मंगलवार, 31 मई 2016

बॉलीवुड स्टार बनना चाहता है रजनीश झांझी

हिन्दी और भोजपुरी फिल्मों में भी छाये हुए हैं
छत्तीसगढ़ के जाने माने स्टार रजनीश झांझी में खूबियों का खजाना है। वे एक अच्छे कलाकार है ।  उन्हें अपने काम के प्रति जूनून है। उनका कहना है कि  वे बॉलीवुड की फिल्मों में छा जाना चाहते हैं । उनका सपना बॉलीवुड स्टार बनने की ही है।  छत्तीसगढ़ी फिल्मों के साथ साथ रजनीश झांझी हिन्दी और भोजपुरी फिल्मों में भी अपनी कला का लोहा मनवा रहे हैं। उन्होंने 1000 से ज्यादा ड्रामा स्टेज पर किया है। वे थिएटर के कलाकार हैं वे कहतें हैं कि थियेटर में प्रदर्शन के अलावा और किन- किन तरीकों से आय हो सकती है इस विषय पर विचार कर उसके आय के संसाधन बढ़ाने होंगे। उन्हें अपनी आने वाली फिल्म प्रेम सुमन से काफी उम्मीदें हैं। वे कहतें हैं कि छत्तीसगढ़ फिल्मों को थियेटरों की कमी से जूझना पड़ रहा है अगर सरकार सहूलियत दे और कारपोरेट सेक्टर प्रदेश में सौ-डेढ़ सौ नए सिनेमाघर बना दे तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों का रंग ही बदल जायेगा।
0 फिल्मों का सफर आपने कहाँ से शुरू किया? 
00 थिएटर से काम शुरू कर फिल्मों में आया हूँ। सबसे पहले प्रेम चंद्राकर ने मुझे दूरदर्शन की सीरियल मयारुक चन्दा में ब्रेक दिया और मेरी पहली फिल्म जय माँ बमबलेश्वरी है जिसमे मुझे सतीश जैन ने ब्रेक दिया था।
0 आपकी आने वाली फिल्म प्रेम सुमन से क्या उम्मीद है?
00 बहुत उम्मीद है। यह एक अच्छी पारिवारिक फिल्म है जिसमे मेरी भूमिका भी प्रभावशाली है। सभी कलाकारों ने अच्छी मेहनत की है।
0 छत्तीसगढ़ी सिनेमा अच्छा व्यवसाय करे इसके लिए क्या कर सकते हैं?
00 यहां फिल्मे कमजोर बन रही है । फिल्मे नहीं चल पाती इसकी वजह भी हैं और वो सब जानते हैं कि पिछड़े हुए राज्य में टॉकीजों का विकास नहीं होना। छत्तीसगढ़ में मिनी सिनेमाघर दो सौ दर्शकों की क्षमता वाली टॉकिजों की बड़ी आवश्यकता है जहां छत्तीगसढ़ी फिल्मों के दर्शक आसानी से पहुंच सके। पात्र के हिसाब से कलाकारों का चयन नहीं होता। कुछ लोग इस इंडस्ट्री को खराब कर रहे हैं , वे ऐसे लोग है जो काम लागत में कुछ भी फिल्में बना लेते हैं।
0 छत्तीसगढ़ी फिल्मो के अलावा भोजपुरी और उडिय़ा फिल्मो की भी यहां शूटिंग होने लगी है। वहां के कलाकार भी यहां की फिल्मो में काम कर रहे है। क्या यहां कलाकारों की कमी है?
00  छत्तीसगढ़ी सिनेमा में शौकिया तौर पर फिल्म बनाने वाले लोग बड़ी संख्या में आ रहे है। कई भाषाओं में क्षेत्रीय फिल्म निर्माण से छत्तीसगढ़ी फिल्मों की आउट सोर्सिंग हुई है भोजपुरी, और उडिय़ा से नया बाजार मिला है इसी तरह और भी तरीके ईजाद करने से इंडस्ट्रीज के सभी लोगों का भला होगा। यहां कलाकारों की कतई कमी नहीं है।
0 सरकार से छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री को कैसी मदद की अपेक्षा करते हैं ?
00 छत्तीसगढ़ फिल्मों को थियेटरों की कमी से जूझना पड़ रहा है अगर सरकार सहूलियत दे और कारपोरेट सेक्टर प्रदेश में सौ-डेढ़ सौ नए सिनेमाघर बना दे तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों का रंग ही बदल जायेगा। उद्योगों की तरह रियायती दर में जमीन और उस पर कामर्शियल काम्प्लेक्स के निर्माण की अनुमति से नहीं कंपनियां सिनेमाघरों के निर्माण के लिए आकर्षित हो सकती है।
0 ऐसी कोइ तमन्ना जो पूरा होते हुए देखना चाहते हैं?
00  बॉलीवुड की फिल्मों में छा जाना चाहता हूँ। मेरा सपना बॉलीवुड स्टार बनने की ही है।लोग मुझे बॉलीवुड स्टार के नाम से ही जाने।
0 आप अपनी सबसे अच्छी फिल्म किसे मानते हैं?
00 भोजपुरी फिल्म दिलवाला को जो आने वाली है। मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण फिल्म है। छत्तीसगढ़ी में हीरों नंबर 1 को अच्छी फिल्म मानता हूँ।
0 आपको कैसा रोल पसंद है?
00 हर प्रकार की भूमिका पसंद है। अब तक सभी रोल कर चुका हूँ , नायक ,खलनायक चरित्र अभिनेता , पिता की भूमिका सब कुछ कर चुका हूँ।

