बुधवार, 17 मार्च 2021

छालीवुड का दमदार और बेताज बादशाह है करण खान

 11 बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, 40 फ़िल्में, निर्देशन में भी माहिर, चार भाषाओं के जानकार

जन्मदिन पर विशेष - अरुण कुमार बंछोर
छालीवुड में करन खान का नाम ऐसे अभिनेता के तौर पर शुमार किया जाता है जिन्होंने करीब दो दशक से अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के बीच अमिट पहचान बनायी है और आज किसी फिल्म में उनका होना ही सफलता की गारंटी माना जाता है। जब भी दमदार अभिनय की बात आती है तो ऐसे अभिनेताएं की लिस्ट में करण खान का नाम सबसे ऊपर होता है। वे ऐसे एक्टर हैं जो अपने रोल में पूरी तरह से रच-बस जाते हैं और फिर कमाल के अभिनय से फिल्म को सुपर-डुपर हिट करवा देते हैं। छॉलीवुड के इस सुपर स्टार करण खान का आज 18 मार्च को जन्मदिन है। उनके जन्मदिन पर हम उनके प्रसशंकों को उनसे रूबरू कराते हैं. वे धरोहर है छालीवुड का, वैसे तो उनके बारे में बताने की जरुरत नहीं है. वे अपने आप में परिचय है. उन्हें चार भाषाओं हिन्दू, उर्दू, इंग्लिश, छत्तीसगढ़ी का अच्छा ज्ञान है.2003 से 2020 तक 11 बार वे सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का खिताब अपने नाम कर चुके है. स्व. सैय्यद जफ़ऱ अली और श्रीमती शमशाद बेगम के पुत्र करण खान का असली अनाम सैय्यद ताहिर अली है और उनकी दो बेटियां - अनाबिया अली , आरोश अली है. छत्तीसगढ़ में थियेटर कम होने से ये सुपर स्टार काफी चिंतित हैं.
छालीवुड का चमकता सितारा, निर्देशन भी किया
करण खान छालीवुड का एक ऐसा सितारा हैं जिसने पर्दे पर जिस भी रोल को निभाया उसे बड़ी शिद्दत से अभिनय किया। करण खान ने किरदार को निभाने के लिए जब-जब कुछ नया किया एक कहानी बन गई। करण ऐसे कलाकार के तौर पर जाने जाते हैं जो अपने किरदारों की सच्चाई और उन्हें अपने ही अलग अंदाज से दर्शकों के सामने परोसने का हुनर जानते हैं। वे लगभग हर फिल्म में ही अपने साथ एक्सपेरिमेंट करते रहते हैं।करण खान की अगली फिल्म है कुरुक्षेत्र, जिसकी शूटिंग अभी कसडोल में चल रही है. उन्होंने करीब 40 फिल्मे करने के बाद तीन फिल्मो का निर्देशन भी किया है. फिल्मो का सफर उनका लंबा है लेकिन मैं दबंग देहाती फिल्म की शूटिंग से लेकर फिल्म के टाकीज में आने तक उनके साथ था. बहुत ही मिलनसार, अनुभवी और मेहनती अभनेता है. जब इस फिल्म का निर्माण शुरू हुआ तब उन्होंने कहा था कि फिल्म को 55 दिनों में शूट करके प्रदर्शित कर दूंगा और 52 दिनों में फिल्म दबंग देहाती को रिलीज कर उन्होंने सच कर दिखाया था. करण खान 11 बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का खिताब जीत चुके हैं.
थियेटर से की कॅरियर की शुरुआत


