मंगलवार, 19 जनवरी 2016

छत्तीसगढ़ में कलाकारों की भरमार है, जरुरत है उन्हें तराशने की : राखी बंजारे

छत्तीसगढ़ में कलाकारों की भरमार है, जरुरत है उन्हें तराशने की। गाँव गाँव ,गली-गली में कलाकार मिलेंगे, उन्हें फिल्मो में मौका मिलना चाहिए। यह कहना है छत्तीसगढ़ी फिल्मो की अभिनेत्री राखी बंजारे का। वे कहती है कि अच्छी कहानी हो और अच्छे- अच्छे कलाकार हो तो छत्तीसगढ़ी फिल्मे भी अच्छी चलेंगी। एक्टिंग और डांसिंग उनका शोक है। लगभग 10-12 फिल्मो में अपने अभिनय का जादू चला चुकी राखी दूरदर्शन की धारावाहिक में भी अभिनय कर चुकी है। चुनौतीपूर्ण भूमिका उन्हें बहुत पसंद है। मौका मिलने पर वे हिन्दी फिल्मो में भी काम करने की तमन्ना रखती है। राखी से हमने हर पहलूओं पर बेबाक बात की है। प्रस्तुत है बातचीत के संपादित अंश।
आपका रूझान अभिनय की ओर कैसे हुआ?
बचपन से शौक था कि मै अभिनय के क्षेत्र में कुछ करूँ ,पर सोचा नहीं था की मुझे मौका मिलेगा। टीवी देख देखकर मेरे मन में जिज्ञासा पैदा होती थी।
फिर आप इस क्षेत्र में कैसे आई?
महेश वर्मा की धारावाहिक मिला तो मैंने आ गयी। करीब 10 -12 सीरियल की है। उसके बाद तो मै आगे बढ़ती चली गयी। सोचा नहीं था कि मै ये सब कर पाउंगी। आज मुझे खुशी है कि मुझे जो भी काम मिला उसे मैंने पूरी ईमानदारी से पूरा किया है।
अभी तक आपने क्या-क्या किया है?
हमने 30-40 एल्बम में काम किया है , कॉमेडी नाटक किया है, 10-12 फिल्मे की है और कुछ आइटम सांग भी किया है।
आप किसे अपना प्रेणाश्रोत मानती है और किसे अपना आदर्श?
मेरा कोई प्रेेरणाश्रोत नहीं है बस मै अपनी मेहनत और अपनी इच्छा से अभिनय के क्षेत्र में आ गयी। छत्तीसगढ़ी फिल्म की नायिका मोना सेन को मै पसंद करती हूँ। ऐसा कोई नहीं है जिसे मै अपना आदर्श कह सकूँ।
कोई ऐसा क्षण जब आप निराश हुई हो?
कभी नही । निराशा मुझसे कोसो दूर रहती है। जो काम मिलता है उसे मै अच्छे से निभाता हूँ। इसलिए निराश नहीं होती।
कोई ऐसा क्षण जब आप बहुत उत्साहित हुई हो?
फिल्म दगाबाज में निगेटिव रोल कर मै बहुत उत्साहित हुई थी। मै उसमे अपने अभिनय से काफी संतुष्ट रही। विलेन की भूमिका निभाना मुझे अच्छा लगता है।
और अगर लीड रोल मिला तो क्या करेंगी?
लीड रोल भी कर लूंगी पर निगेटिव रोल मुझे पसंद है। आज तक मुझे जो भी भूमिका मिला है मैंने उसमे डूबकर उसे निभाया है।
रील लाइफ और रियल लाइफ में क्या फर्क महसूूस करती है?
बहुत अंतर है। रील लाइफ सिर्फ दिखावा है जो रियल लाइफ में नहीं हो सकता।
आगे की क्या योजना है। कोई तमन्ना है?
एक्टिंग और डांसिंग ही करती रहूंगी। यही मुझे बहुत पसंद है।
छत्तीसगढ़ी फिल्म बड़े परदे पर ज्यादा क्यों नहीं चल पाती?
कहानी कमजोर होती है। अच्छी कहानी और अच्छे कलाकार हो तो छत्तीसगढ़ी फिल्म भी बहुत चलेगी।
छत्तीसगढ़ी फिल्मो में बाहर के कलाकारों की भरमार होती है। इस पर आप क्या कहेंगी?
हाँ ये तो है। छत्तीसगढ़ में कलाकारों की भरमार है। हर गली मोहल्ले में कलाकार है ,बस उन्हें तराशने की जरुरत है। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में यही के कलाकारों को मौका मिले तो बेहतर होगा। 

