गुरुवार, 16 मई 2019

फिल्मों में ही कॅरियर बनाएंगी आराध्या सिन्हा

एक्सपो इंडिया आफ इंटरनेशनल मेकअप कॉम्पिटिशन की विनर है
छालीवुड की 16 साल की अभिनेत्री आराध्या सिन्हा ने अभी हाल ही में प्रगति मैदान नयी दिल्ली में हुई एक्सपो इंडिया आफ इंटरनेशनल मेकअप प्रतियोगिता में परचम लहरा कर छत्तीसगढ़ का नाम रौशन किया है. इस
स्पर्धा में वे सबसे कम उम्र की प्रतिभागी थी. आराध्या ने इसी साल दसवीं की परीक्षा 82 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण की है. स्पर्धा जीतकर लौटी आराध्या सिन्हा ने कहा- कि उनका मकसद माँ बाप के सपनों को पूरा करना और उनका नाम रौशन करना है. आराध्या सिन्हा ने सोल्जर छत्तीसगढ़िया से छालीवुड में एंट्री की है और जल्द ही एक बड़ा मुकाम हासिल कर ली है. सुंदरानी फिल्म प्रोडक्शन की फिल्म आई लव यू टू में वे नायक मन कुरैशी की बहन की भूमिका में नजर आएगी। इस फिल्म से उन्हें बहुत ही उम्मीद है. वे कहती हैं कि आई लव यू टू को दर्शकों के लायक बनाने के लिए हमने बहुत ही मेहनत की है. मॉडलिंग का मुझे शौक था लेकिन अब एक्टिंग में किस्मत आजमा रही हूँ। अब इस क्षेत्र में ही आगे बढूंगी।
आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। जब मै छोटी थी तब से कुछ अलग करने की सोच ली थी। मन में लगन हो तो सब संभव है।
छालीवुड की क्या सम्भावनाये दिखती है?
बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी। यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ओर ज्यादा है।
आपको मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
एक्टिंग मैंने खुद से सीखा है। मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। मॉडलिंग से कॅरियर से शुरुवात की है और मेरी पहली फिल्म सोल्जर छत्तीसगढ़िया है जो बड़े परदे पर आ चुकी है। मुकेश स्वर्णकार ने मुझे इस फिल्म के लिए ऑफर दिया और आज मै आपके सामने हूँ।
कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
 हाँ ! शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चली थी। अब इसी लाईन पर काम करती रहूंगी । लगातार काम करूंगी।
छालीवुड फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगी?
 मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी ताकि मुझे सभी प्रकार का अनुभव हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है। मैं किसी भी भाषा की फिल्म हो जरूर करूंगी।
आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहता हूँ। अब लगातार फिल्मो में ही काम करते रहने की तमन्ना है। माँ-बाप का नाम रोशन करना मेरा मकसद है.




गुरुवार, 9 मई 2019

आखिर में हीरो मन कुरैशी को डायरेक्टर से कहना पड़ा

बहुत मार खा लिया ,अब थप्पड़ मत मरवाना
जी हाँ! यह मजेदार वाक्या है फिल्म "आई लव यू टू" का.इस फिल्म में हीरोइन हीरो को एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों थप्पड़ मारती है. थप्पड़ खा खाकर हीरो मन कुरैशी इतने परेशान हो गया था की डायरेक्टर उत्तम तिवारी से कहने लगे डायरेक्टर साहब बहुत थप्पड़ खा लिया अब थप्पड़ नहीं मरवाना। मन कुरैशी की बात
सानवी ने सच में जड़ दिया थप्पड़
छालीवुड के भीष्म पितामह मोहन सुंदरानी की पोती सानवी सुंदरानी नायिका के बचपन का रोल की है. बेहद ही उम्दा कलाकार है. जब एक सीन में हीरो को थप्पड़ मारने की बारी आई तो सानवी ने सच में ही हीरो के बाल कलाकार को थप्पड़ जड़ दिया था. यह सीन एक बार में ही ओके हो गया लेकिन सब हैरान रह गए थे.
सुनकर यूनिट में मौजूडी सभी लोग हंस पड़े. फिर भी डायरेक्टर उत्तम तिवारी ने उसके बाद के सीन में भी थप्पड़ मरवा ही दिया। इस फिल्म में हीरो को इतने थप्पड़ पड़े है शायद ही किसी फिल्म में हीरो को पड़े होंगे। बचपन में हीरोइन की किरदार निभा रही सानवी सुंदरानी हीरो को थप्पड़ मारती है तो बड़े होकर मुस्कान साहू हीरो मन कुरैशी को थप्पड़ मारती है. यही थप्पड़ फिल्म का अहम् हिस्सा बन चुका है. फिल्मं  "आई लव यू टू" एक मजेदार कॉमेडी और नारी शक्ति का एहसास कराने वाली फिल्म है जिसमे मन कुरैशी और मुस्कान साहू की जोड़ी ने काफी धमाल मचाया है. इस फिल्म में सब कुछ है जो दर्शकों को पसंद आएगी। मन कुरैशी की शानदार कलाकारी तो मुस्कान साहू की प्यार भरा अदा सबको भाएगी। सान्वी सुंदरानी, उर्वशी साहू, उपासना वैष्णव, संजू साहू, रजनीश झांजी, प्रदीप शर्मा सबने बेहतर कला का प्रदर्शन किया है.