करण खान ने इप्टा से अपने कॅरियर की शुरुआत की फिर एल्बम के माध्यम से कई कश्हूर गानों पर अपना जौहर दिखाया। उनकी कई फिल्मों ने 50 और 100 दिनों तक टाकीजों में परचम लहराया। स्व. सैय्यद जफ़ऱ अली और श्रीमती शमशाद बेगम के पुत्र करण खान का असली अनाम सैय्यद ताहिर अली है और उनकी दो बेटियां - अनाबिया अली , आरोश अली है. कुरुक्षेत्र के मुहूर्त पर जब हमने बेटी अनाबिया अली से पूछा तो उनका साधा हुआ जवाब था कि वे एक अच्छी डाक्टर बनकर लोगों और देश की सेवा करना चाहती है.करण खान का कहना है कि वे छत्तीसगढ़ की संस्कृति और फिल्मों के प्रचार प्रसार के लिए जो भी होगा, वे जरूर करते रहेंगे। उन्हें अभिनय और स्टाइल से जाना जाता हैं। उन्होंने अब तक अपने आप को इतना फिट रखा हैं कि उनको लोग देखते ही रह जाते हैं. उनके कपड़े पहनने का अंदाज़ भी अलग हैं.
हिन्दी फिल्मों से कम नहीं छत्तीसगढ़ी फिल्म
करण खान कहते है कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा किसी भी दृष्टि में हिन्दी फिल्मों से कमतर नहीं है बस सरकार थोड़ा सा सहयोग कर दे कि हर बीस किलोमीटर की दूरी में एक थियेटर खोलने में मदद कर दे। छत्तीसगढ़ सिनेमा के पचास साल के कालखंड पर वो कहते है कि पहले 35 साल में दो ही फिल्मे बनी फिर सतीश जैन की मोर छईयां भुईंया ने जो रास्ता खोला तब से धारा बह रही है छत्तीसगढ़ी फिल्मों के इतिहास में पहले दशक में सौ से ज्यादा फिल्मों बनी है और उनमें बीस से ज्यादा में करन खान है। यानी हर पांचवी फिल्म उनके अभिनय से सजी हुई। मोर गंवई गांव,जरत हे जिया मोर, तोर मया के मारे, बैर,तीजा के लुगरा, ए मोर बांटा, छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा तोर मया म का जादू हे, मया होगे रे, करम के लेखा, मोरगांव किस्मत के खेल, तोला ले जाऊ उडि़रिया, मितान 420, भांवर, अजब जिनगी गजब जिनगी, बंधना, दगाबाज , मोही डारे, लैला टिपटाप छैला अंगूठा छाप, जो भोजपुरी में डब होकर लैला माल बा छैला धमाल बा में भी सुपरहिट रही बाप बड़े नाभ भइया सबले बड़े रुपइया भी अच्छी फिल्म है। सन 1994 में इप्टा के नाटक से एक्टिंग का जो सफल शुरु हुआ वो छत्तीसगढ़ी एलबम से फिल्मों तक जारी है।
सर्वाधिक 11 बार छत्तीसगढ़ी सिने अवार्ड
करन खान छत्तीसगढ़ी सिनेमा के ऐसे अभिनेता है जिन्होने किस्मत के खेल और लैला टिपटाप छैला अंगूठा छाप में डबल रोल कि ये इस के अलावा सर्वाधिक 11 बार छत्तीसगढ़ी सिने अवार्ड के विजेता में भी उनका नाम शुमार है। सन् 2003 में रंग झांझर ने जरत हे जिया मोर के लिये सबसे पहले सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरूस्कार दिया उसके बाद 2004 में बहुरंग ने तोर मया के मारे के लिये 2011 में एबेलान ने लैला टिपटाप छैला अंगूठा छाप 2013 में एबेलान ने दगाबाज, 2013 मेें फिल्मी छत्तीसगढ़ी ने लैला टिपटाप छैला अंगूठा छाप 2014 में ही फिल्मी छत्तीसगढ़ी में तोला ले जाऊं उड़रिया के लिये तो 2012 में रंग झांझर ने मितान 420 में और 2020 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवार्ड छालीवुड स्टारडम ने दिया। उन्हें अक्कीनेनी नागेश्वर राव दक्षिण भारतीय फिल्मो के सुपर स्टार के नाम पर सम्मान मिलना भी उपलब्धि ही कही जायेगी।
छालीवुड को आत्म निर्भर बनाने में एलबम का बड़ा योगदान

