रविवार, 13 नवंबर 2016

छत्तीसगढ़ी कल्चर की श्रीलंका में प्रचार कर रही है अंजली मिश्रा

होली और करमा कोलम्बो विवि के पाठ्यक्रम में शामिल 
- अरुण बंछोर
छत्तीसगढ़ की अंजली मिश्रा श्रीलंका में अपनी कल्चर की बड़े पैमाने पर प्रचार प्रसार कर रही है। श्रीलंका की राजधानी कोलम्बो के विजुवल एंड परफार्मिंग विश्वविद्यालय में वे इस समय भारत और एशिया डांस विभाग की प्रमुख है। उन्होंने होली और करमा नृत्य को अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है। जो फोक डांस के अंतर्गत आता है। इस संस्थान में एक विषय भारतीय लोक नृत्य भी है। अंजली का कहना है कि उनकी तमन्ना छत्तीसगढ़ी नृत्य को श्रीलका में प्रचारित करना और यहाँ के कलाकारों को श्रीलंका बुलाकर लाईव परफार्मेंस कराना है। अंजली में कत्थक नृत्य की शिक्षा खैरागढ़ विश्वविद्यालय से हासिल की है। और कत्थक में ही पी एच डी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से प्राप्त की है। सन 2007 में श्रीलंका विश्वविद्यालय से उन्हें आफर मिला और वे वहां जा पंहुंची। इसके पहले अंजली छत्तीसगढ़ में थियेटर से जुडी रही है और कई नाटकों का मंचन भी किया है। वे एक फिल्म बनाने के सिलसिले में रायपुर आई हुई हैहमने उनसे हर पहलुओं पर बात की है।
अंजली बताती है कि मैंने भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करना शुरू किया है लेकिन विभागीय प्रमुख होंने के कारण त्यौहारों के बारे में बच्चों को विस्तार से बताना शुरू किया है और पर्वों को मनाना भी शुरू किया है। शिव मंदिर में बाकायदा धार्मिक पर्व मनाते हैं। अंजली ने आठ साल की उम्र में पहला नाटक अपने स्कूल में किया और पुरस्कार जीती तब उनके माता पिटा को उनकी काबिलियत का पता चला। उसके बाद अंजली ने नाटक और नृत्य में भाग लेना शुरू किया फिर पलटकर नहीं देखा। 16 साल की उम्र में पंडित बर्मन लाल रायगढ़ घराना से कत्थक नृत्य की शुरुआत की।  पर पीएचडी करते ही श्रीलंका सरकार से उन्हें आफर मिला और वे वहां चली गयी। अंजली ने बताया कि छत्तीसगढ़ की परम्परा और यहाँ की नृत्य की जानकारी पहली बार उन्होंने ही शुरू की। और आज वहां सिलेबस में शामिल है। अंजली की दिली तमन्ना है कि छत्तीसगढ़ी नृत्य को श्रीलका में प्रचारित करना और यहाँ के कलाकारों को श्रीलंका बुलाकर लाईव परफार्मेंस कराना है।ताकि वहां के छात्र हमारी परम्परा व् नृत्य को करीब से देख सके। उनके पति श्रीलंका में ही गाना विभाग में लेक्चरार है और फेमस सिंगर भी है। अंजली मिश्रा श्रीलंका के थियेटर में भी काम कर चुकी है। हर वर्ष भारत के बड़े गुरुओं को बुलाकर श्रीलंका में वर्कशाप करवाती है अंजली ताकि बच्चे भारतीय संस्कृति से भली भाँती परिचित हो सके। 

शनिवार, 3 सितंबर 2016

" चमके रे बिंदिया " से चमकी अल्का चंद्राकार

सरकार कलाकारों के लिए आगे आएं 
- श्वेता शर्मा
छत्तीसगढ़ की मशहूर पार्श्वगायिका अलका परगनिहा (चंद्राकर) आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वे छत्तीसगढ़ी लोकगीतों , लोककला की आदर्श है।उनकी आवाज में गजब की जादू है। जब वे गाती हैं तो लोग अपना दर्द भूल जातें है। वे कहती हैं कि अपने पिता जी को सुनकर संगीत को महसूस करना सीखा है. वे
चाहती हैं कि वही एहसास अपनी गायकी मे डालें और अपने सुनने वालों को सुकुन का एहसास कराये। संगीत उन्हें अपनी परिवार से विरासत में मिली है। छालीवुड की बेस्ट सिंगर का एवार्ड कई बार हासिल कर चुकी अल्का चंद्राकार संगीत के हर अंदाज़ को जीना चाहती है और कुछ नया करना चाहती है।उनकी खुद की एल्बम " चमके रे बिंदिया " ने ना केवल प्रदेश और भाषा को नई दिशा दी बल्कि उनकी जीवन में भी नई चमक ला दी। यहीं से उन्हें ऊंचाईयां मिली और आज वे एक मशहूर गायिका है।वे अपने पिताजी के लोककला मंच फुलवारी को लेकर आगे बढ़ रही हैं। उनका मानना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में तकनीक की कमी होती है और सरकार भी लोककला के प्रति रूचि नहीं दिखा रही है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ी फ़िल्में दर्शकों को नहीं रिझा पा रही है। 100 से अधिक एल्बम औरफिल्मों मे अपनी आवाज का जादू बिखेर चुकी अल्का चंद्राकार से हमने हर पहलुओं पे बेबाक बात की है।
० आपको गाने का शौक कैसे हुई?
०० मेरे पिताजी श्री माधव चन्द्राकर  गायक हैं कला मुझे विरासत में उन्ही से मिली है। उन्होने मुझे बचपन से ही सिखाना शुरू कर दिया था।
० किसी ने आपको प्रोत्साहित किया या फिर मर्जी से गाने लगी?
०० मेरे पिताजी ही मेरे पहले गुरू हैं और मेरे प्रेरणाश्रोत भी।
०सरकार से आपको क्या अपेक्षाएं हैं?
०० सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके।
० छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है?
०० क्योकि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां होती है। फिल्मो में वो गुणवत्ता नहीं होती जो यहां के लोगो को चाहिए।तकनीक की कमी ने छत्तीसगढ़ी दर्शकों को दूर कर रखा है।प्रोड्यूसरों को इस और ध्यान देने की जरुरत है।
० छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को आगे बढ़ाने की दिशा में फिल्म का योगदान कितना है?
०० अपनी संस्कृति और भाषा को आगे बढ़ाने का सशक्त माध्यम है सिनेमा । हम भी फिल्मो के माध्यम से लगातार अपनी भाषा की तरक्की के लिए ही काम करते है।हम चाहते है कि हमारी भाषा खूब आगे बढ़े।
० आपकी कोई तमन्ना है जिसे लेकर आप आगे बढ़ रही है
००  मैं छत्तीसगढ़ी लोकगीत जो आज अपना स्थान नहीं प्राप्त कर पाई है।उसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित और पहचान दिलाना चाहती हूँ।मैं और मेरे पति श्री अमित परगनिहा ने छत्तीसगढ़ी लोक कला , लोकगीत और लोक नृत्य के विकास और उसमें लोगो को पारंगत करने के उद्देश्य से एक महाविद्यालय खोलने की तैयारी में है।जिससे हमारी लोक कला और लोकगीतों में भी पारंगत लोग आ सके और दूसरे प्रदेशों के लोक कलाकारों के बराबर आ सके।
० आपने गायकी का क्षेत्र ही क्यों चुना ?
०० गायन मेरे पिता से बचपन से प्राप्त हुआ।और ईश्वर के आशीर्वाद से मेरे ससुराल से भी पूरा सपोर्ट रहा।मेरे पति श्री अमित परगनिहा दिल्ली यूनिवर्सिटी से  एमबीए है।उनका कला या गायन से लगाव की वजह से वो मेरी पूरी तरह सेसपोर्ट रहता है।
० आप छत्तीसगढ़ से है तो क्या हिन्दी या भोजपुरी फिल्मो के लिए भी गाना गायेंगी?
०० भोजपुरी ।हां मैंने मराठी , उड़िया में गाने गाए है।भोजपुरी के लिए भी तैयार हूँ।
० आपका आदर्श कौन है , जिसे आप फॉलो करती है ?
०० लता मंगेशकर जी ।
० भविष्य की क्या योजनाएं हैं?


०० अभी हम आदिवासी संस्कृति, लोकगायिकी, का कलेक्शन करने जा रहे हैं , ताकि हम प्रदेशवासियों को जनजातीय परिवेश और संस्कृति से परिचित करा सकें।

गुरुवार, 16 जून 2016

अपराधों के खिलाफ सख्त क़ानून की जरुरत

 एक्टिंग के प्रति शौक नहीं , पागलपन है 
क्राइम पेट्रोल के इन्स्पेक्टर गुलशन पांडे से ख़ास चर्चा 
- अरुण बंछोर
सोनी चैनल की सत्य घटनाओं पर आधारित चर्चित धारावाहिक क्राइम पेट्रोल में पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका निभाने वाले गुलशन पांडे का कहना है कि देश में अपराधों के खिलाफ सख्त क़ानून की जरुरत है। ताकि लोगों को त्वरित न्याय मिल सके। वे कहतें हैं कि पुलिस का रोल निभाने में अच्छा लगता है। उन्होंने कहा कि
 पुलिस तो अपना काम करती है, लेकिन न्याय व्यवस्था पर बोझ के चक्कर में लोगों को न्याय मिलने में देरी होती है। हमारा काम लोगों को देश व प्रदेश में बढ़ रहे अपराधों को रोकने के लिए जागरूक करना है। पांडे फिल्म वांटेड में आईपीएस, अतिथि तुम कब जाओगे में रावण, हरियाणवी पृष्ठभूमि पर आधारित सीरियल ना आना इस देश लाडो... में छोटी-छोटी भूमिकाएं कर चुके हैं अब उन्हें क्राइम पेट्रोल सीरियल ने घर-घर तक पहचान दिला दी हैं। डर्टी पिक्चर में डायरेक्टर की भूमिका में गुलशन पांडे का डॉयलाग- स्टार जब खत्म होने लगते हैं तो अंधेरे में खो जाते हैं, खालीपन का अंधेरा जब खाने लगता है तो सबसे पहले स्टार की चमक को खा जाता है, दर्शकों को आज भी याद है। श्री पांडे आज राष्ट्रीय हिन्दी मेल के दफ्तर आये तो हमने उनसे हर पहलुओं पर बात की है।
आपको एक्टिंग का शौक कैसे हुआ?
एक्टिंग के प्रति शौक नहीं , पागलपन है। शौक तो ख़त्म हो जता है पर पागंलपन हमेशा बना रहता है। ये मेरा जूनून है जो कभी ख़त्म नहीं होगा।
क्राइम पेट्रोल से आपको घर-घर पहचान मिली। एक्टिंग का सफर आपने कहाँ से शुरू किया?
करीब 10 वर्ष पहले पंजाब से मुंबई आकर एक्टिंग की शुरूआत की थी। इसके बाद एक्टिंग का सिलसिला जारी हुआ, जो आज भी जारी है। इससे पहले कलर्स चैनल पर भी सीरील किए हैं और नॉन हिंदी मूवी में भी एक्टिंग करने का मौका मिला।वांटेड में आईपीएस, अतिथि तुम कब जाओगे में रावण, हरियाणवी पृष्ठभूमि पर आधारित सीरियल ना आना इस देश लाडो किया। अब क्राइम पेट्रोल कर रहा हूँ।
क्राइम पेट्रोल में पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका में होते हैं। क़ानून के प्रति आपकी क्या सोच है?
देश में अपराधों के खिलाफ सख्त क़ानून की जरुरत है। ताकि लोगों को त्वरित न्याय मिल सके। लेकिन न्याय व्यवस्था पर बोझ के चक्कर में लोगों को न्याय मिलने में देरी होती है। अपने काम के प्रति लोग ईमानदार हो जाये और दूसरों की तरफ ना देखें तो अपराध घाट जाएगा।
क्राइम पेट्रोल से आप लोग क्या सन्देश देना चाहते हैं?
पुलिस तो अपना काम करती है। हमारा काम लोगों को देश व प्रदेश में बढ़ रहे अपराधों को रोकने के लिए जागरूक करना है।
आपकी कोइ ख्वाहिश हो जो  हुए देखना चाहते हैं और आदर्श किसे मानते हैं?
मै  अपने आदेश को ऊंचाईयों पर देखना चाहता हूँ। दुनिया में अपने देश का मान सम्मान हो। मेरी ख्वाहिश एक अच्छे एक्टर बनने की भी रही है। अमिताभ बच्चन को मै अपना आदर्श मानता हूँ। उन्हें देखकर उनके जैसे लम्बे होने का अभ्यास किया। पागलपन की हद तक जाकर काम किया है मैंने।
आपको कैसा रोल पसंद है?
मुझे इमोशनल रोल पसंद है पर ऐसा रोल मिलता नहीं है। जो मिल रहा है उससे मै  संतुष्ट हूँ।
छत्तीसगढ़ आकर आपको कैसा लगा?
बहुत अच्छा लगा। प्रदेश खूबसूरत है यहां के लोग भी अच्छे हैं।

