छत्तीसगढ़ी फिल्में इस लिए टाकिजों में नहीं टिक पाते क्योंकि छत्तीसगढ़ी फिल्मो के असली दर्शक कस्बों और गांवों में होते है और हम उन तक नहीं पहुंच पाते। यह कहना है छत्तीसगढ़ी फिल्मो के अभिनेता किस कुर्रे का। वे कहते कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में सभी तरह का अभिनय करना चाहता हूं। कलाकार के साथ-साथ गीतकार, गायक, डांसर, कोरियोग्राफर भी है। एजाज वारसी को वे अपना आदर्श मानते है।
फिल्मों की और रूचि कैसे हुई?
स्कूल में ड्रामे देखकर अपने आप ही रूचि हो गई। ड्रामे देखकर लगा की ऐसा तो मै भी कर सकता हूं और इस क्षेत्र में आ गया।
आपने अभिनय की शुरुआत कब और कहां से की?
मैं अपने कॅरियर की शुरुवात एल्बम से किया था। फिर टेलीफिल्म करने लगा। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में काम करने का तो मैंने सोचा भी नहीं था। बस यूँ ही आ गया।
अब तक आपकी उपलब्धि क्या है?
12 से अधिक छत्तीसगढ़ी फिल्मे ,और अनगिनत एल्बम है। और एक फिल्म की शूटिंग शुरू होने वाला है । कई टेलीफिल्मो में अभिनय कर चुका हूं। निर्देशन,अभिनय ;गीत, डांस सब कुछ किया है मैंने।
आप में कई गुण है। भविष्य में क्या क्या करना चाहेंगे?
फिल्म में अभिनय ही मेरा लक्ष्य है! वैसे तो मै फिल्म लाइन का सब काम कर लेता हूँ।
छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को आगे बढ़ाने की दिशा में फिल्म का योगदान कितना है?
अपनी संस्कृति और भाषा को आगे बढ़ाने का सशक्त माध्यम है सिनेमा । हम भी फिल्मो के माध्यम से लगातार अपनी भाषा की तरक्की के लिए ही काम करते है।हम चाहते है कि हमारी भाषा खूब आगे बढ़े।
आपकी आगे चलकर क्या करने की तमना है?
सभी तरह का अभिनय करना चाहता हूँ। कोई भी काम मिले मै जरूर करना चाहूँगा।
आपको बहुत खुशी हुई हो और कोई ऐसा क्षण जब निराश हुई हों?
कभी-कभी निराश हुआ हूँ जब बड़े फिल्मो में काम करने का मौका नहीं मिला और किरिया फिल्म में हीरो की भूमिका कर के मैं काफी उत्साहित हुआ था। हम अपना काम करते है और उसी में ही संतुष्ट रहते हैं।
छत्तीसगढ़ी फिल्मे टाकीजो में क्यों नहीं टिक पाते?
इसलिए नहीं टिक पाते कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो के असली दर्शक कस्बों और गांवों में होते है और हम उन तक नहीं पहुंच पाते। शहरों में रहने वाले 90 फीसदी लोग छत्तीसगढ़ी फिल्मो के दर्शक नहीं होते। फिल्म का प्रमोशन भी अच्छा होना चाहिए।
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