करन खान बताते है की छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्रीज को आत्म निर्भर बनाने में छत्तीसगढ़ी एलबम का बड़ा योगदान रहा। सन 2003 में झन भुलव मां बाप के बाद जब छत्तीसगढ़ी फिल्मों पर ब्रेक लगा तब एलबम का दौर शुरु हुआ। ये समय ऐसा था जब छत्तीसगढ़ी के ही कलाकार ,तकशियनों को मौका मिला। इससे पहले मुंबई की यूनिट छत्तीसगढ़ी आती थी और तब बहुत भेदभाव भी होता था एलबम यहां बनने लगे तो को रियोग्राफर कैमरामैन मेकअप आर्टिस्ट, लाईटमेन और प्रोडक्शन से जुड़े लोग धीरे धीरे पारंगत हो गये और यही लोग बाद में पुन: छत्तीसगढ़ी फिल्मों का दौर शुरु होने पर छालीवुड को आत्मनिर्भर बनाने में कारगर साबित हुये। श्री खान नाटक के दौर को भी याद करते है कि राही मासूम रजा के टोपी शुक्ला को देख कर प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर भी भाव विभोर हो गये है और उन्होने इसे मुंबई में भी आोयजित करवाया था। करन खान छत्तीसगढ़ी एलबम के दौर में भी सुपर स्टार रहे है। अब तक हजार से भी ज्यादा गीतों में अभिनय का रिकार्ड है देश विदेश में सुपरहिट गुलाबी कली केटूरा न जाने रे के साथ ही झोटू राम बना दिये , संतरंगी रे में दो गीत प्रेम चंद्राकर के का तै जादू करे, का तै मोहनी डारे सहित सतीश जैन के एक मात्र एलबम मया के बुखार में चार गानों में नृत्य किया। दुकालू यादव के का तोला माने दाई और गोरेलाल बर्मन के मोला बईयां बना के छोड़ देबे का जैसे सुपरहिट गानों से करन खान को लोकप्रियता मिली। छत्तीसगढ़ी फिल्म विकास निगम और छत्तीसगढ़ी फिल्मों के विकास के लिये वे यही कहते है कि हमारी बहुत ज्यादा मांगे नहीं है बस सरकार यहां टाक़ीज खोलने में थोड़ी सी सहायता कर दे तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों की गंगा बहने लगेगी। उम्मीद है अब सरकार इस दिशा में ठोस और त्वरित कदम उठायेगी।
पहला बायोपिक फिल्म भी करण के नाम

छत्तीसगढ़ी नाचा पार्टी के जनक दुलार सिंह के जीवनी पर बनी प्रदेश की पहली बायोपिक फिल्म" मंदराजी "भी करन खान के खाते में ही गया है. दाऊ मंदिर जी के किरदार में सुपर स्टार करन खान ने बेजोड़ अभिनय किया है फिल्म में दर्शक छत्तीसगढ़ी नाचा पार्टी के जनक दुलार सिंह मंदराजी के जीवन और नाचा के क्षेत्र में किये गये उनके अमूल्य योगदान को देख पाएं और जान पाए। मंदराजी छत्तीसगढ़ की पहली बायोपिक फिल्म है। दुलार सिंह ने अपनी कला के माध्यम से छत्तीसगढ़ी नाचा को देश और दुनिया में एक नई पहचान दी है।
इनकी बहुचर्चित फि़ल्में
तीजा के लुगरा , छत्तीसगढ़ीया सबले बढिया, ए मोर बांटा, मंदराजी, ससुराल, बेनाम बादशाह, लैला टीपटाप छैला अंगूठा छाप, राधे अंगूठा छाप,मोही डारे , सिधवा सजन, तोला ले जाहूं उडरिया, तो मया माँ जादू हे, किस्मत के खेल, दबंग देहाती ,टिकट टू छालीवुड, दगाबाज, ऑटो वाले भांटो, बंधना, मोर भाई नंबर , छत्तीसगढ़ के हेंडसम, तोर मया के मारे, मितान 420,बाप बड़े न भैय्या सबले बड़े रुपैय्या, अजब जिनगी गजब जिनगी।
करन की 'बेनाम बादशाह देखकर रो पड़े थे दर्शक