मंगलवार, 31 मई 2016

बॉलीवुड स्टार बनना चाहता है रजनीश झांझी

हिन्दी और भोजपुरी फिल्मों में भी छाये हुए हैं
छत्तीसगढ़ के जाने माने स्टार रजनीश झांझी में खूबियों का खजाना है। वे एक अच्छे कलाकार है ।  उन्हें अपने काम के प्रति जूनून है। उनका कहना है कि  वे बॉलीवुड की फिल्मों में छा जाना चाहते हैं । उनका सपना बॉलीवुड स्टार बनने की ही है।  छत्तीसगढ़ी फिल्मों के साथ साथ रजनीश झांझी हिन्दी और भोजपुरी फिल्मों में भी अपनी कला का लोहा मनवा रहे हैं। उन्होंने 1000 से ज्यादा ड्रामा स्टेज पर किया है। वे थिएटर के कलाकार हैं वे कहतें हैं कि थियेटर में प्रदर्शन के अलावा और किन- किन तरीकों से आय हो सकती है इस विषय पर विचार कर उसके आय के संसाधन बढ़ाने होंगे। उन्हें अपनी आने वाली फिल्म प्रेम सुमन से काफी उम्मीदें हैं। वे कहतें हैं कि छत्तीसगढ़ फिल्मों को थियेटरों की कमी से जूझना पड़ रहा है अगर सरकार सहूलियत दे और कारपोरेट सेक्टर प्रदेश में सौ-डेढ़ सौ नए सिनेमाघर बना दे तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों का रंग ही बदल जायेगा।
0 फिल्मों का सफर आपने कहाँ से शुरू किया? 
00 थिएटर से काम शुरू कर फिल्मों में आया हूँ। सबसे पहले प्रेम चंद्राकर ने मुझे दूरदर्शन की सीरियल मयारुक चन्दा में ब्रेक दिया और मेरी पहली फिल्म जय माँ बमबलेश्वरी है जिसमे मुझे सतीश जैन ने ब्रेक दिया था।
0 आपकी आने वाली फिल्म प्रेम सुमन से क्या उम्मीद है?
00 बहुत उम्मीद है। यह एक अच्छी पारिवारिक फिल्म है जिसमे मेरी भूमिका भी प्रभावशाली है। सभी कलाकारों ने अच्छी मेहनत की है।
0 छत्तीसगढ़ी सिनेमा अच्छा व्यवसाय करे इसके लिए क्या कर सकते हैं?
00 यहां फिल्मे कमजोर बन रही है । फिल्मे नहीं चल पाती इसकी वजह भी हैं और वो सब जानते हैं कि पिछड़े हुए राज्य में टॉकीजों का विकास नहीं होना। छत्तीसगढ़ में मिनी सिनेमाघर दो सौ दर्शकों की क्षमता वाली टॉकिजों की बड़ी आवश्यकता है जहां छत्तीगसढ़ी फिल्मों के दर्शक आसानी से पहुंच सके। पात्र के हिसाब से कलाकारों का चयन नहीं होता। कुछ लोग इस इंडस्ट्री को खराब कर रहे हैं , वे ऐसे लोग है जो काम लागत में कुछ भी फिल्में बना लेते हैं।
0 छत्तीसगढ़ी फिल्मो के अलावा भोजपुरी और उडिय़ा फिल्मो की भी यहां शूटिंग होने लगी है। वहां के कलाकार भी यहां की फिल्मो में काम कर रहे है। क्या यहां कलाकारों की कमी है?
00  छत्तीसगढ़ी सिनेमा में शौकिया तौर पर फिल्म बनाने वाले लोग बड़ी संख्या में आ रहे है। कई भाषाओं में क्षेत्रीय फिल्म निर्माण से छत्तीसगढ़ी फिल्मों की आउट सोर्सिंग हुई है भोजपुरी, और उडिय़ा से नया बाजार मिला है इसी तरह और भी तरीके ईजाद करने से इंडस्ट्रीज के सभी लोगों का भला होगा। यहां कलाकारों की कतई कमी नहीं है।
0 सरकार से छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री को कैसी मदद की अपेक्षा करते हैं ?
00 छत्तीसगढ़ फिल्मों को थियेटरों की कमी से जूझना पड़ रहा है अगर सरकार सहूलियत दे और कारपोरेट सेक्टर प्रदेश में सौ-डेढ़ सौ नए सिनेमाघर बना दे तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों का रंग ही बदल जायेगा। उद्योगों की तरह रियायती दर में जमीन और उस पर कामर्शियल काम्प्लेक्स के निर्माण की अनुमति से नहीं कंपनियां सिनेमाघरों के निर्माण के लिए आकर्षित हो सकती है।
0 ऐसी कोइ तमन्ना जो पूरा होते हुए देखना चाहते हैं?
00  बॉलीवुड की फिल्मों में छा जाना चाहता हूँ। मेरा सपना बॉलीवुड स्टार बनने की ही है।लोग मुझे बॉलीवुड स्टार के नाम से ही जाने।
0 आप अपनी सबसे अच्छी फिल्म किसे मानते हैं?
00 भोजपुरी फिल्म दिलवाला को जो आने वाली है। मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण फिल्म है। छत्तीसगढ़ी में हीरों नंबर 1 को अच्छी फिल्म मानता हूँ।
0 आपको कैसा रोल पसंद है?
00 हर प्रकार की भूमिका पसंद है। अब तक सभी रोल कर चुका हूँ , नायक ,खलनायक चरित्र अभिनेता , पिता की भूमिका सब कुछ कर चुका हूँ।

अच्छी अभिनेत्री बनना चाहती हैं पूनम मिश्रा

अच्छी और साफ़ सुथरी लव स्टोरी है प्रेम सुमन
छत्तीसगढ़ में कलाकारों की कमी नहीं है, उनमे से एक हैं पूनम मिश्रा। उन्हें थिएटर में महारत हासिल है। पूनम ने फिल्म प्रेम सुमन से छालीवुड में धमाकेदार एंट्री की है और अपनी पहली ही फिल्म में अपनी अदाकारी का शानदार जौहर दिखाया है, जो आपको बड़े परदे पर देखने को मिलेगा। पूनम की दिली इच्छा है कि लोग उन्हें एक अच्छी अभिनेत्री के रूप में जाने पहचाने। उन्हें अपनी पहली फिल्म प्रेम सुमन से काफी उम्मीदें है। वे कहती है प्रेम सुमन अच्छी और साफ़ सुथरी लव स्टोरी है। उनका यह भी कहना है कि एक कलाकार अपने काम से कभी भी संतुष्ट नहीं हो सकते। पूनम से हमने हर पहलुओं पर बात की है। पेश है बातचीत के सम्पादित अंश।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
00 वह सबसे अच्छी अभिनेत्री बनना चाहती हैं। मैं छालीवुड में अच्छी अभिनेत्री के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहती हूं। मैं इस बात को लेकर बेहद खुश हूं कि थिएटर में दर्शकों ने मेरे काम को पसंद किया हैं।
0 छत्तीसगढ़ी फिल्मे थियेटरों में ज्यादा दिन नही चल पाती ,आप क्या कारण मानती है ?
00 छतीसगढ़ी फिल्में इस कारण थियेटर में ज्यादा नहीं चल पाती क्योंकि आज के बच्चे बॉलिवुड फिल्म को ज्यादा महत्व देते हैं। दूसरी तरफ जो गाँव के लोग है वो छतीसगढ़ी फिल्म को बड़े ही चाव से देखते है और महत्व भी देते है अगर हमारे आस पास के गाँव कस्बो में थियेटर की व्यवसथा कराई जाए तो छतीसगढ़ी फिल्म चलेगी भी और आगे भी बढेगी।
0 आप फिल्मो में अभिनेत्री की भूमिका निभाती है, तो आपको कैसा महसूस होता है?
00 प्रेम सुमन मेरी पहली फिल्म है। मैंने पूरी ईमानदारी से अपने किरदार के साथ न्याय किया है। निर्देशक हैदर गुलाम मंसूरी से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है।
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 बचपन से ही एक्टिंग का शौक रहा है। पर नौ साल पहले मैंने थिएटर से अपनी करियर की शुरुआत की। पहली बार मिट्टी की गाड़ी में लीड रोल किया था। और उस ड्रामे को दर्शकों ने खूब सराहा। मै  नई हूँ। प्रेम सुमन मेरी पहली फिल्म है।
0 मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 मुझे पहली बार योगेश अग्रवाल जी ने फिल्म प्रेम सुमन में मौका दिया, उन्होंने मुझे ड्रामा में एक्टिंग करते हुए देखा था। बॉलीवुड अदाकारा माधुरी दीक्षित को मैं अपनी प्रेरणाश्रोत मानती हूँ। उन्हें मै बचपन से देखती आ रही हूँ। उनकी एक्टिंग और डांसिंग का मै फैन हूँ।
0 कोई ऐसा अवसर आया हो ,जब आप बहुत उत्साहित हुई हो?
00 जब मुझे फिल्म प्रेम सुमन का आफर मिला तो मै  बहुत उत्साहित हुई थी।
0 ऐसा कोई क्षण जब निराशा मिली हो?
00 मै कभी निराश नहीं होती और ना कभी निराशा मिली है।
0 अभी तक के अपने कामो से आप संतुष्ट हैं?
00 एक कलाकार कभी भी अपने कामो से संतुष्ट नहीं हो सकता। मुझे अभी बहुत कुछ करना है बहुत कुछ सीखना है।

0 आपकी पहली फिल्म प्रेम सुमन के बारे में बताईये ?
00 बहुत ही अच्छी फिल्म है। एक अच्छी और साफ़ सुथरी लव स्टोरी है। मुझे उम्मीद है दर्शकों को यह फिल्म और उसमे मेरा काम पसंद आयेगा। हालांकि इस फिल्म में मेरा किरदार बहुत ही छोटा है  महत्वपूर्ण है। 

मंगलवार, 24 मई 2016

फिल्मों में खलनायक बनना चाहता है रमन

कला पारिवारिक माहौल में मिला है 
एंकरिंग और मेमेकरी के लिए मशहूर रमन पाण्डया छत्तीसगढी फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाना चाहते है। उनकी दिली तमन्ना है की लोग उन्हें इसी के लिए जाने पहचाने। अब तक करीब 40 फिल्मों में बॉलीवुड कलाकारों को आवाज दे चुके रमन कई बड़े कलाकारों के साथ स्टेज शो भी कर चुके हैं। रमन पाण्डया को कला विरासत में मिला है। वे फिलहाल सिंगिंग के लिए एक स्टूडियो चला रहे है जहां कई लोग गाने का प्रशिक्षण लेते हैं। रमन पाण्डया से हमने हर पहलुओं पर बात की है।
0 आप मिमिकरी के लिए जाने जाते हैं अब तक किनकी आवाजों की नक़ल की है?
00 करीब 40 फिल्मों में मैंने बॉलीवुड कलाकारों को आवाजे दी है। जिनमे शक्ति कपूर, गुलशन ग्रोवर, सुरेश ओबेराय, मिथुन चक्रवर्ती , राजा मुराद प्रमुख हैं। कई हिन्दी फिल्में छत्तीसगढ़ी में  डब की गयी तब इनके लिए मैंने आवाजें दी है।
0 अभी तक आप एक अच्छे एंकर के रूप में जाने जाते हैं हैं कितने स्टेज शो है आपके नाम?
00 अनगिनत शो किया है मैंने। कुमार शानू , उदित नारायण, जीनत अमां , वर्षा उसगांवकर ,जूही चावला , जैसे कलाकारों के साथ स्टेज शो किया है जो मेरे जीवन की एक बड़ी उप्लब्द्धी है।
0 आपको मिमिकरी और गाने का शौक कैसे हुआ?
00 पारिवारिक माहौल मिला है। पापा श्री सजोराम पांडया नाटककार थे। गायन और संचालन का काम तो मैंने देख देख कर सीखा है।
0 कही और से आपने गाने या एंकरिंग की शिक्षा नहीं ली है?
00 जी नहीं। सब कुछ घर की ही देंन है।
0 टेलेंट का आशय क्या गाने से ही है?
00 टेलेन्ट की कोइ परिभाषा  है। कई प्रकार के टैलेंट होते हैं। सबसे मुकाबला होता है। एंकरिंग भी एक टेलेंट ही है।
0 आपकी कोइ ख्वाहिश जो पूरा होते हुए देखना चाहती हो?
00 बस मेरी एक ही तमन्ना है कि मैं फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाउँ और लोग मुझे खलनायक के रूप में ही जाने।
0 कभी आपको निराशा महसूस हुई है और कभी ऐसा क्षण आया है जब आप बहुत खुश हुए हो?
00 नहीं मैं कभी निराश नहीं होता। मैं अपने कामों से हमेशा ही संतुष्ट रहता हूँ। खुशी तो हर वक्त होता है।
0 छालीवुड की क्या सम्भावनाये है?
00 बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए । थियेटरों  की कमी को सरकार पूरा करे।

0 तो छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है?
00 क्योकि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां होती है। फिल्मो में वो गुणवत्ता नहीं होती जो यहां के लोगो को चाहिए। प्रोड्यूसरों को इस और ध्यान देने की जरुरत है।

शुक्रवार, 13 मई 2016

पार्शवगायन में शोहरत कमाना चाहती है रायपुर की ऐश्वर्या पंडित

इंडियाज गॉट टेलेंट में पंहुची
- एक मुलाक़ात - अरुण बंछोर
कलर्स चैनल के इंडियाज गॉट टैलेंट के सेमीफाइनल राउंड में पहुँची शहर की ऐश्वर्या पंडित पार्श्वगायन में खूब नाम कमाकर माता पिता का सपना पूरा करना चाहती है। ऐश्वर्या में गजब का टेलेंट है । जज करन जौहर, किरण खेर और मलाइका अरोड़ा उनकी आवाज के कायल हो गए हैं। ऐश्वर्या की आवाज इतनी सुरीली है कि पंजाबी फोक सांग 'तू माने या ना माने दिलदारा' को सुनकर प्रसिद्ध अभिनेत्री किरण खेर रो पड़ी थीं। करण जौहर ने इस गाने को उनके दिल का सबसे करीब गाना कहकर गोल्डन बटन दबा दिया था और मलाइका ने अपनी तारीफ़ में उनकी आवाज और उनकी खूबसूरती का कसीदा ही पढ़ दिया । इससे ऐश्वर्या सीधे सेमीफाइनल में पहुंच गई। ऐश्वर्या को कला विरासत में मिली है। उनकी माँ रिंकी पंडित भी एक अच्छी गायिका है। दादा मशहूर तबलावादक थे तो पिता बॉडी बिल्डर है। इसके लिए ऑडिशन फरवरी में हुआ और उसका रिजल्ट मार्च में आया। फिर 23 अप्रैल को रायपुर में उनकी बायोग्राफी शूटिंग हुई थी। ऐश्वर्या  परिवार को भी ऐश्वर्या के फाइनल जीतने की उम्मीद है। ऐश्वर्या छालीवुड में बेस्ट सिंगर का एवार्ड हासिल कर चुकी है। उनसे हमने हर पहलुओं पर बेबाक बात की।
0 इंडियाज गॉट टैलेंट के सेमीफाइनल राउंड में पहुँचने से निश्चित ही छत्तीसगढ़ का नाम रोशन हुआ है। आगे क्या उम्मीद है?
00 मुझे फाइनल जीतने का भरोसा है। क्योकि मैंने शुरू से ही यही लक्ष्य लेकर चला है। इस टैलेंट शो के ऑडिशन में शामिल होने के लिए दस लाख लोग पहुंचे थे। मैंने अपनी प्रतिभा के दम पर अंतिम 6 में स्थान बना लिया है।
0 यहां तक पहुँचने के लिए आपको कितनी मेहनत करनी पड़ी?
00 इस शो के लिए मैंने खूब मेहनत की है। मेरे माँ - बाप ने मुझे लेकर जो सपना देखा है उसे पूरा करने की मन में ठानी है। और मन में लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता।
0 गाने की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली और क्या आपने कोइ ट्रेनिंग ली है?
00 मेरी मा ही मेरी गुरु है ,मेरी प्रेरणाश्रोत है। मां रिंकी पंडित गृहिणी के साथ-साथ गायिका भी हैं। गाने की प्रेरणा मुझे अपनी मां से ही मिली है।परिवार में दो भाई हैं। पापा कलेक्टोरेट में कार्यरत हैं।
0 कही और से आपने गाने की शिक्षा नहीं ली है?
00 जी नहीं। सब कुछ माँ की ही दें है। खैरागढ़ संगीत विवि में बीए (संगीत) की पढ़ाई कर रही हूँ। अब संगीत ही मेरा लक्ष्य है, संगीत ही मेरा करियर होगा।
0 टेलेंट का आशय क्या गाने से ही है?
00 टेलेन्ट की कोइ परिभाषा  है। कई प्रकार के टैलेंट होते हैं। सबसे मुकाबला होता है।
 0 इसके पहले आपने फिल्मों के लिए भी अपनी आवाज दी है?
00 जी हाँ कुछ छत्तीसगढ़ी फिल्मों और हिन्दी फिल्म कुटुंब के लिए कुमार शानू के साथ अपनी आवाजें दी है। आगे भी फिल्मों के लिए गाना जाती रहूंगी।
0 आपकी कोइ ख्वाहिश जो पूरा होते हुए देखना चाहती हो?
00 बस मेरी एक ही तमन्ना है कि पार्श्वगायिका बनकर छत्तीसगढ़ और अपने माता-पिता का नाम रोशन करूँ।