शुक्रवार, 15 जनवरी 2016

हर तरह के अभिनय करना चाहता हूं : किस कुर्रे


छत्तीसगढ़ी फिल्में इस लिए टाकिजों में नहीं टिक पाते क्योंकि छत्तीसगढ़ी फिल्मो के असली दर्शक कस्बों और गांवों में होते है और हम उन तक नहीं पहुंच पाते। यह कहना है छत्तीसगढ़ी फिल्मो के अभिनेता किस कुर्रे का। वे कहते कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में सभी तरह का अभिनय करना चाहता हूं। कलाकार के साथ-साथ गीतकार, गायक, डांसर, कोरियोग्राफर भी है। एजाज वारसी को वे अपना आदर्श मानते है।

फिल्मों की और रूचि कैसे हुई?
स्कूल में ड्रामे देखकर अपने आप ही रूचि हो गई। ड्रामे देखकर लगा की ऐसा तो मै भी कर सकता हूं और इस क्षेत्र में आ गया।  
आपने अभिनय की शुरुआत कब और कहां से की?
मैं अपने कॅरियर की शुरुवात एल्बम से किया था। फिर टेलीफिल्म करने लगा। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में काम करने का तो मैंने सोचा भी नहीं था। बस यूँ ही आ गया। 
अब तक आपकी उपलब्धि क्या है?
12 से अधिक छत्तीसगढ़ी फिल्मे ,और अनगिनत एल्बम है। और एक फिल्म की शूटिंग शुरू होने वाला है । कई टेलीफिल्मो में अभिनय कर चुका हूं। निर्देशन,अभिनय ;गीत, डांस सब कुछ किया है मैंने। 
आप में कई गुण है। भविष्य में क्या क्या करना चाहेंगे?
फिल्म में अभिनय ही मेरा लक्ष्य है! वैसे तो मै फिल्म लाइन का सब काम कर लेता हूँ। 
छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को आगे बढ़ाने की दिशा में फिल्म का योगदान कितना है?
अपनी संस्कृति और भाषा को आगे बढ़ाने का सशक्त माध्यम है सिनेमा । हम भी फिल्मो के माध्यम से लगातार अपनी भाषा की तरक्की के लिए ही काम करते है।हम चाहते है कि हमारी भाषा खूब आगे बढ़े। 
आपकी आगे चलकर क्या करने की तमना है?
सभी तरह का अभिनय करना  चाहता हूँ। कोई भी काम मिले मै जरूर करना चाहूँगा।  
आपको बहुत खुशी हुई हो और कोई ऐसा क्षण जब निराश हुई हों?
कभी-कभी निराश हुआ हूँ जब बड़े फिल्मो में काम करने का मौका नहीं मिला और किरिया फिल्म में हीरो की भूमिका कर के मैं काफी उत्साहित हुआ था। हम अपना काम करते है और उसी में ही संतुष्ट रहते हैं। 
छत्तीसगढ़ी फिल्मे टाकीजो में क्यों नहीं टिक पाते?
इसलिए नहीं टिक पाते कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो के असली दर्शक कस्बों और गांवों में होते है और हम उन तक नहीं पहुंच पाते। शहरों में रहने वाले 90 फीसदी लोग छत्तीसगढ़ी फिल्मो के दर्शक नहीं होते। फिल्म का प्रमोशन भी अच्छा होना चाहिए। 