करन खान की वर्ष 2020 में साल के शुरूआत में रिलीज हुई बेनाम बादशाह देखकर कई दर्शकों की आंखे भर आई थी। ये भी तो करन खान की अदाकारी का ही जलवा है, जो जिन्होंने परदे पर जीवंत किया था। जब फिल्म देखकर निकले दर्शकों की प्रतिक्रिया जानना चाही तो कई दर्शकों की आंखें भर आई थी। वो भरभराए आवाज में सिर्फ इतना ही कह पाए कि फिल्म अच्छी है। इसके अलावा कुछेक दर्शक तो सिर्फ आंसू ही लिए हुए थे, कुछ कह ही नहीं पाए। तो आखिर फिल्म की कहानी में काफी दम तो है, कि वो दर्शकों को इतना पसंद आई कि वो अपने भावनाओं को रोक नहीं सके और आंसूओं के रूप में निकल आए। बेनाम बादशाह जैसा कि नाम से ही पता चलता है, ऐसा शख्स जो अपने वसूलों पर चलता हो।
फिल्म 'तू मेरा हीरो
छत्तीसगढ़ी फिल्म मेकर अनुपम वर्मा ने अपनी आगामी फिल्म 'तू मेरा हीरो के लिए करण खान और मुस्कान साहू के नाम का ऐलान कर रखा है.करण खान अनुपम वर्मा की पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म 'मोही डारे में भी काम कर चुके हैं। इन दिनों करण खान और मुस्कान की जोड़ी को रुपहले पर्दे पर खासा पसंद किया जा रहा है। करण खान जहां छत्तीसगढ़ी सिनेमा के जाने-माने एक्टर हैं, वहीं मुस्कान भी प्रणव झा प्रोडक्शन की फिल्मों में अभिनय कर लोगों का दिल जीत चुकी हैं।
महाराष्ट्र के निर्माताओं के साथ
करण खान तीजा के लुगरा , छत्तीसगढ़ीया सबले बढिया (निर्माता निर्देशक विजय राजन जी महाराष्ट्र) ए मोर बांटा (निर्माता नागपुर महाराष्ट्र) मंदराजी( नाचा के भीष्म )(निर्माता निर्देशक महाराष्ट्र) और उसके बाद सन 2018 में पहली बार दूसरे राज्य झारखंड में छत्तीसगढ़ी फिल्म महोत्सव का सेहरा भी करन खान के सिर पर ही बंधा। जबकि प्राय: छत्तीसगढ़ी फिल्मी लोग अपनी फिल्मों को या अपने आप को प्रमोट करने में लगे हैं , ऐसे में सुपर स्टार करन खान ही एकमात्र ऐसे कलाकार हैं जो कि छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री को छत्तीसगढ़ से बाहर विस्तार देने की पहल और प्रयास कर रहे हैं। उनका यह प्रयास राजनीतिक दलों से और छोलीवुड की राजनीतिक उठापटक से दूर रहते हुए नि:स्वार्थ सिर्फ छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री को प्रमोट करने का उद्देश्य है.

गुरुवार, 4 मार्च 2021

किसी के सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ी और ना कभी काम की कमी रही

 बॉलीवुड अभिनेता अमन वर्मा से अरुण बंछोर की ख़ास चर्चा

छोटे पर्दे के जाने-माने अभिनेता अमन वर्मा कई मशहूर टीवी शोज के साथ-साथ बॉलीवुड फिल्मों का भी हिस्सा रह चुके हैं। बीते दिनों उन्होंने बिग बॉस पर तीखी प्रतिक्रिया देकर जबरदस्त सुर्खियां बटोरी थीं। अमन वर्मा ने 1983 में फिल्म ‘पचपन खंभे लाल दीवारें’ से अपना एक्टिंग डेब्यू किया था। इसके बाद वो ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’, ‘कुमकुम’, ‘इस जंगल से मुझे बचाओ’ जैसे शो में नजर आ चुके हैं। वो अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म ‘बागबान’ में भी काम कर चुके हैं। इसके अलावा अब वो अपने ओटीटी डेब्यू के लिए भी तैयारी कर रहे हैं।


उनका मानना है कि इस शो के जरिए किसी का करियर नहीं बनता सिर्फ कुछ महीनों तक चर्चा रहती है। उनसे एक फैशन शो के दौरान कई विषयों पर खुलकर चर्चा हुई। अपने एक्टिंग को लेकर उन्होंने हमसे खुलकर बातें की हैं। इस दौरान उन्होंने ये भी बताया कि किस तरह टीवी इंडस्ट्री में एक एक्टर का करियर शो के खत्म होते ही 6-7 साल के स्पैन में खत्म हो जाता है। अमन वर्मा ने ये भी साफ किया है कि उन्हें किसी के सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ी और कभी भी काम की कमी नहीं रही। उन्होंने कहा- ‘मैंने जो कुछ भी किया है, मुझे उसे लेकर कोई पछतावा नहीं है क्योंकि मैंने उसे अपना 100 प्रतिशत दिया है। मैं मुंबई में 23-24 साल से सर्वाइव कर रहा हूं। और आज भी मेरे लिए काफी काम है और अच्छी चीजें हो रही हैं’। उन्होंने आगे कहा- ‘टीवी के शो में क्या होता है कि 6 से 7 साल के स्पैन में, आपका पूरा करियर खत्म हो जाता है। आप एक शो के साथ आते हैं, शो खत्म हो जाता है और आप भी खत्म हो जाते हैं। लेकिन मैं कभी भी ऐसा एक्टर नहीं रहा हूं जिसे सपोर्ट की जरूरत पड़ी है। मुझे एक प्रोजेक्ट के बाद दूसरा मिलता गया’।