अपनी आवाज से लोगों का दर्द भुलाना चाहती है छाया प्रकाश

संगीत की कोई सीमा नही होती
० एक मुलाक़ात - अरुण बंछोर
छत्तीसगढ़ की मशहूर पार्श्वगायिका छाया प्रकाशअपनी आवाज से लोगों का दर्द भुलाना चाहती है। वे कहती हैं कि लता जी को सुनकर संगीत को महसूस करना सीखा है. वे चाहती हैं कि वही एहसास अपनी गायकी मे डालें और अपने सुनने वालों को सुकुन का एहसास कराये। संगीत उन्हें अपनी माँ से विरासत में मिली है। नेशनल अवार्ड और छालीवुड की बेस्ट सिंगर  जीत चुकी छाया प्रकाश संगीत के हर अंदाज़ को जानना चाहती है कुछ नया करना चाहती है। 16 एल्बम और 5 फ़िल्म मे अपनी आवाज का जादू बिखे चुकी छाया प्रकाश से हमने हर पहलुओं पे बेबाक बात की है।
० आपको गाने का शौक कैसे हुई?
०० मेरी माँ बहुत अच्छा गाती थी, सामाजिक कारणों से उन्हे आगे बढने का अवसर नही मिला तो उन्होने मुझे बचपन से ही सिखाना शुरू कर दिया था।
० किसी ने आपको प्रोत्साहित किया या फिर मर्जी से गाने लगी?
०० माँ ही मेरी पहली गुरू हैं और मेरी प्रेरणा भी।
० आपकी कोई तमन्ना है जिसे लेकर आप आगे बढ़ रही है 
०० मेरी एक ही तमन्ना है कि मेरी आवाज को सुन कर लोग अपना दर्द भूल जायेँ. मैने लता जी को सुनकर संगीत को महसूस करना सीखा है. मैं चाहती हूँ कि वही एहसास मैं अपनी गायकी मे डाल पाऊँ और अपने सुनने वालों को सुकुन का एहसास करा सकूँ.
० आपने गायकी का क्षेत्र ही क्यों चुना ?
०० मैने बहुत अलग अलग काम करके देखा पी.एच.डी करके कोलेज मे पढाया,.लेकिन आन्तरिक सुख मुझे संगीत मे मिला..इसलिये मैने संगीत को ही   चुना।
० आपने गायकी की ट्रेनिंग ली है ?
०० जी हाँ मैने भातखन्डे संगीत महाविद्यलाय से गीतांजली सीनियर डिप्लोमा लिया है. समय समय पर संगीत गुरुजनो का मार्गदर्शन लेती रही हूँ..जिनमे कुछ विशेश नाम हैँ- किशोर दुबे बिलासपुर.  राजेन्द्र गिरी गोस्वामी रतनपुर.  कल्याण सेन  रायपुर.  भारती बन्धू  रायपुर.  मोइन खान  मुंबई. उन्नीकृष्णन  भिलाई।
० क्या आप फिल्मों में भी एक्टिंग करना चाहेंगी ?
०० फ़िल्मो मे काम करने का कभी नही सोचा।
० आप छत्तीसगढ़ से है तो क्या हिन्दी या भोजपुरी फिल्मो के लिए भी गाना गायेंगी?
०० जी संगीत की कोई सीमा नही होती. अभी एक हिन्दी फ़िल्म के लिये रिकार्डिग किया है और भोजपुरी के लिये भी बात हो रही है..अवसर मिलेगा तो संगीत के हर अंदाज़ को जानना चाहूँगी. नया करना चाहूँगी।
० आप अपना प्रेरणाश्रोत किसे मानती है?
०० मेरी प्रेरणा मेरी माँ श्रीमती माया जैन हैँ
० आपका आदर्श कौन है , जिसे आप फॉलो करती है ?
०० आदर्श लता मंगेशकर जी हैँ

० कभी आपको निराशा महसूस हुई है और कभी ऐसा क्षण आया है जब आप बहुत खुश हुई हो?
०० मुम्बई की चमक के पीछे के अँधेरे को जानकर, झेलकर बहुत निराशा हुई थी। और जब मुझे नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया उस दिन बेहद खुशी हुई थी।

शनिवार, 23 अप्रैल 2016

फिल्मों को ही करियर बनाएंगी अनिकृति

माता-पिता को गर्व है इस बेटी पर
छालीवुड में एल्बम से फिल्मो में कदम रखने वाली नायिका अनिकृति चौहान की तमन्ना छालीवुड में बहुत कुछ करने की है। वे कहती है कि मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता। फिल्मों में काम करने का अनिकृति चौहान को कोइ शौक नहीं था लेकिन अपने दोनों चाचा आनंद और
लक्ष्मण चौहान की प्रेरणा से फिल्मों में आई और अब फिल्मों को ही करियर बनाना चाहती है। वे कहती है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में गुणवत्ता हो तो जरूर थियेटरों में चलेगी।
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 चार साल हुए है मुझे छालीवुड में आये। एक्टिंग का शौक नहीं था। पर एल्बम करने के बाद आफर मिला तो फिल्में करने लगी।
0 छालीवुड की क्या सम्भावनाये है?
00 बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए । थियेटरों  की कमी को सरकार पूरा करे।
0 तो छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है?
00 क्योकि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां होती है। फिल्मो में वो गुणवत्ता नहीं होती जो यहां के लोगो को चाहिए। प्रोड्यूसरों को इस और ध्यान देने की जरुरत है।
0 फिर मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
0 एल्बम में काम करने के बाद लोगो ने मेरा अभिनय देखा और फिल्मो में मौका दिया। मेरे दोनों चाचा ही मेरे प्रेरणाश्रोत है जो हर पल मेरे साथ होते है।
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
00 हाँ ! शुरू में तो नहीं सोची थी पर अब मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चली हूँ। अब इसी लाईन पर काम करती  रहूंगी।
0  छालीवुड फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगे।
00 फिल्मों में लीड रोल ही करना चाहूंगी। छातीसगढी फिल्मों के अलावा हिन्दी  फिल्मों का आफर मिला तो वे जरूर करना चाहेंगी।
0 सरकार से आपको क्या अपेक्षाएं हैं?
00 सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
00 छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहती हूँ। छालीवुड स्टारडम सिने अवार्ड में मुझे सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री का अवार्ड मिला जिससे मेरा हौसला और बढ़ा है। मेरे माता-पिता और पूरा परिवार मुझ पर गर्व करने लगा है। मै उनकी उम्मीदों पर खरा उतरकर दिखाना चाहूंगी। सच बताऊँ अवार्ड समारोह में जाने में मुझे डर लग रहा था। सबके जिद्द पर गयी और आज सब मुझ पर गर्व कर रहे हैं।

बच्चों में खासी लोकप्रिय है मोना

छत्तीसगढ़ी फिल्मों की सुपर स्टार मोना सेन बच्चों में काफी लोकप्रिय है। वे जहां भी जाती है लोग उन्हें घेर लेते हैं। मोना भी अब समाजसेवा में जूट गयी है। कुछ सालो से दुर्ग और महासमुंद में गरीब बच्चों को गोद लेकर उनके शिक्षा दीक्षा एवं लालन पालन का खर्चा उठा रही है। अब मोना नक्सल प्रभावित बस्तर के सुदूर अंचल में जाकर सात बच्चों को गोद ली है। उनके शिक्षा दीक्षा एवं लालन पालन का खर्चा खुद उठाएंगी तथा उन्हें उनके पैरों पर खड़ा करेंगी। मोना कहती है कि ऐसा करने से उन्हें बहुत ही सुकून मिलता है। भविष्य में वे उन क्षेत्रों में जाएंगी जहां सरकारी मिशनरी नहीं पंहुच पाई है। मोना एक ऐसी अभिनेत्री है जिसका जलवा आज भी छत्तीसगढ़ के गाँवों में देखने को मिलता है। उन्हें तमाम सम्मान मिल चुका है कौशिल्या माता सम्मान , मिनीमाता सम्मान , नारी शक्ति सम्मान सहित उनके पास अनगिनत सम्मान प्राप्त है।

उभरते नायिका

नाम -तान्या तिवारी
उम्र  - 25 साल
मॉडलिंग से अभिनेत्री बनी
पहली फिल्म - भोजपुरी
छत्तीसगढ़ी फिल्म - 3

नाम -एलीना डेविड मसीह
पिता - दीपक मसीह
उम्र  - 22 साल
फिल्म - हिन्दी तेलुगु एक -एक
छत्तीसगढ़ी - 3 , तहलका - भोजपुरी
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नाम - अनुकृति चौहान
उम्र - 20 साल
फिल्म - आये हम बाराती
अवार्ड - बेस्ट डेब्यू एकट्रेस
माता पिता को गर्व है इस बेटी पर

नाम - दिव्या यादव
उम्र - 23 साल
पिता का नाम - बलराम सिंह यादव
माँ का नाम - नीलम यादव
डेब्यू मूवी - दबंग देहाती
हॉबी - डांसिंग
लक्ष्य - अपने माता पिता का नाम रोशन करना अच्छा नाम कमाना और अच्छी ऐक्ट्रेस बनना ।

नाम -अंजना दास
जन्म - 13 मई1994
डेब्यू मूवी- असली संगवारी
शौक - फिल्मों में काम करना
लक्ष्य - सर्वश्रेष्ठ नायिका बनना

नारी प्रधान फिल्म बनाने की योजना है : क्षमानिधि

खुद का दर्द भी कर सकता हूँ बयाँ
छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम है क्षमानिधि मिश्रा, जिसकी धमक बॉलीवुड में भी सुनाई देती है। जहाँ भी जाते हैं, कुछ न कुछ जुगाड़़ कर ही आते हैं। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन, आमिर खान जैसे कलाकारों के साथ काम करने का उन्हें मौका मिला है। वे सिर्फ कलाकार नहीं है बल्कि बहुप्रतिभा के धनी है। वे जितने अच्छे अभिनेता है उतने ही अच्छे गायक, गीतकार, लेखक, निर्माता, निर्देशक और कॉमेडियन भी है। वे जल्द ही एक नई नारी प्रधान फिल्म बनाने की योजना लेकर चल रहे है। उनका कहना है कि उस फिल्म में हो सकता है नायक ही ना हो। खुद के आंतरिक दर्द भी हो सकता है उस  फिल्म में। उनसे हमने हर पहलूओं पर बात की है।
0 आपकी फिल्म ऑटो वाले भांटो प्रदर्शन से पहले ही चर्चित हो गयी है। इससे आपको क्या उम्मीद है?
00 101 फीसदी उम्मीद है की लोग इस फिल्म को पसंद करेंगे? आशा से ज्यादा।
0 इस फिल्म की खासियत क्या है?
00 खासियत ही खासियत है । रोमैंस है कॉमेडी है , कर्णप्रिय गीत है , सुमधुर संगीत है। सभी प्रकार के मसाले हैं।
0 भविष्य की क्या योजना है?
00 एक नारी प्रधान फिल्म बनाने की है। नायकों को लेकर तो सभी फिल्म बनाते है मै कुछ हटकर करना चाहता हूँ। माँ -बेटी के भावनात्मक रिश्ते को लेकर फिल्म बनाऊंगा जिसमे खुद का दर्द भी शामिल हो सकता है। जिंदादिली के साथ जीता हूँ पर आतंरिक दर्द भी है।
0 ऑटो वाले भांटो फिल्म में आपने रायपुर को नए अंदाज में दिखाया है?
00 इस फिल्म में नई तकनीक है जो इसे 50 गुना ज्यादा बेहतर नबनाता है। अच्छी साउंड है। रायपुर को अच्छे ढंग से फिल्माया गया है। नया रायपुर भी दिखेगा और पुराना भी। छत्तीसगढ़ी क्रान्ति है यह फिल्म।
0 आप हमेशा प्रयोग करने के लिए जाने जाते हैं?
00 जरूर ,प्रयोग करते रहता हूँ। नई विधा को छत्तीसगढ़ में मैंने लाया। गाने में नया आधुनिक संगीत का प्रयोग मैंने किया आज सब वही कर रहे हैं।
0 सरकार से क्या मदद चाहिए?
00 छालीवुड को सरकार से सिर्फ इनडोर स्टूडियो चाहिए बस। प्राकृतिक संसाधन बहुत है। नहीं है तो थाना ,अस्प्ताल आदि जिसके लिए इनडोर स्टूडियो चाहिए। मिनी थिएटर चाहिए। सब्सिडी या लीज में ही दे दे। नहीं चाहिए निगम मंडल इससे कुछ नहीं होने वाला है। फिल्म इंडस्ट्री को उद्योग का दर्जा मिले।

पूरी तरह से कॉमेडियन फिल्म है ऑटो वाले भांटो

नारी के हर गुण का चित्रण है
छालीवुड के सफल निर्माता क्षमानिधि मिश्रा ने निर्देशन में बनी फिल्म  ऑटो वाले भांटो बनकर प्रदर्शन के लिए तैयार है। यह फिल्म अब तक बनी सभी छत्तीसगढ़ी फिल्मों से जऱा हटकर है। विशुद्ध रूप से यह कॉमेडियन फिल्म है , लेकिन एक पति पत्नी के बीच भावनात्मक सम्बन्ध को बेहतर ढंग से फिल्माया गया है। इसमें रोमांस, हास्य , मारपीट , एक्शन सहित सारे मसाले शामिल किये गए हैं। इस फिल्म का सकारात्मक पक्ष है गीत संगीत और कोरियोग्राफी।  ऑटो वाले भांटो में जितने भी कलाकार है सब अपना छाप छोड़कर जाता है , यह फिल्म की खासियत है।
निर्माता निर्देशक श्री मिश्रा ने बताया कि फिल्मों में हीरोइनों को निरीह बताया जाता हैलेकिन इस फिल्म में नारी को ही सबल बताया है। नारी की भावना और उनके जितने रूप हो सकते थे सब हमने दिखाया है यह फिल्म ही सबसे हटकर है। उपासना वर्षों से चरित्र अभिनेत्री की भूमिका निभाती रही है उसमे बहुत ही कलात्मक गुण है । हमने सारे गुण बाहर निकाला है। नायिका से हमने डांस कराया है तो फाइट भी कराया है। अभिनेत्री उपासना वैष्णव और सह अभिनेत्री उर्वशी साहू वास्तविक जीवन में अच्छी सहेली है वही हमने इस फिल्म में भी दिखाया है। पल में हंसना ,पल में झगडऩा , पल में समझौता करना ये सब हमने परदे पर दिखाया है जिसे दर्शक खूब इंज्वाय करेंगे। श्री मिश्रा ने बताया कि शूटिंग के दौरान हमने इन दोनों कलाकारों को खूब आजादी दी थी। चार लाएं का संवाद देकर मै दृश्य का सार बता देता था और कह देता था कि तुम लोग जो अच्छा कर सकते हो करो और ये लोग उतने ही बेहतर ढंग से अपना किरदार पूरा करती थी। ये खासियत है इन दोनों कलाकारों की।सीमा सिह अलग रूप में नजर आएंगी । इस फिल्म में दो बड़े नायक है सुनील तिवारी और करन खान। अलग अलग किरदार को दोनों ने बखूबी निभाया है।