छॉलीवुड को सरकार की मदद चाहिए : बॉबी खान

छत्तीसगढ़ी फिल्मो के मशहूर निर्माता निर्देशक बॉबी खान का कहना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों को माहौल बंनाने और अपार सफलता के लिए सरकार की मदद चाहिए, तभी हम आगे बढ़ सकते है। उनका कहना है कि सरकार एक फिल्म विकास निगम बनाये और उसे अच्छे अनुभवी हाथों में सौपे ताकि छत्तीसगढ़ी फिल्मों का उद्धार हो सके। वे कहते है कि भविष्य में छत्तीसगढ़ी भाषा, संस्कृति और फिल्म को आगे बढ़ाने का ही काम करूंगा। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह से मुलाकात कर इसकी मांग भी की है। ओडिय़ा और छत्तीसगढ़ी फिल्मे बना चुके बॉबी खान राजनीति में भी सक्रिय है। वे आरएसएस के मुस्लिम मंच के प्रदेश महामंत्री भी है। प्रस्तुत है बातचीत के संपादित अंश। 
फिल्मों की और रूचि कैसे हुई ?
बचपन से ही इस ओर मेरी रूचि रही है। 1995 में हिन्दी फिल्म पॉयजन बनाई। 2012 में जावेद अली का एक एल्बम बनाया, जिसकी शूटिंग हमने खंडाला में की। 
आपने अभिनय की शुरुवात कब और कहाँ से की?
अभिनय तो मै स्कूल लाइफ से ही करता आ रहा हूँ। 1995 में ही मैंने फिल्म में अभिनय और निर्माता निर्देशक का काम शुरू कर दिया था। 
आप निर्माता, निर्देशक और अभिनेता हैं, तीनो काम कैसे मैनेज करते हैं?
मुझे कोई दिक्कत नहीं होती। सब काम मै बखूबी कर लेता हूँ। अभिनय तो मेरे रग रग में है। फिल्मो का निर्माण और निर्देशन मेरा शौक है। 
अब तक आपकी उपलब्धि क्या है?
दो छत्तीसगढ़ी फिल्म सोनचिरैया और तोर मया मा, हिन्दी फिल्म पॉयजन और उडिय़ा फिल्म ए मोर प्रिया मेरी सबसे बड़ी उपलब्धी है। इसके अलावा एल्बम भी है। 
भविष्य में क्या करना चाहेंगे ,छत्तीसगढ़ के लिए ?
भविष्य में छत्तीसगढ़ी भाषा,संस्कृति और फिल्म को आगे बढ़ाने का ही काम करूंगा । छत्तीसगढ़ मेरी धरती है। इसके लिए मै अपना जीवन लगाना चाहता हूँ। 
ऐसा कोई क्षण जब आपको बहुत खुशी हुई हो?
जब मेरी फिल्म सोनचिरैया को मुख्यमंत्री के हाथो बेस्ट फिल्म का अवार्ड मिला, मै बहुत ही खुश हुआ था। 
और कोई ऐसा क्षण जब निराश हुई हों?
जब फिल्मे नहीं चल पाती तो निराशा होती है पर एक दिन
ऐसा भी आएगा जब हिन्दी फिल्मे टाकीज के लिए मोहताज होगी और छत्तीसगढ़ी फिल्मे सुपर-डुपर होगी।
रील लाइफ और रियल लाइफ में कितना फर्क होता है?
रील लाइफ और रियल लाइफ में बहुत अंतर होता है। रील लाइफ में कहानी के अनुसार चलना पड़ता है। रियल लाइफ में अपने हिसाब से चलना पड़ता है। 
छत्तीसगढ़ी फिल्मे टाकीजो में क्यों नहीं टिक पाते?
एक दिन ऐसा भी आएगा जब हिन्दी फिल्मे टाकीज के लिए मोहताज होगी और छत्तीसगढ़ी फिल्मे सुपर-डुपर होगी। बस सरकार से मदद चाहिए। सरकार एक फिल्म विकास निगम बनाये और उसे अच्छे अनुभवी हाथो में सौपे ताकि छत्तीसगढ़ी फिल्मो का उद्धार हो सके। 
संक्षिप्त परिचय 
नाम -  बॉबी खान 
पेशा     -  फिल्म निर्माता,  निर्देशक, अभिनेता 
फिल्म
एक उडिय़ा, दो छत्तीसगढ़ी 
बनने वाली फिल्म
मोर मया ला राखे रहिबे 
शिक्षा
बीई इलेक्टिकल्स 
अवार्ड
बेस्ट फिल्म अवार्ड 

