्रेस में अनिकृति की व्यक्तित्व में निखार आया है. बिलास राउत बतातें है कि उन्होंने निर्माता से साफ़ कह दिया था कि कॉस्ट्यूम के मामले में कोइ समझौता नहीं करूंगा। निर्माता ने उनकी बात मानी और आज फिल्म में कॉस्ट्यूम इस साल की अब तक की सभी फिल्मो से बेहतर है.फिल्म में मेकअपमैन भी बिलास राउत ही थे. शानदार मेकअप ने फिल्म कलाकारों के चेहरों को ग्लैमरस बनाया है। अन्नी फिल्म में अपने खास मेकअप के चलते काफी सुन्दर और आकर्षक लग रही हैं। यूं तो हम सबको मालूम है फिल्मी दुनिया में एक्टर्स की शक्ल सूरत को खास और बेहतरीन बनाने के लिए मेकअप का जमकर यूज़ होता है। लेकिन इस फिल्म में बिलास राउत ने शानदार , सहज और सरल मेकअप किया है.इसके अलावा बिलास राउत इस फिल्म में दो गानों में कोरियोग्राफर का दायित्व भी निभाया है.कुल मिलाकर बिलास राउत बहुप्रतिभा के धनि कलाकार है.

खलनायिकी करना चाहती है सरला सेन

इस माह होगी उनकी 3 फि़ल्में रिलीज 
छत्तीसगढ़ी फिल्मो की दयालु भौजी और माँ सरला सेन की तमन्ना खलनायकी करने की है, वो भी एकदम खूंखार। सात साल की छोटी सी पारी में 30 - 35 फिल्मे करने वाली सरला सेन एक बेहतरीन अदाकारा है. उन्हें अपने काम के प्रति जूनून है। उनका कहना है कि मन में लगन हो तो कोइ भी काम असंभव नहीं होता। कोशिश करने वाले कभी असफल नहीं होते।  उनका सपना निगेटिव रोल करने की है. सरला की इस माह तीन फिल्मे तोर मोर यारी , बंधन प्रीत के और हमर फेमिली नंबर वन प्रदर्शित होने जा रही है. यह उनकी खुशकिस्मती है कि लगातार परदे पर दिखाई देंगी। तीनों ही फिल्मो में सरला माँ की भूमिका में है.सरला की नजर में बंधन प्रीत के एक ऐसी फिल्म है जो दर्शकों का खूब मनोरंजन करेगी। इस फिल्म में वे नायक रियाज खान की माँ की भूमिका में है.यह एक पारिवारिक फिल्म है जिसमे सब कुछ है रोमांस, एक्शन, मारधाड़, इमोशनल आदि. तोर मोर यारी दो परिवारों की कहानी है. जिसंमें वे पुष्पेंद्र सिंह की पत्नी रहती है.तीसरी फिल्म हमर फेमिली नंबर वन है यह भी एक पारिवारिक और कॉमेडी से भरपूर फिल्म है.सरला कहती है कि ये तीनों ही फिल्म मेरे लिए बहुत ही अहम् है. जिसमे दर्शक मुझे पसंद करेंगे ऐसी उम्मीद हैं.मैंने अपने स्तर पर बहुत ही मेहनत की है.मुझे जो भूमिका मिलती है उसके साथ न्याय करने की भरपूर कोशिश करती हूँ. शूटिंग से पहले अच्छी तरह से स्क्रिप्ट पढ़ती हूँ फिर पूरी तैयारी के साथ कैमरे के सामने जाती हूँ. छालीवुड की सम्भावनाओं के
बारे में उनका कहना है कि जब तक टेक्नीकल क्षेत्र में एक्सपर्ट लोग नहीं होंगे तब तक ऐसी ही कमजोर फिल्मे बनती रहेंगी। यहां जिसे जो नहीं आता वही करते हैं । गायक निर्देशक बन जाता है। कोई भी फाइट मास्टर बन जाता है। कोई प्लानिंग नहीं होती जो पैसा नहीं लेते वही कलाकार यहाँ चलते है। तो आप अंदाज लगा ले कैसी फिल्मे बनेंगी। यहां फिल्मे कमजोर बन रही है । फिल्मे नहीं चल पाती इसकी वजह भी हैं और वो सब जानते हैं कि पिछड़े हुए राज्य में टॉकीजों का विकास नहीं होना। छत्तीसगढ़ में मिनी सिनेमाघर दो सौ दर्शकों की क्षमता वाली टॉकिजों की बड़ी आवश्यकता है जहां छत्तीगसढ़ी फिल्मों के दर्शक आसानी से पहुंच सके। प्रचार प्रसार की कमी है। छत्तीसगढ़ी फिल्मे अच्छा व्यवसाय क्यों नहीं कर पाती ? इसके जवाब में सरला कहती है कि प्रचार प्रसार और विज्ञापन में कमी फिल्म नहीं चलने का सबसे बड़ा कारण है। थियेटर भी एक कारण हो सकता है। गाँव गाँव तक हम अपनी फिल्म नहीं पंहुचा पा रहे हैं। बेहतर प्रचार पसार हो और प्रदेश के सभी टाकीजों में फिल्म लग जाए तो लागत एक हप्ते में निकल आएगी। सरकार मदद नहीं करती और डिस्ट्रीब्यूशन भी सही नहीं है। वे कहती है कि मुझे आज तक पसंद का रोल नहीं मिला। खूंखार करेक्टर चाहिए ,पता नहीं कभी मिल पायेगा या नही।खलनायिका का रोल करना चाहती हूँ.

अच्छे दिन के आसार - सम्पादकीय

भारतीय सिनेमा की शताब्दी पर छत्तीसगढ़ी फिल्में कहां और किस दिशा मे है इस पर चिंतन किया जाना जरूरी हो गया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्रीज अब अच्छी स्थिति में पहुँच गयी है हालांकि अब भी उसे ढेर सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदर्शन के लिए गिने चुने करीब 36 सेंटर ही है लेकिन निर्माण करने वालों का हौसला कम नहीं हो रहा है। छोटे से बाजार में बड़ी उम्मीदों के साथ जुड़े छत्तीसगढ़ी फिल्म के कलाकारों की हिम्मत की सराहना की जानी चाहिए की अपनी भाषा, अपनी संस्कृति की सौंधी सुगंध को सहेजने के लिए उनका साहस कम नहीं हुआ है। आलोचक भले ही मुंह बनाएं की छत्तीसगढ़ी फिल्मों में मुंबईयां मसालों की छौंक से जायका बिगड़ रहा है लेकिन इसके इतर छत्तीसगढ़ी भाषा का तड़का और अपने बीच के लोगों के अपनेपन ने रंजन को कम नहीं होने दिया है। ठीक ठीक आंकलन तो नहीं है लेकिन अंदाजा है कि छत्तीसगढ़ी फिल्में भी सौ की संख्या के करीब है। हिन्दी फिल्मों के शताब्दी वर्ष में छत्तीगढ़ी फिल्मों का सैकड़ा होने की उपलब्धि से हम सब छत्तीसगढिय़ा गर्व का अनुभव तो कर ही सकते है।
छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माण प्रारंभ सन् 1964 में ब्लैक एण्ड व्हाइट फिल्म 'कहि देबे संदेश से मनु नायक ने किया जिसका प्रदर्शन 14 अपै्रल 1965 को दुर्ग भाटापारा में हुआ। तब से लेकर फिल्मो का निर्माण निरंतर जारी है.उतार चढ़ाव के बीच 2016 में राजा छत्तीसगढिय़ा ने छालीवुड को आक्सीजन देने का काम किया था उसके बाद कई ऐसी फिल्मे आई जो इंडस्ट्री को फिर काफी पीछे ले गयी. इस साल 2018 में आई फिल्म आई लव यूं ने एक बार फिर छालीवुड को उबारा। इससे लगता है की अब फिल्म इंडस्ट्री के अच्छे दिन आने वाले हैं.इसमें कोइ दो राय नहीं की बजट भले ही कम हो और फिल्म अच्छी बने तो दर्शकों को टाकीज तक पहुँचने से कोइ नहीं रोक पायेगा। स्वतंत्र रूप से छत्तीसगढ़ी सिनेमा की शुरुआत भले ही 1965 में हुई हो लेकिन सन् 1953 में निर्मित हिन्दी नदिया के पार में संवाद छत्तीसगढ़ी पुट लिए हुए थे और इसकी वजह थे इसके कलाकार किशोर साहू जो छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव के निवासी थे। टेक्नोलॉजी के विस्तार से सन् 1985 में वीडियो होम सिस्टम के कैमरे से पहली वीडियो फिल्म 'जय मां बम्लेश्वरी का निर्माण सुंदरानी बंधुओं ने कर छत्तीसगढ़ी वीडियों फिल्म निर्माण की नयी विधा का प्रारंभ किया। इस फिल्म का निर्देशन मशहूर नाटककार जलील रिजवी ने किया। इस फिल्म ने भी उस समय वीडियो थियेटरों में लंबी लाइनें लगवा दी थी और अपने समय में कमाई का रिकार्ड भी बनाया। छत्तीसगढ़ी सिनेमा को पुर्नजीवित करने और इसे उद्योग में तब्दील करने का श्रेय सतीश जैन को है जिन्होंने छत्तीसगढ़ी की पहली रंगीन फिल्म मोर छइयां भुइयां का निर्माण सन् 2000 में किया। सहीं मायनों में कहा जाए तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों का दौर यहीं से शुरू हुआ जो पिछले 18 वर्षो से जारी है. हालांकि सन् 2004 से 2017 तक यह पांच साल हिचकोले खाता रहा लेकिन अब अच्छे दिन आने के आसार हैं.

