कॉमेडी, एक्शन, रोमांस के साथ सशक्त संदेश देता है
फिल्म समीक्षा - अरुण बंछोर
एक के बाद एक हिट फिल्मों की लाइन लगा देने वाले मनोज वर्मा की सबसे कसी हुई फिल्म है महुँ कुंवारा तहँ कुंवारी । इसका एक-एक सीन किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है। कमर्शियल जोन में एंटरटेनर फिल्म बनाना सबसे मुश्किल काम होता है। कमर्शियल फिल्म का फॉर्मूला साफ है, एक नायक होता है जो सुपर हीरो होता है, एक नायिका होती है जो हीरो के साथ गाने गाती है और एक खलनायक होता है जिस पर जीत हासिल करके हीरो हीरो बनता है। लेकिन इस फॉर्मूले पर भी लगातार नयापन देते हुए मनोरंजक फिल्म बनाना एक बहुत मुश्किल काम है लेकिन मनोज वर्मा ने यह कर दिखाया है. दो हीरो को लेकर एक ऐसी फिल्म बनाई है जो शुरू से अंत तक दर्शकों को बोर नहीं होने देती। सन्देश है कुंवारा लोगों को जो समस्याएं जीवन में आती है उसका नजारा। कॉमेडी के माध्यम से सारी समस्याएं कहती है फिल्म और समस्याओं का हल करने के लिए तिकड़मबाजी जो दिखाया गया है वह काबिलेतारीफ है. भूमिका निभाने में आकाश सोनी सब पर भारी है. लड़की के किरदार को जीने का अंदाज भी शानदार है. महुँ कुंवारा तहँ कुंवारी की कहानी में भले ही नयापन ना हो मगर एक अलग ट्रीटमेंट के साथ मनोज वर्मा ने पूरी तरह मनोरंजक फिल्म बनाई है। फिल्म के एक-एक फ्रेम पर उनकी पकड़ साफ नजर आती है। फिल्म की भव्यता के लिए जाने जाने वाले मनोज वर्मा ने इस फिल्म को भी भव्यता की चरम पर लाकर खड़ा किया है।
फिल्म देती है सशक्त संदेश
फिल्म में कॉमेडी है, एक्शन है, रोमांस है और साथ ही साथ एक सशक्त संदेश भी है। अभिनय की बात करें तो एक कदम आगे जाते आकाश को स्क्रीन पर देखते ही बनता हैद्य वह इमोशन हो या फिर कॉमेडी एक्शन आकाश हर पहलू पर 100 प्रतिशत खरे उतरते हैं। उनके इस यादगार परफॉर्मेंस से एक बात तय हो गई कि महुँ कुंवारा तहँ कुंवारी का सफर यहां नहीं रुकेगा। एल्सा घोष छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक नायाब तोहफा बनकर आई हैं जिसे उन्होंने इस फिल्म से साबित कर दिया है। निशांत उपाध्याय एक अलग अंदाज में नजर आते हैं। उनको देखकर एहसास होता है यह पात्र सचमुच इतना खतरनाक हो सकता है,साथ ही उतना ही मानवीय भी। पुष्पेंद्र सिंह ने भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। टेक्सी ड्रायवर बने संजय महानंद अपने किरदार को एक अलग स्तर पर ले जाते हैं। उनके एक्शन डायलॉग डिलवरी सब कुछ बेहतर है. संजय सिद्ध करता है कि वो सच में एक सुलझे हुए कलाकार हैं. माहिरा खान अनुराधा दुबे , सरला सेन , देवेंद्र पांडे समेत बाकी सभी कलाकारों ने अपने अपने किरदारों में जान फूंकी है। कमर्शियल सिनेमा के रग रग से वाकिफ हो चुके मनोज वर्मा ने नए कलाकारों की एंट्री करा कर एक्स्ट्रा तालियों और सीटियों का इंतजाम कर लिया। नए अभिनेता आकाश को देख कर आप खुद को सीटी बजाने से नहीं रोक पाएंगे। संगीतकारों ने शानदार संगीत दिया है। सिनेमैटोग्राफी फिल्म को ना सिर्फ भव्य बनाती है बल्कि मंत्रमुग्ध कर देती है। कुल मिलाकर महुँ कुंवारा तहँ कुंवारी एक बेहतरीन मनोरंजक फिल्म है जिसका आनंद आप सपरिवार उठा सकते हैं। कहानी हम नहीं बता रहे हैं इसके लिए आपको सिनेमाघरों तक जाना होगा। बस इतना कह सकतें हैं की फिल्म एक बार नहीं बार बार देखने लायक है.