शनिवार, 9 जनवरी 2016

मोला कइथे रे "दबंग देहाती " नए साल का पहला धमाका

रायपुर। नए साल की पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म होगी दबंग देहाती। यह फिल्म बनकर प्रदर्शन के लिए तैयार है। २२ जनवरी को प्रदेश के सिनेमाघरों में आने की चर्चा है। वैसे तो कई फिल्मे रिलीज की प्रतीक्षा में है जिसमे चंद्रशेखर चकोर की फिल्म चक्कर गुरूजी के और क्षमानिधि मिश्रा की फिल्म ऑटो वाले भांटो  प्रमुख है। दबंग देहाती के सुपर स्टार करन खान और मुम्बई की प्रियंका परमार मुख्य भूमिका में नज़र आएंगे। नियाज खान के निर्देशन में बनी इस फिल्म में मनोजदीप एक कॉमेडियन के रूप में और श्वेता शर्मा तथा राजेश पंड्या एक अलग भूमिका में दिखेंगे। अमित प्रधान के गीतों को सुनील सोनी और छाया चंद्राकर ने स्वर दिया है। नई तारिका दिव्या यादव की इस फिल्म के साथ छालीवुड में एंट्री हो रही है। महेंद्र कपूर, शेखर चौहान, महबूब खान, मास्टर रजा खान, अरविन्द गुप्ता विशु ध्रुव इस फिल्म में दिखेंगे।

सोमवार, 4 जनवरी 2016

छालीवुड परदे के बुरे इंसान

छालीवुड परदे पर ये कलाकार बुरे इंसान के किरदार में जरूर नजर आतें हैं पर वास्तविक जिंदगी में उतने ही मिलनसार और अच्छे इंसान होते हैं। खलनायक का पात्र किसी भी फिल्म का मुख्य हिस्सा होता है। खलनायकों के साथ एक विडंबना यह भी होती है, वो अपना काम कितने भी अच्छे से कर जाएं, कभी प्यार नहीं पाते। फिर भी खलनायक बनने की लालसा सबमे होती है। बॉलीवुड में बड़े बड़े नायक भी खलनायक की भूमिका निभा चुके है। आइये हम आपको मिलवाते है छालीवुड के खलनायकों से।
 - अरुण कुमार बंछोर

डॉ अजय सहाय - मशहूर मधुमेह व् हृदयरोग विशेषज्ञ होने के साथ साथ छालीवुड के बेस्ट खलनायक भी है। इन्होने अब तक कई दर्जन फिल्मे की है। हिन्दी और भोजपुरी फिल्मो में भी वे अपनी कला का जादू बिखेर
चुके है। आज डॉ अजय सहाय निर्माताओं की पहली पसंद है। वे छोटे बड़े सभी नायकों के साथ काम कर चुके हैं। सन 2014 में वे बेस्ट खलनायक का खिताब हासिल कर चुके है। इसके पहले उन्हें कई अवार्ड मिल चुके हैं।

मनमोहन ठाकुर -  छालीवुड में गिरधारी पांडे के नाम से मशहूर सबसे बड़े खलनायक मनमोहन ठाकुर किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वे अब तक 80 से ज्यादा फिल्मो में अपने
अभिनय का जादू दिखा चुके हैं। मनमोहन सबसे चर्चित खलनायक हैं। उनकी कला के सब कायल है। हालांकि अब वे नायक की भूमिका में आने लगे है पर उनकी पहचान एक खलनायक के रूप में ही है। कई चार्चित फिल्मों में उनकी तूती बोलती रही है।

धर्मेन्द्र चौबे - जाने माने खलनायक धर्मेन्द्र चौबे अब फिल्मो की मांग है। उन्होंने करीब 25 फिल्मे की है और छालीवुड मे अपनी पहचान बना चुके हैं। हाल ही में रिकार्ड कमाई करने वाली फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा में
धर्मेन्द्र चौबे मुख्य खलनायक की भूमिका में है। इस फिल्म ने एक करोड़ को पार किया था। इतना ही नहीं धर्मेन्द्र चौबे फिल्मो में बुरे इंसान जरूर है पर असल जिंदगी में वे जिंदादिल इंसान और मिलनसार हैं।

