कला पारिवारिक माहौल में मिला है
एंकरिंग और मेमेकरी के लिए मशहूर रमन पाण्डया छत्तीसगढी फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाना चाहते है। उनकी दिली तमन्ना है की लोग उन्हें इसी के लिए जाने पहचाने। अब तक करीब 40 फिल्मों में बॉलीवुड कलाकारों को आवाज दे चुके रमन कई बड़े कलाकारों के साथ स्टेज शो भी कर चुके हैं। रमन पाण्डया को कला विरासत में मिला है। वे फिलहाल सिंगिंग के लिए एक स्टूडियो चला रहे है जहां कई लोग गाने का प्रशिक्षण लेते हैं। रमन पाण्डया से हमने हर पहलुओं पर बात की है।
0 आप मिमिकरी के लिए जाने जाते हैं अब तक किनकी आवाजों की नक़ल की है?
00 करीब 40 फिल्मों में मैंने बॉलीवुड कलाकारों को आवाजे दी है। जिनमे शक्ति कपूर, गुलशन ग्रोवर, सुरेश ओबेराय, मिथुन चक्रवर्ती , राजा मुराद प्रमुख हैं। कई हिन्दी फिल्में छत्तीसगढ़ी में डब की गयी तब इनके लिए मैंने आवाजें दी है।
0 अभी तक आप एक अच्छे एंकर के रूप में जाने जाते हैं हैं कितने स्टेज शो है आपके नाम?
00 अनगिनत शो किया है मैंने। कुमार शानू , उदित नारायण, जीनत अमां , वर्षा उसगांवकर ,जूही चावला , जैसे कलाकारों के साथ स्टेज शो किया है जो मेरे जीवन की एक बड़ी उप्लब्द्धी है।
0 आपको मिमिकरी और गाने का शौक कैसे हुआ?
00 पारिवारिक माहौल मिला है। पापा श्री सजोराम पांडया नाटककार थे। गायन और संचालन का काम तो मैंने देख देख कर सीखा है।
0 कही और से आपने गाने या एंकरिंग की शिक्षा नहीं ली है?
00 जी नहीं। सब कुछ घर की ही देंन है।
0 टेलेंट का आशय क्या गाने से ही है?
00 टेलेन्ट की कोइ परिभाषा है। कई प्रकार के टैलेंट होते हैं। सबसे मुकाबला होता है। एंकरिंग भी एक टेलेंट ही है।
0 आपकी कोइ ख्वाहिश जो पूरा होते हुए देखना चाहती हो?
00 बस मेरी एक ही तमन्ना है कि मैं फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाउँ और लोग मुझे खलनायक के रूप में ही जाने।
0 कभी आपको निराशा महसूस हुई है और कभी ऐसा क्षण आया है जब आप बहुत खुश हुए हो?
00 नहीं मैं कभी निराश नहीं होता। मैं अपने कामों से हमेशा ही संतुष्ट रहता हूँ। खुशी तो हर वक्त होता है।
0 छालीवुड की क्या सम्भावनाये है?
00 बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए । थियेटरों की कमी को सरकार पूरा करे।
0 तो छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है?
00 क्योकि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां होती है। फिल्मो में वो गुणवत्ता नहीं होती जो यहां के लोगो को चाहिए। प्रोड्यूसरों को इस और ध्यान देने की जरुरत है।
एंकरिंग और मेमेकरी के लिए मशहूर रमन पाण्डया छत्तीसगढी फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाना चाहते है। उनकी दिली तमन्ना है की लोग उन्हें इसी के लिए जाने पहचाने। अब तक करीब 40 फिल्मों में बॉलीवुड कलाकारों को आवाज दे चुके रमन कई बड़े कलाकारों के साथ स्टेज शो भी कर चुके हैं। रमन पाण्डया को कला विरासत में मिला है। वे फिलहाल सिंगिंग के लिए एक स्टूडियो चला रहे है जहां कई लोग गाने का प्रशिक्षण लेते हैं। रमन पाण्डया से हमने हर पहलुओं पर बात की है।
0 आप मिमिकरी के लिए जाने जाते हैं अब तक किनकी आवाजों की नक़ल की है?
00 करीब 40 फिल्मों में मैंने बॉलीवुड कलाकारों को आवाजे दी है। जिनमे शक्ति कपूर, गुलशन ग्रोवर, सुरेश ओबेराय, मिथुन चक्रवर्ती , राजा मुराद प्रमुख हैं। कई हिन्दी फिल्में छत्तीसगढ़ी में डब की गयी तब इनके लिए मैंने आवाजें दी है।
0 अभी तक आप एक अच्छे एंकर के रूप में जाने जाते हैं हैं कितने स्टेज शो है आपके नाम?
00 अनगिनत शो किया है मैंने। कुमार शानू , उदित नारायण, जीनत अमां , वर्षा उसगांवकर ,जूही चावला , जैसे कलाकारों के साथ स्टेज शो किया है जो मेरे जीवन की एक बड़ी उप्लब्द्धी है।
0 आपको मिमिकरी और गाने का शौक कैसे हुआ?
00 पारिवारिक माहौल मिला है। पापा श्री सजोराम पांडया नाटककार थे। गायन और संचालन का काम तो मैंने देख देख कर सीखा है।
0 कही और से आपने गाने या एंकरिंग की शिक्षा नहीं ली है?
00 जी नहीं। सब कुछ घर की ही देंन है।
0 टेलेंट का आशय क्या गाने से ही है?
00 टेलेन्ट की कोइ परिभाषा है। कई प्रकार के टैलेंट होते हैं। सबसे मुकाबला होता है। एंकरिंग भी एक टेलेंट ही है।
0 आपकी कोइ ख्वाहिश जो पूरा होते हुए देखना चाहती हो?
00 बस मेरी एक ही तमन्ना है कि मैं फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाउँ और लोग मुझे खलनायक के रूप में ही जाने।
0 कभी आपको निराशा महसूस हुई है और कभी ऐसा क्षण आया है जब आप बहुत खुश हुए हो?
00 नहीं मैं कभी निराश नहीं होता। मैं अपने कामों से हमेशा ही संतुष्ट रहता हूँ। खुशी तो हर वक्त होता है।
0 छालीवुड की क्या सम्भावनाये है?
00 बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए । थियेटरों की कमी को सरकार पूरा करे।
0 तो छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है?
00 क्योकि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां होती है। फिल्मो में वो गुणवत्ता नहीं होती जो यहां के लोगो को चाहिए। प्रोड्यूसरों को इस और ध्यान देने की जरुरत है।
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