धर्मेन्द्र चौबे का थियेटर से फिल्मो तक का सफर

इतिहास बनाना ही मेरा मकसद है ,जिस दिन मरुँ लोग मेरे पीछे चले 
छत्तीसगढ़ फिल्म इंडस्ट्री में धर्मेन्द्र चौबे को कौन नहीं जानता वे एक जाना पहचाना नाम है। उनकी अभिनीत फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा सिनेमा घरों में काफी धूम मचाई थी।उसके बाद उन्होंने कई फिल्मो का निर्देशन
किया जिसमे से एक है "बंधन प्रीत के "  वे कहतें हैं कि इतिहास बनाना ही मेरा मकसद है और जिस दिन मरुँ लोग मेरे पीछे चले । थियेटर से कॅरियर की शुरुआत करने वाले धर्मेन्द्र अब तक 40 से अधिक फिल्मो में अपनी अभिनय का लोहा मनवा चुके है। इसके अलावा वे निर्देशक, निर्माता और शानदार विलेन भी है । उनसे हमने हर पहलूओं पर बेबाक बात की है। प्रस्तुत है बातचीत के संपादित अंश।
फिल्म "बंधन प्रीत के " से क्या उम्मीद हैं?
यह फिल्म हमारी उम्मीदों पर खरा उतरेगी ऐसी उम्मीद है। इसे दर्शक खूब पसंद करे। पूरे छत्तीसगढ़ के टाकीजों में धूम मचायेगी ये मेरा विशवास है। इस फिल्म में हमारी कल्चर दिखती है फिर सबने अच्छी मेहनत की थी । जिसका परिणाम मिलेगा।
आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। 1996 में मै थियेटर से जुड़ा फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा । फिल्म देख- देखकर मैं कलाकारों की नक़ल किया करता था। एक्टिंग में रूचि बचपन से ही था पर मौका नहीं मिल रहा था। मैं बहुत कुछ करना चाहता हूँ इस क्षेत्र में ।
फिर मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
फिल्म छईंया भुईंया की शूटिंग देखने सुरेश निगम के साथ गया था ,जहां मुझे सतीश जैन जी ने पूछा - एक्टिंग में रूचि है ,जब मैंने हाँ कहा तो उसी फिल्म में मुझे काम दिया । जो सबको पसंद आया।
कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
हाँ ! शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चल रहा था।
छालीवुड फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगे।
मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगा ताकि मुझे सभी प्रकार का अनुभव हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है। पर विलेन की भूमिका मुझे ज्यादा पसंद है।
सरकार से क्या अपेक्षाएं हैं?
सरकार अभिभावक की भूमिका में आये और छालीवुड को मदद करे।
कोई ऐसा अवसर आया हो ,जब आप बहुत उत्साहित हुई हो?
हमेशा उत्साहित रहता हूँ । इसके लिए कोई ख़ास समय की जरुरत नहीं होती ।
ऐसा कोई क्षण जब निराशा मिली हो?
कभी नहीं। मैं कभी निराश नहीं होता। हारने जैसे माहौल में भी ऊर्जा पैदा करता हूँ।
आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
इतिहास बनाना ही मेरा मकसद है । जिस दिन मरुँ लोग मेरे पीछे चले ।

डेढ़ होशियार जल्द ही सिनिमेघरों में

शिक्षा व्यवस्था पर आधारित कॉमेडी फि़ल्म
राजू दिलवाला की सफलता के बाद प्रकाश अवस्थी कृत फि़ल्म डेढ़ होशियार जल्द ही नज़दीकी सिनिमेघरों में रिलीज होगी। फि़ल्म की शूटिंग कवर्धा, रायपुर जैसी जगहों पर किया गया है। शिक्षा व्यवस्था पर आधारित ये फि़ल्म कॉमेडी, रोमांस, ड्रामा और सामाजिक, शैक्षिक संदेश लिए हुए है। फि़ल्म के कुछ गानों की शूटिंग जारी है। फि़ल्म में छालीवुड के कई कलाकार नजऱ आएंगे। प्रकाश अवस्थी के साथ नैनी तिवारी, पूरन, उपासना वैष्णव, प्रदीप शर्मा, देव यादव, राजेश जैसे कई कलाकार नजऱ आएंगे। शिक्षा व्यवस्था पर आधारित इस फि़ल्म में हर प्रकार का टेस्ट पब्लिक को मिलने वाला है। पहले भी प्रकाश अवस्थी ने कई सफ़ल फि़ल्मे छालीवुड को दी हैं। आगे भी निरंतर अच्छी फिल्में बनाने की कोशिश प्रकाश अवस्थी लगातार कर रहें हैं। डेढ़ होशियार के बाद और एक नई फिल्म की प्लांनिंग प्रकाश अवस्थी नें कर ली है। डेढ़ होशियार से फि़ल्म के सभी कलाकारों को काफ़ी उम्मीद है फि़ल्म जरूर लोगों को जरूर पसंद आएगी।आईये हम नायक और नायिका के बारे में थोड़ा बता दें. नायक प्रकाश अवस्थी श्रेय जी की फिल्म चिंगारी के जरिये फिल्मो में आये थे। उन्होंने उनका काम कई फिल्मो में देखा था उन्होंने ऑफर दिया और प्रकाश काम शुरू कर दिया । उन्होंने चिंगारी की शूटिंग ख़त्म ही किया था तभी केडी ने उन्हें टिपटॉप लैला अंगूठा छाप छैला के लिए ऑफर दिया। इस तरह भोजपुरी फिल्मो में एंट्री हुई। मया, टूरा रिक्शा वाला, टूरा अनाड़ी तभो खिलाड़ी,दू लफाडू जैसी सुपर हिट फिल्मों में हीरो से सुपर स्टार बने प्रकाश अवस्थी इन दिनों पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म डेढ़ होशियार का निर्माण कर रिलीज की तैयारी में जुटे है। वे इस फिल्म के निर्देशक भी हैं। छत्तीसगढ़ी के अलावा बंगला फिल्म,भोजपुरी और हिन्दी फिल्म अग्निशिक्षा में कार्य किया हैं। नैनी तिवारी एक उभरती सितारा है किसी एक इंसान में बहुत सारे गुण हो ऐसे बिरले लोग ही मिलते हैं। जी हाँ यही गुण है नंदिनी तिवारी नैनी में। वे एक शिक्षिका होने के साथ साथ कवयित्री, लेखिका, एक्ट्रेस, एंकर और डांस कोरियोग्राफर भी है। नैनी की तमन्ना फिल्मो में धूम मचाने की है। 

छत्तीसगढ़ी फिल्मो में संस्कृति की कमी दिखती है

पात्र के अनुसार कलाकारों का चयन हो - अन्नू शर्मा 

छत्तीसगढ़ी फिल्मो के खलनायक के रूप में उभरे कवर्धा के अन्नू शर्मा का कहना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में मौलिकता और छत्तीसगढ़ी संस्कृति की कमी झलकती है। यही नहीं कलाकारों का चयन भी पात्रों के अनुसार होना चाहिए। अन्नू शर्मा ने फिल्म रंगरसिया से अपने कॅरियर की शुरुआत की है और आज छत्तीसगढ़ी फिल्मों का एक अंग बन गया है। अब वे लगातार फिल्मे ही करते रहना चाहते हैं।उनका कहना है कि मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। मन में लगन हो तो सब संभव है। छत्तीसगढ़ी फिल्मो का भविष्य बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ऑर है।एक्टिंग मैंने खुद से सीखा है। मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। मेरी पहली फिल्म रंगरसिया है। अन्नू शर्मा कहते हैं कि मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगा ताकि मुझे सभी प्रकार का अनुभव हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है। मैं किसी भी भाषा की फिल्म हो जरूर करूंगा।एक प्रश्ह्न के उत्तर में वे कहते हैं कि जब मैं कोई भूमिका निभाता हूँ तो पहले गंभीरता से मनन करता हूँ। उसमे पूरी तरह से डूब जाता हूँ। वे कहते हैं की छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहता हूँ। अब लगातार फिल्मो में ही काम करते रहने की तमन्ना है। 

राजू पांडे को हर भूमिका पसंद है

छालीवुड को ही अपनी जिंदगी मानते हैं 
छत्तीसगढ़ के कलाकार राजू पांडे अब छालीवुड को ही अपनी जिंदगी मानते हैं। आठ फिल्मो में अपनी किस्मत आजमा चुके राजू को माटी मोर मितान फिल्म में ब्रेक मिला उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुडकऱ नहीं देखा और आगे बढ़ते गए। राजू पांडे को अपनी नई फिल्म रंगोबती से बहुत उम्मीद है। वे कहते हैं कि प्रचार प्रसार और विज्ञापन में कमी फिल्म नहीं चलने का सबसे बड़ा कारण है। थियेटर भी एक कारण हो सकता है। गाँव गाँव तक
हम अपनी फिल्म नहीं पंहुचा पा रहे हैं। बेहतर प्रचार पसार हो और प्रदेश के सभी टाकीजों में फिल्म लग जाए तो लागत एक हप्ते में निकल आएगी। सरकार मदद नहीं करती और डिस्ट्रीब्यूशन भी सही नहीं है। जब तक टेक्नीकल क्षेत्र में एक्सपर्ट लोग नहीं होंगे तब तक ऐसी ही कमजोर फिल्मे बनती रहेंगी। यहां जिसे जो नहीं आता वही करते हैं । गायक निर्देशक बन जाता है। कोई भी फाइट मास्टर बन जाता है। आप अंदाज लगा ले कैसी फिल्मे बनेंगी। छालीवुड की संभावनाएं अच्छी है पर फिल्मे अच्छी नहीं बन रही है। राजू को एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में नाटकों में भाग लिया करते थे फिर नाटकों में किया। जब जब टीवी देखता था तब तब उसे लगता था कि मुझे भी कुछ बनना चाहिए । आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए । थियेटरों  की कमी को सरकार पूरा करे।छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है? के जवाब में राजू का कहना है कि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां होती है। फिल्मो में वो गुणवत्ता नहीं होती जो यहां के लोगो को चाहिए। प्रोड्यूसरों को इस और ध्यान देने की जरुरत है।राजू का कोइ रोल मॉडल नहीं है। नाटकों में भाग लेने के बाद लोगो ने उनका अभिनय देखा और फिल्मो में मौका दिया।  हैं कि शुरू से ही मै एक्टिंग को साइड कॅरियर बनाने की सोचकर चला हूँ। अब इसी लाईन पर काम करता रहूंगा। उन्हें हर तरह की भूमिका पसंद है लेकिन निगेटिव रोल ज्यादा पसंद है।उनका कहना कि सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके।