प्रतिभा हो तो संघर्ष से न घबराएं
इसके पहले अमन वर्मा ने प्रेस से बात करते हुए कहा कि मुंबई की चकाचौंध और फिल्मी स्टार की लोकप्रियता से युवा भी ऊंची उड़ान भरना चाहते हैं और फिल्मों में काम करना चाहते हैं। यह इतना आसान नहीं है, जितना युवा समझते हैं। जो कलाकार आज कामयाबी की बुलंदियों को छू रहे हैं, उन्होंने काफी संघर्ष किया है, यूं ही स्टार नहीं बने हैं। छत्तीसगढ़ के युवाओं में भी प्रतिभा है, यदि कामयाबी हासिल करना चाहते हो, तो इसके लिए संघर्ष करना होगा। आपमें प्रतिभा हो तो जरूर मुंबई आएं और हालातों से संघर्ष करें। शुरुआत में काम न मिले तो निराश न हों। आपमें जितनी प्रतिभा होगी, उतनी तरक्की करते जाएंगे। आपकी प्रतिभा और आपका संघर्ष ही आपको मंजिल तक ले जाएगा। एक सवाल के जवाब में अमन वर्मा ने कहा कि कोई कितना भी प्रतिभाशाली हो, उसे घर बैठे काम नहीं मिलता। टीवी, फिल्मों में पहचान बनाने के लिए युवाओं को काम चाहिए, तो निरंतर संपर्क बढ़ाएं। संघर्ष करने से न घबराएं। आपके पास दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो और प्रतिभा हो तभी मुंबई में रहें, देरसबेर मेहनत का फल अवश्य मिलेगा।राजधानी में छत्तीसगढ़ फैशन फ्यूजन आयोजन के सिलसिले में आए प्रसिद्ध कलाकार अमन वर्मा ने कहा कि वह छत्तीसगढ़ फैशन फ्यूजन को बढ़ावा देने आए हैं। इससे फैशन के क्षेत्र में जाने वाली युवतियों को एक नया मंच मिलेगा। जो लोग मुंबई, दिल्ली और विदेशों में होने वाले आयोजनों में भाग लेकर अपनी पहचान बनाना चाहते हैं, उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा। अश्लील वेब सीरीज का बोलबाला होने और इस पर प्रतिबंध लगाने की सुगबुगाहट के सवाल पर अमन वर्मा ने कहा कि विश्वभर में दर्शक क्या देखना चाहते हैं, इसका फैसला चंद लोग नहीं ले सकते। यह दर्शकों पर निर्भर करता है कि वे क्या देख रहे हैं। मोबाइल पर कंट्रोल करना दर्शकों के हाथ में हैं।दर्शक जो देखना चाहेगा, वह देखेगा, जो पसंद नहीं है, वह नहीं देखेगा। यह तो इंटरटेनमेंट का मामला है। बागबां फिल्म में मतलबी बेटे का किरदार निभाने वाले अमन वर्मा का कहना है कि फिल्म बागबान में मेरा किरदार देखकर लोग तंज कसते थे, कैसा अनालायक बेटा है जो अपनी माँ को घर से निकाल दिया। यह निगेटिव रोल मेरे लिए बेहतर साबित हुआ। इससे मुझे अलग पहचान मिली। आज मैं उस मुकाम पर हूँ जो मैं चाहता था.

शोषण तो हर जगह है 

अभिनेता अमन वर्मा ने यह भी कहा कि शोषण तो हर जगह है। बस समझने की जरूरत है। कौन व्यक्ति किसी बात को किस रूप में लेता है। यह बात भी कहीं न कहीं ठीक है कि बालीवुड में जाने से पहले जिनके रिश्ते अभिनेता व अन्य लोगों से अच्छे होते हैं उनको अवसर आसानी से मिल जाते हैं। बाकी अपने बलबूते पर जाने वालों को कठिन मेहनत नहीं तपस्या करनी पड़ती है, तब जाकर कोई अवसर मिल पाता है।