"आई लव यूं टू" का प्रमोशन करेंगी गरिमा दिवाकर

स्टार कास्ट से भरी पडी है फिल्म
छत्तीसगढ़ की जानी मानी गायिका गरिमा दिवाकर सुंदरानी फिल्म प्रोडक्शन की फिल्म "आई लव यूं टू"  का प्रमोशन करेंगी। गरिमा 8 साल की उम्र में अपनी कॅरियर की शुरुआत सुंदरानी वीडियो वल्र्ड से ही की थी जब श्री
मोहन सुंदरानी ने उनकी आवाज में एक पंथी गाने की रिकार्डिंग की थी. वो गाने आज भी बेहद चर्चित है. उसके बाद गरिमा ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा है. "आई लव यूं टू"  के निर्माता लखी सुंदरानी ने गरिमा दिवाकर को अपनी आने वाले फिल्म "आई लव यूं टू"  के प्रमोशन का जिम्मा सौंपा है. वह फिल्म बनाकर तैयार है. इस फिल्म में 35 कलाकार है जिसमे से 8 बाल कलाकार हैं. फिल्म की कहानी दर्शकों को ध्यान में रखकर लिखा गया है. यह फिल्म कॉमेडी, एक्शन, रोमांस से भरपूर है. छालीवुड की चर्चित जोड़ी मन कुरैशी और मुस्कान साहू एक  इस फिल्म के जरिये बड़े परदे पर धमाल मचाएंगी। इस फिल्म में स्टार कास्ट है. उर्वशी -उपासना वैष्णव लोगों को हंसाते नजर आएंगी। इसके अलावा रजनीश झांजी, प्रदीप शर्मा, संजू साहू, पुष्पेंद्र सिंह, बिलास राउत, संगीता यादव जैसे मंजे हुए कलाकार हैं. निर्माता लखी सुंदरानी ने बताया कि फिल्म के लेखक, गीतकार, पटकथा, संवाद उत्तम तिवारी का है जो इस फिल्म के निर्देशक भी हैं. संगीत सूरज महानंद ने दिया है तो तोरण राजपूत ने कैमरे का दायित्व निभाया है.एक्शन जॉनसन अरुण का है तो कोरियोग्राफर है निशांत उपाध्याय, चंदनदीप और बिलास राउत।

नकुल महालवार , नाम एक कला अनेक

 रंगमंच से फिल्मो तक सफर,,,......
नायक ,खलनायक ,लेखक ,निर्माता ,निर्देशक साहित्यकार, कवि, रंगकर्मी, पटकथा जैसे अनेक कला किसी एक व्यक्ति में हो ऐसे बिरले ही होते है और यह सब कला है नकुल महालवार में। छत्तीसगढ़ी फिल्मो का वे एक आधार स्तम्भ है।
रंगमंच से अपने कॅरियर की शुरुआत करने वाले नकुल महालवार ने फि़ल्मी दुनिया में एक ऊंची मुकाम हासिल कर लिया है. कला सेवा करते 35 साल बीत जाने के बाद भी नकुल काफी दुखी है. वे कहते हैं कि यहां आज उचित सम्मान का अभाव है, लेकिन मै मरते दम तक कला के लिए समर्पित रहूंगा। 1984 में रामलीला में बाल कलाकार के रूप में मंच में प्रवेश किया था और आज छत्तीसगढ़ का जाना माना नाम है. फिल्म डाँड़ में नायक की भूमिका में थे. उन्होंने बताया कि 2001 में डिजिटल फि़ल्म, डाँड़ का  निर्माण किया ,जिसे सेंसर बोर्ड ने इसलिए सेंसर नही दिया कि इस फार्मेट में अब तक कोई डिजिटल फीचर फिल्म सेंसर नही हुआ था, वहाँ मुझे
बताया गया कि इस फार्मेट की फि़ल्म  पहली बार आई है तब मुझे  मालूम हुआ कि यह डिजिटल की पहली फि़ल्म है. इस फि़ल्म उन्हें बतौर नायक  सराहना मिली। 1987 में आदर्श नाट्य मंच का निर्माण कर नुक्कड़ नाटकों सहित मंचीय प्रस्तुति करने लगे। दूरदर्शन , लघु फि़ल्म व अखिल भारतीय नाट्य  स्पर्धा में हिस्सेदारी निभाई। 1990 में  फि़ल्म व रंगमंच अभिनेता ओमशिवपुरी अवार्ड से सम्मानित हुए. 1991 में वीडियो फीचर फिल्म मैना में असिस्टेंट डायरेक्टर व सह नायक के रूप में काम किया। लगातार मंच व दूरदर्शन के  सीरियल में भूमिका करने के बाद लेखन में भी नकुल महालवार दक्ष होता गया. 1997 में  फि़ल्म, महादान  का निर्माण सुपर वीएचएस फार्मेट में किया। फिर लघु कॉमेडी फिल्म - बिहाब देवदास के में उन्हें में बेस्ट राइटर का अवार्ड मिला। उन्होंने बताया कि फिल्म डाँड़ में मुझे बेस्ट एक्टर का भी खिताब मिला। अब वे फिल्मो में कम दिखाई देते हैं पूछे जाने पर उनका कहना है कि जब मुझे लगा कि फि़ल्म में स्कोप नही है, तो मैने लोकमंच को अपनी साधना बना लिया और सुर सांझा के साथ ,लोक मंच में भी अपना उदबोधन करता करता गया.  
इन फिल्मों में निभाई भूमिका
डाँड़, बिहाब देवदास के, खेतीखार, भूल झन देबे, संगवारी सतनाम के, छालीवुड देवदास, चुनाव तिहार, कारी छइयां, सजना साथ निभाबे, भेद, दबंग दरोगा,
अतरंगी। 

फिल्म विकास निगम के अगले अध्यक्ष होंगे पुष्पेंद्र सिंह?