काशी नायक - छालीवुड के खलनायकों में काशी नायक का नाम ना ले तो कहानी अधूरी लगेगी। मया 2 फिल्म अभी थियेटरों में धूम मचा रही मचा रही है जिसमे खलनायक काशी
नायक ने अमिट छाप छोड़ी है । काशी के कला में दम है। रोबदार आवाज , कुटिल मुस्कान ही उनके अच्छे विलेन होने का सबूत है। काशी ने फिल्म दबंग देहाती में भी मुख्य विलेन का किरदार निभाया है।

पुष्पेन्द्र सिंह - पांच भाषाओं में फिल्म करने वाले पुष्पेन्द्र सिंह बिरले इंसान है। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में खलनायक के रूप में यह एक जाना पहचाना नाम है। अब तक 50 छत्तीसगढ़ी फिल्म , 4 भोजपुरी 1 मराठी 2 बुन्देखंडी 3 हिन्दी और 1 उडीयां फिल्म में अपनी भूमिका से सबको प्रभावित किया है।
यही नहीं पुष्पेन्द्र सिंह  को कई कलाओं में महारत हासिल है। इन्होने अब बॉलीवुड की ओर रूख कर लिया है फिर भी छालीवुड के लिए वे हमेशा ही उपलब्द्ध रहेंगे ।

विनय अम्बष्ड - एक जानदार खलनायक है जिन्होंने कई फिल्मो में विलेन के किरदार में लोगो का दिल जीता है। सरपंच ,राजा छत्तीसगढिय़ा इनकी मुख्य फिल्म है। थियेटर से छालीवुड में कदम रखने वाले विनय अम्बष्ड ने फिल्मो में अपनी कला से सबका दिल जीता है। एक खलनायक के रूप में इनकी पहचान बन गयी है। विनय जी को खलनायकी बहुत पसंद है।

प्रदीप शर्मा - छालीवुड के सीनियर कलाकार प्रदीप शर्मा ने कई फिल्मो में खलनायक की भूमिका में जान डाल दी है। भिलाई थियेटर से फिल्मो में आये
श्री शर्मा ने छत्तीसगढ़ी फिल्मो के अलावा हिंदी ,उडिय़ा,और साउथ की फिल्मो में भी काम किया है। अभी हाल ही में वे हिलण्डी फिल्म आशिक आवारा करके वापस छत्तीसगढ़ लौटे है। विलेन के साथ साथ वे तमाम हीरो हीरोइन के पिता की भूमिका में नजर आ चुके हैं।

बलराज पाठक -मयारू भौजी में आपने तीखे ओर कड़क इंसान को देखा होगा। वे कोई और नहीं बलराज
पाठक ही है। पाठक जी ने कई छालीवुड की फिल्मों में खलनायक का किरदार निभाकर लोगो के दिलों में अपनी जगह बनाई है। उन्हें खलनायकी ही पसंद है। वे कहते हैं की विलेन ही फिल्म का में किरदार होता है। विलेन ना हो तो फिल्म बेजान होत है।

विजय मेहरा - छत्तीसगढ़ फिल्म मितवा के दाऊ जी यानी विजय मेहरा आज छालीवुड के जाना पहचाना नाम है। खलनायक के रूप में उन्होंने छालीवुड में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। फिल्म मया दे दे मयारू में
निगेटिव किरदार निभाने वाले विजय मेहरा फिल्म मितवा में ऐसी खलनायकी की जिससे लोगो में नायक की नहीं बल्कि खलनायक की ज्यादा चर्चा हुई।

एजाज वारसी - छालीवुड का एक अहम किरदार है एजाज वारसी जिन्होंने कई कलाओं में महारत हासिल की है। वे एक खलनायक के साथ साथ एक निर्देशक और एक एक्टर भी है। वे हिन्दी छत्तीसगढ़ी भोजपुरी और पंजाबी फिल्म में खलनायक का किरदार निभा चुके है। एजाज वारसी के नाम 70 -80 भी ज्यादा फिल्मे है। उनका माने तो खलनायक ही  मुख्य किरदार है।