कॉमेडी किंग 'हेमलाल कौशल ' की झलक है सबसे अलग

दर्शकों को हंसाते रहेंगे नाट्यकला के बेस्ट एक्टर 
छालीवुड के कॉमेडी किंग हेमलाल कौशल  परिचय के मोहताज नहीं है फिर भी उनकी तमन्ना कॉमेडी में और नाम कमाने की है. हेमलाल फिल्मो और रंगमंच के जरिये दर्शकों को हंसाने में कामयाब रहे हैं. उनकी दृढ़ इच्छा इसी तरह लोगों को हंसाते रहने की है.उन्हें सतीश जैन की फिल्म टूरा रिक्शावाला में पहचान मिली उसके बाद
हेमलाल कौशल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और निरंतर आगे बढ़ते गए.वे जितने अच्छे कॉमेडियन है उतने ही अच्छे मिलनसार इंसान भी है.आई लव यू फिल्म देखते समय उनसे मुलाक़ात हुई तो उन्होंने बड़े गर्मजोशी से पूछा भैया कैसे लगा मेरा काम. उनसे मिलकर बहुत खुशी हुई क्योकि उन्हें मैं कॉमेडी करते हुए देखा था.हेमलाल को छालीवुड में विशेष प्रकार से हास्य अभिनय में महारत हासिल है.उनकी इसी खासियत ने उन्हें स्टेज शो करने का मौका दिया। हेमलाल ने छोटी बड़ी फिल्म मिलाकर करीब सौ से अधिक फिल्मो में अभिनय किया है.पर उन्हें टुरा रिक्शा वाला फि़ल्म से पहचान मिली। उन्होंने अपनी कला यात्रा की शुरुवात स्कूल जीवन से ही कर लिया था. शिवकुमार दीपक उनके गुरु है और कमलनरायन सिन्हा  प्रेरणा स्रोत रहे हैं.सोनहा बिहान नामक छत्तीसगढ़ी संस्था से से उन्होंने इस  क्षेत्र में कदम रखा जिसके संचालक दाउ महासिंघ चन्द्राकर जी थे. हेमलाल सरकार से बेहद निराश है उन्हें अब छालीवुड को मदद की जऱा भी सरकार से आस नहीं है.वे कहते हैं कि जहाँ उम्मीद न हो वहाँ क्या उम्मीद कर सकते हैं. उन्होंने एक मुलाक़ात में बताया कि मैं अभी हिन्दी रंगमंच भी काम कर रहा हूँ। मुझे शिमला में मुंशी प्रेमचंद की कहानी शवा सेर गेहू नामक नाटक में बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी मिला है और मैं लगातार लोकमंच हिन्दिरंग मंच,  छत्तीसगढ़ी फि़ल्म और भोजपुरी फि़ल्म कर रहा हूँ.मैं अभी श्रीमती कविता वासनिक अनुराग धारा के स्टेज में कार्यक्रम दे रहा हूँ. कॉमेडी में कुछ बड़ा करना चाहता हूँ.

शनिवार, 7 जुलाई 2018

स्टार कलाकारों से सजी है फिल्म " आई लव यू "

सुनील मानिकपुरी के रूप में छालीवुड को मिला नया खलनायक
फिल्म कम बजट की हो और उसमे सारे स्टार कलाकार हो ऐसा कम ही होता है , लेकिन यह बिलकुल सच है. छालीवुड के लोकप्रिय कलाकार मोहन सुंदरानी की फिल्म फिल्म " आई लव यू " में कुछ ऐसा ही है. निर्माता लखी सुंदरानी है जिन्होंने कई हिट फि़ल्में छालीवुड को दी है.निर्देशक उत्तम तिवारी ने लोरिक चन्दा, मितान 420, मया के चि_ी, सरपंच, रिकार्ड ब्रेक राजा छत्तीसगढिय़ा जैसे फिल्मों का निर्देशन किया है.फिल्म " आई लव यू " के छायाकार है तोरण राजपूत जिनकी गिनती श्रेष्ठ छायाकारों में होती है.छालीवुड के सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर निशांत उपाध्याय ने इस फिल्म में भी नृत्य निर्देशन की जिम्मेदारी निभाई है.अब कलाकारों की बात करें तो बीए फर्स्ट ईयर की सुपर हिट जोड़ी मन कुरैशी और मुस्कान साहू एक बार फिर साथ नजर आएंगे। सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अवार्ड जीत चुकी अनिकृति चौहान भी इस फिल्म में नायिका की भूमिका में है. इनके अलावा छत्तीसगढ़ के स्टार कलाकार प्रदीप शर्मा, आशीष शेंद्रे ,उपासना वैष्णव, उर्वशी साहू,पुष्पेंद्र सिंह, संगीता निषाद, निशा चौबे, मनीषा वर्मा जैसे कलाकारों से फिल्म सजी हुई है. ये सारे कलाकार श्रेष्ठ हैं. छत्तीसगढ़ के अच्छे गायकों में शुमार सुनील मानिकपुरी जिनके गाने हमर पारा तुंहर पारा ने देश भर में इन्हे नई पहचान दी है. एक करोड़ लोगो ने ये गाने यूं ट्यूब पर लाइक किये हैं.चुरकी मुरकी के नाम से प्रसिद्द उपासना वैष्णव और उर्वशी साहू की कॉमेडी दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करेगी और उसका साथ देंगे मशहूर कॉमेडियन हेमलाल। श्री मोहन सुंदरानी ने इस फिल्म में अपनी पोती सानवी सुंदरानी को मौका दिया है.जो दर्शकों को पसंद आएगा। फिल्म " आई लव यू " की खासियत यह है कि बहुत कम बजट में बहुत अच्छी स्टारकास्ट फिल्म बनी है.फिल्म की पूरी शूटिंग कांकेर की हसीनवादियों में हुई है. फिल्म ग्रामीण परिवेश से ओतप्रोत है.जंगली जानवरों के साये में फिल्म की शूटिंग की गयी है.अब इस फिल्म का दर्शक बेसब्री से इन्तजार कर रहे हैं. खबर के मुताबिक़ यह फिल्म जुलाई के अंत में या फिर अगस्त के प्रथम सप्ताह में रिलीज होगी।
छत्तीसगढ के भीष्म पितामह
छत्तीसगढ़ी फिल्मों के भीष्म पितामह एवं गुलशन कुमार के नाम से मशहूर मोहनचंद सुंदरानी आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। छत्तीसगढ़ के कलाकारों को खोज-खोजकर तराशना और आगे बढ़ाना उनके जीवन का मकसद है। वे कहते हैं कि छोटे-छोटे कलाकारों को आगे बढ़ाने में उन्हें एक सुखद अनुभूति का एहसास होता है। आज भी वे गांव-गांव, गली-गली में कलाकारों की तलाश में भटकते रहते हैं। उन्हें मंच देते है उनका उत्साह बढ़ाते है। इसी कड़ी में मोहन सुंदरानी ने 2006, 10 अगस्त से 2008 दिसम्बर तक लगभग 6000 गांवों से अधिक गांवों में लोक कलाकार रथयात्रा का आयोजन कर भ्रमण किया। सुंदरानी हमेशा गरीब व जरुरत मंद लोक कलाकारों की समय-समय पर आर्थिक मदद करने में भी कभी संकोच नहीं करते।

छालीवुड में अलग पहचान बनाना चाहती है वर्षा सारथी

छालीवुड में डाँस से फिल्मो में कदम रखने वाली वर्षा सारथी की तमन्ना छालीवुड में अपनी अलग पहचान बनाने की है। 5 -6 फिल्मे कर चुकी वर्षा ने फिल्म  राजा भैया एक आवारा में आइटम डांस कर सबका दिल जीत लिया।  वे 40 से अधिक एल्बम कर चुकी है. उर्वशी साहू को अपना आदर्श मानने वाली वर्षा कहती है कि फिल्मो के साथ ही वे डांस के लिए स्टेज शो लगातार करती रहेंगी। वर्षा छालीवुड में सभी प्रकार की भूमिका निभाना चाहती है ताकि उन्हें कटु अनुभव हो जाए। वे कहती है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में गुणवत्ता हो तो जरूर थियेटरों में चलेगी। वर्षा  को एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में नाटकों और डांस में भाग लिया करती थी फिर स्टेज शो करने लगी। जब जब कलाकारों को परफॉर्म करते हुए देखती थी तब तब उसे लगता था कि उन्हें भी कुछ बनना चाहिए । वे छालीवुड की सम्भावनाों को बेहतर बताती है। कहती है कि आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए । थियेटरों  की कमी को सरकार पूरा करे। वर्षा का कहना है कि स्टेज शो और डांस ही उनकी जिंदगी थी और अब फिल्म भी उनकी जिंदगी में शामिल हो गयी है शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चली हूँ। अब इसी लाईन पर काम करती  रहूंगी और मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी। वर्षा कहती है कि छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहती हूँ। अपने बलबूते पर अलग पहचान बनाने की तमन्ना है। वर्षा ने फिल्म राजा भैया एक आवारा में आइटम डांस कर सबको चकित कर दिया और सबका दिल भी जीत लिया।छॉलीवुड को एक ऐसी कलाकार की जरुरत थी जो वर्षा ने पूरा कर दिया।

फोटोग्राफी के शौक ने डीओपी बनाया - संतोष सोनू

छालीवुड के जाने माने डीओपी संतोष सोनू का कहना है कि फोटोग्राफी के शौक ने मुझे डीओपी बनाया। पुरे छत्तीसगढ़ में मै अकेला कैमरामेन हूँ जिन्होंने डीओपी की पढ़ाई की है. जो लाइट को कैप्चर कर सके वही असली फोटोग्राफर होता है और इसे वही कर सकता है जिसे फोटोग्राफी का सम्पूर्ण ज्ञान हो।  संतोष सोनू वह पगोटोग्राफर है जिन्होंने मुम्बई से लेकर छत्तीसगढ़, झारखंड में बड़ी बड़ी कंपनियों में डीओपी का काम सम्हाल चुके हैं.निम्बस,  सीरीज, बालाजी टेली फिल्म्स  का लोहा मनवा चुके हैं. दस साल पहले वे रायपुर आये और यहां रम गए. उन्होंने 52 फिल्मे शूट की है जिनमे दो फिल्मे राजा भैया एक आवारा और प्रेम के बांधना अभी आने वाली है. दोनों ही फिल्मे अनुज शर्मा अभिनीत है. संतोष सोनू को बचपन से ही फोटोग्राफी का शौक था. इसी शौक के चलते उन्होंने डीओपी की पढ़ाई की. उनका कहना है कि कैमरा तो कई भी चला सकता है 360 एंगल देख सकता है लेकिन जो 361 वां एंगल देख सके वही असली कैमरामेन है.लिखने को तो यहां सभी डीओपी लिखतें हैं लेकिन मेरा दावा है यहां एक भी कैमरामेन ऐसा नहीं है जो डीओपी का कोर्स किया हो.उनका मानना है कि छालीवुड की स म्भावनाये बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ऑर है। क्योकि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां दिखती है ज्ञान की कमी है। दूसरी ओर लोगो को छत्तीसगढ़ी फिल्मो के बारे में बताया जाना चाहिए। संतोष का कहना है कि सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके। अपने ख्वाहिश के बारे में उनका कहना है कि छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहता हूँ। अब लगातार फिल्मो में ही काम करते रहने की तमन्ना है। मै चाहता हूँ कि लोग मुझे बेस्ट कैमरामेन के रूप में जानें। 