छालीवुड और कांग्रेस के प्रति समर्पण से सरकार खुश
रायपुर। छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम के अगले अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह ही होंगे, हालांकि उन्होंने कभी सरकार से पद की मांग नहीं की है लेकिन सरकार में बैठे लोगों को पुष्पेंद्र सिंह ही सबसे योग्य और काबिल दिखाई दे रहे हैं. इसके पीछे मजबूत कारण भी है. उन्होंने छालीवुड, छत्तीसगढ़ की संस्कृति और छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए बहुत कुछ किया है. वे एक अच्छे अभिनेता है तो सर्वश्रेष्ठ निर्देशक भी है. पुष्पेंद्र सिंह ने भोपाल और मुम्बई में रहकर सिनेमा जगत को काफी करीब से देखा और जाना है. यहां उन्होंने कई सीरियलों में भी काम किया है. वे थियेटर के बेहतर कलाकार है. पुष्पेंद्र सिंह का अध्यक्ष पद की दौड़ में मजबूत होने का सबसे बड़ा कारण है कांग्रेस के प्रति समर्पित होना। उन्होंने विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अपना सब काम छोड़कर प्रचार में अपना पूरा समय लगा दिया था. इसका इनाम भी पार्टी ने उन्हें दिया है. सांस्कृतिक प्रकोष्ठ का प्रदेश महासचिव का दायित्व सौंप दिया। कांग्रेस के एक बड़े नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि पुष्पेंद्र सिंह से बेहतर फिल्म विकास निगम का अध्यक्ष और कोइ नहीं हो सकता। उन्होंने पार्टी के लिए काम भी किया है और उन्हें छालीवुड का बेहतर ज्ञान भी है. वे फिल्म विकास निगम को काफी आगे ले जाने की क्षमता रखतें हैं. छालीवुड को क्या चाहिए क्या नहीं वे अच्छे से जानते हैं. कुल मिलाकर सरकार में बैठे लोगो ने  फिल्म विकास निगम की कमान पुष्पेंद्र सिंह को सौपने का मन बना लिया है.

"आई लव यू टू " की ममतामयी माँ संजू साहू

एक बेहतरीन अदाकारा
- श्रीमती केशर सोनकर
छालीवुड में संजू साहू एक बड़ा नाम है, जिसने भी फिल्म छइयां भुईंया देखी होगी उनकी अदाकारी का लोहा जरूर माना होगा। उन्होंने 16 साल की उम्र में अपनी फि़ल्मी कॅरियर की शुरुआत ही माँ की भूमिका से की थी. बाद में वे नायिका बनी, फिर चरित्र अभिनेत्री का किरदार निभाया। अभी हाल ही बनी सुंदरानी प्रोडक्शन हाउस
की फिल्म "आई लव यू टू" में एक बार फिर ममतामयी माँ की भूमिका में नजर आएंगी। पूरी फिल्म में संजू साहू एक माँ के रूप में अपनी बेटी किरण ( बचपण में सान्वी, फिर मुस्कान साहू) पर प्यार लुटाती दिखेंगी। इसी फिल्म के सेट पर हमारी मुलाक़ात संजू साहू से हुई तो उन्होंने बताया कि  "आई लव यू टू" में माँ की भूमिका निभाकर उन्होंने गर्व महसूस किया है.मैंने माँ की भूमिका को सच में जिया है.अपने आप को किरण की माँ के रूप में ढाल लिया था.यह फिल्म बहुत ही उम्दा बनी है. मुझे इसमें काम करके बहुत ही अच्छा लगा. मै चाहूंगी की सुंदरानी प्रोडक्शन से हमेशा जुडी रहूं , यह मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। सुंदरानी प्रोडक्शन की अगली फिल्म कचरा बोदरा में संजू साहू एक नए अंदाज में दिखेंगी। इस फिल्म में वे खलनायकी करती नजर आएंगी। वे कहती है कि मुझे हर तरह की भूमिका पसंद है और कचरा बोदरा में मैं निगेटिव किरदार भी निभाऊँगी। संजू साहू ने अपनी मेहनत और लगन से छालीवुड में अपना अलग नाम बनाया है, और वे छत्तीसगढ़ की मशहूर हस्तियों में चर्चित और आर्कषक सेलिब्रिटी हैं। वे बचपन से ही कला में रुचि रखती रहीं हैं यही कारण है कि वे फिल्मों में आ गईं। उन्हें जनता का भी खूब प्यार मिला है, और इसी के बदौलत उनका नाम आज अच्छी अभिनेत्रियों में शुमार है। आज उनके प्रशंसकों की संख्या हजारों में है। संजू फिल्मों में अभिनय के अलावा वे स्टेज परफॉर्मर भी हैं। ये अपने काम के अलावा कई तरह के सोशल वर्क पर भी ध्यान देती हैं। उनकी संस्था कोपल क्रिएटिव ने एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों नए कलाकारों को मंच प्रदान किया हैं.