अच्छी अभिनेत्री बनना चाहती हैं पूनम मिश्रा

अच्छी और साफ़ सुथरी लव स्टोरी है प्रेम सुमन
छत्तीसगढ़ में कलाकारों की कमी नहीं है, उनमे से एक हैं पूनम मिश्रा। उन्हें थिएटर में महारत हासिल है। पूनम ने फिल्म प्रेम सुमन से छालीवुड में धमाकेदार एंट्री की है और अपनी पहली ही फिल्म में अपनी अदाकारी का शानदार जौहर दिखाया है, जो आपको बड़े परदे पर देखने को मिलेगा। पूनम की दिली इच्छा है कि लोग उन्हें एक अच्छी अभिनेत्री के रूप में जाने पहचाने। उन्हें अपनी पहली फिल्म प्रेम सुमन से काफी उम्मीदें है। वे कहती है प्रेम सुमन अच्छी और साफ़ सुथरी लव स्टोरी है। उनका यह भी कहना है कि एक कलाकार अपने काम से कभी भी संतुष्ट नहीं हो सकते। पूनम से हमने हर पहलुओं पर बात की है। पेश है बातचीत के सम्पादित अंश।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
00 वह सबसे अच्छी अभिनेत्री बनना चाहती हैं। मैं छालीवुड में अच्छी अभिनेत्री के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहती हूं। मैं इस बात को लेकर बेहद खुश हूं कि थिएटर में दर्शकों ने मेरे काम को पसंद किया हैं।
0 छत्तीसगढ़ी फिल्मे थियेटरों में ज्यादा दिन नही चल पाती ,आप क्या कारण मानती है ?
00 छतीसगढ़ी फिल्में इस कारण थियेटर में ज्यादा नहीं चल पाती क्योंकि आज के बच्चे बॉलिवुड फिल्म को ज्यादा महत्व देते हैं। दूसरी तरफ जो गाँव के लोग है वो छतीसगढ़ी फिल्म को बड़े ही चाव से देखते है और महत्व भी देते है अगर हमारे आस पास के गाँव कस्बो में थियेटर की व्यवसथा कराई जाए तो छतीसगढ़ी फिल्म चलेगी भी और आगे भी बढेगी।
0 आप फिल्मो में अभिनेत्री की भूमिका निभाती है, तो आपको कैसा महसूस होता है?
00 प्रेम सुमन मेरी पहली फिल्म है। मैंने पूरी ईमानदारी से अपने किरदार के साथ न्याय किया है। निर्देशक हैदर गुलाम मंसूरी से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है।
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 बचपन से ही एक्टिंग का शौक रहा है। पर नौ साल पहले मैंने थिएटर से अपनी करियर की शुरुआत की। पहली बार मिट्टी की गाड़ी में लीड रोल किया था। और उस ड्रामे को दर्शकों ने खूब सराहा। मै  नई हूँ। प्रेम सुमन मेरी पहली फिल्म है।
0 मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 मुझे पहली बार योगेश अग्रवाल जी ने फिल्म प्रेम सुमन में मौका दिया, उन्होंने मुझे ड्रामा में एक्टिंग करते हुए देखा था। बॉलीवुड अदाकारा माधुरी दीक्षित को मैं अपनी प्रेरणाश्रोत मानती हूँ। उन्हें मै बचपन से देखती आ रही हूँ। उनकी एक्टिंग और डांसिंग का मै फैन हूँ।
0 कोई ऐसा अवसर आया हो ,जब आप बहुत उत्साहित हुई हो?
00 जब मुझे फिल्म प्रेम सुमन का आफर मिला तो मै  बहुत उत्साहित हुई थी।
0 ऐसा कोई क्षण जब निराशा मिली हो?
00 मै कभी निराश नहीं होती और ना कभी निराशा मिली है।
0 अभी तक के अपने कामो से आप संतुष्ट हैं?
00 एक कलाकार कभी भी अपने कामो से संतुष्ट नहीं हो सकता। मुझे अभी बहुत कुछ करना है बहुत कुछ सीखना है।