हर किरदार में जान फूंकता कलाकार.= डॉ अजय सहाय

डॉ सहाय एक ऐसे समर्पित व प्रतिभा वान कलाकार है जिन्हें प्रोड्यूसर व डायरेक्टर स्क्रिप्ट सौंपकर भूल जाते है। रोल चाहे छोटा हो या बड़ा उसे वो यादगार बना देते हैं। डीडी किसान नैशनल चैनल के लिए उनके द्वारा बनाये गये धारावाहिक ने राष्ट्रीय पहचान दिलाई। 2015 में निर्मित यह धारावाहिक शौचालय की समस्या पर आधारित था।विदित हो कि एक अंतराल के बाद आई हिंदी फीचर फिल्म टॉयलेट एक प्रेमकथा की विषयवस्तु भी यही थी। उनका यह सीरियल  राष्ट्रीय व विभिन्न राज्यों की टीवी चैनल्स द्वारा बारम्बार प्रसारित हुआ। अजय सहाय ने पटकथा लेखन व निर्देशन के क्षेत्र में भी अपनी तूती बजा दी है। जनवरी 2018 में विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा रायपुर में आयोजित शार्ट फि़ल्म फेस्टिवल में उनकी फिल्म "कैसे बताऊ"  को सर्वश्रेष्ठ फि़ल्म का खिताब मिला। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के कर कमलों द्वारा उनके एक लाख रुपए का पुरस्कार दिया गया। साथ ही बेटी बचाओ विषय पर उनके द्वारा बनाई गई दूसरी शार्ट फि़ल्म नन्ही परी में श्रेष्ठ अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। इसी फि़ल्म की बाल कलाकार बेबी यास्मीन को सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। विदित हो कि इस फेस्टिवल में 55 देशों से लगभग 500 शॉर्ट फिल्मों ने अपनी फि़ल्मे प्रस्तुत की थी।सिर्फ 30 फिल्मों को पब्लिक स्क्रीनिंग के लिए रखा गया था जिसमे अजय सहाय की तीसरी फि़ल्म ज़ख्म को भी चयनित किया गया था। यू तो डॉ अजय सहाय हर क्षेत्र में सैकड़ों क्षेत्रीय, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार हासिल कर चुके हैं लेकिन उन्होंने एक ही वर्ष में दादा साहेब फाल्के एकेडेमी अवार्ड व दादा साहेब फाल्के फाउंडेशन अवार्ड जैसे दो पुरस्कार प्राप्त कर के एक कीर्तिमान स्थापित किया है। उनकी लगभग एक दर्जन फि़ल्मे प्रदर्शन हेतु तैयार है।
ऐसे हैं डॉ सहाय
नायक ,खलनायक ,लेखक ,निर्देशक साहित्यकार, कवि, रंगकर्मी, पटकथा जैसे अनेक कला किसी एक व्यक्ति में हो ऐसे बिरले ही होते है और यह सब कला है डॉ अजय मोहन सहाय में। छत्तीसगढ़ी फिल्मो का वे एक आधार स्तम्भ है। उन्होंने एक नहीं कई भाषाओं की फिल्मो में अभिनय कर सबके सामने एक चुनौती पेश की है। पांच भाषाओं में अभिनय करना भी एक रिकार्ड है। जितने अच्छे वे मधुमेह व् हृदयरोग विशेषज्ञ है उतने ही बेहतर कलाकार है। डॉ सहाय को कला विरासत में मिली है। माँ से कला मिली है तो पिता से शिक्षा। छालीवुड में डॉ सहाय एक ऐसे नायक खलनायक लेखक ,निर्देशक है जिन्होंने फिल्म उद्योग पर हर भूमिका में एकछत्र राज कर रहे हैं और अपने अभिनय का लोहा मनवाया है। उनके स्वाभाविक अभिनय और प्रतिभा की पराकाष्ठा ही थी कि लोगों के बीच वे काफी लोकप्रिय हैं।  

अल्का चंद्राकर एवं अनुराग शर्मा ने दिया फिल्म जोहार छत्तीसगढ़ के गानो के लिए स्वर

आर.जे. इंटरटेनमेंट वर्ल्ड निर्माता राज साहू  के बैनर पर बनने जा रही फिल्म जोहार  छत्तीसगढ़ का बीते दिनों स्थानीय स्वपनिल  स्टूडियो में  ऑडियों(गानो ) का रिकॉर्डिंग  किया गया। छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्रीज से जुड़े म्यूजि़क डायरेक्टर सूरज महानंद  के निर्देशन गायक अल्का चंद्राकर ,सुनील सोनी ,अनुराग शर्मा चंपा निषाद  ने अपनी आवाज के जलवे से गानो  को करणप्रिय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है 7 । आपको बता दें फिल्म में छत्तीसगढ़ के एक्शन स्टार देवेन्द्र जांगड़े (तहलका मोर नाव फेम  ) है। इस फिल्म में अभिनीत व निर्देशित खुद देवेन्द्र जांगड़े ने ही किया है। फिल्म में शिखा चितंबरे (लैला टिप टॉप छैला अंगूठा छाप के सुपर हिट फिल्म की हीरोइन) नजर आयेगी। वहीं न्यू रोमांटिक हीरो राज साहू जो की इस फिल्म के निर्माता भी है  नजर आएंगे  बीए सेंकेड ईयर की हीरोइन सोनाली सहारे के साथ , गीतकार देवेन्द्र जांगड़े का है जो इस फिल्म का अभिनेता व निर्देशक है। फिल्म का सह निर्देशक दीपक आदित्या जी का है। तथा कैमरामेन लक्ष्मण यादव का है।  वहीं फिल्म के प्रोडक्शन टीम में रोशन, शिखर, योगेश, विपिन है। फिल्म का सॉन्ग ट्रैक रिकॉडिंग मिनल स्टूडियों कटक व सान्ग वाईस रिकॉर्डिंग स्वपनिल स्टूडियों रायपुर में किया गया है।फिल्म की शूटिंग संभवत: जुलाई से प्रांरभ हो जाएगी.

फिल्म सुन्दर मोर छत्तीसगढ़

अब प्रदर्शन के लिए तैयार 
इन दिनों छत्तीसगढ़ में अपने सुर्खियों में चल रही कर्मा फिल्म प्रोडक्शन के बैनर तले,, निर्माता चोवा कुमार साहू एवम कृष्णा साहू की फिल्म "सुंदर मोर छत्तीसगढ़" की शूटिंग पूर्ण हो चुकी है और अब  प्रदर्शन के लिए तैयार है.फिल्म छत्तीसगढ़ की लोक कला संस्कृति ,हाष्य ,मनोरंजन , एवं गीत ,संगीत और अनोखी कहानी से सुसज्जित है! इस फिल्म के निर्देशन छत्तीसगढ़ के जाने माने निर्देशक धर्मेंद्र चौबे ने किया है। स्टार कास्टिंग से भरे इस फिल्म में,, भुनेश साहू ,सान्या कंबोज, कृष्णा साहू, रिंकी कुकरेजा, राजू पांडेय, रज्जु चंद्रवंशी, अन्नू शर्मा, नैनी तिवारी,  श्वेता शर्मा, धर्मेंद्र सोनी, राखी सिंग, शेखर चौहान, विजेता मिश्रा, जैसे कलाकार शामिल है! इस फिल्म में गीत का काम भुनेश साहू, अशोक तिवारी, गज्जू साहू,  किया है , जिसको संगीत और स्वर दिया है सुनील सोनी ने। इसके कोरियोग्राफर का काम रामौजी फिल्म सिटी हैदराबाद से नहीम खान , और कपिल कोसले ने किया है!  फिल्म में लगभग 150 से ज्यादा कलाकारों ने काम किया है.कवर्धा शहर की ये फिल्म बहुत ही जल्दी प्रदेश के हर सनेमाघर में प्रदर्शित होने वाली है. मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने इस फिल्म के पोस्टर का कवर्धा में विमोचन किया। 