फिल्म महुँ कुंवारा तहँ कुंवारी

 कॉमेडी, एक्शन, रोमांस के साथ सशक्त संदेश देता है
 फिल्म समीक्षा - अरुण बंछोर
एक के बाद एक हिट फिल्मों की लाइन लगा देने वाले मनोज वर्मा की सबसे कसी हुई फिल्म है महुँ कुंवारा तहँ कुंवारी । इसका एक-एक सीन किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है। कमर्शियल जोन में एंटरटेनर फिल्म बनाना सबसे मुश्किल काम होता है। कमर्शियल फिल्म का फॉर्मूला साफ है, एक नायक होता है जो सुपर हीरो होता है, एक नायिका होती है जो हीरो के साथ गाने गाती है और एक खलनायक होता है जिस पर जीत हासिल करके हीरो हीरो बनता है। लेकिन इस फॉर्मूले पर भी लगातार नयापन देते हुए मनोरंजक फिल्म बनाना एक बहुत मुश्किल काम है लेकिन मनोज वर्मा ने यह कर दिखाया है. दो हीरो को लेकर एक ऐसी फिल्म बनाई है जो शुरू से अंत तक दर्शकों को बोर नहीं होने देती। सन्देश है कुंवारा लोगों को जो समस्याएं जीवन में आती है उसका नजारा। कॉमेडी के माध्यम से सारी समस्याएं कहती है फिल्म और समस्याओं का हल करने के लिए तिकड़मबाजी जो दिखाया गया है वह काबिलेतारीफ है. भूमिका निभाने में आकाश सोनी सब पर भारी है. लड़की के किरदार को जीने का अंदाज भी शानदार है. महुँ कुंवारा तहँ कुंवारी की कहानी में भले ही नयापन ना हो मगर एक अलग ट्रीटमेंट के साथ मनोज वर्मा ने पूरी तरह मनोरंजक फिल्म बनाई है। फिल्म के एक-एक फ्रेम पर उनकी पकड़ साफ नजर आती है। फिल्म की भव्यता के लिए जाने जाने वाले मनोज वर्मा ने इस फिल्म को भी भव्यता की चरम पर लाकर खड़ा किया है।
फिल्म देती है सशक्त संदेश
फिल्म में कॉमेडी है, एक्शन है, रोमांस है और साथ ही साथ एक सशक्त संदेश भी है। अभिनय की बात करें तो एक कदम आगे जाते आकाश को स्क्रीन पर देखते ही बनता हैद्य वह इमोशन हो या फिर कॉमेडी एक्शन आकाश हर पहलू पर 100 प्रतिशत खरे उतरते हैं। उनके इस यादगार परफॉर्मेंस से एक बात तय हो गई कि महुँ कुंवारा तहँ कुंवारी का सफर यहां नहीं रुकेगा। एल्सा घोष छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक नायाब तोहफा बनकर आई हैं जिसे उन्होंने इस फिल्म से साबित कर दिया है। निशांत उपाध्याय एक अलग अंदाज में नजर आते हैं। उनको देखकर एहसास होता है यह पात्र सचमुच इतना खतरनाक हो सकता है,साथ ही उतना ही मानवीय भी। पुष्पेंद्र सिंह ने भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। टेक्सी ड्रायवर बने संजय महानंद अपने किरदार को एक अलग स्तर पर ले जाते हैं। उनके एक्शन डायलॉग डिलवरी सब कुछ बेहतर है. संजय सिद्ध करता है कि वो सच में एक सुलझे हुए कलाकार हैं. माहिरा खान अनुराधा दुबे , सरला सेन , देवेंद्र पांडे समेत बाकी सभी कलाकारों ने अपने अपने किरदारों में जान फूंकी है। कमर्शियल सिनेमा के रग रग से वाकिफ हो चुके मनोज वर्मा ने नए कलाकारों की एंट्री करा कर एक्स्ट्रा तालियों और सीटियों का इंतजाम कर लिया। नए अभिनेता आकाश को देख कर आप खुद को सीटी बजाने से नहीं रोक पाएंगे। संगीतकारों ने शानदार संगीत दिया है। सिनेमैटोग्राफी फिल्म को ना सिर्फ भव्य बनाती है बल्कि मंत्रमुग्ध कर देती है। कुल मिलाकर महुँ कुंवारा तहँ कुंवारी एक बेहतरीन मनोरंजक फिल्म है जिसका आनंद आप सपरिवार उठा सकते हैं। कहानी हम नहीं बता रहे हैं इसके लिए आपको सिनेमाघरों तक जाना होगा। बस इतना कह सकतें हैं की फिल्म एक बार नहीं बार बार देखने लायक है.

कचरा - बोदरा में होंगी मुस्कान और गुलशन साहू की जोडी

- अरुण कुमार बंछोर
रायपुर। सुंदरानी प्रोडक्शन हाउस की नई फिल्म कचरा - बोदरा के लिए अभिनेत्री मुस्कान साहू के बाद अभिनेता के लिए गुलशन साहू को साईंन किया गया है.छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध कलाकार उपासना वैष्णव ,

उर्वशी साहू व छत्तीसगढ़ी फिल्मों के आलराउंडर कलाकार प्रदीप शर्मा इस फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आएंगे। इस फिल्म में कई नए कलाकारों को छालीवुड के भीष्म पितामह मोहन सुंदरानी ने अभिनय का मौका देने जा रहे हैं।  इस फिल्म की शूटिंग रायपुर एवं उसके आसपास ग्रामीण अंचलों में प्रारंभ होगी। स्क्रिप्ट , कहानी गीत एवं संगीत का लगभग कार्य पूरा हो चुका है। फिल्म के निर्देशक उत्तम तिवारी ही होंगे जिन्होंने सुंदरानी प्रोडक्शन हाउस की दो फि़ल्में आई लव यू और आई लव यू 2 का भी निर्देशन किया है। इस फिल्म के लिए 12 और कलाकारों का महत्वपूर्ण अभिनय के लिए चयन करना बाकी है.

बॉलीवुड की तरह अब टकराएंगे छालीवुड की फि़ल्में

एक साथ कई फिल्मे होंगी रिलीज
छालीवुड भी अब बॉलीवुड की राह पर है. फि़ल्में इतनी बनने लगी है जितना छत्तीसगढ़ में थियेटर नहीं है. यही कारण है कि अब यहां की फि़ल्में भी आपस में टकराएंगे। 2018 में 32 फिल्मे बनी और मात्रा 14 फि़ल्में ही
रिलीज हो पाई. इस साल एक ही तारीख पर कई फिल्मे रिलीज करने का ऐलान किया गया है. यह अलग बात है कि फिल्म को टाकीज ना मिले। 26 अप्रैल को महुँ कुंवारा तहूँ कुंवारी एक साथ 22 टाकीजों में लगेगी। 16 जून को दो फिल्मे हंस झन पगली फंस जाबे और राजा भैया एक आवारा रिलीज होने जा रही है. हंस झन पगली फंस जाबे के नायक मन कुरैशी है तो राजा भैया एक आवारा के नायक अनुज शर्मा है. यही नहीं 19 जुलाई को तो तीन फिल्मे रिलीज करने का ऐलान निर्माताओं ने किया है. निर्माता अशोक तिवारी की रंगोबती , अखिलेश मिश्रा की असली कलाकार और तीसरी फिल्म है माधो बैंड वाला। रंगोबती और  माधो बैंड वाला ने तो टाकीज भी बुक कर लिया है. जुलाई में इन तीन फिल्मो के बाद निर्माता मोहन सुंदरानी ने अपनी फिल्म आई लव यू 2 अगस्त में और कचरा बोदरा नवंबर में लाने का ऐलान कर दिया है.

