शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

फिल्म ही मेरी जिंदगी है : सलीम अंसारी

  हर भूमिका मुझे पसंद है  
 छत्तीसगढ़ के सबसे सीनियर कलाकार सलीम अंसारी छालीवुड की शान है। ऐसा कोई नहीं है जो उन्हें अपना
आदर्श नहीं मानता हो। दर्शकों को वे रुलाना जानते हैं तो हंसाना भी बखूबी जानते है। कॉमेडी से लेकर विलेन तक की भूमिका निभा चुके सलीम अंसारी अपने रोल से सभी को संतुष्ट करते हैं। छत्तीसगढ़ी फिल्मो के अलावा सलीम जी भोजपूरी और हिन्दी फिल्मे भी कर चुके हैं। भोजपुरी फिल्म तहलका हमरे नाव की शूटिंग के दौरान समय निकालकर सन स्टार के दफ्तर आये तो हमने उनसे हर पहलूओं पर बेबाक बात की।
छत्तीसगढ़ी फिल्मो की क्या संभावनाएं हैं?
जब तक टेक्नीकल क्षेत्र में एक्सपर्ट लोग नहीं होंगे तब तक ऐसी ही कमजोर फिल्मे बनती रहेंगी। यहां जिसे जो नहीं आता वही करते हैं । गायक निर्देशक बन जाता है। कोई भी फाइट मास्टर बन जाता है। आप अंदाज लगा ले कैसी फिल्मे बनेंगी। छालीवुड की संभावनाएं अच्छी है पर फिल्मे अच्छी नहीं बन रही है।
छत्तीसगढ़ी सिनेमा अच्छा व्यवसाय करे इसके लिए क्या कर सकते हैं?
यहां फिल्मे कमजोर बन रही है । फिल्मे नहीं चल पाती इसकी वजह भी हैं और वो सब जानते हैं कि पिछड़े हुए राज्य में टॉकीजों का विकास नहीं होना। प्रमोशन और प्रचार प्रसार जब तक नहीं होगी फिल्मो का चलना मुश्किल है। छत्तीसगढ़ में मिनी टॉकिजों की बड़ी आवश्यकता है जहां छत्तीगसढ़ी फिल्मों के दर्शक आसानी से पहुंच सके। प्रचार प्रसार की कमी है।
 आप इस क्षेत्र में कैसे आये ?
मै थियेटर से आया हूँ। बहुत साल तक थियेटर किया फिर एल्बम में काम किया। मेरे एल्बमों की कोई गिनती नहीं है। उसके बाद फिल्मे करने लगा। लोगो को मेरा काम पसंद आया ,ये मेरे लिए सबसे बड़ा तोहफा है।
फिल्मो की और रुझान कैसे हुआ?
बस टीवी देखकर और थियेटर करते करते फिल्मो की ओर रुझान हुआ।
आपने बहुत सी फिल्मे कर ली आपकी राह कैसे आसान हुआ?
मुझे हर प्रकार का रोल पसंद है मुझे जो रोल दिया जाता है मै सहर्ष स्वीकार कर लेता हूँ और उसमे डूबकर काम करता हूँ। इसलिए मेरा राह आसान हुआ।
 छत्तीसगढ़ी फिल्मो के प्रदर्शन में कमी कहाँ होती है?
प्रचार प्रसार और विज्ञापन में कमी फिल्म नहीं चलने का सबसे बड़ा कारण है। थियेटर भी एक कारण हो सकता है। गाँव गाँव तक हम अपनी फिल्म नहीं पंहुचा पा रहे हैं। बेहतर प्रचार पसार हो और प्रदेश के सभी टाकीजों में फिल्म लग जाए तो लागत एक हप्ते में निकल आएगी। सरकार मदद नहीं करती और डिस्ट्रीब्यूशन भी सही नहीं है।
क्या छत्तीसगढ़ में नायिकाओं की कमी है कि बाहर से लाना पड़ता है?
हाँ जरूर है। लडकिया बहुत है पर अच्छे घरों की लडकियां इस फिल्ड में आना नहीं चाहती क्योकि उन्हें वो सम्मान नहीं मिलता जो वो चाहतीं हैं। इसलिए कमी बनी हुई है।
आपकी भविष्य की क्या योजना है?
मैं लगातार फिल्मे करता रहूंगा। यही मेरी जिंदगी है। फिल्म मैं पैसों के लिए नहीं करता बल्कि ये मेरे जीवन का अहम हिस्सा है।
 ऐसा कोई सपना जिसे आप पूरा होते हुए देखना चाहते हैं?
गॉडफादर जैसे रोल करने की तमन्ना है, जो किसी के जीवन पर आधारित हो। य "जिला गंजबासौदा मध्यप्रदेश"

सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

खेल जीवन का एक अहम हिस्सा है, यही बताएँगे ' दांव ' में

सरकार फिल्म विकास निगम जल्द बनाएं :संतोष सारथी 
छत्तीसगढ़ी फिल्मो में संतोष सारथी एक जाना पहचाना नाम है। अभिनेता , निर्देशक और निर्माता ये सब गुण
अगर एक ही व्यक्ति में हो तो निश्चित ही वह छालीवुड के लिए एक अहम व्यक्तित्व है। श्री सारथी उनमे से एक है। वे कहते हैं कि अपनी नई फिल्म दांव में सन्देश देने की कोशिश करेंगे कि खेल जीवन का एक अहम हिस्सा है, जो जरूरी भी है। इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है। फिट रहने का सबसे बड़ी भूमिका खेल की ही होती है। उनका यह भी कहना है कि सरकार अगर निगम बनाना चाह रही है तो जल्द बनाएं जो बिना फ़ायदा के फिल्म बना रहे हैं उन्हें मदद मिल जाएगी। जो हमारे लिए एक संजीवनी की तरह होगी। हमने उनसे हर पहलूओं पर बात की है।
० आपने अपने कॅरियर के लिए फिल्म लाईन को ही क्यों चुना?
०० बचपन से ही कुछ अच्छा करने की तमन्ना रही है। फिल्मे देखा करता था जिससे मेरा रुझान हुआ। जब मुझे अच्छा ब्रेक मिला तो मैंने फिल्म को ही अपना कॅरियर बना लिया। मैंने काफी मेहनत की है जिसका फल मुझे मिला है।
० इस क्षेत्र में कब से है और कैसे ब्रेक मिला?
०० इस क्षेत्र में मै 16 सालों से हूँ। लोककला मंच से जुड़ा फिर दूरदर्शन की टेलीफिल्म लक्ष्मी में मुझे नायक का रोल मिला। उसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
० आप फिल्म दांव बनाने जा रहे हैं, इसमें क्या सन्देश है?
०० ये खेल पर आधारित फिल्म है। मैंने ये सन्देश देने की कोशिश करूंगा कि खेल जीवन का एक अहम हिस्सा है, जो जरूरी भी है। इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है। फिट रहने का सबसे बड़ी भूमिका खेल की ही होती है।
० आपको ये आईडिया कहाँ से मिला?
०० फिल्मे देखकर। थ्री इडियट, तारे जमी जैसे फिल्मे दीखने के बाद मुझे लगा कि स्वास्थ्यपरक एक फिल्म बनानी चाहिए। चार साल से तैयारी कर रहा था अब जाकर पूरा हुआ है।
० आपकी आगे क्या तमना है?
०० छत्तीसगढ़ी फिल्मो को और छालीवुड को पहचान बनते देखना चाहता हूँ। छत्तीसगढ़ , छत्तीसगढ़ी फिल्मो और छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रति मुझे बहुत लगाव है। मै इसके के लिए कुछ करना चाहता हूँ , जिससे छत्तीसगढ़ का नाम मेरे साथ जुड़े।
० भविष्य की क्या योजना है ?
०० बस आगे भी फिल्म बनाता रहूंगा । एक्टिंग मेरा शौक है।
० रील लाइफ और रियल लाइफ में क्या फर्क है?
०० बहुत अंतर है। रील लाइफ एक ड्रामा है बनावटी होती है पर रियल लाइफ वास्तविकता पर आधारित है। हर पहलू  सत्य पर चलता है।
० छत्तीसगढ़ी फिल्मे क्यों नहीं चल पाती?
०० छत्तीसगढ़ में हर भाषा के लोग रहते हैं। छत्तीसगढ़िया लोग हमारी फिल्मे देखतें है। यह भी हम कह सकते हैं कि अच्छी फिल्मे भी नहीं बन पा रही है।
० सरकार से छालीवुड को क्या अपेक्षाएं हैं?
०० सरकार अगर निगम बनाना चाह रही है तो जल्द बनाएं जो बिना फ़ायदा के फिल्म बना रहे हैं उन्हें मदद मिल जाएगी। जो हमारे लिए एक संजीवनी की तरह होगी।