प्रेम के बंधना से उपासना को है बड़ी उम्मीद

बहुप्रतीक्षित छत्तीसगढ़ फिल्म प्रेम के बंधना से जानी मानी अभिनेत्री उपासना वैषणव को बड़ी उम्मीदें है। वे कहती है कि इस फिल्म में उनकी भूमिका काफी अच्छी है और उन्होंने पूरी लगन से अपना काम किये हैं. यह फिल्म बहुत ही अच्छी बनी है.उम्मीद है दर्शकों को फिल्म भाएगी। उपासना करीब 135 से अधिक फिल्मों में अपनी कला का जलवा दिखा चुकी है.छालीवुड के सबसे सीनियर महिला कलाकार उपासना वैष्णव को आप छत्तीसगढ़ी फिल्मो में दयालू माँ के अलावा क्रूर महिला के रूप में भी देखे होंगे। कई फिल्मो में वे खलनायिका का रोल निभा चुके हैं। उपासना फिल्मो में जितनी क्रूर नजर आती है वास्तविक जिंदगी में उतनी ही मिलनसार और अच्छी महिला है।उपासना कहती है कि प्रेम के बंधना की कहानी शुद्ध रूप से पारिवारिक है.प्यार मोहब्बत शादी   का शानदार चित्रण है.गाने जितने अच्छे हैं उतने ही अच्छी संगीत है.उपासना इस फिल्म में अपने अभिनय से सबका दिल जीत जीतेगी ऐसी उम्मीदें हैं.
छत्तीसगढ़ फिल्म प्रेम के बंधना में सुपर स्टार अनुज शर्मा सहित कई बड़े कलाकार अपना जलवा दिखाते नजर आएंगे। बिलासपुर के तखतपुर में फिल्म की शूटिंग हुई थी जिसके निर्माता- अशोक सिंह ठाकुर एवं निर्देशक- शिवनरेश केशरवानी हैं । फिल्म में मुख्य भूमिका में अनुज शर्मा, लवली अहमद की जोड़ी एवं सेकेण्ड लीड में बिलासपुर के उभरते कलाकार अशरफ अली और सनम परवीन की जोड़ी नजर आएगी। सहायक कलाकारों में प्रदीप शर्मा, अनिल शर्मा, उपासना वैष्णव, अरुण बंछोर ,चन्द्रकला तिवारी, धर्मेंद्र चौबे, हेमलाल कौशल, संतोष निषाद, संतोष सारथी, श्वेता शर्मा, सरला सेन , पुष्पेंद्र सिंह जैसे कलाकार हैं. इस फिल्म के निर्देशक शिवनरेश केशरवानी इसके पहले भी मोहनी, और चंदू अऊ चांदनी जैसी बड़ी फिल्म बना चुके हैं।। चंदू अऊ चांदनी में तो उन्होंने बॉलीवुड के तीन बड़े कलाकार स्व.रज्ज़ाक खान, मुश्ताक खान एवं सहजाद खान को लेकर काम कर चुके हैं। और इस बार फिर छत्तीसगढ़ के सभी बड़े स्टार कास्ट को लेकर प्रेम के बंधना बनायें हैं। इस फिल्म की सभी गाने की रिकॉर्डिंग कटक में पूरी की गयी है जिसमे छत्तीसगढ़ के सभी बड़े गायक गायिका के सांथ बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक उदित नारायण ने भी इस फिल्म के गानों को अपने स्वर से सजाया हैं।फिल्म के एक गाने बैंकाक में शूट किये गए हैं.

छत्तीसगढ़ की निरुपा राय है पुष्पांजली शर्मा

दर्शकों का प्यार मेरे लिए सबसे बड़ा तोहफा 
- श्रीमती केशर सोनकर
मां और भाभी दो ऐसे चरित्र है जिसे जीना सबसे बड़ी चुनौती होती है और इस चुनौती को परदे पर जीवंत करती है पुष्पांजली शर्मा। माँ दुनिया की सबसे अनमोल धरोहर है. मां जहां भी होती है खुशियों से हमारी झोली भर ही देती है. जब जीवन के हर क्षेत्र में मां का स्थान इतना अहम है तो भला हमारा छत्तीसगढ़ी सिनेमा इससे कैसे वंचित रह सकता था। छत्तीसगढ़ी सिनेमा में भी ऐसी कई अभिनेत्रियां हैं जिन्होंने मां के किरदार को सिनेमा में अहम बनाया है। छत्तीसगढ़ी सिनेमा में जब भी मां के किरदार को सशक्त करने की बात आती है तो सबसे पहला नाम पुष्पांजली शर्मा का आता है जिन्होंने अपनी बेमिसाल अदायगी से मां के किरदार को छत्तीसगढ़ी सिनेमा में टॉप पर पहुंचाया। इसीलिये पुष्पांजली को छत्तीसगढ़ की निरुपाराय कहा जाता है. ये नाम हमने पुष्पांजली को इसलिए दिया है क्योकि पुशअंजली बॉलीवुड की निरुपाराय से कहीं भी कमतर नहीं है. एक्टिंग और हावभाव निरुपा जैसा ही है.वे प्रकाश अवस्थी, अनुज शर्मा, करण खान, चन्द्रशेखर चकोर जैसे तमाम बड़े नायको की माँ की भूमिका निभा चुकी है. उनकी फिल्म राजू दिलवाला अभी हाल ही में रिलीज हुई और टुरा चायवाला आने वाली है. दूरदर्शन की सीरियल परिवर्तन में उन्होंने मुख्या भूमिका निभाई है. पुष्पांजली ने 100 से अधिक फिल्मे की है जो उपासना वैषणव के बाद  फिल्मे हैं. 3 बार उन्हें सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेत्री का अवार्ड मिल चुका है.लीगल एवरनेस पर बनी शार्ट मूवी नन्ही पारी (2018)और नाबालिक (2017) को बेस्ट फिल्म का अवार्ड मिल चुका है. 'मया के घरौंदाÓ में उनकी भूमिका वाकई गजब थी। मां के रूप में जब भी पर्दे पर आई लोगों ने उन्हें खूब प्यार दिया। पहुना, टूरी नंबर वन आदि में उनकी भूमिका दमदार थी। पुष्पांजली को आज छत्तीसगढ़ी सिनेमा की बेहतरीन अदाकारा माना जाता है। फिल्मों में उनकी एंट्री बड़े ही निराले ढंग से हुई। कभी अभिनय न तो की थी और ना ही कभी सोची थी। निर्माता एजाज वारसी इन्हे फिल्मो में लेकर आये और डॉ अजय सहाय ने इनका होसला अफजाई किया, जिसकी वजह से ही आज वे इस मुकाम को पा सकी है। वे कहती है कि मां के चरित्र को फिल्म में जीवंत बनाने की पूरी कोशिश करती हूँ । 100 से अधिक फिल्मो में काम कर चुकी पुष्पांजली को किस्मत ने फिल्मो में खिंच लाया। माँ की भूमिका निभाना उन्हें बेहद पसंद है वैसे पुष्पांजली कई फिल्मो में भाभी की भूमिका भी निभा चुकी है। पुष्पांजली बताती है कि उन्हें एक्टिंग का शौक बचपन से रहा है,  पर फिल्मो में काम करने के बारे में नहीं सोची थी। मौका मिला तो आ गयी। या यूं कहूँ किस्मत ने खिंच लाया। एजाज वारसी मुझे फिल्मो में लेकर आये थे , लेकिन मेरे प्रेरणाश्रोत डॉ अजय सहाय है ,जिन्होंने मुझे प्रेरणा दी और मेरा हौसला अफजाई किया। मेरे पीछे मेरी ताकत बनकर हमेशा खड़े रहे। वे कहती है कि मुझे कोई भी रोल मिले मैं पूरी तरह डूबकर काम करती हूँ। माँ की भूमिका निभाते समय जीवंत अभिनय करती हूँ , ताकि अपनी भूमिका के साथ न्याय कर सकूँ। उनका कहना है कि घर की मै बड़ी बहू होने के कारण मुझ पर घर की भी बड़ी जिम्मेदारी है.  की तरह अपने परिवार को बांधकर रखने की पूरी कोशिश करती हूँ। कभी किसी का दिल ना दुखे , भले ही मुझे दु:ख सहन करना पड़े, ये मेरा प्रयास होता है। मै एक माँ की तरह अपने परिवार को वही स्नेह देती हूं जो फिल्मो में करती हूँ।

27 जुलाई को रीलिज होगी फि़ल्म सुंदर मोर छत्तीसगढ़

चोवाराम साहू का ड्रीम प्रोजेक्ट 
निर्माता चोवा साहू की बहुचर्चित फि़ल्म सुंदर मोर छत्तीसगढ़  27 जुलाई को प्रदेश के सभी सिनेमाघरो में रिलीज होने जा रही है।  चोवा राम साहू के माने तो ये फि़ल्म छत्तीसगढ़ , और यहाँ के रहने वाले लोगो की मान, प्रतिष्ठा, कला संस्कृति, और   और दिल को छू लेने वाला,अन्य राज्य और छ्त्तीसगढ के बीच प्रेम कहानी को  परोसा गया है, यह उनकी ड्रीम प्रोजेक्ट है.इस फि़ल्म में नायक के रूप में एक नया और बेहद प्रतिभावान युवक भुनेश साहू  सामने आ रहे है।
इनके अपोजिट  में रंगरशिया फेम् सान्या कंबोज के साथ साथ,   नैनी तिवारी ,कृष्णा साहू, राजू पांडेय,  शेखर चौहान, स्वेता शर्मा,  रज्जु चंद्रवंशी, विजेता मिश्रा, रज्जु चंद्रवंशी, अन्नू शर्मा , धर्मेंद्र सोनी  रिंकी कुकरेजा जैसे उम्दा कलाकार नजर आएंगे।     
  निर्माता चोवा साहू के बारे में
26 साल के चोवा साहू के बारे में कुछ पता करने एक रोचक जानकारी  पता चलता है, बचपन में अपने पिता को खो देने वाले चोवा साहू फि़ल्म सुंदर मोर छत्तीसगढ़  को फिल्माने में कुल 57 दिन  का वक्त लग गया क्योंकि फि़ल्म का 45 फीसदी हिस्सा जंगल का दृश्य है. जंगल झाड़ी में अनगिनत परेशानियों के चलते उनके करीबी और खास लोगो ने उनका साथ छोड़ दिया लेकिन पहाड़ से हौशला लिए चोवा साहू के दृढ़ संकल्प के सामने सारी परेशानिया फीकी पड़ गयी,, और आखिरकार एक खूबसूरत फि़ल्म के रूम में  उन्होंने सुंदर मोर छत्तीसगढ़ को तैयार कर लिया । यही एक कारण है आज एक छोटी से उम्र में  अपने मेहनत के दम पर,  चोवाराम साहू कवर्धा जिला में काफी नाम कमा लिया है और छालीवुड की तरफ रुख किये है।