साल 2019 छत्तीसगढ़ी फिल्मो के लिए रहेगा बेहद खास।

यू तो छत्तीसगढ़ी फिल्मे और उनके कलाकारों का संघर्ष बहुत लंबा रहा है, छत्तीसगढ़ के निर्माता, निर्देशक, कलाकार सभी शुरुआत से ही बहुत संघर्ष के दौर से गुजर रहे है, और अपनी मांगों को लेकर भी सरकार से काफी लंबे समय से संघर्ष कर रहे है, बरहाल 2018 में नई सरकार ने छत्तीसगढ़ की बागडोर सम्भाली है, अब फिल्मो से जुड़े लोगों की उम्मीद एक बार फिर जोर पकड़ती नजऱ आ रही है, ये समय ही तय करेगा कि सरकार इस दिशा में उम्मीदों पर कितनी खरी उतरती है। हम बात कर रहे है संघर्ष भरे छत्तीसगढ़ी फिल्मो की, निश्चित तौर पर वर्ष 2019 छत्तीसगढ़ी फिल्मो के लिए एक अहम साल गुजरने वाला है, एक तरफ नई सरकार से ढेरो उम्मीदे है, दूसरी तरफ लंबे समय के अंतराल के बाद छत्तीसगढ़ी फिल्मो के तीन दिग्गज निर्देशकों की फिल्में भी वर्ष 2019 में रुपहले पर्दे पर आएगी। पहले बात करते है सतीश जैन जी की जिन्होंने छत्तीसगढ़ी फि़ल्म इंडस्ट्री में ऑक्सीजन भरने का काम किया है , जिनकी पिछली सारी फिल्में हिट रही, पर फिर वो भोजपुरी फि़ल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हो गए और अब 8 साल के बाद उन्होंने फिर से छत्तीसगढ़ी फि़ल्म का निर्देशन किया है प्तहस झन पगली मया हो जाहिप्त ये फि़ल्म वर्ष 2019 में रिलीज़ होनी है। बात करे प्रेम चंद्राकर जी की, वो भी लंबे समय के बाद अपनी बहुप्रतीक्षित फि़ल्म लेकर आ रहे है प्तलोरी के चंदाप्त जिसकी शूटिंग खत्म हो चुकी है।
मनोज वर्मा भी एक नाम है इस इंडस्ट्री में जिन्होंने छत्तीसगढ़ को हिट फिल्में दी है, हाल ही में उनकी फिल्म प्तभूलनप्त को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचो काफी तारीफ मिली और पुरुस्कार भी जीत चुकी है वे भी अभी जोर शोर से अपनी नई फिल्म की शूटिंग में व्यस्त है प्ततहू कुँवारा महू कुँवारीप्त ये फि़ल्म भी वर्ष 2019 में आएगी। इस तरह तीन बड़े निर्देशक एक साथ 2019 मे अपनी अपनी फिल्मे लेकर आ रहे है ये निश्चित ही छत्तीसगढ़ी फिल्मो के लिए अच्छी सूचना है।दूसरी ओर नए और पुराने निर्माता भी वर्ष 2019 में अपनी फिल्मे लेकर आ रहे है ।बात करे मोहन सुंदरानी जी की 2018 की उनकी हिट फिल्म प्तद्ब द्यश1द्ग ङ्घशह्वप्त का सीक्वल लेकर आने वाले है। मोहित साहू नये निर्माताओं में बहुत बड़ा नाम है 2019 वो भी 3 नये फि़ल्म ला रहे है प्तभोकवा 2प्त प्तद्यश1द्ग दिवानाप्त और मोर जोड़ीदार 2प्त ये तीनो फिल्मे भी 2019 में आयंगी। नए निर्माताओं में नटराज बंझोर भी प्तप्रेम रंगप्त लेकर आ रहे है।इस तरह और भी 15 – 20 फिल्मे नए , पुराने निर्माता लेकर आ रहे है। साथ ही वर्ष 2019 में बहुत सारे नए कलाकार निर्माता, निर्देशक भी इंडस्ट्री को मिलने जा रहे है। अब देखना ये है कि वर्ष 2019 छत्तीसगढ़ी फिल्मो के लिए कैसा बीतता है जो निश्चित तौर पे छत्तीसगढ़ी फिल्मो की दिशा और दशा तय करेगा।

नाचा की विविधता से परिचित करायेगी फिल्म 'मंदराजी"