संकट के दौर में भी बन रही है छत्तीसगढ़ी फिल्मे

 न सुविधाएं , न सरकारी मदद
छालीवुड में संकट का दौर अभी भी जारी है। फिल्में बनती है और लागतें नहीं निकल पाती फिर भी निर्माता साहस दिखा रहें है। हर साल औसतन दस फिल्में बन रही है। इसके अलावा भोजपुरी और हिन्दी फिल्में भी छत्तीसगढ़ में बन रही है। ना यहां किसी प्रकार की सुविधाएं है और ना ही सरकारी मदद। फिल्म निर्माताओं के हौसले और जज्बों की तारीफ़ ही करनी होगी जो बिना सुख सुविधाओं के फिल्में लगातार बना रहे है। आज हम यहाँ बनी अब तक की छत्तीसगढ़ी फिल्मों की ही बातें कर रहे हैं।
(1) कही देबे सन्देश (2) घर द्वार (3) मोर छइयां भुइयां (4) मया देदे, मया ले ले (5) मयारू भौजी (6) अंगना (7) छत्तीसगढ़ महतारी (8) कारी (9) तुलसी चौरा (10) झन भुलव मां बाप ला (11) मया (12) टूरा रिक्शावाला (13) लैला टिपटॉप, छैला अंगूठा छाप (14) भांवर (15) मया देदे मयारू (16) परदेशी के मया (17) मया (18) अब्बड़ मया करथंव (19) माटी के लाल (20) बैरी के मया (21) बिदाई (22) जय महामाया (23) बंधना (24) भकला (25) तीजा के लुगरा (26) गजब दिन भइगे (27) मिस्टर टेटकूराम (28) महूं दीवाना, तहूं दीवानी (29) हीरो न. 1 (30) टूरी न. 1 (31) लेडग़ा नं. 1 (32) छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा (33) मितान 420 (34) गुरांवट (35) अब मोर पारी हे (36) ऐ मोर बांटा (37) बैर (38) भुइयां के भगवान (39) घर द्वार (नई) (40) तरी हरी ना ना (41) दिल तोर दीवाना हे (42) कंगला होगिस मालामाल (43) किसान-मितान (44) संगवारी (45) मया के बरखा (46) मोंगरा (47) मोर धरती मईया (48) मोर गांव (49) मोर संग चलव (50) मोर गंवई गांव (51) मोर संग चल मितवा (52) मोर सपना के राजा (53) नैना (54) परशुराम (55) प्रीत के जंग (56) रघुबीर (57) तोर आंचल के छइयां तले (58) तोर मयां के मारे (59) तोर मया म जादू हे (60) तोर संग जीना संगी, तोर संग मरना (61) मोहनी (62) सजना मोर (63) किस्मत के खेल (64) मोर करम मोर धरम (65) अजब जिनगी गजब जिनगी (66) भोला अऊ शंकर (67) पहुना (68) मया के डोरी (69) बईरी सजन (70) दुल्हिन बना के ले जा (71) मोर दुलरवा (72) टूरा अनाड़ी तभो खिलाड़ी (73) जरत हे जिया मोर (74) गुरु बाबा घासीदास (75) गौना (76) डांड (77) पठौनी के चक्कर (78) गुहार रामराज के (79) अनाड़ी संगवारी (80) मया के बंधना (81) सीता (82) मया हो गे रे । 83 राजा छत्तीसगढिय़ा 84 . माटी मोर मितान , 85 महतारी के बँटवारा  86 .एक अउ अर्जुन 87 . सिधवा सजन , 88 तोर खातिर , 89 .राम बनाही जोड़ी 90 छलिया, 91 असली संगवारी (92) जय बम्लेश्वरी मइया (93 ) भोला छत्तीसगढिय़ा (94) सरपंच (95 ) दू लफाड़ू (96) गदर मताही (97) कका (98 ) मोहि डारे रे (99) गोलमाल (100) परेम के जीत (101) सलाम छत्तीसगढ़ (102 ) महतारी(103 ) मया के घरौंदा (104 ) तोला ले जाहू उढ़रिया (105 ) सोन चिरैय्या (106 ) दाई (107) धरती पुत्र   (108) दबंग देहाती(109 ) मया के मंदिर (110) मया 2 (111) मोर डौकी के बिहाव (112) ऑटो वाले भांटो (113) पागल (114) बेलबेलही टूरी (115) आये हम बाराती।
डब फि़ल्में
(116 ) संग म जीबो संग म मरबो, (117 ) मोर सैंया (118 ) अनाड़ी संगवारी, (119 ) चंदन बाबू, (120 ) हर हर महादेव, (121)लेडग़ा ममा (122) लोरिक चंदा, (123 ) मन के बंधना,(124) मया मा फूल मया मा कांटे, (125) माटी मोर महतारी, (126)पुन्नी के चंदा, (127) सीता,

अप्रदर्शित फिल्मों में
प्रदर्शित फिल्मों की सूची के साथ ही निर्माणाधीन अप्रदर्शित फिल्मों में (1) बही तोर सुरता म (2) तोर मोर यारी (3) प्रेम सुमन (4) राजा छत्तीसगढिय़ा 2 (5) दीवाना छत्तीसगढिय़ा (6) चक्कर गुरूजी के (7) (8) जागो रे (9) संगी रे (10) (11) धुरंधर (12) किरिया (13)  बेर्रा (14) मया के धरांैदा (15) नचकारिन (16) छैला (17) कोयला (18) मेहंदी तोर नाम की (19) तोला ले जाहू उढ़रिया (20) सोन चिरैय्या (21) अंजोर (22) मया के सौगंध (23) फुलकुंवर (24) नागिन के मया।

स्पॉट ब्वाय से हीरो बना आर्यध्वज

बेहतरीन अभिनय से सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेता का अवार्ड
फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा में सुपर स्टार अनुज शर्मा के दोस्त की भूमिका में नजर आने वाले आर्यध्वज ने बहुत ही कम समय छालीवुड में अपनी पहचान बना ली है। स्पॉट बॉय से उन्होंने अपना करियर शुरू किया था, फिर एल्बम में काम किया। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें आज हीरो के करीब ला खड़ा किया है। राजा छत्तीसगढिय़ा उनकी बतौर सह अभिनेता दुसरी फिल्म थी जिसमे उसे ब्रेक मिला। अनुज शर्मा के साथ काम करने का उन्हें बहुत बड़ा फ़ायदा मिला है। आर्यध्वज की इच्छा एक हीरो के रूप में पहचान बनाने की है। 2015 के छालीवुड सिने अवार्ड में उन्हें बेस्ट डेव्यू हीरो का अवार्ड दिया गया।
आर्यध्वज का कहना है की जीवन्तपर्यन्त वह छालीवुड में काम करता रहेगा। अगर मेरी मौत भी हो तो वह किसी फिल्म के सेट पर ही हो। आर्यध्वज ने बताया की एक्टिंग उन्होंने एल्बम से शुरू किया पहले स्पॉट बॉय था फिर मेकअप मेन बना , फिर एल्बम में अभिनय करने लगा। अभिनय करते करते अपनी मेहनत और लगन से आज इस मुकाम पर है । सबसे पहले फिल्म छलिया में उन्हें हीरो के रूप में काम मिला लेकिन उनकी पहचान बनी फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा से। इस फिल्म में वे सुपर स्टार अनुज शर्मा के दोस्त का किरदार निभाया है। अभी हाल ही बनकर तैयार हुई फिल्म बही तोर सुरता म में आर्यध्वज ने मुख्य भूमिका निभाया है। उनका कहना है की इस फिल्म में मुझे अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला है। पर अभी और बहुत कुछ करना है। इसलिए अपने कामों से संतुष्ट होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। अभी तो शुरुआत है ,लक्ष्य बाकी है। आर्यध्वज साउथ के हीरो धनुष के बहुत बड़े फेंन है। क्षेत्रीय कार्यक्रमों से प्रेरणा लेकर आर्यध्वज आगे बढ़ रहे अहइ। उनके मन में लगन और दृढ़ इच्छा है , जो उन्हें कामयाब बनाता है।

प्रकाश - अनुज फिर एक साथ ....... !

छालीवुड की चर्चित जोड़ी पर है सबकी नजऱ
छालीवुड के दो बड़े शीर्ष कलाकार पद्मश्री अनुज शर्मा और प्रकाश अवस्थी पर छत्तीसगढ़ की जनता की नजर है। सन 2009 में फिल्म भांवर के बाद इन दोनों कलाकारों ने किसी भी फिल्म में एक साथ काम नहीं किया है। छत्तीसगढ़ की जनता इन दोनों कलाकारों को एक साथ देखने को फिर आतुर हैं लेकिन ये स्टार फिर एक साथ किसी फिल्म में नजर आएंगे,कहना मुश्किल ही है। अनुज शर्मा की फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा को यहां की जनता ने हाथोहाथ लिया और कमाई का एक नया रिकार्ड भी बनाया। वहीं प्रकाश अवस्थी की फिल्म मया 2 ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। कुल मिलाकर दोनों कलाकारों को जनता ने पसंद किया है।
अनुज और प्रकाश ने बतौर नायक दो फिल्मों मया और भांवर में एक साथ काम किया है। पर भांवर में दोनों के अभिनय को खूब सराहा गया। इसके अलावा कुछ और फिल्में है जिसमे दोनों कलाकारों ने अभिनय किया है। भांवर फिल्म को बने सात साल बीत गया उसके बाद ये दोनों स्टार एक साथ किसी और फिल्म में नजर नहीं आये। छत्तीसगढ़ में गिने चुने ही हीरो हैं जिन्हे यहां की जनता परदे पर देखना पसंद करते हैं । छत्तीसगढ़ी फिल्मों के दीवाने इन्हे फिर एक साथ एक ही परदे पर देखना चाहते हैं। अब परिस्थितियां बदली हुई है फिर कभी एक सार्थ किसी फिल्म में नजर आएंगे यह कहना बहुत ही मुश्किल है। हालांकि दोनों कलाकार इससे इंकार भी नहीं कर रहे हैं। प्रकाश अवस्थी का कहना है कि भगवान ने चाहा तो जरूर साथ साथ दिखेंगे।
अनुज शर्मा की फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा ने 2015 के अंत में खूब धूम मचाई है। 30 टाकीजों में एक साथ रिकार्डतोड़ कमाई की है । उनकी एक और फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा 2 बनकर तैयार है। वही प्रकाश अवस्थी की फिल्म मया 2 ने भी रिकार्डतोड़ कमाई  अच्छा प्रदर्शन किया और वर्ष 2015 की सर्वश्रेष्ठ फिल्म बनी। अब देखना है कि ये कलाकार जनता की इच्छा को पूरी करते है या..............!

बदल गए हैं छालीवुड के सर्वश्रेष्ठ चहरे

मनोज जोशी, पवन गुप्ता, क्षमानिधि मिश्रा ,उपासना वैष्णव, मनोजदीप ,उर्वशी साहू, पुष्पांजली शर्मा , ललित उपाध्याय है अब श्रेष्ठ
छालीवुड के एक से बढ़कर एक कलाकार हैं लेकिन सर्वश्रेष्ठ कलाकारों के चेहरे इस बार बदल गए है। मनोज जोशी सर्वश्रेष्ठ अभिनेता हैं तो पवन गुप्ता सर्वश्रेष्ठ निर्देशक हैं। क्षमानिधि मिश्रा सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन है , तो उर्वशी साहू सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेत्री हैं। उपासना वैष्णव सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री , पुष्पांजली शर्मा सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेत्री ललित उपाध्याय सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेता और मनोजदीप सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर हैं।
   - अरुण बंछोर
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सर्वश्रेष्ठ अभिनेता मनोज जोशी
छालीवुड ने इस बार इतिहास रचा। पहली बार रायपुर से बाहर भिलाई के कलाकारों ने अवार्ड में बाजी मारी। फिल्म तोर खातिर के नायक मनोज जोशी ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवार्ड हासिल कर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की । मनोज ने न केवल बेहतर अभिनय किया बल्कि अपने संवाद और एक्शन से सबका दिल जीत लिया। पहले छालीवुड स्टारडम ने फिर फि़ल्मी छत्तीसगढ़ ने उन्हें बेस्ट हीरो का अवार्ड दिया तो पूरी स्टेडियम तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। मनोज में अपना अवार्ड तोर खातिर की टीम को समर्पित करते हुए कहा की यह मेरे जीवन का अनमोल क्षण है। उन्होंने कहा की हमारी पूरी टीम ने इस फिल्म में बहुत मेहनत की थी। रात दिन हम एक कर दिए थे। हमारी मेहनत आज सफल रही। थैंक्स छॉलीवुड स्टारडम, थैंक्स फि़ल्मी पत्रिका।

सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पवन गुप्ता
फिल्म तोर खातिर के निर्देशक पवन गुप्ता ने भी इस बार इतिहास रचते हुए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का अवार्ड अपने नाम कर लिया । उनके निर्देशन में बनी यह पहली फिल्म है और इस फिल्म ने अभिनेता अभिनेत्री डायरेक्टर सहित 14 अवार्ड हासिल कर एक नया कीर्तिमान बनाया है। पवन गुप्ता ने सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का अवार्ड लेने के बाद छालीवुड स्टारडम के मंच से कहा की यह मेरी पहली फिल्म है और पहली ही फिल्म में अवार्ड लेकर मै नबहत ही गर्व का अनुभव कर रहा हूँ। मेरे सारे कलाकारों ने बहुत सहयोग किया जिसके चलते आज मै यह मुकाम हासिल कर पाया हूँ। पवन गुप्ता पहले ऐसे निर्देशक बन गए हैं जिन्होंने 1पहली ही फिल्म में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का  पुरस्कार जीता है। उन्होंने पुरस्कार स्वीकार करते हुए कहा, मुझे यकीन नहीं हो रहा कि ऐसा हो रहा है। इस पुरस्कार को प्राप्त करना बहुत शानदार अनुभव है। मैं यह पुरस्कार अपनी कास्ट, सहकर्मियों और फिल्म के सदस्यों के साथ बांटना चाहता हूं जिनके कारण यह फिल्म बनी।

सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता क्षमानिधि
छालीवुड स्टारडम सिने अवार्ड में क्षमानिधि मिश्रा को सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन को अवार्ड  गया है। छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम है क्षमानिधि मिश्रा, जिसकी धमक बॉलीवुड में भी सुनाई देती है। जहाँ भी जाते हैं, कुछ न कुछ जुगाड़़ कर ही आते हैं। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन, आमिर खान जैसे कलाकारों के साथ काम करने का उन्हें मौका मिला है। वे सिर्फ कलाकार नहीं है बल्कि बहुप्रतिभा के धनी है। वे जितने अच्छे अभिनेता है उतने ही अच्छे गायक, गीतकार, लेखक, निर्माता, निर्देशक और कॉमेडियन भी है। योगिता आर्ट्स फिल्म प्रोडक्शन के बैनर तले पहली वीडियो फिल्म बंशी में अभिनेता के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले मिश्रा जी शासकीय योजनाओं पर आधारित आंचल वीडियो फिल्म में निर्माता निर्देशक के साथ विभिन्न आडियो, वीडियो एलबमों के निर्माता हैं । उनके लगभग आज तक 200 से अधिक आडियो कैसेट रिलीज हो चुके हैं जिनमें रसगुल्ला, नोनी, बेन्दरी, गुलेल गोली, तोर सुरता मा, मोहनी, वीडियो एलबमों में संगी के मया, मेड इन जापान, ये दद्दा रे के साथ धारावाहिक कार्यक्रमों का दूरदर्शन से प्रसारण में मकान हाजिर है में गायक व अभिनेता के भूमिका में रहें । उन्होंने विज्ञापन फिल्म मयूर प्लाई, बजाज पंखा के लिए भी काम किया छत्तीसगढ़ के प्रसिध्द फिल्में मोर छइंया भुइंया, मयारू भौजी, लेडग़ा नं. 1 में वे अभिनेता रहे । उन्हें छत्तीसगढ़ शासन और छालीवुड स्टारडम द्वारा बेस्ट कामेडियन एवं अन्य पुरस्कार व सम्प्रति प्रदान की गयी हैं ।

सर्वश्रेष्ठ सहनायिका उपासना वैष्णव
छत्तीसगढ़ी फिल्मो की सबसे सीनियर अदाकारा उपासना वैष्णव को इस वर्ष सर्वश्रेष्ठ सहनायिका का अवार्ड मिला। अवार्ड लेने के लिए वह मंच पर तो नहीं थी लेकिन यह उनके लिए  का  खुशनुमा पल था। उन्होंने अब तक 85 फिल्मे की है जिसमे अधिकाँश फिल्मों में वे माँ की भूमिका में ही है। उसने हिन्दी,तेलुगु और भोजपुरी फिल्मे भी की है। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में उपासना बच्चों पर प्यार लुटाती हुई नजर आती है पर उसे खुद निगेटिव रोल पसंद है। मया2 फिल्म में उन्होंने निगेटिव किरदार किया है जिसे दर्शकों ने खूब पसंद कियायह भूमिका उन्हें भी पसंद है। तँहू दीवाना महू दीवाना से वह खलनायिका के नाम से चर्चित हुई ,लकिन मोर डौकी के बिहाव और ऑटो वाले भांटो में वह नायिका के रूप में सामने आई। क्षमानिधि मिश्रा ने इस रोल में उन्हें आजमाया और सफल रहे। उपासना कहती है कि रोल कोई भी हो उसे जीवंत बनाना ही उनका शौक है। अब वह कुछ हटकर रोल करना चाहती है। वे कहती है कि हमारी इमेज एक साफ सुथरी और आदर्श नायिका की होती है जिसे पूरी तरह भुला कर हमें एक ऐसा किरदार निभाना पड़ता है जो खलनायिका के गुण भी दिखा दें और दर्शक भी उसे पसंद करें ।

सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर मनोजदीप
कोरियोग्राफर मनोजदीप आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वे जितने अच्छे अभिनेता है उतने ही अच्छे डायरेकटर, फाइटर और कोरियोग्राफर है। उन्हें इस साल सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर का अवार्ड दिया गया। उनका कहना है कि मैंने बहुत संघर्ष किया है। जब मैं शुरू में आया था तो मेरा कोइ ठिकाना नहीं था। मैं भूखा भी सोया हूं। फिल्मों में कोरियोग्राफी का मौका मिलने के बाद मेरी जिंदगी बदल गई। वे कहते हैं की आज हर माता-पिता अपने बच्चों को बहुआयामी बनाना चाहते हैं लेकिन करियर की जब बात आती है तो सिर्फ इंजीनियरिंग या डॉक्टरी जैसे बरसों से चले आ रहे रुढि़वादि क्षेत्रों में ही आगे बढऩे पर जोर दिया जाता है। सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा पेंटिंग भी करे, गाए भी, नाचे भी पर करियर की बात आते ही इन क्षेत्रों से मुंह फेर लिया जाता है।यदि गहराई से सोचा जाए तो नाचने-गाने जैसे क्षेत्र में भी अच्छा पैसा और नाम कमाया जा सकता हैं। कोरियोग्राफी आज एक नए और अनोखे करियर के रूप में सामने आया है। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए अधिक समस्या भी नहीं होती। आपको संगीत के साथ थिरकना पसंद है और शरीर में लचीलापन है तो आपके पास भी एक मौका है कि कोरियोग्राफर बन जाइए।

सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेत्री उर्वशी साहू
छत्तीसगढ़ी फिल्मो की चर्चित नाम है उर्वशी साहू जिन्होंने 19 फिल्मों में माँ और भाभी की भूमिका निभाई है। झन भुलाहू माँ-बाप ला उनकी पसंदीदा फिल्म है। मोर डौकी के बिहाव , ऑटो वाले भांटो , दबंद देहाती और मया 2 में तो उन्होंने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। ऑटो वाले भांटो फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट हास्य अभिनेत्री का एवार्ड मिला है। अवार्ड मिले के बाद उर्वशी ने कहा कि वो लोककला मंच के कलाकारों के लिए कुछ करना चाहती है और  उसके लिए ही जीना चाहती है । उर्वशी कहती है कि उसे सभी तरह के रोल पसंद है।छत्तीसगढ़ में कलाकारों की भरमार है , जरुरत है उन्हें तराशने की। गाँव गाँव ,गली-गली में कलाकार मिलेंगे , उन्हें फिल्मो में मौका मिलना चाहिए। वे कहती है कि अच्छी कहानी हो और अच्छे- अच्छे कलाकार हो तो छत्तीसगढ़ी फिल्मे भी अच्छी चलेंगी। एक्टिंग और डांसिंग उनका शोक है। लगभग 65  फिल्मो में अपने अभिनय का जादू चला चुकी उर्वशी हिन्दी भोजपुरी फिल्मो में भी अभिनय कर चुकी है। चुनौतीपूर्ण भूमिका उन्हें बहुत पसंद है।

सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेत्री पुष्पांजली शर्मा
सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेत्री का खिताब जीतने वाली पुष्पांजली शर्मा का यह पहला लेकिन जीवन का सबसे अहम अवार्ड है । छालीवुड स्टारडम ने उन्हें 2014 और 2015 का सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेत्री का अवार्ड दिया। पुष्पांजली ने मां की भूमिका निभाकर एक अलग अध्याय रचा है। उन्हें प्रकाश अवस्थी, अनुज शर्मा, करण खान, चन्द्रशेखर चकोर जैसे तमाम बड़े नायको की माँ की भूमिका निभाने की वजह से ही छत्तीसगढ़ की निरुपा राय भी कहा जाता है। पुष्पांजली ने 71 फिल्मों में माँ की भूमिका निभाई है। मया के घरौंदा में उनकी भूमिका वाकई गजब थी। मां के रूप में जब भी पर्दे पर आई लोगों ने उन्हें खूब प्यार दिया। पहुना, टूरी नंबर वन आदि में उनकी भूमिका दमदार थी। लेकिन पुष्पांजली खुद विदाई और मया 2 में अपनी भूमिका को सबसे अच्छी मानती है। पुष्पांजली को आज छत्तीसगढ़ी सिनेमा की बेहतरीन अदाकारा माना जाता है। फिल्मों में उनकी एंट्री बड़े ही निराले ढंग से हुई। कभी अभिनय न तो की थी और ना ही कभी सोची थी। डायरेक्टर एजाज वारसी इन्हे फिल्मो में लेकर आये और डॉ अजय सहाय ने इनका हौसला अफजाई किया, जिसकी वजह से ही आज वे इस मुकाम को पा सकी है। वे कहती है कि मां के चरित्न को फिल्म में जीवंत बनाने की पूरी कोशिश करती हूँ। 80  से अधिक फिल्मो में काम कर चुकी पुष्पांजली को किस्मत ने फिल्मो में खिंच लाया। माँ की भूमिका निभाना उन्हें बेहद पसंद है वैसे पुष्पांजली कई फिल्मो में भाभी की भूमिका भी निभा चुकी है। उनकी तमन्ना इस भूमिका को लगातार आगे भी जीते रहने की है।

सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेता ललित उपाध्याय
छत्तीसगढ़ी फिल्मो के सीनियर कलाकार ललित उपाध्याय को इस वर्ष का सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेता का अवार्ड मिला तो पूरा स्टेडियम तालियों से गूँज उठा । छालीवुड स्टारडम ने उन्हें मया 2  बेहतर अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेता का अवार्ड दिया । अवार्ड लेने के लिए वह मंच पर तो नहीं थी लेकिन यह उनके लिए  का  खुशनुमा पल था। बाद में फि़ल्मी पत्रिका ने भी उन्हें यही अवार्ड से नवाजा । उन्होंने अब तक कई फिल्मे की है जिसमे अधिकाँश फिल्मों में वे पिता की भूमिका में ही है। उसने हिन्दी और भोजपुरी फिल्मे भी की है। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में ललित बच्चों पर प्यार लुटाते हुए नजर आते है मया2 फिल्म में उन्होंने नायक के पिता किरदार निभाया है जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। यह भूमिका उन्हें भी पसंद है। 1982 में वह रंगकर्म से जुडा और 40 नाटकों में काम किया। मोर छइयां भुइंया में उन्हें ब्रेक मिला और वे आगे बढ़ते गए। इस अवार्ड को उन्होंने  जींदगी का सबसे खूबसूरत संपत्ति बताया है।

रील लाइफ को रियल लाइफ में उतारने की कोशिश होना चाहिए

 लोग मुझे सिंगर के रूप में ही पहचाने  : संगीता
छत्तीसगढ़ी फिल्मो की सहकलाकार संगीता निषाद की दिली तमन्ना सिंगर बनने की है। वे आगे जाकर गायन के क्षेत्र में ही कॅरियर बनाना चाहती है। संगीता भरथरी गायन की एक अच्छी कलाकार है और अभी स्टेज शो भी करती है। वास्तविक जिंदगी में भी संगीता काफी संघर्ष कर रही है। परिवार चलाने के साथ साथ उन पर अपने भाई बहन को पढ़ाने लिखाने की भी जिम्मेदारी है। वे कहती है कि रील लाइफ हमें प्रेरणा देती है जिसे मैं रियल लाइफ में भी उतारने की कोशिश करती हूँ।
संगीता कहती है कि मन में लगन और इच्छा हो तो कोई भी काम किया जा सकता है। वक्त ने मुझे फिल्मो में खींच लाई । मुझे जो भूमिका मिलती है उसे मै पूरी ईमानदारी से निभाती हूँ । उनकी आवाज में जादू है , वे चाहती भी है कि वे अच्छी सिंगर बने उनकी अब भी यही कोशिश है कि  सिंगर के रूप में ही पहचाने । संगीता भरथारी गायन के साथ अभी मै स्टेज शो करती है साठ ही नाट्य मंचन में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती है । वे कामतादास मानिकपुरी के साथ मै काफी स्टेज शो कर चुकी हूँ। संगीता बताती है की बचपन से ही मै भरथरी गीत के प्रति आकर्षित रही हूँ । फिल्मो में जरुर आ गयी पर मेरी रूचि गायन में ही है । फिल्मों में मै भाभी और बहन की भूमिका अदा करती हूँ और मुझे जो भी भूमिका मिलती है उसे पूरी तरह से डूबकर निभाती हूँ। फिलहाल मैंने अभी पांच फिल्मे की है। हिन्दी फिल्मों में संगीता को रेखा और काजोल पसंद है तथा छत्तीसगढ़ी फिल्मों में पुष्पांजली और उपासना बेहद पसंद है। पर वे किसी को फॉलो नहीं करती है। उनका कहना है कि रील लाइफ और रियल लाइफ में बहुत फर्क होती है। रियल लाइफ को संघर्षपूर्ण होने के बाद भी जीना पड़ता है और रियल लाइफ हमें प्रेरणा देती है। जो रील लाइफ में होता है उसे रियल लाइफ में उतारने की कोशिश करना चाहिए।

गॉडफादर जैसे रोल का इन्तजार में

 सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुष्पेंद्र सिंह
छत्तीसगढ़ के जाने माने स्टार पुष्पेन्द्र सिंह में खूबियों का खजाना है। वे एक अच्छे कलाकार है तो उतने ही अच्छे निर्माता निर्देशक और लेखक भी हैं। पुष्पेंद्र सिंह 2015 के सर्वश्रेष्ठ खलनायक है। छालीवुड स्टारडम ने उन्हें 5 मार्च को सिने अवार्ड समारोह में इस खिताब से नवाजा था। उन्हें अपने काम के प्रति जूनून है। उनका कहना है कि - कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती , लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती। उन्हें आज भी गॉडफादर जैसे रोल का इन्तजार है, जो किसी के जीवन पर आधारित हो। पुष्पेन्द्र सिंह मुम्बई में भी अपनी कला का लोहा मनवा रहे हैं। उन्होंने सीरियलों में 100 से ज्यादा एपिशोड कर चुके हैं। छत्तीसगढ़ी फिल्मों के भविष्य के बारे में उनका कहना है कि जब तक टेक्नीकल क्षेत्र में एक्सपर्ट लोग नहीं होंगे तब तक ऐसी ही कमजोर फिल्मे बनती रहेंगी। यहां जिसे जो नहीं आता वही करते हैं । गायक निर्देशक बन जाता है। कोई भी फाइट मास्टर बन जाता है। कोई प्लानिंग नहीं होती जो पैसा नहीं लेते वही कलाकार यहाँ चलते है। तो आप अंदाज लगा ले कैसी फिल्मे बनेंगी।
पुष्पेंद्र सिंह थिएटर से अपने करियर की शुरुआत की है और आज एक मंजे हुए बड़े  कलाकार हैं । सलमा सुलतान की धारावाहिक सुनो कहानी में जब उन्हें मौका मिला तो फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने भारतभूषण जैसे महान एक्टर के साथ काम किया है। पुष्पेंद्र जी बताते हैं कि मेरी कला मेरे पिताजी की देंन है। एक कार्यक्रम में कृष्ण बनाकर मुझे जबरन खड़ा कर दिए थे वही मेरे प्रेरणाश्रोत है। आगे बढऩे में मेरी पत्नी का भी बहुत सहयोग है। जिसके कारण मैं कलाकार हूँ । मै बार बार टूटता हूँ ,बार बार सम्हालता हूँ । मुझे ढर्रे पर जीना नहीं आता। यहां आलोचना करने वाले तो बहुत मिल जाएंगे पर साथ देने वाले नहीं। कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होप्ती , लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती। बस मै यही जानता हूँ।
नायिकाओं की कमी है
पुष्पेंद्र की नजर में छत्तीसगढ़ में नायिकाओं की कमी जरूर है। लडकिया बहुत है पर अच्छे घरों की लडकियां इस फिल्ड में आना नहीं चाहती क्योकि उन्हें वो सम्मान नहीं मिलता जो वो चाहतीं हैं। इसलिए कमी बनी हुई है। मै साल में दो ही फिल्मों में काम करूंगा पर अच्छा करूंगा। मैंने अपना ग्रुप तैयार किया है एसपी इंटरटेनमेंट के बैनर पर हमने काम शुरू किया है। इस क्षेत्र में काम करते रहेंगे। उनका ये बी कहना है कि मुझे आज तक पसंद का रोल नहीं मिला। साइलेंट करेक्टर चाहिए ,पता नहीं कभी मिल पायेगा या नही।गॉडफादर जैसे रोल करने की तमन्ना है, जो किसी के जीवन पर आधारित हो। जैसे महात्मा गांधी।