संधर्ष और सफलता का एक नाम उर्वशी साहू

जी हाँ ,हम बात कर रहे है छालीवुड फि़ल्म की चर्चित अभिनेत्री उर्वशी साहू की आज वह जिस मुकाम पे है उसके लिए उसने बहुत संधर्ष और मेहनत की है कलाकार परिवार में जन्मी उर्वशी की पूरी फेमली कलाकार है उनके नाना जी स्वर्गीय स्वर्ण कुमार साहू चरणदास चोर जमादारिन पोगा पंडित हब्बीब तनवीर इन नाटकों के गीतकार और डायलॉग के महारथी थे पापा प्रसिद्ध पंडवानी रेवाराम गणेशराम में तबला वादक थे साथ ही गोदना गोदा ले जैशे गीतों के रचनाकार थे माँ गायिका थी भाई भी गीतकार थे इन सभी के बीच सबसे छोटी उर्वशी ने महज 5 साल की उम्र में अपनी कला यात्रा सुरु की धुरवाराम दुखिया बाई की लोक मंच से निर्त्य की जो आज तक निरंतर जारी है उस समय परिवार की आर्थिक इस्थिति ठीक नही होने के कारण उर्वशी हर संथा में जाने लगी धीरे धीरे ये कला रोजी रोटी का साधन बन गया जिससे परिवार चलने लगा 20 साल की उम्र में  शादी हो गई शादी के बाद भी परिवार को पालने की जिम्मेदारी आ गई कहते है जिसको सुख नई मिलता उनको त उम्र नई मिलता यही कहावत उर्वशी के साथ भी थी 4 साल बाद पति के नई रहने से 2 बच्चो को पालने की जिम्मेदारी आ गई अब तो बस कलाकारी का ही सहारा था उसे ही रोजगार मानकर आगे काम जारी रखी फिर किस्मत से पहली छत्तीशगढ़ी फि़ल्म नकुल म्हलवार दारा दाढ़ में अभिनय करने का मौका मिला फिर देवदास के बिहाव फिर तो फि़ल्म की लाइन लग गई उस समय सीडी फि़ल्म अल्बम का दौर था फिल्में खूब चलती थी इस तरह आगे बढ़ते बढ़ते फिर बड़े पर्दे वाली फिल्म बनने लगी जिससे कलाकारों का काम बढऩे लगा अब उर्वशी थोड़ा नाम के साथ सक्चम होने लगी पर संधर्ष खत्म नई हुआ कलाकारी में उतना कमाई नई होती थी जिससे परिवार चल सके बच्चो के साथ आँगरोल का ठेला भी लगाने लगी जिससे थोड़ी आय होने लगी फिर उर्वशी ने अपनी एक लोकमंच तैयार की मया के संदेश नाम से जिसमे छोटे छोटे सभी कलाकारों को जोड़कर जत्था चुनाव और लोक मंच का काम करने लगी और देखते देखते ये संथा छत्तीशगढ़ की नमी संथा बन गई जो अब देश विदेश तक अपनी कला और संस्कृति को लेकर काम कर रही है फि़ल्म से भी उर्वशी की सराहना होने लगी बेस्ट एक्ट्रेस बेस्ट कॉमेडियन का अवार्ड मिलने लगा अब तक संधर्ष करते उर्वशी नाम के साथ समाज सेवा से जुड़ गई अब परिवार के कोई नही है सब इस दुनिया से जा चुके है इस संधर्ष भरे जीवन को अकेली अपने बच्चो के साथ नाम शोहरत के साथ जी रही है समाज सेवा और कला के छेत्र में योगदान के लिए उर्वशी को कौसिल्या माता सम्मान भी दिया गया सम्मान तो उर्वशी को बहुत मिला पर वह कहती है उसका सबसे बड़ा सम्मान दर्शोको का प्यार है जो उससे आज इस मुकाम तक पहुचाया है आज उर्वशी लोक मंच और छत्तीशगढ़ी फि़ल्म की सुपर स्टार है जो हर रोल को बखूबी करती है जिससे उनका एक अलग नाम है अपनी संथा मया के संदेश को लेकर वह अभी अंडमान निकोबार उत्तराखंड लखनऊ  देहरादून गई थी अभी उर्वशी फिल्मो में काफी बिजी है इन 6 महीनों में उर्वशी ने लगभग 12 फिल्में की है जिसमे हिंदी भोजपुरी और छत्तीशगढ़ी सामिल है हमारी शुभकामना है उर्वशी साहू कला के छेत्र में यू ही निरंतर आगे बड़े और छत्तीशगढ़ का नाम रोशन करे. 

रामायण मंडली का कलाकार बना हीरो

मेहनत मेरा भगवान,, मेरा व्यवहार मेरी पूंजी- भुनेश साहू 
बचपन मे गांव - गांव जा कर रामायण मंडली का टिकाकर,  शादी -व्याह में ढोल बजाने वाले लड़के,  गली -गली में जाकर पेंटिंग करने वाले चित्रकार ,,  बच्चो का  टीचर आज बन गया है हीरो।  भुनेश साहू निर्माता चोवा साहू के फि़ल्म सुंदर मोर छत्तीसगढ़  से  बतौर हीरो अपने  नई करियर की पारी शुरू की है। साथ ही फि़ल्म रिलीज से पहले ही निर्देशक नीरज श्रीवास्तव की फि़ल्म असली कलाकर के लिए भी साइन कर लिया गया है, जिसकी बहुत ही जल्दी  शूटिंग  प्रारम्भ होने वाली है। इसके अलावा निर्माता फि़ल्म, और मया के बल के लिए भी बात हो रही है। भुनेश साहू बताते है कि मुझे कोई भी काम करने में शर्म नही है।मैंने अपनी जिंदगी में हर तरह का  काम किया है , और  आज भी सुबह 9 से 3 बजे तक ड्यूटी (शिक्षक) करता हूँ, 4 बजे से 7 तक पेंटिंग करता हूँ। और रात में स्क्रिप्ट या एक्टिंग के ऊपर काम करता हूँ । वे कहते हैं कि मेहनत मेरा भगवान,, मेरा व्यवहार मेरी पूंजी।
फिल्मी करियर के बारे में पूछने पर उनका कहना है कि,  मुझे अपने भाषा और बोली से बहुत ज्यादा प्यार होने के वजह से, लगातार छत्तीसगढ़ी फिल्मो की  ओर आकर्षित हुआ और छत्तीसगढ़ के सुपर स्टार, अनुज शर्मा , करन खान, प्रकाश अवस्थी जैसे सितारों को देखकर ही मै फिल्मो की ओर आकर्षित हुआ और आकर्षण ही एक दिन जुनून का रूप ले लिया। लगातार 3 साल तक प्रयास करने के बाद कोई रिजल्ट हाथ नही लगा तो , समझ गया था कि कुछ तो कमी है ! 2-3 साल तक ब्रेक करके मेहनत करते गया, इस दौरान रातो की नींद उड़ जाती थी कि ऐसा क्या करूँ,, की मुझे  फिल्मो में मौका मिल जाये,, लेकिन ऊपर वाले के ऊपर भरोसा था कि मेहनत कभी बेकार नही जाएगा। आखिरकार निर्माता चोवा राम साहू की फि़ल्म में बतौर हीरो मुझे मौका मिल गया। आप छत्तीसगढ़ की किस कलाकार को आदर्श मानते  हो?  के जवाब में, भुनेश का कहना है कि   इंडस्ट्री के हर इंसान  जो, इनडायरेक्टली, डायरेक्टली छालीवुड को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से  आगे बढ़ाने के प्रयाश कर रहे है वो सब मेरे आदर्श है।

रोंगोबति की तैयारी में जुटे अशोक तिवारी

रंगरसिया की तिकड़ी फिर साथ
- श्रीमती केशर सोनकर
छालीवुड को सुपरहिट फिल्म देने वाले निर्माता अशोक तिवारी अब रंगरसिया के बाद एक और फिल्म रोंगोबति की तैयारी में जुट गए हैं. इस फिल्म के लिए कलाकारों की तलाश उन्होंने शुरू कर दी है.श्री तिवारी ने 90 फीसदी नए कलाकार लेकर रंगरसिया फिल्म बनाई थी वैसे ही उनकी तमन्ना नए कलाकारों को लेकर अब रोंगोबति बनाने जा रहे है. सुपरहिट फिल्म रंगरसिया की तिकड़ी निर्माता अशोक तिवारी, निर्देशक पुष्पेंद्र सिंह और सुपर स्टार अनुज शर्मा एक बार साथ साथ नजर आएंगे। अपने नए फिल्म रोंगोबति में वे मुम्बई से शक्तिकपूर को लेने के प्रयास में है. इसके लिए उनकी एक बार उनसे बात भी हो गयी है.श्री तिवारी ने छालीवुड फिल्म निर्माण में कदम रखते ही चार फिल्म बनाने का ऐलान किया था और वे दो फिल्म माटी मोर मितान और रंगरसिया फिल्मबना बना चुके हैं. रंगरसिया काफी हिट फिल्म साबित हुई है. अनुज शर्मा का स्टारडम और पुष्पेंद्र सिंह का डायरेक्शन फिल्म के लिए वरदान साबित हुआ है. इसी से उत्साहित अशोक तिवारी ने फिर नए फिल्म बनानेका का प्रयास शुरू कर दिए हैं.फिल्म के लिए अभी कलाकारों का चयन नहीं हुआ है लेकिन 90 फीसदी कलाकार वे नए चाहते है. श्री तिवारी से जब हमने नए प्रोजेक्ट के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा की हाँ फिल्म जरूर बनाएंगे पर अभी इस पर कुछ भी नहीं कहेंगे। वही फिल्म विकास निगम  पूछे जाने पर कहा कि छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम के गठन के बाद छत्तीसगढ़ के फिल्म, थिएटर, लोककला, लोकरंग के कलाकारों को बेहतर मंच मिलेगा। यही नहीं, कलाकारों को होने वाली समस्याओं का निराकरण भी निगम के माध्यम से किया जाएगा। वर्तमान में छत्तीसगढ़ी फिल्में तो लगातार बन रही हैं, लेकिन उस प्रकार का आउटपुट प्राप्त नहीं हो रहा है, जैसा मिलना चाहिए। सिनेमाघर तो हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ी फिल्मों का प्रदर्शन नहीं हो रहा। यही नहीं, राज्य निर्माण के बाद भी अब तक दूरदर्शन में प्रादेशिक चैनल की शुरुआत नहीं हो पाई है। ऐसे में छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम के गठन के बाद इन सभी दिशा में तेजी से कार्य किए जाएंगे।