उपासना वैष्णव - छालीवुड के सबसे सीनियर महिला कलाकार उपासना वैष्णव को आप छत्तीसगढ़ी फिल्मो में दयालू माँ के अलावा क्रूर महिला के रूप में भी देखे होंगे। कई फिल्मो में वे
खलनायिका का रोल निभा चुके हैं। गुरावट , मया जैसी फिल्मो में निगेटिव रोल करने वाली उपासना वैष्णव ने अब तक, करीब 90 फिल्मे कर चुकी है। उपासना फिल्मो में जितनी क्रूर नजर आती है वास्तविक जिंदगी में उतनी ही मिलनसार और अच्छी महिला है।

श्वेता शर्मा - छालीवुड में माँ बहन की भूमिका में नजर आने वाली श्वेता शर्मा कई फिल्मों में खलनायिका की
भूमिका अदा कर चुकी है। हाल ही में बनी फिल्म दबंग देहाती में भी वे खलनायिका के रूप में लोगो को डराती नजर आएंगी। श्वेता भी वास्तविक जिंदगी में बहुत ही मिलनसार महिला है जो बुरे वक्त में लोगो के साथ खड़ी नजर आती है।

उर्वशी साहू - छालीवुड की सबसे तीखी नजर आने वाली महिला उर्वशी साहू छात्तीसगढ़ी फिल्मो की एक अच्छी खलनायिका है। माँ बहन भाभी की भूमिका में जान डालने वाली उर्वशी खलनायिका की भूमिका में
ज्यादा प्रभावी होती हैं। 50 से अधिक फिल्मे कर चुकी उर्वशी साहू को भी निगेटिव रोल ही पसंद है। उनकी आने वाली फिल्म दबंग देहाती है जिसमे वे नायक करण खान की मा की भूमिका में है।

मनोजदीप - छालीवुड के बेस्ट कोरियोग्राफर मनोज दीप मौका मिलने पर सभी प्रकार के किरदार निभा लेते
है। उन्होंने कई फिल्मों में विलेन की भूमिका निभा चुके है।मया 2 में भी उनकी भूमिका निगेटिव है और इस भूमिका में उन्होंने जान डाल दी है। मनोजदीप जितने अच्छे विलेन है उतने ही अच्छे कलाकार और कोरियोग्राफर है। निगेटिव किरदार में बुरे इंसान कहलाने वाले मनोज वास्तविक जिंदगी में एक जिंदादिल इंसान है।

संतोष सारथी -छालीवुड में संतोष सारथी एक ऐसा नाम है जिन्होंने नायक के साथ साथ खलनायक के रूप में अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल की है । संतोष सारथी ने 4 फिल्मो में खलनायक की भूमिका निभाई है। वे
छालीवुड के सबसे जल्द लोकप्रिय होने वाले पहले कलाकार है। उनकी कला का लोहा छोटे बड़े सभी मानते है।

छालीवुड परदे के बुरे इंसान

छालीवुड परदे पर ये कलाकार बुरे इंसान के किरदार में नजर आतें हैं पर वास्तविक जिंदगी में उतने ही मिलनसार और अच्छे इंसान होते हैं। खलनायक का पात्र किसी भी फिल्म का मुख्य हिस्सा होता है। खलनायकों के साथ एक विडंबना यह भी होती है, वो अपना काम कितने भी अच्छे से कर जाएं, कभी प्यार नहीं पाते। फिर भी खलनायक बनने की लालसा सबमे होती है। बॉलीवुड में बड़े बड़े नायक भी खलनायक की भूमिका निभा चुके है। आइये हम आपको मिलवाते है छालीवुड के खलनायकों से।

डॉ अजय सहाय - मशहूर मधुमेह व् हृदयरोग विशेषज्ञ होने के साथ साथ छालीवुड के बेस्ट खलनायक भी है। इन्होने अब तक कई दर्जन फिल्मे की है। हिन्दी और भोजपुरी फिल्मो में भी अपनी कला का जादू बिखेर चुके है। आज डॉ अजय सहाय निर्माताओं की पहली पसंद है। वे छोटे बड़े सभी नायकों के साथ काम कर चुके हैं। सन 2014 में वे बेस्ट खलनायक का खिताब हासिल कर चुके है। इसके पहले उन्हें कई अवार्ड मिल चुके हैं।