0 आपकी पहली फिल्म प्रेम सुमन के बारे में बताईये ?
00 बहुत ही अच्छी फिल्म है। एक अच्छी और साफ़ सुथरी लव स्टोरी है। मुझे उम्मीद है दर्शकों को यह फिल्म और उसमे मेरा काम पसंद आयेगा। हालांकि इस फिल्म में मेरा किरदार बहुत ही छोटा है  महत्वपूर्ण है। 

मंगलवार, 24 मई 2016

फिल्मों में खलनायक बनना चाहता है रमन

कला पारिवारिक माहौल में मिला है 
एंकरिंग और मेमेकरी के लिए मशहूर रमन पाण्डया छत्तीसगढी फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाना चाहते है। उनकी दिली तमन्ना है की लोग उन्हें इसी के लिए जाने पहचाने। अब तक करीब 40 फिल्मों में बॉलीवुड कलाकारों को आवाज दे चुके रमन कई बड़े कलाकारों के साथ स्टेज शो भी कर चुके हैं। रमन पाण्डया को कला विरासत में मिला है। वे फिलहाल सिंगिंग के लिए एक स्टूडियो चला रहे है जहां कई लोग गाने का प्रशिक्षण लेते हैं। रमन पाण्डया से हमने हर पहलुओं पर बात की है।
0 आप मिमिकरी के लिए जाने जाते हैं अब तक किनकी आवाजों की नक़ल की है?
00 करीब 40 फिल्मों में मैंने बॉलीवुड कलाकारों को आवाजे दी है। जिनमे शक्ति कपूर, गुलशन ग्रोवर, सुरेश ओबेराय, मिथुन चक्रवर्ती , राजा मुराद प्रमुख हैं। कई हिन्दी फिल्में छत्तीसगढ़ी में  डब की गयी तब इनके लिए मैंने आवाजें दी है।
0 अभी तक आप एक अच्छे एंकर के रूप में जाने जाते हैं हैं कितने स्टेज शो है आपके नाम?
00 अनगिनत शो किया है मैंने। कुमार शानू , उदित नारायण, जीनत अमां , वर्षा उसगांवकर ,जूही चावला , जैसे कलाकारों के साथ स्टेज शो किया है जो मेरे जीवन की एक बड़ी उप्लब्द्धी है।
0 आपको मिमिकरी और गाने का शौक कैसे हुआ?
00 पारिवारिक माहौल मिला है। पापा श्री सजोराम पांडया नाटककार थे। गायन और संचालन का काम तो मैंने देख देख कर सीखा है।
0 कही और से आपने गाने या एंकरिंग की शिक्षा नहीं ली है?
00 जी नहीं। सब कुछ घर की ही देंन है।
0 टेलेंट का आशय क्या गाने से ही है?
00 टेलेन्ट की कोइ परिभाषा  है। कई प्रकार के टैलेंट होते हैं। सबसे मुकाबला होता है। एंकरिंग भी एक टेलेंट ही है।
0 आपकी कोइ ख्वाहिश जो पूरा होते हुए देखना चाहती हो?
00 बस मेरी एक ही तमन्ना है कि मैं फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाउँ और लोग मुझे खलनायक के रूप में ही जाने।
0 कभी आपको निराशा महसूस हुई है और कभी ऐसा क्षण आया है जब आप बहुत खुश हुए हो?
00 नहीं मैं कभी निराश नहीं होता। मैं अपने कामों से हमेशा ही संतुष्ट रहता हूँ। खुशी तो हर वक्त होता है।
0 छालीवुड की क्या सम्भावनाये है?
00 बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए । थियेटरों  की कमी को सरकार पूरा करे।