'नाचा छत्तीसगढ़ का पारंपरिक लोकनाट्य है। इस लोकनाट्य को ऊंचाई प्रदान करने में दाऊ मंदराजी का अतुलनीय योगदान रहा। आने वाली पीढ़ी छत्तीसगढ़ लोकनाट्य 'नाचा की विविधिता और खूबसूरती जानने के
साथ ही इस परंपरा के पुराधा रहे दाऊ मंदराजी के जीवन मूल्यों से परिचित हो सके। इसके लिए किशोर सारवा और नंद किशोर साहू ने मिलकर संयुक्त रुप से छत्तीसगढ़ी फिल्म 'मंदराजी का निर्माण किया है। इस फिल्म का निर्देशन विवेक सारवा ने किया है। फिल्म में दाऊ मंदराजी के मुख्य किरदार को छालीवुड के सुपर स्टर करन खान ने निभाया है। फिल्म बनकर तैयार है और आने वाले 28 जून को छत्तीसगढ़ के सिनेमाघरों में रिलीज होगी। फिल्म में अन्य कलाकारों में ज्योति पटेल, लता ऋषि चंद्राकर, डॉ. डीपी देशमुख, हेमलाल कौशल, नरेश यादव, उर्वशी साहू प्रमुख रुप से शामिल हैं। गीतकार लक्ष्मण मस्तुरिया है और संगीत गोविंद साव ने दिया है। स्वर कविता वासनिक, महादेव हिरवानी, कुलेश्वर ताम्रकर और प्रभु सिन्हा के हैं। फिल्म पूरी तरह से पारिवारिक है। निर्माताद्वय किशोर सारवा और नंद किशोर साहू को उम्मीद है कि यह फिल्म लोगों को पसंद आयेगी।

विविधताओं से भरा छत्तीसगढ़ी लोक संगीत दुनिया में सर्वश्रेष्ठ

जिस तरह से छत्तीसगढ़ प्राकृतिक विविधताओं से संपन्न है ठीक उसी प्रकार यहां की लोक संगीत विविधताओं से भरी पड़ी है। छत्तीसगढ़ की लोक परंपरा में जन्म से लेकर मृत्यु तक हर संस्कार के लोक संगीत हैं। यह लोक संगीत न केवल मनोरंजन के लिए हैं बल्कि संस्कार प्रदान करने के साथ ही प्रकृति के सत्य की तह तक जोडऩे वाले हैं। यह कहना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्म 'महू कुंवारा तहु कुवारीÓ के निर्देशक मनोज वर्मा का। मनोज वर्मा छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री में अजीम शख्सियत के रुप में पहचाने जाते हैं। उन्हें राज्य में फिल्म और कला के क्षेत्र कासर्वश्रेष्ठ सम्मान किशोर साहू सम्मान मिल चुका है। फिल्म और लोककला के क्षेत्र में इतनी ऊंचाई हासिल करने के बाद भी मनोज वर्मा संगीत की बारीकियों को समझने के लिए इंदिरा कला संगीत
विश्वविद्यालय खैरागढ़ से पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल कर रहे हैं। इसमें उन्हें देश के सभी राज्यों के लोकसंगीत का अध्ययन कराया गया है। श्री वर्मा ने खास बातचीत में छत्तीसगढ़ी लोक संगीत को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बताया। इसके पीछे की वजह को विस्तार से बताते हुए उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ी लोकसंगीत वृहद और विविधताओं से भरी पड़ी है। यहां केवल कर्मा की प्रस्तुति 30 प्रकार से की जाती है। इसी तरह से ददरिया, नाचा व अन्य संगीत की परंपराएं हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ का लोक संगीत केवल मनोरंजन से नहीं बल्कि संस्कार और जीवन के सत्य से जुड़ा हुआ है। मनोज वर्मा की पारिवारिक पृष्ठभूमि संगीत के क्षेत्र से नहीं रही। उन्होंने शिक्षा भी अर्थशास्त्र विधा में प्राप्त की है पर संगीत के प्रति उनके लगाव ने उन्हें फिल्म और निर्देशन के क्षेत्र में खींच लाया। वह बताते हैं कि वर्ष 2007 में उन्होंने 'बैरÓ नाम से छत्तीसगढ़ी फिल्म का निर्माण किया था। इस फिल्म के वह निर्माता और निर्देशक दोनों रहे। तब से अब तक वह पांच फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं। छठवीं फिल्म के रुप में हाल ही में उन्होंने छत्तीसगढ़ी फिल्म 'महू कुंवारा तहु कुवारीÓ का निर्देशन किया है। यह फिल्म बनकर तैयार है और 26 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। फिल्म के बारे में उन्होंने बताया कि यह पूरी तरह से कॉमेडी पर आधारित है। यह युवा वर्ग को बेहद पसंद आयेगी।
बदलते परिवेश के साथ फिल्मों को भी बदलना होगा
छत्तीसगढ़ी फिल्म की स्वीकार्यता और सफलता के सवाल पर मनोज वर्मा ने साफ कहा कि जिस तरह से आधुनिकता की दौड़ में समाज का परिवेश बदल रहा है उससे तालमेल करते हुए फिल्मों को भी बदलना होगा। अब पुराना ट्रेंड लोगों को पसंद नहीं। इंटनेट की गांवों तक पहुंच ने युवा वर्ग को बेहद जागरुक कर दिया है। हमें ऐसी फिल्में बनानी होगी जिससे आज का युवा उससे खुद को कनेक्ट कर सके। तभी फिल्मों की स्वीकार्यता भी होगी और सफलता भी मिलेगी।