छालीवुड की माधुरी दीक्षित है निशा चौबे

कम समय में ही चर्चा में आई 
महज 13 साल की छोटी सी उमर में अपने नृत्य कला की शुरुवात करने वाली निशा चौबे अब फिल्मो में धमाल मचा रही है। उनकी छालीवुड में शानदार एंट्री हुई है. उनके आने से एक नायिका की कमी पूरी होगी ,इससे इंकार नहीं किया जा सकता। निशा में काम करने का जूनून है, वे कहती है कि मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता। जो मन में ठान ले उसे पूरा करके ही रहता है। फिल्म आई लव यूं में उनके कामों की तारीफ़ छालीवुड के महानायक मोहन सुंदरानी ने भी की है. वे समाजसेवा और राजनीति में भी सक्रिय है. अभी हाल ही में निशा ने छत्तीसगढ़ फिल्म इंडस्ट्री एसोसिएशन के बेमेतरा जिला अध्यक्ष का पद भी सम्हाला है. छालीवुड में काम करने वाली सभी अभिनेत्रियां उनके आदर्श है। क्योकि सबसे उन्हें कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता है। वे अब तक के अपने कामो से पूरी तरह से संतुष्ट है. निशा छत्तीसगढ़ी के साथ भोजपुरी फिल्म में भी अपना जलवा दिखा रही है इनकी फिल्म बार्डर (भोजपुरी) अभी हाल ही में रिलीज हुई है, सॉरी आईं लव यू  'आईं लव यू' सौत सौत के झगरा इनकी आने वाली फिल्म है। मेरी नजर में निशा छत्तीसगढ़ के एक छोटे से कस्बे बेमेतरा में पली बढ़ी और अपनी छोटी सी उम्र में एक बढ़ी उपलब्धी हासिल कर ली है। उन्हें छालीवुड की माधुरी दीक्षित कहा जाने लगा है. माधुरी शुरू में काफी संघर्ष किया फिर 4 - 5 फिल्मो के बाद बॉलीवुड में छा गयी थी. वही झलक निशा में दिखाई दे रही है. इस समय उनके पास कई फिल्मे हैं वे कहती है कि फिल्मो में भी है बेहतर कॅरियर है और वे फिल्म को ही अपना कॅरियर बनाएगी। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में कॅरियर नहीं है कहने वालों को निशा बेहतर जवाब देती है वे कहती है कि काम अच्छा हो तो हर क्षेत्र में कॅरियर बनता है.प्रतिभा को अवसर मिले तो सोने पे सुहागा हो जाता है।  वह कहती है कि उनकी तमन्ना एक सफल अभिनेत्री बनने की है पर वह सभी प्रकार की भूमिका निभाना चाहती ताकि उन्हें एक नया अनुभव हो। उन्हें छालीवुड में सिर्फ नाम और शोहरत चाहिए। लोगो का प्यार और तालियां मुझे मिला तो मुझे अपार खुशी होगी। निशा का नाम छालीवुड में नया हो सकता है लेकिन लोकमंच के क्षेत्र मेंवे एक जाना पहचाना नाम है. ऑडियो वीडियो अल्बम में उन्होंने काफी नाम कमाया है.13 वर्ष की उम्र से अपने नृत्य कला की शुरुवात करने वाली निशा का नृत्य में अपना ही छाप है नृत्य में अगर सही अवसर मिले तो हरियाणा की सपना चौधरी से कम नहीं है गायन में भी अपनी जगह बना चुकी है साथ ही अपने लोकमंच का संचालन भी सफलतापूर्वक कर रही है.संघर्ष कला को निखारता है निशा ने अपने कला को बढ़ाने के लिए बहुत संघर्ष किया है.भविष्य में छलीवुड में एक चर्चित और सफल नाम होगा निशा चौबे का। 

प्रेम के बंधना

अशोक सिंह ठाकुर का ड्रीम प्रोजेक्ट है 
छालीवुड फिल्म "प्रेम के बंधना" एक  है जो दर्शकों के मनोरंजन को ध्यान में रखकर बनाई गयी है.निर्माता अशोक सिंह ठाकुर का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है.उन्होंने यहां के सुपर स्टार अनुज शर्मा और ओडिशा की लवली अहमद को लेकर इस मनोरंजक फिल्म तैयार किया है. शुद्ध पारिवारिक फिल्म है जिसमे उन्होंने वे सब कुछ डाला है जो दर्शकों को पसंद है. इस फिल्म के ट्रेलर को दर्शक बेहद पसंद कर रहे हैं.फिल्म 'प्रेम के बंधना' के रिलीज होने में अभी सिर्फ कुछ दिन ही बचे हुए हैं. उससे पहले यूट्यूब चैनल पर ट्रेलर अपलोड किया गया है , जिसमें अनुज शर्मा शानदार एक्शन में दिख रहे हैं. फिल्म का टीजर काफी हिट हुआ और 24 घंटे के भीतर ही ट्रेंड में छा गया. अशोक ठाकुर की फिल्म प्रेम के बंधना की कहानी जबरदस्त है जो दर्शकों के दिलोदिमाग में छायेगा इसमें कोइ दो राय नहीं। अनुज शर्मा अभिनीत फिल्म वैसे भी रिलीज होने से पहले ही हिट हो जाती है.फिर इस कहानी में तो वह सब कुछ है. मारधाड़, एक्शन, रोमांस, शानदार गीत, कर्णप्रिय संगीत। इस फिल्म के गाने विदेश में शूट किये गए हैं. छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माता अशोक ठाकुर आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। वे एक राजनेता भी है। बतौर निर्माता यह उनकी पहली फिल्म है और आगे भी वे फिल्म बनाते रहेंगे। छत्तीसगढ़ केनए नए कलाकारों को मंच प्रदान कर अशोक ठाकुर ने एक सराहनीय और  ऐसे कलाकारों को आगे बढ़ाना उनके जीवन का मकसद है। वे कहते हैं कि छोटे-छोटे कलाकारों को आगे बढ़ाने में उन्हें एक सुखद अनुभूति का एहसास होता है। आज भी वे गांव-गांव, गली-गली में कलाकारों की तलाश में भटकते रहते हैं। उन्हें मंचदेंगे और उनका उत्साह बढ़ायेंगे। अशोक ठाकुर एक राजनेता के रूप में भी सबके मदद ही करते हैं ऐसी कोई जगह नहीं है जहां सेवा की जरूरत हो और वे न पहुंचे। ''हो जिनका हौसला बुलंद, भला कौन रोक सकता है उनको बुलंदियों से कुछ इन्हीं पंक्तियों के साथ वे आगे बढ़ रहे हैं। जो बिना रूके, बिना थके लगातार अपने कदम अनवरत रूप से गांव-गांव, शहर-शहर और गली-गली में बढ़ रहे हैं। चाहे कला का क्षेत्र हो, फिल्म हो, सार्वजनिक समारोह हो, कोई सामाजिक गतिविधियां हो, किसी कलाकार की सहायता हो, किसी गिरते हुए को उठाना हो। हर जगह पूरी तन्मता और कर्तव्य निष्ठता के साथ दृढ़ता पूर्वक बढ़ते नजर आते हैं। श्री ठाकुर ने अपनी फिल्म की गाने मुम्बई के मशहूर गायकों से गवाए हैं.केशरवानी फिल्म प्रोडक्शन की प्रस्तुति, निर्देशक शिवनरेश केशरवानी , निर्माता : अशोक सिंह ठाकुर, निर्देशक : शिवनरेश केशरवानी, स्वर — उदित नारायण (मुम्बई), अनुराग शर्मा, सुनील सोनी, अनुपमा मिश्रा, अल्का चन्द्राकर, छाया चन्द्राकर, गीत : विमल यादव, संगीत प्रफुल्ल बेहरा की है।

सम्पादकीय

छालीवुड को चाहिए गुणवत्ता वाली फि़ल्में 
छत्तीसगढ़ी सिनेमा का इतिहास यूँ तो कई सालों से चला आ रहा है।बीते इन सालों में छालीवुड ने बहुत सी फि़ल्मे हमारे सामने रखी जिनमे बहुत सारी फि़ल्मो ने, कलाकारों ने अपना वजूद, अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया और उन फि़ल्मो के गीत- संगीत आज भी हमें कर्णप्रिय लगते हैं।ऐसी फिल्मों को सभी पसंद करते थे गांव हो या शहर हर जगह उस फि़ल्म के गीत- संगीत सुनाई पड़ते थे। किन्तु आज के दौर में देखा जाए कुछ ही अच्छी फि़ल्मो को छोड़कर ऐसी फि़ल्मे बन रही है जो न कि पारिवारिक होती है, न ही सामाजिक, न ही ऐतेहासिक। छालीवुड सिनेमा अब तक अपना अस्तित्व पूरी तरह जनता के सामने नहीं बना पाई है। इसका कारण यही है की अच्छी व् गुणवत्ता की फि़ल्मे बन नहीं पा रही।यही वजह है कि आज छत्तीसगढ़ के लोग भी छत्तीसगढ़ी फि़ल्मे देखने बहुत कम ही जाते हैं।हम दूसरे राज्यों में देखते हैं की वहां की जनता क्षेत्रीय फिल्मों को पहले महत्व देती है और वहां का बच्चा-बच्चा भी क्षेत्रीय फिल्मों के कलाकारों और फिल्मों के बारे में जानकारी रखता है किन्तु छालीवुड में कुछ नामी लोगों को छोड़ दिया जाए तो यहाँ की फिल्मों के नाम तो बहुत दूर कोई कलाकारों को भी नहीं पहचान पाता।मैं यह मानती हूँ कि फि़ल्मो का निर्माण करना इतना आसान नहीं, बहुत मेहनत,बहुत पैसे और समय के साथ दिमागी मेहनत करने पर एक फि़ल्म का निर्माण होता है। फिर भी कई मुश्किलों का सामना निर्माता व् निर्देशक को करना पड़ता है।लेकिन इतनी मेहनत ,इतना समय अगर हम लगा ही रहे हैं तो एक अच्छी व् गुणवत्ता वाली फि़ल्मे समाज व् राज्य के सामने रखनी चाहिए।ऐसे फि़ल्म जो छालीवुड में एक नया इतिहास रच दे जिसे केवल छत्तीसगढ़ की जनता के साथ हर राज्य की जनता देखने के लिए उमड़ पड़े।और छालीवुड की चर्चा पूरे देश में हो।इसके लिए फि़ल्म बनाने से पहले यह सोचना होगा की हम किसके लिए फि़ल्मो का निर्माण कर रहे हैं, अपनी स्वार्थपरक दृष्टि को बदलकर हमें समाज के बारे में सोचना होगा, अपनी छत्तीसगढ़ महतारी के बारे में सोचना होगा, परिवार के बारे में सोचना होगा, हमारे छत्तीसगढ़ के गौरवपूर्ण इतिहास के बारे में सोचना होगा।तब जाकर हम अच्छी फि़ल्मे समाज,राज्य,परिवार के बीच रख पाएंगे और तब ये फि़ल्मे हमारे छालीवुड सिनेमा का गौरवगान करेगी।मेरी यही अपेक्षा लोगों से कि छत्तीसगढ़ की जनता को पारिवारिक फि़ल्मे दे,सामाजिक फिल्में दे,ऐतेहासिक फि़ल्मे दे जिससे छालीवुड सिनेमा हर छत्तीसगढ़ वासियों की लोकप्रिय बन सके और घर-घर में क्षेत्रीय सिनेमा का बोलबाला हो।
- श्रीमती केशर सोनकर 