0 तो छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है?
00 क्योकि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां होती है। फिल्मो में वो गुणवत्ता नहीं होती जो यहां के लोगो को चाहिए। प्रोड्यूसरों को इस और ध्यान देने की जरुरत है।

शुक्रवार, 13 मई 2016

पार्शवगायन में शोहरत कमाना चाहती है रायपुर की ऐश्वर्या पंडित

इंडियाज गॉट टेलेंट में पंहुची
- एक मुलाक़ात - अरुण बंछोर
कलर्स चैनल के इंडियाज गॉट टैलेंट के सेमीफाइनल राउंड में पहुँची शहर की ऐश्वर्या पंडित पार्श्वगायन में खूब नाम कमाकर माता पिता का सपना पूरा करना चाहती है। ऐश्वर्या में गजब का टेलेंट है । जज करन जौहर, किरण खेर और मलाइका अरोड़ा उनकी आवाज के कायल हो गए हैं। ऐश्वर्या की आवाज इतनी सुरीली है कि पंजाबी फोक सांग 'तू माने या ना माने दिलदारा' को सुनकर प्रसिद्ध अभिनेत्री किरण खेर रो पड़ी थीं। करण जौहर ने इस गाने को उनके दिल का सबसे करीब गाना कहकर गोल्डन बटन दबा दिया था और मलाइका ने अपनी तारीफ़ में उनकी आवाज और उनकी खूबसूरती का कसीदा ही पढ़ दिया । इससे ऐश्वर्या सीधे सेमीफाइनल में पहुंच गई। ऐश्वर्या को कला विरासत में मिली है। उनकी माँ रिंकी पंडित भी एक अच्छी गायिका है। दादा मशहूर तबलावादक थे तो पिता बॉडी बिल्डर है। इसके लिए ऑडिशन फरवरी में हुआ और उसका रिजल्ट मार्च में आया। फिर 23 अप्रैल को रायपुर में उनकी बायोग्राफी शूटिंग हुई थी। ऐश्वर्या  परिवार को भी ऐश्वर्या के फाइनल जीतने की उम्मीद है। ऐश्वर्या छालीवुड में बेस्ट सिंगर का एवार्ड हासिल कर चुकी है। उनसे हमने हर पहलुओं पर बेबाक बात की।
0 इंडियाज गॉट टैलेंट के सेमीफाइनल राउंड में पहुँचने से निश्चित ही छत्तीसगढ़ का नाम रोशन हुआ है। आगे क्या उम्मीद है?
00 मुझे फाइनल जीतने का भरोसा है। क्योकि मैंने शुरू से ही यही लक्ष्य लेकर चला है। इस टैलेंट शो के ऑडिशन में शामिल होने के लिए दस लाख लोग पहुंचे थे। मैंने अपनी प्रतिभा के दम पर अंतिम 6 में स्थान बना लिया है।
0 यहां तक पहुँचने के लिए आपको कितनी मेहनत करनी पड़ी?
00 इस शो के लिए मैंने खूब मेहनत की है। मेरे माँ - बाप ने मुझे लेकर जो सपना देखा है उसे पूरा करने की मन में ठानी है। और मन में लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता।
0 गाने की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली और क्या आपने कोइ ट्रेनिंग ली है?
00 मेरी मा ही मेरी गुरु है ,मेरी प्रेरणाश्रोत है। मां रिंकी पंडित गृहिणी के साथ-साथ गायिका भी हैं। गाने की प्रेरणा मुझे अपनी मां से ही मिली है।परिवार में दो भाई हैं। पापा कलेक्टोरेट में कार्यरत हैं।
0 कही और से आपने गाने की शिक्षा नहीं ली है?
00 जी नहीं। सब कुछ माँ की ही दें है। खैरागढ़ संगीत विवि में बीए (संगीत) की पढ़ाई कर रही हूँ। अब संगीत ही मेरा लक्ष्य है, संगीत ही मेरा करियर होगा।
0 टेलेंट का आशय क्या गाने से ही है?
00 टेलेन्ट की कोइ परिभाषा  है। कई प्रकार के टैलेंट होते हैं। सबसे मुकाबला होता है।
 0 इसके पहले आपने फिल्मों के लिए भी अपनी आवाज दी है?
00 जी हाँ कुछ छत्तीसगढ़ी फिल्मों और हिन्दी फिल्म कुटुंब के लिए कुमार शानू के साथ अपनी आवाजें दी है। आगे भी फिल्मों के लिए गाना जाती रहूंगी।
0 आपकी कोइ ख्वाहिश जो पूरा होते हुए देखना चाहती हो?
00 बस मेरी एक ही तमन्ना है कि पार्श्वगायिका बनकर छत्तीसगढ़ और अपने माता-पिता का नाम रोशन करूँ।