छालीवुड की ख़ास ख़बरें

शीघ्र दिखाई देगा छत्तीसगढ़ी चैनल मोगरा
छत्तीसगढ़ में क्षेत्रीय भाषा के पहली चैनल मोगरा जल्द ही शुरू होने वाला है। निर्माता निर्देशक पवन गुप्ता ने भिलाईनगर में इस चैनल की स्थापना की है। इस चैनल के शुरू होने से छत्तीसगढ़ी कलाकारों को न केवल एक बेहतर मंच मिलेगा बल्कि रोजगार का साधन भी होगा। चैनल के हेड पवन गुप्ता का कहना है कि छत्तीसगढ़ी भाषा में चैनल की कमी मुझे महसूस हो रही थी। इसलिए मैंने यह शुरू करने का फैसला किया है। इसमें गाने, फिल्म और छत्तीसगढ़ी भाषा में धारावाहिक का प्रसारण किया जाएगा।

फिर लौटेगा पुराने निर्माताओं का दौर
पिछले कुछ सालो से बड़े और दिग्गज निर्माताओं की फिल्में देखने को नहीं है ।  लेकिन जल्द ही पुराने निर्माता फिर फिल्म की शूटिंग करते नजर आएंगे। पहले भी हिट फिल्म दे चुके मनोज वर्मा जल्द ही अपने नए प्रोजेक्ट को लेकर मैदान में उतरने वाले हैं। उन्होंने फिल्म शूटिंग की तैयारी कर ली है। इसी तरह क्षमानिधि मिश्रा ऑटो वाले भांटो फिल्म के प्रदर्शन से बेहद खुश है और जल्द ही एक और नारी प्रधान फिल्म बनाने की तैयारी में है। इस बार भी वे कुछ काटकर करना चाहते है।

पांच फिल्में प्रदर्शन के लिए तैयार
छत्तीसगढ़ी भाषा में बनी पांच फिल्में अब प्रदर्शन के लिए तैयार है ।चक्कर गुरूजी के , तोर मोर यारी ,कोइला , बही तोर सुरता म, और राजा छत्तीसगढिय़ा 2 की शूटिंग पूरी हो चुकी है। चक्कर गुरूजी केफिल्म में निर्माता निर्देशक और नायक चन्द्रशेखर चकोर है। इस फिल्म से उन्हें काफी उम्मीदें है क्योकि यह फिल्म शिक्षा में व्याप्त अव्यवस्था का खुलासा करती है तथा दर्शकों क एक बेहतर संदेश देती है। राजा छत्तीसगढिय़ा 2 सुपर स्टार अनुज शर्मा अभिनीत फिल्म है जिसे राजा छत्तीसगढिय़ा1 की अपार सफलता के बाद निर्माता अनुराग साहू ने बनाया है। तोर मोर यारी ,कोइला , बही तोर सुरता म ये तीन ऐसी फिल्म है जिसकी नायिका तान्या तिवारी है।

ये कैसा मेहनताना
छत्तीसगढ़ में एक हिन्दी फिल्म की शूटिंग इन दिनों चल रही है। इस फिल्म में जितने भी कलाकार है उन्हें मेहनताना नहीं के बराबर दिया जा रहा है लेकिन काम में कोई कोताही नहीं बरती जा रही है। बयाता जा रहा है की इस फिल्म की नायिका को मात्र 5000 रुपये ही दिए जाएंगे। उस हीरोइन ने भी इतने ही रकम में काम करने एके लिए राजी हो गयी गई है। अगर यही हाल रहा तो कलाकारों के दिन नहीं बहुरेंगे।

चल पडी ऑटो वाले भांटो
सुनील तिवारी अभिनीत फिल्म ऑटो वाले भांटो इस साल प्रदर्शन होने वाली चौथी फिल्म हैऔर इन चरों फिल्मों में सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है । पहली फिल्म मया के मंदिर सिर्फ एक हप्ते ही चल पाई, वही हाल धरतीपूत का रहा ,तीसरी फिल्म पगला को देखने दर्शक टाकीज नहीं पंहुचे। चौथी फिल्म है ऑटो वाले भांटो जिसने पहले हप्ते अच्छी कमाई की है। यह फिल्म दर्शकों को पसंद आ रही है क्योकि इसमें सकारात्मक सन्देश है। निर्माता क्षामानिधि मिश्रा ने भी इस फिल्म में काम किया है। उनका कहना है कि मुझे इस फिल्म से यही उम्मीदें थी। उपासना उर्वशी की एक्टिंग को देखने लोग जरूर टाकीज पहुंचेंगे। मई इस फिल्म के प्रदर्शन से संतुष्ट हूँ।

अब भोजपुरी फिल्म को डायरेक्ट करेंगे मनोजदीप
छत्तीसगढ़ी और हिन्दी फिल्म का निर्देशन कर चुके छत्तीसगढ़ के बेस्ट कोरियोग्राफर मनोजदीप अब एक भोजपुरी फिल्म को डायरेक्ट करते नजर आएंगे। चर्चित अभिनेता मुकेश वाधवानी एक भोजपुरी फिल्म की शूटिंग करने जा रहे है जिसे मनोजदीप डायरेक्ट करेंगे और कोरियोग्राफर भी होंगे। फिल्म के सभी पात्रों का चयन कर लिया गया है सिर्फ हीरोइन की तलाश है। मनोजदीप इन दिनों महाराष्ट्र में हिन्दी फिल्मों की डबिंग में व्यस्त है।

छालीवुड को मिला नया खलनायक

मनोजदीप ने भरा खालीपन
छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री यानी छालीवुड को एक नया खलनायक मिल गया है। कोरियोग्राफर निर्देशक मनोजदीप एक बेहतर खलनायक बनकर उभरें हैं। या हम यह कह सकते हैं की मनोजदीप ने कुछ सालों से छालीवुड में हो रही खलनायक की कमी पूरी कर दी है।डांसिंग से करियर शुरू करने वाले  बहुत ही कम समय में ऊंची छलांग लगाई है। न केवल वे छालीवुड के सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर है बल्कि एक अच्छे अभिनेता और निर्देशक भी है। छालीवुड स्टारडम सिने अवार्ड में उन्हें माटी मोर मितान के लिए सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर का अवार्ड मिला हैं।
छालीवुड के सर्वश्रेष्ठ खलनायक माने अजाने वाले गिरधारी पांडे यानि मनमोहन ठाकुर के हीरो बन जाने के बाद इंडस्ट्री को एक अच्छे खलनायक की जरुरत महसूस हो रही थी। हालांकि खलनायकों की इंडस्ट्री में लम्बी कतारें है पर श्रेष्ठ खलनायक डॉ अजय सहाय के बाद मनोजदीप एक अच्छे खलनायक के रूप में उभरकर सामने आ रहे हैं। मनोजदीप ने बाप बड़े ना भैया सेबल बड़े रुपैया,. माटी मोर मितान , एक अउ अर्जुन , किरिया ,तहलका हमार नांव , मया दे दे मयारू , मया 2 जैसी फिल्मों में खलनायकी का जादू दिखा चुके हैं। मनोजदीप तोर मोर यारी फिल्म में मुख्य खलनायक की भूमिका निभा रहे हैं। इस फिल्म में वे कोरियोग्राफर भी है। निर्माता अजय त्रिपाठी और निर्देशक प्रिंस विकास है।

रायपुर का पूरन किरी बना बॉलीवुड का हीरो

 फिल्म द बेटर हाफ में मुख्य भूमिका में है
कई धारावाहिकों में दिखा चुके है अपने अभिनय का जादू
कांकेर से आने जाने वाली बसों में कंडक्टर के रूप में करियर की शुरुआत करने वाले पूरण किरी आज बॉलीवुड में अपने अभिनय से लोगो का दिल जीत रहे हैं । बहुत जल्द हिन्दी फिल्म द बेटर हॉफ में बतौर हीरो नजऱ आने वाले हैं। पूरन छोटे पर्दे के कई सीरियल्स में दमदार भूमिका निभा चुके हैं, हाल ही में उन्होंने स्टार प्लस के धारावाहिक ये रिश्ता क्या कहलाता है में देवयानी के पहले पति सुरेश के किरदार में दिख चुके हैं। इसके अलावा वे सावधान इंडिया और दिया और बाती हम जैसे धारावाहिकों में नजऱ आते रहे हैं। फिल्म के निर्देशक मंजूल कपूर का कहना है कि पूर्ण किरी में अभिनय कूट कूट कर भरा हुआ है आगे चलकर वे एक कामयाब नायक साबित होंगे।
पूर्ण किरी इन दिनों तीन हिन्दी फिल्मों में हीरो बनकर आ रहे हैं । फिल्म द बेटर हाफ में उनकी नायिका राइया सिन्हा है। रायपुर के युवक का बॉलीवुड में
बतौर हीरो फिल्मों में दिखना छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है। ये फिल्म दो कपल की कहानी है जिसमे शंका के खिलाफ बहुए ही बढिय़ा सन्देश दिया गया है । लड़का लड़की जब एक जगह काम करते है तो मन में शंका पैदा होता है। गलतफहमी के कारण परिवार टूट जाता है इसी को लेकर यह फिल्म बेहतर सन्देश देती है। फिल्म के डायरेक्टर मंजूल कपूर का कहना है कि फिल्म में पूरन किरी ने अच्छा काम किया है। यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है।

यही हाल रहा तो छालीवुड का कुछ नहीं होगा
पूरन किरी कहते हैं कि आज छत्तीसगढ़ी फिल्मों का जो हाल है उससे तो लगता है कि दस सालों कुछ नहीं होने वाला है। यहां लोग शौकिया तौर पर 2-3 लाख में फिल्म बना लेते हैं। फिल्मों को यहां के निर्माता निर्देशक मजाक बना लिए हैं। आपको फिल्मों में छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बताना पडेगा। कलाकारों को हर प्रकार की सुविधाएं देनी होगी। कहानी अच्छी हो , कास्ट अच्छे हो, तभी लोग आपकी फिल्म देखेंगे।


नक्सली इलाकों के सात बच्चों का जिम्मा लिया फि़ल्मी अदाकारा ने

बच्चों के बीच जाकर शिक्षा का अलख जगा रही है मोना सेन
अरुण बंछोर
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ी फिल्मों की सुपर स्टार मानी जाने वाली अदाकारा मोना सेन अब घोर नक्सली क्षेत्र में शिक्षा का अलख जगाने पहुँच गयी है। समाजसेवा का जूनून इस कदर है उनके मन में कि गरीब बच्चे देखते ही उनका दिल पिघल जाता है। कई बच्चों को गोद लेकर उनके रहन सहन और शिक्षा का खर्च उठा चुकी मोना अब धुर नक्सली क्षेत्र में यही समाजसेवा के लिए पंहुच चुकी है जहां नाजे से बड़े बड़े घबराते हैं। उनके जज्बे को सलाम करना ही होगा। क्योकि नक्सली क्षेत्रों में काम करना किसी खतरों से खेलने से भी कम नहीं है।
छत्तीसगढ़ी लोक कला मंच के माध्यम से समाजसेवा करने वाली मोना सेन ने हाल ही में नक्सली क्षेत्र आवापल्ली ,भोपालपट्टनम के सात बच्चों को गोद लेकर उनकी शिक्षा दीक्षा और लालन पालन का खर्च उठाने का जिम्मा अपने हाथों में लिया है। मोना सेन पहले भी ऐसा जज्बा दिखा चुकी है। वे कहती है अपनों के लिए तो सब जीते हैं उन गरीबों के लिए जीना चाहिए जिनको जरुरत है सहारे की। गीत संगीत से लोगों का मनोरंजन करना तो आम बात है पर किसी को जीने की राह बता दे, उन्हें पड़ा लिखाकर उनके पैरों पर खड़ा कर दें तो बहुत सुकून मिलता है खुद को जो खुशी मिलाती है उसे बयाँ नहीं की जा सकती।
मोना की तमन्ना है कि छत्तीसगढ़ के गरीब परिवारों और दूरस्थ अंचलों में शिक्षा का अलख जगाएं ताकि कोइ भी बच्चा अशिक्षित ना रहे। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कदम रखने पर वे कहती हैं कि बस्तर में भी स्कूलें है पर घने जंगलों और दूरस्थ इलाकों में शिक्षा काफी दूर है। गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को पढ़ा लिखाकर उनके पैरों पर खड़ा करना चाहती हूँ। कंप्यूटर शिक्षा में भी पारंगत करना चाहती हूँ। इसके लिए सारी व्यवस्था करूंगी।
जंगलों के बीच प्रतिभा ढूंढेगी मोना
समाजसेवी मोना सेन कहती है कि दूरस्थ आदिवासी अंचलों में बहुत सी ऐसी प्रतिभा है जिसे तराशने की जरुरत है। ऐसी प्रतिभा को ढूंढकर उन्हें तराशा जाएगा और हर संभव मदद भी दी जाएगी। मोना बताती है कि बस्तर के दूरस्थ अंचलों में गयी थी जहां जाने से बड़े बड़े । मोना पहली कलाकार है जो नक्सली गाँवों में पहुँची हैं। वहां बच्चों से मिली उन्हें पडऩे लिखने की प्रेरणा दी, बच्चों के चहरे पर कुछ कर गुजरने की ललक देखी। मोना बताती है कि बस्तर के कई गाँव ऐसे है जहां शिक्षा नहीं पहुँची है। ऐसी क्षेत्रों में जाउंगी और शिक्षा का प्रचार प्रसार करूंगी ,बच्चों को पढ़ाऊंगी, काबिल बनाउंगी और उनको उनके पैरों पर खड़ी करूंगी।