फिल्म 'हंस झन पगली फंस जाबे

छत्तीसगढ़ी सिनेमा के दर्शकों को पसंद आयेगी
अरसे बाद छत्तीसगढ़ी फिल्मों के मशहूर निर्देशक सतीश जैन एक बार फिर फिल्म 'हंस झन पगली फंस जाबेÓ के निर्देशन को लेकर चर्चा में हैं। ऐसा माना जाता है कि सतीश जैन छत्तीसगढ़ी सिनेमा के दर्शकों की नब्ज समझते हैं। उनके द्वारा निर्देशित यह फिल्म आने वाले 14 जून को रिलीज होगी। इससे पहले 14 अप्रैल के इस फिल्म के गानों को यू-ट्यूब पर लांच किया जायेगा। इस फिल्म के निर्माता छोटेलाल साहू और कार्यकारी निर्माता टिकेश्वर प्रसाद साहू का कहना है कि यह फिल्म दर्शकों को पसंद आयेगी। पिछले दिनों इस फिल्म के पोस्टर का विमोचन एवीएम स्टूडियों में किया गया था। फिल्म में नायक के किरदार में अभिनेता मन कुरैशी और नायिका के रोल में  अभिनेत्री अनुकृति चौहान नजर आएंगी। फिल्म को पारिवारिक पुट देने के साथ ही इसमें रोमांस, कॉमेडी और एक्शन का भी समावेश किया गया है। फिल्म के अन्य कलाकारों में आशीष शैन्द्रे, पुष्पेन्द्र सिंह, डॉ. अजय सहाय, विक्रम राज, प्रदीप शर्मा, उपासना वैष्णव, अनुराधा दुबे, निशांत उपाध्याय, मनोज दीप, क्राति दीक्षित, हेमलाल कौशल, उषा विश्वकर्मा व अमित शर्मा शामिल हैं। संगीत सुनील सोनी ने दिया है। संवाद मनोज कुशवाहा ने किया है। कोरियोग्राफी निशांत उपाध्याय की है। फिल्म में एक्शन अरूण जॉनसन (तम्मी अन्ना) का है। फिल्म का छायांकन तोरण राजपूत और प्रोडक्शन डिजाइन आलेख चौधरी का है। बता दें सतीश जैन द्वारा निर्देशित फिल्में मोर छंईहा भुंइया, झन भूलो मां बाप ला, मया और लैला टिपटॉप छैला अंगूठा छाप जैसी फिल्में सुपरहिट रही हैं।

बस्तर को समझने के लिए प्रेरित करेगी फिल्म 'बाली फूल"


लंबे समय के बाद बस्तर की सुकुमारिता, वहां के प्राकृतिक सौन्दर्य और जंगलों की खूबसूरती को आधुनिक परिवेश से जोड़ते हुए छत्तीसगढ़ी फिल्म 'बाली फूल" बनने जा रही है। बहुत कम लोग जानते हैं कि 'बाली फूल" बस्तर के जंगलों में पैदा होने वाला फूल है जो बेहद कोमल होता है। लोग 'बाली फूल के शब्दार्थ को समझ सकें इसलिए इस फिल्म के नाम 'बाली फूल के साथ वेलकम टू बस्तर भी शामिल किया गया है।
इस फिल्म के निर्माता अजय अग्रवाल हैं और निर्देशन सूरज चन्द्र रथ कर रहे हैं। सालों पहले सूरज चन्द्र रथ ने 'आमचो बस्तरÓ नाम से लघु फिल्म बनाई है। आकृति फिल्म प्रोडक्शन के बैनर तले बन रही फिल्म का निर्देशन कर रहे श्री रथ ने ही इसकी पटकथा भी तैयार की है। श्री रथ का कहना है कि बस्तर की छवि देश और दुनिया में लगातार निगेटिव बनती जा रही है जबकि सच्चाई इससे कोसो दूर है। वह इस फिल्म के माध्यम से दुनिया के सामने बस्तर के सौन्दर्य को लाने और उसे समझाने की कोशिश करेंगे। उनका कहना है कि यह पूरी तरह से व्यावसायिक फिल्म होगी। इसमें प्रेम कहानी के साथ ही वर्तमान दौर के बस्तर, उसकी समस्याएं और समाधान के विषय को भी समावेशित किया गया है। फिल्म में छत्तीसगढ़ी फिल्म जगत से 55 कलाकार अपनी भूमिका निभाएंगे। इस फिल्म में नायक की भूमिका भुवनेश साहू और नायिका की भूमिका अंजलि ठाकुर तथा आस्था दयाल निभाएंगी। इस फिल्म में छह गानों का समावेश किया गया है। कोरियोग्राफी करन सिंह निहाल और डीओपी पुनीत सोनकर करेंगे।

छत्तीसगढिय़ा कलाकारों को वर्षों से नहीं हुआ भुगतान

अधिकारियों की पत्नियों पर संस्कृति विभाग मेहरबान,इस विभाग में मंत्री सिर्फ नाम के होते हैं  

छत्तीसगढ़ के संस्कृति विभाग के मंत्री भले ही ठेठ छत्तीसगढिय़ा नेता ही रहे. फिर चाहे वह दयालदास हो, अजय चंद्राकर हो या फिर वर्तमान मंत्री ताम्रध्वज साहू. असल में यहाँ मंत्रियों की कम अधिकारियों की ज्यादा चलती रही है. क्योंकि संस्कृति विभाग के हाथों सबसे ज्यादा कोई छले गए तो वो प्रदेश के प्रतिभावान लोक कलाकार, स्थानीय कलाकार, छत्तीसगढिय़ा कलाकार. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ का संस्कृति विभाग अक्सर विवादों में रहा, छत्तीसगढिय़ा कलाकारों के निशानों पर रहा.  इसका प्रमाणित तौर खुलासा भी हम यहाँ पर कर रहे हैं. हम आपको बता रहे हैं कि किस तरह से संस्कृति विभाग अधिकारियों की पत्नियों और बेटियों के साथ बाहरी कलाकारों पर मेहरबान रहा और कैसे स्थानीय कलाकारों को सालों बाद भी भुगतान नहीं हो रहा है. अब तो बकायदा एक बैनर भी ऑफिस में मौजूदा संचालक अनिल साहू ने भुगतान को लेकर एक टंगवा दिया है.सबसे पहले आप इस बैनर को देखिए इस पर जो लिखा है उसे पढि़ए। इस बैनर में लिखा है कि लंबित भुगतान को लेकर कलाकार परेशान न करे. संचालक अनिल साहू ने इस तरह का साफ निर्देश जारी कर एक तरह से स्थानीय कलाकारों को चेतावनी दे दी है. अब जरा सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त इन दस्तावेजों में इन नामों को देखिए। ये नाम है यास्मिन सिंह, पूर्णश्री राउत और अंकिता राउत। यास्मिन सिंह के पति अमन सिंह हैं तो पूर्णश्री राउत के पति एम.के राउत. अमन सिंह और एम.के राउत दो ऐसे अधिकारी रहे हैं जिनकी तूती पूर्व सरकार में खूब बोलती रही है. यही वजह है कि संस्कृति विभाग पूर्व अधिकारियों के इन पत्नियों और बेटी पर खुलकर मेहरबान नजर आई. ये और बात है कि संस्कृति विभाग उनता ही उपेक्षा छत्तीसगढिय़ा कलाकारों की है.
हमारे पास मौजूद आरटीआई से मिले दस्तावेज यह साफ बताते हैं कि किस तरह से अधिकारियों की मनमानी छत्तीसगढ़ में होने वाले सांस्कृतिक समारोह में चलती रही है. यहाँ पर आज हम आपको सिर्फ चक्रधर समारोह का आंकड़ा दिखाने जा रहे हैं. आप एक समारोह से ही समझ लीजिए कि असल में छत्तीसगढिय़ा कलाकार कैसे अधिकारियों के हाथों छले जाते रहे हैं, ठगे जाते रहे हैं.