अपनी आवाज से लोगों का दर्द भुलाना चाहती है छाया प्रकाश

संगीत की कोई सीमा नही होती
० एक मुलाक़ात - अरुण बंछोर
छत्तीसगढ़ की मशहूर पार्श्वगायिका छाया प्रकाशअपनी आवाज से लोगों का दर्द भुलाना चाहती है। वे कहती हैं कि लता जी को सुनकर संगीत को महसूस करना सीखा है. वे चाहती हैं कि वही एहसास अपनी गायकी मे डालें और अपने सुनने वालों को सुकुन का एहसास कराये। संगीत उन्हें अपनी माँ से विरासत में मिली है। नेशनल अवार्ड और छालीवुड की बेस्ट सिंगर  जीत चुकी छाया प्रकाश संगीत के हर अंदाज़ को जानना चाहती है कुछ नया करना चाहती है। 16 एल्बम और 5 फ़िल्म मे अपनी आवाज का जादू बिखे चुकी छाया प्रकाश से हमने हर पहलुओं पे बेबाक बात की है।
० आपको गाने का शौक कैसे हुई?
०० मेरी माँ बहुत अच्छा गाती थी, सामाजिक कारणों से उन्हे आगे बढने का अवसर नही मिला तो उन्होने मुझे बचपन से ही सिखाना शुरू कर दिया था।
० किसी ने आपको प्रोत्साहित किया या फिर मर्जी से गाने लगी?
०० माँ ही मेरी पहली गुरू हैं और मेरी प्रेरणा भी।
० आपकी कोई तमन्ना है जिसे लेकर आप आगे बढ़ रही है 
०० मेरी एक ही तमन्ना है कि मेरी आवाज को सुन कर लोग अपना दर्द भूल जायेँ. मैने लता जी को सुनकर संगीत को महसूस करना सीखा है. मैं चाहती हूँ कि वही एहसास मैं अपनी गायकी मे डाल पाऊँ और अपने सुनने वालों को सुकुन का एहसास करा सकूँ.
० आपने गायकी का क्षेत्र ही क्यों चुना ?
०० मैने बहुत अलग अलग काम करके देखा पी.एच.डी करके कोलेज मे पढाया,.लेकिन आन्तरिक सुख मुझे संगीत मे मिला..इसलिये मैने संगीत को ही   चुना।
० आपने गायकी की ट्रेनिंग ली है ?
०० जी हाँ मैने भातखन्डे संगीत महाविद्यलाय से गीतांजली सीनियर डिप्लोमा लिया है. समय समय पर संगीत गुरुजनो का मार्गदर्शन लेती रही हूँ..जिनमे कुछ विशेश नाम हैँ- किशोर दुबे बिलासपुर.  राजेन्द्र गिरी गोस्वामी रतनपुर.  कल्याण सेन  रायपुर.  भारती बन्धू  रायपुर.  मोइन खान  मुंबई. उन्नीकृष्णन  भिलाई।
० क्या आप फिल्मों में भी एक्टिंग करना चाहेंगी ?
०० फ़िल्मो मे काम करने का कभी नही सोचा।
० आप छत्तीसगढ़ से है तो क्या हिन्दी या भोजपुरी फिल्मो के लिए भी गाना गायेंगी?
०० जी संगीत की कोई सीमा नही होती. अभी एक हिन्दी फ़िल्म के लिये रिकार्डिग किया है और भोजपुरी के लिये भी बात हो रही है..अवसर मिलेगा तो संगीत के हर अंदाज़ को जानना चाहूँगी. नया करना चाहूँगी।
० आप अपना प्रेरणाश्रोत किसे मानती है?
०० मेरी प्रेरणा मेरी माँ श्रीमती माया जैन हैँ
० आपका आदर्श कौन है , जिसे आप फॉलो करती है ?
०० आदर्श लता मंगेशकर जी हैँ

० कभी आपको निराशा महसूस हुई है और कभी ऐसा क्षण आया है जब आप बहुत खुश हुई हो?
०० मुम्बई की चमक के पीछे के अँधेरे को जानकर, झेलकर बहुत निराशा हुई थी। और जब मुझे नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया उस दिन बेहद खुशी हुई थी।