टेनिस प्लेयर आस्था की छालीवुड में एंट्री

एक्शन मूवी काने की ख्वाहिश 
छालीवुड में डांसिंग से फिल्मो में कदम रखने वाली नायिका आस्था दयाल की तमन्ना शाहरुख के साथ काम करने लायक बनने की है। साथ ही वे फिटनेस के लिए लोगो को जागरूक करना चाहती है। आस्था टेबल टेनिस की नेशनल प्लेयर है. और अपने कॅरियर की पहली फिल्म तोर सुरता म संगी की शूटिंग में व्यस्त हैं. वे छालीवुड में सभी प्रकार की भूमिका निभाना चाहती है ताकि उन्हें कटु अनुभव हो जाए। वे कहती है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में गुणवत्ता हो तो जरूर थियेटरों में चलेगी। वे कहती है कि मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में नाटकों में भाग लिया करती थी फिर नाटकों में किया। जब जब टीवी देखता था तब तब मुझे लगता था कि मुझे भी कुछ बनना चाहिए । उनका कोई रोल मॉडल नहीं है। नाटकों में भाग लेने के बाद उनका अभिनय देख अशरफ अली ने फिल्मो में मौका दिया। माँ ही उनकी प्रेरणाश्रोत है जो हर पल उनके साथ होती है। आस्था कहती है कि शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चली हूँ। अब इसी लाईन पर काम करती  रहूंगी। और मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी ताकि छालीवुड में कुछ करके दिखा सकूं। एक प्रश्न के जवाब में उनका कहना है कि  आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए । थियेटरों  की कमी को सरकार पूरा करे।आस्था फिल्मो के साथ साथ खेल में भी अपनी किस्मत आजमाती रहेंगी। दीपिका पादुकोण उन्हे बेहद पसंद है.उनका मानना है कि प्रचार प्रसार और विज्ञापन में कमी फिल्म नहीं चलने का सबसे बड़ा कारण है। थियेटर भी एक कारण हो सकता है। गाँव गाँव तक हम अपनी फिल्म नहीं पंहुचा पा रहे हैं। बेहतर प्रचार पसार हो और प्रदेश के सभी टाकीजों में फिल्म लग जाए तो लागत एक हप्ते में निकल आएगी। सरकार मदद नहीं करती और डिस्ट्रीब्यूशन भी सही नहीं है।

सुरीली आवाज से सभी को मोहित करते हैं दिलीप राय

छत्तीसगढ़ के लोकगायक दिलीप राय आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है.एलबम और यूं ट्यूब में अपनी आवाज के करिये लाखों लोगो के दिलों में राज कर रहे हैं.एवीएम स्टूडियो के संचालक संतोष कुर्रे का दिलीप राय को मंच देने और आगे बढ़ाने में बहुत बड़ा हाथ है. दिलीप बताते है कि उन्हें गाने का शौक बचपन से ही रहा है।  गाने में रूचि शुरू से ही था पर मौका नहीं मिल रहा था। वे बहुत कुछ करना चाहता है इस क्षेत्र में। गायन में जगह बनाने के लिए उन्होंने बहुत ही प्रेक्टिस की है और उनकी मेहनत का ही फल है कि आज वे इस मुकाम पर है। हमने दिलीप राय से हर पहलुओं पर बेबाक बात की है. पेश है उनसे हुई बातचीत के सम्पादित अंश.
आपको गाने का शौक कब से है ?
मुझे गाने का शौक बचपन से ही रहा है। गाने में रूचि शुरू से ही था पर मौका नहीं मिल रहा था। मैं बहुत कुछ करना चाहता हूँ इस क्षेत्र में ।
आप सुरीली आवाज में कैसे गा लेते हैं?
इसके लिए मैंने बहुत ही प्रेक्टिस की है और मेरी मेहनत का ही फल है कि आज मैं इस मुकाम पर हूँ।
घरेलू कामकाज के बावजूद गाने के लिए समय कैसे निकाल लेते हैं?
निकालना पड़ता है वह भी जीवन का एक हिस्सा है। मन में लगन हो तो सब कुछ संभव है।
आज के युवा पुराने गीतों को महत्त्व नहीं देते क्यों?
ऐसा नहीं है आज भी पुराने गानों के प्रति लोगो का रुझान है। पुराने गीत सदाबहार है और रहेंगे।
आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
मैंने अपने से ही गाने की शुरुआत  की है और काफी संघर्ष भी किया है। मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है।
कभी आपने सोचा था की गानों में इतना लोकप्रिय हो जाएंगे?
नहीं ! पर अब लगता है कि गाने ने मुझे ज्यादा लोकप्रिय बना दिया है।
कोई ऐसा अवसर आया हो ,जब आप बहुत उत्साहित हुई हो?
जब संतोष कुर्रे ने मुझे बेहतर गाने और आवाज के लिए मंच प्रदान किया।
ऐसा कोई क्षण जब निराशा मिली हो?
कभी नहीं। मैं कभी निराश नहीं होता।
आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहते हो ?
00 मेरा सपना है कि गानों के जरिये लोगो के दिलों में छा जाऊं।

प्रेम के बंधना से काफी उम्मीद है श्वेता शर्मा को

इसी माह आ रही है उनकी दो फि़ल्में 
छालीवुड की चरित्र अभिनेत्री श्वेता शर्मा को अपनी आने वाली फिल्म प्रेम के बंधना से काफी उम्मीदें हैं. श्वेता इस फिल्म में एक खलनायिका की भूमिका में है जिसे उन्होंने बखूबी निभाया है. इस रोल के लिए उन्होंने बहुत ही मेहनत किया है.वे कहती हैं कि इस फिल्म से उन्हें बहुत ही उम्मीदें है क्योकि फिल्म बनी ही ऐसी है कि दर्शकों को जरूर पसंद आएगी। प्रेम के बंधना में उन्होंने जो भूमिका निभाई है वह जरा हटकर है.इस फिल्म में वे अनुज शर्मा के परिवार को तोड़ती हुई नजर आएगी। वे कहती है की इस फिल्म के निर्देशक शिवनरेश केशरवानी है जिन्होंने एक अच्छी फिल्मे बनाई है। इसके पहले भी वे मोहनी, और चंदू अऊ चांदनी जैसी बड़ी फिल्म बना चुके हैं। इस बार फिर छत्तीसगढ़ के सभी बड़े स्टार कास्ट को लेकर प्रेम के बंधना बनायें हैं। इस फिल्म की सभी गाने की रिकॉर्डिंग कटक में पूरी की गयी है जिसमे छत्तीसगढ़ के सभी बड़े गायक गायिका के सांथ बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक उदित नारायण ने भी इस फिल्म के गानों को अपने स्वर से सजाया हैं।फिल्म के एक गाने बैंकाक में शूट किये गए हैं. श्वेता यूं तो करीब 35 फिल्मे कर चुकी है लेकिन यह पहला अवसर जब उनकी दो फिल्मे प्रेम के बंधना और मोर सुंदर छत्तीसगढ़ रिलीज हो रही है.श्वेता हर तरह की भूमिका निभाने में माहिर है। करीब 35 फिल्मो में माँ की भूमिका निभा चुकी श्वेता कहती है कि मन में लगन और दृढ़ इच्छा हो तो कोई भी काम असंभव नहीं होता। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में उनकी एंट्री भी नाटकीय ढंग से हुई थी। कोरियोग्राफर मनोजदीप ने उन्हें मंच दिया और फिल्मो में काम करने को प्रोत्साहित किया ,बस फिर क्या था फिल्मो में आ गयी । कम पढ़ी लिखी होने के बावजूद श्वेता ने अपने अभिनय को ऐसे निभाया कि हर तरफ उनके कामों की तारीफ़ होने लगी। निर्देशक एजाज वारसी ने इन्हें भी ब्रेक दिया और आज एक सफल अभिनेत्री है। श्वेता की भूमिका को लोगो ने कई फिल्मो में सराहा लेकिन श्वेता को खुद राजा छत्तीसगढिय़ा में अपनी भूमिका बहुत पसंद है। वे बताती है कि बिना तैयारी के शूटिंग में गयी थी और बेहतर ढंग से भूमिका निभा पाई। डांसिंग से फिल्मो में कदम रखी थी फिर फिल्मो में आई.

यू ट्यूब में छाये सुंदरानी चैनल्स, बनाया कीर्तिमान

बीए सेकण्ड ईयर को एक दिन में पसंद किये 6 लाख लोग
सुंदरानी वीडियो वर्ल्ड का छत्तीसगढ़ में ही नहीं पूरे देश में जलवा है. आज यूं ट्यूब में सुंदरानी के सभी चैनल्स छाये हुए हैं. सुंदरानी चैनल्स ने आज एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. उनके चैनल में फिल्म बीए सेकण्ड ईयर को एक ही दिन में 6 लाख लोगों ने देखा है. यह अपने आप में एक नया रिकार्ड है. इससे एक बात और अच्छी कही जा सकती है कि छत्तीसगढ़ी फिल्म को लोग देखने लगे हैं भले ही फिल्मो को टाकीजों में रिस्पांस नहीं मिलता हो पर यूं ट्यूब में यहां की फिल्मे खूब देखी जा रही है. फिल्म बीए सेकण्ड ईयर के निर्माता निर्देशक हैं श्री प्रणव झा जो काफी मंजे हुए निर्देशक हैं. उनकी सभी फिल्मे अब तक हिट रही है.फिल्म बीए फर्स्ट ईयर भी काफी हिट रही है. श्री झा को बेस्ट डायरेक्टर का अवार्ड भी मिल चुका है. फिल्म बीए सेकण्ड ईयर को 6 लाख व्यूवर मिलने के बाद मुम्बई की कई कंपनियों की नजर अब छत्तीसगढ़ पर है. यह इस राज्य के लिए अच्छी खबर है. छालीवुड के दिन आने वाले समय में और अच्छा होगा। टी सीरीज, समारू, विनस जैसी कंपनियां जल्द ही छत्तीसगढ़ का रुख करने वाली हैं.