2016 में हुए 32वाँ चक्रधर समारोह का दस्तावेज देखिए
एम. के राउत और पूर्णश्री राउत की बेटी अंकिता राउत ने ओडि़सी नृत्य की प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान हुआ 1 लाख 50 हजार रुपये, वहीं अमन सिंह की पत्नी यास्मिन सिंह ने कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान हुआ 1 लाख 68 हजार रुपये, वहीं मुंबई की सूफी गायिका ऋचा शर्मा ने अपनी प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान किया 11 लाख 80 हजार रुपये, इस समारोह में कुल 22 कार्यक्रम हुए लेकिन लोक रंग पर आधारित छत्तीसगढ़ी पर सिर्फ 1 कार्यक्रम हुआ, छत्तीसगढ़ी में प्रस्तुति दी पद्मश्री ममता चंद्राकर ने. इन्हें भुगतान किया गया 1 लाख 10 हजार रुपये.

2017 में हुए 33वाँ चक्रधर समारोह के दस्तावेज देखिए
अमन सिंह की पत्नी यास्मिन सिंह ने कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान हुआ 1 लाख 50 हजार रुपये, वहीं एम.के. राउत की पत्नी पूर्णश्री ने ओडि़सी नृत्य की प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान किया गया 2 लाख रुपये, जबकि मुंबई की कलाकार रेखा भारद्धाज ने गायन की प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान किया गया 12 लाख 87 हजार 6 सौ 47 रुपये, वहीं इस समारोह में कुल 39 कार्यक्रम हुए. लेकिन छत्तीसगढ़ी पर आधारित कार्यक्रम हुए बीते साल की तरह सिर्फ 1. छत्तीसगढ़ी में लोकरंग की प्रस्तुति दी कविता वासनिक. इन्हें भुगतान किया गया 1 लाख रुपये।

सोमवार, 6 मई 2019

बहुत मार खा लिया ,अब थप्पड़ मत मरवाना

आखिर में हीरो मन कुरैशी को डायरेक्टर से कहना पड़ा

जी हाँ! यह मजेदार वाक्या है फिल्म "आई लव यू टू" का.इस फिल्म में हीरोइन हीरो को एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों थप्पड़ मारती है. थप्पड़ खा खाकर हीरो मन कुरैशी इतने परेशान हो गया था की डायरेक्टर उत्तम तिवारी से कहने लगे डायरेक्टर साहब बहुत थप्पड़ खा लिया अब थप्पड़ नहीं मरवाना। मन कुरैशी की बात सुनकर यूनिट में मौजूडी सभी लोग हंस पड़े. फिर भी डायरेक्टर उत्तम तिवारी ने उसके बाद के सीन में भी थप्पड़ मरवा ही दिया। इस फिल्म में हीरो को इतने थप्पड़ पड़े है शायद ही किसी फिल्म में हीरो को पड़े होंगे। बचपन में हीरोइन की किरदार निभा रही सानवी सुंदरानी हीरो को थप्पड़ मारती है तो बड़े होकर मुस्कान साहू हीरो मन कुरैशी को थप्पड़ मारती है. यही थप्पड़ फिल्म का अहम् हिस्सा बन चुका है. फिल्मं  "आई लव यू टू" एक मजेदार कॉमेडी और नारी शक्ति का एहसास कराने वाली फिल्म है जिसमे मन कुरैशी और मुस्कान साहू की जोड़ी ने काफी धमाल मचाया है. इस फिल्म में सब कुछ है जो दर्शकों को पसंद आएगी। मन कुरैशी की शानदार कलाकारी तो मुस्कान साहू की प्यार भरा अदा सबको भाएगी। सान्वी सुंदरानी, उर्वशी साहू, उपासना वैष्णव, संजू साहू, रजनीश झांजी, प्रदीप शर्मा सबने बेहतर कला का प्रदर्शन किया है.
सानवी ने सच में जड़ दिया थप्पड़
छालीवुड के भीष्म पितामह मोहन सुंदरानी की पोती सानवी सुंदरानी नायिका के बचपन का रोल की है. बेहद ही उम्दा कलाकार है. जब एक सीन में हीरो को थप्पड़ मारने की बारी आई तो सानवी ने सच में ही हीरो के बाल कलाकार को थप्पड़ जड़ दिया था. यह सीन एक बार में ही ओके हो गया लेकिन सब हैरान रह गए थे.