मनमोहन ठाकुर -  छालीवुड में गिरधारी पांडे के नाम से मशहूर सबसे बड़े खलनायक मनमोहन ठाकुर किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वे अब तक 80 से ज्यादा फिल्मो में अपने अभिनय का जादू दिखा चुके हैं। मनमोहन सबसे चर्चित खलनायक हैं। उनकी कला के सब कायल है। हालांकि अब वे नायक की भूमिका में आने लगे है पर उनकी पहचान एक खलनायक के रूप में ही है। कई चार्चित फिल्मों में उनकी टूटी बोलती रही है।

धर्मेन्द्र चौबे - नाजे माने खलनायक धर्मेन्द्र चौबे अब फिल्मो की मांग है। उन्होंने करीब 25 फिल्मे किये है और छालीवुड मे अपनी पहचान बना चुके हैं। हाल ही में रिकार्ड कमाई करने वाली फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा में धर्मेन्द्र चौबे मुख्य खलनायक की भूमिका में है। इस फिल्म ने एक करोड़ को पार किया था। इतना ही नहीं धर्मेन्द्र चौबे  के बुरे इंसान जरूर है पर असल जिंदगी में वे जिंदादिल इंसान और मिलनसार हैं।

कााशी नायक - छालीवुड के खलनायकों में काशी नायक का नाम ना ले तो कहानी अधूरी लगेगी। मया 2 फिल्म अभी थियेटरों में धूममचा रही मचा रही है जिसमे खलनायक काशी नायक ने अमिट छाप छोड़ी है । काशी के कला में दम है। रोबदार आवाज , कुटिल मुस्कान ही उनके अच्छे विलेन होने का सबूत है। काशी ने फिल्म दबंग देहाती में भी मुख्य विलेन का किरदार निभाया है।

पुष्पेन्द्र सिंह - पांच भाषाओं में फिल्म करने वाले पुष्पेन्द्र सिंह बिरले इंसान है। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में खलनायक के रूप में यह एक जाना पहचाना नाम है। अब तक 50 छत्तीसगढ़ी फिल्म , 4 भोजपुरी 1 मराठी 2 बुन्देखंडी 3 हिन्दी और 1 उडीयां फिल्म में अपनी भूमिका से सबको प्रभावित किया है। यही नहीं पुष्पेन्द्र सिंह  को कई कलाओं में महारत हासिल है। इन्होने अब बॉलीवुड की ओर रूख कर लिया है फिर भी छालीवुड के लिए वे हमेशा ही उपलब्द्ध रहेंगे ।

विनय अम्बष्ड - एक जानदार खलनायक है जिन्होंने कई फिल्मो में विलेन के किरदार में लोगो का दिल जीता है। सरपंच ,राजा छत्तीसगढिय़ा इनकी मुख्या फिल्म है। थियेटर से छालीवुड में कदम रखने वाले विनय अम्बष्ड में फिल्मो में अपनी कला से सबका दिल जीता है। एक खलनायक के रूप में इनकी पहचान बन गयी है। विनय जी को खलनायकी बहुत पसंद है।

प्रदीप शर्मा - छालीवुड के सीनियर कलाकार प्रदीप शर्मा ने कई फिल्मो में खलनायक की भूमिका में जान डाल दी है। भिलाई थियेटर से फिल्मो में आये श्री शर्मा ने छत्तीसगढ़ी फिल्मो के अलावा हिंदी ,उडिय़ा,और साउथ की फिल्मो में भी काम किया है। अभी हाल ही में वे हिलण्डी फिल्म आशिक आवारा करके वापस छत्तीसगढ़ लौटे है। विलेन के साथ साथ वे तमाम हीरो हीरोइन के पिता की भूमिका में नजर आ चुके हैं।

बलराज पाठक -मयारू भौजी में आपने तीखे ओर कड़क इंसान को देखा होगा। वे कोई और नहीं बलराज पाठक ही है। पाठक जी ने कई छालीवुड की फिल्मों में खलनायक का किरदार निभाकर लोगो के दिलों में अपनी जगह बनाई है। उन्हें खलनायकी ही पसंद है। वे कहते हैं की विलेन ही फिल्म का में किरदार होता है। विलेन ना हो तो फिल्म बेजान होटा है।