फिल्म समीक्षा - अरुण बंछोर
एक के बाद एक हिट फिल्मों की लाइन लगा देने वाले मनोज वर्मा की सबसे कसी हुई फिल्म है महुँ कुंवारा तहँ कुंवारी । इसका एक-एक सीन किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है। कमर्शियल जोन में एंटरटेनर फिल्म बनाना सबसे मुश्किल काम होता है। कमर्शियल फिल्म का फॉर्मूला साफ है, एक नायक होता है जो सुपर हीरो होता है, एक नायिका होती है जो हीरो के साथ गाने गाती है और एक खलनायक होता है जिस पर जीत हासिल करके हीरो हीरो बनता है। लेकिन इस फॉर्मूले पर भी लगातार नयापन देते हुए मनोरंजक फिल्म बनाना एक बहुत मुश्किल काम है लेकिन मनोज वर्मा ने यह कर दिखाया है. दो हीरो को लेकर एक ऐसी फिल्म बनाई है जो शुरू से अंत तक दर्शकों को बोर नहीं होने देती। सन्देश है कुंवारा लोगों को जो समस्याएं जीवन में आती है उसका नजारा। कॉमेडी के माध्यम से सारी समस्याएं कहती है फिल्म और समस्याओं का हल करने के लिए तिकड़मबाजी जो दिखाया गया है वह काबिलेतारीफ है. भूमिका निभाने में आकाश सोनी सब पर भारी है. लड़की के किरदार को जीने का अंदाज भी शानदार है. महुँ कुंवारा तहँ कुंवारी की कहानी में भले ही नयापन ना हो मगर एक अलग ट्रीटमेंट के साथ मनोज वर्मा ने पूरी तरह मनोरंजक फिल्म बनाई है। फिल्म के एक-एक फ्रेम पर उनकी पकड़ साफ नजर आती है। फिल्म की भव्यता के लिए जाने जाने वाले मनोज वर्मा ने इस फिल्म को भी भव्यता की चरम पर लाकर खड़ा किया है।
फिल्म देती है सशक्त संदेश
फिल्म में कॉमेडी है, एक्शन है, रोमांस है और साथ ही साथ एक सशक्त संदेश भी है। अभिनय की बात करें तो एक कदम आगे जाते आकाश को स्क्रीन पर देखते ही बनता हैद्य वह इमोशन हो या फिर कॉमेडी एक्शन आकाश हर पहलू पर 100 प्रतिशत खरे उतरते हैं। उनके इस यादगार परफॉर्मेंस से एक बात तय हो गई कि महुँ कुंवारा तहँ कुंवारी का सफर यहां नहीं रुकेगा। एल्सा घोष छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक नायाब तोहफा बनकर आई हैं जिसे उन्होंने इस फिल्म से साबित कर दिया है। निशांत उपाध्याय एक अलग अंदाज में नजर आते हैं। उनको देखकर एहसास होता है यह पात्र सचमुच इतना खतरनाक हो सकता है,साथ ही उतना ही मानवीय भी। पुष्पेंद्र सिंह ने भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। टेक्सी ड्रायवर बने संजय महानंद अपने किरदार को एक अलग स्तर पर ले जाते हैं। उनके एक्शन डायलॉग डिलवरी सब कुछ बेहतर है. संजय सिद्ध करता है कि वो सच में एक सुलझे हुए कलाकार हैं. माहिरा खान अनुराधा दुबे , सरला सेन , देवेंद्र पांडे समेत बाकी सभी कलाकारों ने अपने अपने किरदारों में जान फूंकी है। कमर्शियल सिनेमा के रग रग से वाकिफ हो चुके मनोज वर्मा ने नए कलाकारों की एंट्री करा कर एक्स्ट्रा तालियों और सीटियों का इंतजाम कर लिया। नए अभिनेता आकाश को देख कर आप खुद को सीटी बजाने से नहीं रोक पाएंगे। संगीतकारों ने शानदार संगीत दिया है। सिनेमैटोग्राफी फिल्म को ना सिर्फ भव्य बनाती है बल्कि मंत्रमुग्ध कर देती है। कुल मिलाकर महुँ कुंवारा तहँ कुंवारी एक बेहतरीन मनोरंजक फिल्म है जिसका आनंद आप सपरिवार उठा सकते हैं। कहानी हम नहीं बता रहे हैं इसके लिए आपको सिनेमाघरों तक जाना होगा। बस इतना कह सकतें हैं की फिल्म एक बार नहीं बार बार देखने लायक है.
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