बुधवार, 13 अप्रैल 2016

छत्तीसगढ़ में फ़िल्म सिटी बनाना चाहतें है सोहन लाल

बहुभाषाई फिल्म बनांकर देश भर में प्रदर्शित करेंगे
छालीवुड फिल्म निर्माता निर्देशक एवं एक्टर सोहन लाल वर्मा की दिली तमन्ना है कि वे छत्तीसगढ़ में कलाकारों के लिए फ़िल्म सिटी बनाएं। जिसमे यहां के कलाकारों को नियमित रूप से रोजगार मिल सके। उनका कहना है कि भविष्य में राष्ट्रिय व् अंतंराष्ट्रीय स्तर की फिल्में बनाना चाहता हूँ। कैमरामेन से डायरेक्टर और कलाकार बने सोहन वर्मा से हमने हर मुद्दों पर बात की है।
0 आप कैमरामेन से डायरेकटर फिर निर्माता बने , क्यों?
मैं 2005 से जी के कैसेट कम्पनी बिलासपुर के लिए नियमित रूप से एल्बम जस एवं पंथी गीतों कीशूटिंग एडिटिंग व् निर्देशन करते आ रहा हूँ साथ ही दूजे निषाद के कई हास्य् नाटक का निर्देशन लेखन छायांकन व् संपादन किया हूँ।पिछले साल आई छत्तीसगढ़ी फ़िल्म  असली संगवारी में सह निर्देशन के आलावा सवाद लेखन स्क्रीन प्ले छायांकन व् सम्पादन कार्य किया है।
0 ऐसी कोइ तमन्ना जो आप पूरा होते हुए देखना चाहते हैं 
मेरी एक ही तमन्ना है की छत्तीसगढ़ के कलाकारों के लिए ऐसे स्वयं का फ़िल्म सिटी बना सकूँ । जिसमे यहां के कलाकारों को नियमित रूप से रोजगार मिल सके।भविष्य में राष्ट्रिय व् अंतंराष्ट्रीय स्तर की फिल्में बनाना चाहता हूँ
0 कैसे और कहाँ से आपने एक्टिंग का सफर शुरू किया?
बचपन से ही हमारे ग्राम में रामलीला में अभिनय की सुरुवात किया।  2005 में जब मैं ख्याति प्राप्त लोक गायक पं शिवकुमार तिवारी के सम्पर्क में आया तो उन्होंने ही मुझे इस फिल्ड में आने की प्रेरणा दिया उनका फागुन गीत जिसे मेरे द्वारा बनाया गया है लोग आज भी बड़े चाव से देखते सुनते है।
0 फिल्मों में काम करते आपको कितना वक्त हो गया ?
वैसे मैं विगत 6 सालो से इस फिल्ड में जुड़ा हूँ लेकिन लोगो तक असली संगवारी फ़िल्म के बाद पहुचा।
0 अब तक की आपकी उपलब्धी क्या है?
स्वयं के साधन से छत्तीसगढ़ी फ़िल्म बनाकर पर्दे तक पहुचाना । यु ट्यूब चैनल एसएलवी इंटरटेनमेंट के माध्यम से विश्व के बीस देशों में मेरे एक लाख से ऊपर प्रतिमाह दर्शक है।जो मेरा उत्साह वर्धन करते रहते है
0 आप छस्तीसगढ़ी फिल्मों में अपना आदर्श किसे मानते है?
मैं बचपन से ही ममता चंद्राकर एवं प्रेम चंद्राकर तथा मिथिलेश साहू से प्रभावित हूँ।
0 क्या आप अपने कामों से संतुष्ट हैं? 
मैं अब तक अपने कार्य से संतुस्ट नही हूँ जब तक हमारी फिल्म सफल नही हो जाती संघर्ष करते रहेंगे।
0 आपको कभी निराशा हुई थी ? 
हाँ छत्तीसगढ़ी फिल्मो के सिमित बाजार के करन निराशा होती है। मगर फिर भी भविष्य में बाजार बूम होने की आशा है
0 भविष्य की क्या योजना है ?
आने वाले दिनों में मल्टी लेंग्वेज फिल्म बनाने जा रहा हूँ। ताकि उनका प्रदर्शन पुरे भारत वर्ष में किया जा सके।

मंगलवार, 5 अप्रैल 2016

छालीवुड पर एकछत्र राज करना चाहती है एलीना

 रियल लाइफ में पापा की लाडली बेटी बन कर घर सम्हालती है 
- अरुण बंछोर
छालीवुड की चर्चित अभिनेत्री एलीना डेविड मसीह आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। उनकी कला और अभिनय के सब कायल हैं। एलीना ने आने वाली फिल्म ऑटो वाले भाटो में गजब का अभिनय किया है।
निर्माता क्षमानिधि मिश्रा भी उनकी तारीफ़ करते नहीं थकते हैं। एलीना की तमन्ना नंबर वन अभिनेत्री बनकर छालीवुड में राज करने की है। वे कहती है कि गाँवों में फिल्म देखने की व्यवस्था हो तभी छत्तीसगढ़ी फिल्मे चलेंगी। पहले एलीना हैदराबाद में रामूजी फिल्म सीटी में कोरियोग्राफर थी और बाद में छत्तीसगढ़ी फिल्मो में कदम रखी। रियल लाइफ में एलीना अपने पापा की लाडली बेटी बन कर घर सम्हालती है । कई फिल्मो में अपनी अभिनय का लोहा मनवाने वाली एलीना से हमने हर पहलूओं पर बेबाक बात की है। पेश  हुई बातचीत के संपादित अंश।
आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
मुझे एक्टिंग करने का शौक बचपन से ही रहा है जब भी मैं कोई फिल्म या सीरियल देखती थी तो उस जगह अपने आप को रखकर सोचती थी ।
मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
फिल्म लाइन में आने से पैहले मै हैदराबाद में रामूजी फिल्म सीटी में कोरियोग्राफर थी लेकिन यहां आकर एक्टिंग करने लगी । मेरे आदर्श मेरे पिता जी ही है। और छत्तीसगढ़ के सभी बड़े कलाकारों ने एक के बाद एक मुझे फिल्म एल्बम और टेली फिल्म के लिए सहयोग किये।
अभिनय की ओर आपका रुझान कैसे हुआ ?
हैदराबाद फिल्म सीटी में टॉलीवुड और बॉलीवुड की शूटिंग देख कर अभिनय की ओर मेरा रुझान हूआ।
कोई ऐसा अवसर आया हो ,जब आप बहुत उत्साहित हुई हो?
जी जब मैंने अपनी पेहली फिल्म छलिया की तो बहुत ही रोमांचित हुई और मेरा मनोबल उत्साह काफी बढ़ गया।
आप फिल्मो में अभिनेत्री की भूमिका निभाती है, तो आपको कैसा महसूस होता है?
जब मैं कोई अभिनेत्री का भूमिका निभाती हूँ तो मुझे गर्व महसूस होता हैं की मैं अपने रोल को बखूबी से कर पा रही हूँ।
रील लाइफ और रीयल लाइफ में क्या अंतर है?
दोनों अलग अलग चीज है रियल लाइफ को रील लाइफ में नहीं जोड़ सकती । रील लाइफ में मैं एक प्रोफेशनल भूमिका निभाती हूँ और रियल लाइफ में अपने पापा की लाडली बेटी बन कर घर सम्हालती हूँ और दोनो ही चीज में मेरे बड़े और फ्रैंडस साथ देते है।
ऐसा कोई क्षण जब निराशा मिली हो?
जब छतीसगढ़ फिल्म इन्डस्ट्री एसोसियशन सम्मान समारोह हूआ था।और मुझे भी बेस्ट अभिनेत्री से सम्मानित किया गया था और मैं वहा नहीं जा पाई थी तब मुझे बहुत निराश हुई थी।
छत्तीसगढ़ी फिल्मे थियेटरों में ज्यादा दिन नही चल पाती ,आप क्या कारण मानती है ?
छतीसगढ़ी फिल्में इस कारण थियेटर में ज्यादा दिन नहीं चल पाती क्योंकि आज के बच्चे और नोजवान छतीसगढ़ी नहीं समझ पाते और बॉलिवुड फिल्म को ज्यादा महत्व देते हैं । दूसरी तरफ जो गाँव के लोग है वो छतीसगढ़ी फिल्म को बड़े ही चाव से देखते है और महत्व भी देते है अगर हमारे आस पास के गाँव कस्बो में थियेटर की व्यवसथा कराई जाए तो छतीसगढ़ी फिल्म चलेगी भी और आगे भी बढेगी।
आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
मेरा सपना है छालीवुड में एकछत्र राज करने की है और मैं अपने इस सपने को पूरा होते देखना चाहती हूँ।
छत्तीसगढ़ी फिल्मे ज्यादा व्यवसाय क्यों नहीं कर पाती। कारण क्या मानते?
छतीसगढ़ी फिल्मेँ ज्यादा व्यवसाय इसलिए नहीं कर पाती क्योंकि उन्हें अलग - अलग क्षेत्र में सेंटर नहीं मिल पाता।छोटे छोटे कस्बों में भी थियेटरों की व्यवस्था हो । 

कविता लिखना चुनौती नहीं एक साधना हैं

 मेरे गीत, गज़़लें कविता लोगों की पसंद बने यह आरजू है: नैनी 
एक मुलाक़ात - अरुण बंछोर 
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किसी एक इंसान में बहुत सारे गुण हो ऐसे बिरले लोग ही मिलते हैं। जी हाँ यही गुण है नंदिनी तिवारी नैनी में। वे एक शिक्षिका होने के साथ साथ कवयित्री, लेखिका, एक्ट्रेस, एंकर और डांस कोरियोग्राफर भी है। वे कहती हैं कि कविता लिखना चुनौती नहीं एक साधना हैं। मेरे गीत, गज़़लें कविता लोगों की पसंद बने यही आरजू है। नंदिनी को शहर की संस्था  सद्भावना साहित्य संस्थान ने सम्मानित किया है। दैनिक राष्ट्रीय हिन्दी मेल ने उनसे हर पहलूओं पर बेबाक बात की है । प्रस्तुत है बातचीत के सम्पादित अंश।
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संक्षिप्त परिचय 
नाम   - नंदिनी तिवारी नैनी
शिक्षा    एम•ए(हिन्दी), बी•एड•,पीएचडी(हिंदी)
व्यवसाय   - शिक्षिका, कवयित्री, लेखिका, ऐक्ट्रेस, एंकर
रुचि  - सिंगिंग, डांसिंग, रीडिंग लिट्रेचर बुक
उपलब्धि  -  सद्भावना साहित्य संस्थान द्वारा सम्मानित
                     डायट ओडिशा द्वारा सम्मानित
हिंदी विषय पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तरीय सेमीनार में व्याख्यान ।
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कविता लिखने की ओर रुझान कैसे हुआ?
मेरा जन्म साहित्यकार परिवार में हुआ। जो लेखन के लिए प्रेरक रही एवं आसपास के कुदरती वातावरण मेरे भीतर कविता का सृजन करते हैं ।
मतलब पारिवारिक माहौल ने ही आपको लिखना सिखाया?
हां। पारिवारिक माहौल के साथ मेरी भावनाओं ने मेरी गीत-गज़़लों को अल्फ़ाज़ दिए ।
घर परिवार और नौकरी के बीच कविता लिखने के लिए समय कैसे निकाल पाती हैं?
कविता लिखने अलग से समय नहीं निकालती। दैनिक कर्तव्यों का निर्वहन करते रहने के दौरान जो अहसास होता है वह उसी पल मेरी कविता बन जाया करती है ।
कभी-कभी आपको आलोचना भी सहनी पड़ती होगी ?
अभी तक तो ऐसा अनुभव नहीं हुआ । वैसे मुझे इंतजार है कि मेरी रचनाओं की भी आलोचना हो । क्योंकि आलोचना से ही साहित्य में निखार आता है ।
कविता लिखना कितनी बड़ी चुनौती है?
चुनौती कैसी ? मैं किसी की अपेक्षापूर्ति के लिये कविता नहीं लिखती । जो भी लिखती हूं वो मेरे अपने जज्बात हैं । कविता लिखना चुनौती नहीं एक साधना हैं।जो स्वयंभू है।निरंतर होने वाली आस पास की घटनाओं द्वारा कविता को वातावरण मिलता है।जिसकी गहराई में जाने पर हमारे विचार कविता का रूप ले लेती है।
 इस क्षेत्र  में कभी निराशा हुई है ?
नहीं । अब तक तो नहीं
और कभी ऐसा क्षण हो आया हो जब आप बहुत ज्यादा उत्साहित हुई हो?
हां । मेरी रचनाधर्मिता के चलते मेरे फेवरेट कवि से ऑनलाईन मुलाकात होना और उनकी तारीफ पाना मुझे उत्साहित कर गया । और आगामी तारीख में मुझे उनके साथ हम शरीयत होने का भी मौका मिलेगा । यह मेरे लिये बेहद रोमांचक रहेगा ।
आपको इसके लिए परिवार से कितना सहयोग मिलता है?
भरपूर सहयोग है परिवार का । मेरे परिवार को मुझ पर पूरा भरोसा है । मै इतनी दूर यहां जॉब कर रही हूं मंचों पर कविता कह पा रही हूं ये मेरे परिवार का ही सहयोग है।
ऐसा आपका कोई सपना जो आप पूरा होते हुए देखना चाहती हों?
मैं एक स्थापित कवियत्री के रुप में स्थान बनाना चाहती हूं । मेरे गीत मेरी गज़़लें कविता पसंद लोगों की पसंद बने यह आरजू है

शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

फिल्म ही मेरी जिंदगी है : सलीम अंसारी

  हर भूमिका मुझे पसंद है  
 छत्तीसगढ़ के सबसे सीनियर कलाकार सलीम अंसारी छालीवुड की शान है। ऐसा कोई नहीं है जो उन्हें अपना
आदर्श नहीं मानता हो। दर्शकों को वे रुलाना जानते हैं तो हंसाना भी बखूबी जानते है। कॉमेडी से लेकर विलेन तक की भूमिका निभा चुके सलीम अंसारी अपने रोल से सभी को संतुष्ट करते हैं। छत्तीसगढ़ी फिल्मो के अलावा सलीम जी भोजपूरी और हिन्दी फिल्मे भी कर चुके हैं। भोजपुरी फिल्म तहलका हमरे नाव की शूटिंग के दौरान समय निकालकर सन स्टार के दफ्तर आये तो हमने उनसे हर पहलूओं पर बेबाक बात की।
छत्तीसगढ़ी फिल्मो की क्या संभावनाएं हैं?
जब तक टेक्नीकल क्षेत्र में एक्सपर्ट लोग नहीं होंगे तब तक ऐसी ही कमजोर फिल्मे बनती रहेंगी। यहां जिसे जो नहीं आता वही करते हैं । गायक निर्देशक बन जाता है। कोई भी फाइट मास्टर बन जाता है। आप अंदाज लगा ले कैसी फिल्मे बनेंगी। छालीवुड की संभावनाएं अच्छी है पर फिल्मे अच्छी नहीं बन रही है।
छत्तीसगढ़ी सिनेमा अच्छा व्यवसाय करे इसके लिए क्या कर सकते हैं?
यहां फिल्मे कमजोर बन रही है । फिल्मे नहीं चल पाती इसकी वजह भी हैं और वो सब जानते हैं कि पिछड़े हुए राज्य में टॉकीजों का विकास नहीं होना। प्रमोशन और प्रचार प्रसार जब तक नहीं होगी फिल्मो का चलना मुश्किल है। छत्तीसगढ़ में मिनी टॉकिजों की बड़ी आवश्यकता है जहां छत्तीगसढ़ी फिल्मों के दर्शक आसानी से पहुंच सके। प्रचार प्रसार की कमी है।
 आप इस क्षेत्र में कैसे आये ?
मै थियेटर से आया हूँ। बहुत साल तक थियेटर किया फिर एल्बम में काम किया। मेरे एल्बमों की कोई गिनती नहीं है। उसके बाद फिल्मे करने लगा। लोगो को मेरा काम पसंद आया ,ये मेरे लिए सबसे बड़ा तोहफा है।
फिल्मो की और रुझान कैसे हुआ?
बस टीवी देखकर और थियेटर करते करते फिल्मो की ओर रुझान हुआ।
आपने बहुत सी फिल्मे कर ली आपकी राह कैसे आसान हुआ?
मुझे हर प्रकार का रोल पसंद है मुझे जो रोल दिया जाता है मै सहर्ष स्वीकार कर लेता हूँ और उसमे डूबकर काम करता हूँ। इसलिए मेरा राह आसान हुआ।
 छत्तीसगढ़ी फिल्मो के प्रदर्शन में कमी कहाँ होती है?
प्रचार प्रसार और विज्ञापन में कमी फिल्म नहीं चलने का सबसे बड़ा कारण है। थियेटर भी एक कारण हो सकता है। गाँव गाँव तक हम अपनी फिल्म नहीं पंहुचा पा रहे हैं। बेहतर प्रचार पसार हो और प्रदेश के सभी टाकीजों में फिल्म लग जाए तो लागत एक हप्ते में निकल आएगी। सरकार मदद नहीं करती और डिस्ट्रीब्यूशन भी सही नहीं है।
क्या छत्तीसगढ़ में नायिकाओं की कमी है कि बाहर से लाना पड़ता है?
हाँ जरूर है। लडकिया बहुत है पर अच्छे घरों की लडकियां इस फिल्ड में आना नहीं चाहती क्योकि उन्हें वो सम्मान नहीं मिलता जो वो चाहतीं हैं। इसलिए कमी बनी हुई है।
आपकी भविष्य की क्या योजना है?
मैं लगातार फिल्मे करता रहूंगा। यही मेरी जिंदगी है। फिल्म मैं पैसों के लिए नहीं करता बल्कि ये मेरे जीवन का अहम हिस्सा है।
 ऐसा कोई सपना जिसे आप पूरा होते हुए देखना चाहते हैं?
गॉडफादर जैसे रोल करने की तमन्ना है, जो किसी के जीवन पर आधारित हो। य "जिला गंजबासौदा मध्यप्रदेश"

सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

खेल जीवन का एक अहम हिस्सा है, यही बताएँगे ' दांव ' में

सरकार फिल्म विकास निगम जल्द बनाएं :संतोष सारथी 
छत्तीसगढ़ी फिल्मो में संतोष सारथी एक जाना पहचाना नाम है। अभिनेता , निर्देशक और निर्माता ये सब गुण
अगर एक ही व्यक्ति में हो तो निश्चित ही वह छालीवुड के लिए एक अहम व्यक्तित्व है। श्री सारथी उनमे से एक है। वे कहते हैं कि अपनी नई फिल्म दांव में सन्देश देने की कोशिश करेंगे कि खेल जीवन का एक अहम हिस्सा है, जो जरूरी भी है। इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है। फिट रहने का सबसे बड़ी भूमिका खेल की ही होती है। उनका यह भी कहना है कि सरकार अगर निगम बनाना चाह रही है तो जल्द बनाएं जो बिना फ़ायदा के फिल्म बना रहे हैं उन्हें मदद मिल जाएगी। जो हमारे लिए एक संजीवनी की तरह होगी। हमने उनसे हर पहलूओं पर बात की है।
० आपने अपने कॅरियर के लिए फिल्म लाईन को ही क्यों चुना?
०० बचपन से ही कुछ अच्छा करने की तमन्ना रही है। फिल्मे देखा करता था जिससे मेरा रुझान हुआ। जब मुझे अच्छा ब्रेक मिला तो मैंने फिल्म को ही अपना कॅरियर बना लिया। मैंने काफी मेहनत की है जिसका फल मुझे मिला है।
० इस क्षेत्र में कब से है और कैसे ब्रेक मिला?
०० इस क्षेत्र में मै 16 सालों से हूँ। लोककला मंच से जुड़ा फिर दूरदर्शन की टेलीफिल्म लक्ष्मी में मुझे नायक का रोल मिला। उसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
० आप फिल्म दांव बनाने जा रहे हैं, इसमें क्या सन्देश है?
०० ये खेल पर आधारित फिल्म है। मैंने ये सन्देश देने की कोशिश करूंगा कि खेल जीवन का एक अहम हिस्सा है, जो जरूरी भी है। इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है। फिट रहने का सबसे बड़ी भूमिका खेल की ही होती है।
० आपको ये आईडिया कहाँ से मिला?
०० फिल्मे देखकर। थ्री इडियट, तारे जमी जैसे फिल्मे दीखने के बाद मुझे लगा कि स्वास्थ्यपरक एक फिल्म बनानी चाहिए। चार साल से तैयारी कर रहा था अब जाकर पूरा हुआ है।
० आपकी आगे क्या तमना है?
०० छत्तीसगढ़ी फिल्मो को और छालीवुड को पहचान बनते देखना चाहता हूँ। छत्तीसगढ़ , छत्तीसगढ़ी फिल्मो और छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रति मुझे बहुत लगाव है। मै इसके के लिए कुछ करना चाहता हूँ , जिससे छत्तीसगढ़ का नाम मेरे साथ जुड़े।
० भविष्य की क्या योजना है ?
०० बस आगे भी फिल्म बनाता रहूंगा । एक्टिंग मेरा शौक है।
० रील लाइफ और रियल लाइफ में क्या फर्क है?
०० बहुत अंतर है। रील लाइफ एक ड्रामा है बनावटी होती है पर रियल लाइफ वास्तविकता पर आधारित है। हर पहलू  सत्य पर चलता है।
० छत्तीसगढ़ी फिल्मे क्यों नहीं चल पाती?
०० छत्तीसगढ़ में हर भाषा के लोग रहते हैं। छत्तीसगढ़िया लोग हमारी फिल्मे देखतें है। यह भी हम कह सकते हैं कि अच्छी फिल्मे भी नहीं बन पा रही है।
० सरकार से छालीवुड को क्या अपेक्षाएं हैं?
०० सरकार अगर निगम बनाना चाह रही है तो जल्द बनाएं जो बिना फ़ायदा के फिल्म बना रहे हैं उन्हें मदद मिल जाएगी। जो हमारे लिए एक संजीवनी की तरह होगी।

मंगलवार, 19 जनवरी 2016

छत्तीसगढ़ में कलाकारों की भरमार है, जरुरत है उन्हें तराशने की : राखी बंजारे

छत्तीसगढ़ में कलाकारों की भरमार है, जरुरत है उन्हें तराशने की। गाँव गाँव ,गली-गली में कलाकार मिलेंगे, उन्हें फिल्मो में मौका मिलना चाहिए। यह कहना है छत्तीसगढ़ी फिल्मो की अभिनेत्री राखी बंजारे का। वे कहती है कि अच्छी कहानी हो और अच्छे- अच्छे कलाकार हो तो छत्तीसगढ़ी फिल्मे भी अच्छी चलेंगी। एक्टिंग और डांसिंग उनका शोक है। लगभग 10-12 फिल्मो में अपने अभिनय का जादू चला चुकी राखी दूरदर्शन की धारावाहिक में भी अभिनय कर चुकी है। चुनौतीपूर्ण भूमिका उन्हें बहुत पसंद है। मौका मिलने पर वे हिन्दी फिल्मो में भी काम करने की तमन्ना रखती है। राखी से हमने हर पहलूओं पर बेबाक बात की है। प्रस्तुत है बातचीत के संपादित अंश।
आपका रूझान अभिनय की ओर कैसे हुआ?
बचपन से शौक था कि मै अभिनय के क्षेत्र में कुछ करूँ ,पर सोचा नहीं था की मुझे मौका मिलेगा। टीवी देख देखकर मेरे मन में जिज्ञासा पैदा होती थी।
फिर आप इस क्षेत्र में कैसे आई?
महेश वर्मा की धारावाहिक मिला तो मैंने आ गयी। करीब 10 -12 सीरियल की है। उसके बाद तो मै आगे बढ़ती चली गयी। सोचा नहीं था कि मै ये सब कर पाउंगी। आज मुझे खुशी है कि मुझे जो भी काम मिला उसे मैंने पूरी ईमानदारी से पूरा किया है।
अभी तक आपने क्या-क्या किया है?
हमने 30-40 एल्बम में काम किया है , कॉमेडी नाटक किया है, 10-12 फिल्मे की है और कुछ आइटम सांग भी किया है।
आप किसे अपना प्रेणाश्रोत मानती है और किसे अपना आदर्श?
मेरा कोई प्रेेरणाश्रोत नहीं है बस मै अपनी मेहनत और अपनी इच्छा से अभिनय के क्षेत्र में आ गयी। छत्तीसगढ़ी फिल्म की नायिका मोना सेन को मै पसंद करती हूँ। ऐसा कोई नहीं है जिसे मै अपना आदर्श कह सकूँ।
कोई ऐसा क्षण जब आप निराश हुई हो?
कभी नही । निराशा मुझसे कोसो दूर रहती है। जो काम मिलता है उसे मै अच्छे से निभाता हूँ। इसलिए निराश नहीं होती।
कोई ऐसा क्षण जब आप बहुत उत्साहित हुई हो?
फिल्म दगाबाज में निगेटिव रोल कर मै बहुत उत्साहित हुई थी। मै उसमे अपने अभिनय से काफी संतुष्ट रही। विलेन की भूमिका निभाना मुझे अच्छा लगता है।
और अगर लीड रोल मिला तो क्या करेंगी?
लीड रोल भी कर लूंगी पर निगेटिव रोल मुझे पसंद है। आज तक मुझे जो भी भूमिका मिला है मैंने उसमे डूबकर उसे निभाया है।
रील लाइफ और रियल लाइफ में क्या फर्क महसूूस करती है?
बहुत अंतर है। रील लाइफ सिर्फ दिखावा है जो रियल लाइफ में नहीं हो सकता।
आगे की क्या योजना है। कोई तमन्ना है?
एक्टिंग और डांसिंग ही करती रहूंगी। यही मुझे बहुत पसंद है।
छत्तीसगढ़ी फिल्म बड़े परदे पर ज्यादा क्यों नहीं चल पाती?
कहानी कमजोर होती है। अच्छी कहानी और अच्छे कलाकार हो तो छत्तीसगढ़ी फिल्म भी बहुत चलेगी।
छत्तीसगढ़ी फिल्मो में बाहर के कलाकारों की भरमार होती है। इस पर आप क्या कहेंगी?
हाँ ये तो है। छत्तीसगढ़ में कलाकारों की भरमार है। हर गली मोहल्ले में कलाकार है ,बस उन्हें तराशने की जरुरत है। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में यही के कलाकारों को मौका मिले तो बेहतर होगा। 

शुक्रवार, 15 जनवरी 2016

हर तरह के अभिनय करना चाहता हूं : किस कुर्रे


छत्तीसगढ़ी फिल्में इस लिए टाकिजों में नहीं टिक पाते क्योंकि छत्तीसगढ़ी फिल्मो के असली दर्शक कस्बों और गांवों में होते है और हम उन तक नहीं पहुंच पाते। यह कहना है छत्तीसगढ़ी फिल्मो के अभिनेता किस कुर्रे का। वे कहते कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में सभी तरह का अभिनय करना चाहता हूं। कलाकार के साथ-साथ गीतकार, गायक, डांसर, कोरियोग्राफर भी है। एजाज वारसी को वे अपना आदर्श मानते है।

फिल्मों की और रूचि कैसे हुई?
स्कूल में ड्रामे देखकर अपने आप ही रूचि हो गई। ड्रामे देखकर लगा की ऐसा तो मै भी कर सकता हूं और इस क्षेत्र में आ गया।  
आपने अभिनय की शुरुआत कब और कहां से की?
मैं अपने कॅरियर की शुरुवात एल्बम से किया था। फिर टेलीफिल्म करने लगा। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में काम करने का तो मैंने सोचा भी नहीं था। बस यूँ ही आ गया। 
अब तक आपकी उपलब्धि क्या है?
12 से अधिक छत्तीसगढ़ी फिल्मे ,और अनगिनत एल्बम है। और एक फिल्म की शूटिंग शुरू होने वाला है । कई टेलीफिल्मो में अभिनय कर चुका हूं। निर्देशन,अभिनय ;गीत, डांस सब कुछ किया है मैंने। 
आप में कई गुण है। भविष्य में क्या क्या करना चाहेंगे?
फिल्म में अभिनय ही मेरा लक्ष्य है! वैसे तो मै फिल्म लाइन का सब काम कर लेता हूँ। 
छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को आगे बढ़ाने की दिशा में फिल्म का योगदान कितना है?
अपनी संस्कृति और भाषा को आगे बढ़ाने का सशक्त माध्यम है सिनेमा । हम भी फिल्मो के माध्यम से लगातार अपनी भाषा की तरक्की के लिए ही काम करते है।हम चाहते है कि हमारी भाषा खूब आगे बढ़े। 
आपकी आगे चलकर क्या करने की तमना है?
सभी तरह का अभिनय करना  चाहता हूँ। कोई भी काम मिले मै जरूर करना चाहूँगा।  
आपको बहुत खुशी हुई हो और कोई ऐसा क्षण जब निराश हुई हों?
कभी-कभी निराश हुआ हूँ जब बड़े फिल्मो में काम करने का मौका नहीं मिला और किरिया फिल्म में हीरो की भूमिका कर के मैं काफी उत्साहित हुआ था। हम अपना काम करते है और उसी में ही संतुष्ट रहते हैं। 
छत्तीसगढ़ी फिल्मे टाकीजो में क्यों नहीं टिक पाते?
इसलिए नहीं टिक पाते कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो के असली दर्शक कस्बों और गांवों में होते है और हम उन तक नहीं पहुंच पाते। शहरों में रहने वाले 90 फीसदी लोग छत्तीसगढ़ी फिल्मो के दर्शक नहीं होते। फिल्म का प्रमोशन भी अच्छा होना चाहिए।