विजय मेहरा - छत्तीसगढ़ फिल्म मितवा के दाऊ जी यानी विजय मेहरा आज छालीवुड के जाना पहचाना नाम है। खलनायक के रूप में उन्होंने छालीवुड में अपनी छाप छोड़ी है। फिल्म मया दे दे मयारू में निगेटिव किरदार निभाने वाले विजय मेहरा फिल्म मितवा में ऐसी खलनायकी की जिससे लोगो में नायक की  खलनायक की ज्यादा चर्चा हुई।

एजाज वारसी - छालीवुड का एक अहम किरदार है एजाज वारसी जिन्होंने कई कलाओं में महारत हासिल की है। वे एक खलनायक के साथ साथ एक निर्देशक और एक एक्टर भी है। वे हिन्दी छत्तीसगढ़ी भोजपुरी और पंजाबी फिल्म में खलनायक का किरदार निभा चुके है। एजाज वारसी के नाम 70 -80 भी ज्यादा फिल्मे है। उनका माने तो खलनायक ही  मुख्य किरदार है।

उपासना वैष्णव - छालीवुड के सबसे सीनियर महिला कलाकार उपासना वैष्णव को आप छत्तीसगढ़ी फिल्मो में दयालू माँ के अलावा क्रूर महिला के रूप में भी देखे होंगे। कई फिल्मो में वे खलनायिका का रोल निभा चुके हैं। गुरावट , मया जैसी फिल्मो में निगेटिव रोल करने वाली उपासना वैष्णव ने अब तक, करीब 90 फिल्मे कर चुकी है। उपासना फिल्मो में जितनी क्रूर नजर आती है वास्तविक जिंदगी में उतनी ही मिलनसार और अच्छी महिला है।

श्वेता शर्मा - छालीवुड में माँ बहन की भूमिका में नजर आने वाली श्वेता शर्मा कई फिल्मों में खलनायिका की भूमिका अदा कर चुकी है। हाल ही में बनी फिल्म दबंग देहाती में भी वे खलनायिका के रूप में लोगो को डराती नजर आएंगी। श्वेता भी वास्तविक जिंदगी में बहुत ही मिलनसार महिला है जो बुरे वक्त में लोगो के साथ खड़ी नजर आती है।

उर्वशी साहू - छालीवुड की सबसे तीखी नजर आने वाली महिला उर्वशी साहू छात्तीसगढ़ी फिल्मो की एक अच्छी खलनायिका है। माँ बहन भाभी की भूमिका में जान डालने वाली उर्वशी खलनायिका की भूमिका में ज्यादा प्रभावी होती हैं। 50 से अधिक फिल्मे कर चुकी उर्वशी साहू को भी निगेटिव रोल ही पसंद है। उनकी आने वाली फिल्म दबंग देहाती है जिसमे वे नायक करण खान की मा की भूमिका में है।

मनोजदीप - छालीवुड के बेस्ट कोरियोग्राफर मनोज दीप मौका मिलने पर सभी प्रकार के किरदार निभा लेते है। उन्होंने कई फिल्मों में विलेन की भूमिका निभा चुके है।मया 2 में भी उनकी भूमिका निगेटिव है और इस भूमिका में उन्होंने जान डाल दी है। मनोजदीप जितने अच्छे विलेन है उतने ही अच्छे कलाकार और कोरियोग्राफर है। निगेटिव किरदार में बुरे इंसान कहलाने वाले मनोज वास्तविक जिंदगी में एक जिंदादिल इंसान है।

संतोष सारथी
छालीवुड में संतोष सारथी एक ऐसा नाम है जिन्होंने नायक के साथ साथ खलनायक के रूप में अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल की है । संतोष सारथी ने 4 फिल्मो में खलनायक की भूमिका निभाई है। वे छालीवुड के सबसे जल्द लोकप्रिय होने वाले पहले कलाकार है। उनकी कला का लोहा छोटे बड़े सभी मानते है।