बच्चों के बीच जाकर शिक्षा का अलख जगा रही है मोना सेन
अरुण बंछोर
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ी फिल्मों की सुपर स्टार मानी जाने वाली अदाकारा मोना सेन अब घोर नक्सली क्षेत्र में शिक्षा का अलख जगाने पहुँच गयी है। समाजसेवा का जूनून इस कदर है उनके मन में कि गरीब बच्चे देखते ही उनका दिल पिघल जाता है। कई बच्चों को गोद लेकर उनके रहन सहन और शिक्षा का खर्च उठा चुकी मोना अब धुर नक्सली क्षेत्र में यही समाजसेवा के लिए पंहुच चुकी है जहां नाजे से बड़े बड़े घबराते हैं। उनके जज्बे को सलाम करना ही होगा। क्योकि नक्सली क्षेत्रों में काम करना किसी खतरों से खेलने से भी कम नहीं है।
छत्तीसगढ़ी लोक कला मंच के माध्यम से समाजसेवा करने वाली मोना सेन ने हाल ही में नक्सली क्षेत्र आवापल्ली ,भोपालपट्टनम के सात बच्चों को गोद लेकर उनकी शिक्षा दीक्षा और लालन पालन का खर्च उठाने का जिम्मा अपने हाथों में लिया है। मोना सेन पहले भी ऐसा जज्बा दिखा चुकी है। वे कहती है अपनों के लिए तो सब जीते हैं उन गरीबों के लिए जीना चाहिए जिनको जरुरत है सहारे की। गीत संगीत से लोगों का मनोरंजन करना तो आम बात है पर किसी को जीने की राह बता दे, उन्हें पड़ा लिखाकर उनके पैरों पर खड़ा कर दें तो बहुत सुकून मिलता है खुद को जो खुशी मिलाती है उसे बयाँ नहीं की जा सकती।
मोना की तमन्ना है कि छत्तीसगढ़ के गरीब परिवारों और दूरस्थ अंचलों में शिक्षा का अलख जगाएं ताकि कोइ भी बच्चा अशिक्षित ना रहे। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कदम रखने पर वे कहती हैं कि बस्तर में भी स्कूलें है पर घने जंगलों और दूरस्थ इलाकों में शिक्षा काफी दूर है। गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को पढ़ा लिखाकर उनके पैरों पर खड़ा करना चाहती हूँ। कंप्यूटर शिक्षा में भी पारंगत करना चाहती हूँ। इसके लिए सारी व्यवस्था करूंगी।
जंगलों के बीच प्रतिभा ढूंढेगी मोना
समाजसेवी मोना सेन कहती है कि दूरस्थ आदिवासी अंचलों में बहुत सी ऐसी प्रतिभा है जिसे तराशने की जरुरत है। ऐसी प्रतिभा को ढूंढकर उन्हें तराशा जाएगा और हर संभव मदद भी दी जाएगी। मोना बताती है कि बस्तर के दूरस्थ अंचलों में गयी थी जहां जाने से बड़े बड़े । मोना पहली कलाकार है जो नक्सली गाँवों में पहुँची हैं। वहां बच्चों से मिली उन्हें पडऩे लिखने की प्रेरणा दी, बच्चों के चहरे पर कुछ कर गुजरने की ललक देखी। मोना बताती है कि बस्तर के कई गाँव ऐसे है जहां शिक्षा नहीं पहुँची है। ऐसी क्षेत्रों में जाउंगी और शिक्षा का प्रचार प्रसार करूंगी ,बच्चों को पढ़ाऊंगी, काबिल बनाउंगी और उनको उनके पैरों पर खड़ी करूंगी।
अरुण बंछोर
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ी फिल्मों की सुपर स्टार मानी जाने वाली अदाकारा मोना सेन अब घोर नक्सली क्षेत्र में शिक्षा का अलख जगाने पहुँच गयी है। समाजसेवा का जूनून इस कदर है उनके मन में कि गरीब बच्चे देखते ही उनका दिल पिघल जाता है। कई बच्चों को गोद लेकर उनके रहन सहन और शिक्षा का खर्च उठा चुकी मोना अब धुर नक्सली क्षेत्र में यही समाजसेवा के लिए पंहुच चुकी है जहां नाजे से बड़े बड़े घबराते हैं। उनके जज्बे को सलाम करना ही होगा। क्योकि नक्सली क्षेत्रों में काम करना किसी खतरों से खेलने से भी कम नहीं है।
छत्तीसगढ़ी लोक कला मंच के माध्यम से समाजसेवा करने वाली मोना सेन ने हाल ही में नक्सली क्षेत्र आवापल्ली ,भोपालपट्टनम के सात बच्चों को गोद लेकर उनकी शिक्षा दीक्षा और लालन पालन का खर्च उठाने का जिम्मा अपने हाथों में लिया है। मोना सेन पहले भी ऐसा जज्बा दिखा चुकी है। वे कहती है अपनों के लिए तो सब जीते हैं उन गरीबों के लिए जीना चाहिए जिनको जरुरत है सहारे की। गीत संगीत से लोगों का मनोरंजन करना तो आम बात है पर किसी को जीने की राह बता दे, उन्हें पड़ा लिखाकर उनके पैरों पर खड़ा कर दें तो बहुत सुकून मिलता है खुद को जो खुशी मिलाती है उसे बयाँ नहीं की जा सकती।
मोना की तमन्ना है कि छत्तीसगढ़ के गरीब परिवारों और दूरस्थ अंचलों में शिक्षा का अलख जगाएं ताकि कोइ भी बच्चा अशिक्षित ना रहे। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कदम रखने पर वे कहती हैं कि बस्तर में भी स्कूलें है पर घने जंगलों और दूरस्थ इलाकों में शिक्षा काफी दूर है। गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को पढ़ा लिखाकर उनके पैरों पर खड़ा करना चाहती हूँ। कंप्यूटर शिक्षा में भी पारंगत करना चाहती हूँ। इसके लिए सारी व्यवस्था करूंगी।
जंगलों के बीच प्रतिभा ढूंढेगी मोना
समाजसेवी मोना सेन कहती है कि दूरस्थ आदिवासी अंचलों में बहुत सी ऐसी प्रतिभा है जिसे तराशने की जरुरत है। ऐसी प्रतिभा को ढूंढकर उन्हें तराशा जाएगा और हर संभव मदद भी दी जाएगी। मोना बताती है कि बस्तर के दूरस्थ अंचलों में गयी थी जहां जाने से बड़े बड़े । मोना पहली कलाकार है जो नक्सली गाँवों में पहुँची हैं। वहां बच्चों से मिली उन्हें पडऩे लिखने की प्रेरणा दी, बच्चों के चहरे पर कुछ कर गुजरने की ललक देखी। मोना बताती है कि बस्तर के कई गाँव ऐसे है जहां शिक्षा नहीं पहुँची है। ऐसी क्षेत्रों में जाउंगी और शिक्षा का प्रचार प्रसार करूंगी ,बच्चों को पढ़ाऊंगी, काबिल बनाउंगी और उनको उनके पैरों पर खड़ी करूंगी।
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