मंगलवार, 5 अप्रैल 2016

छालीवुड पर एकछत्र राज करना चाहती है एलीना

 रियल लाइफ में पापा की लाडली बेटी बन कर घर सम्हालती है 
- अरुण बंछोर
छालीवुड की चर्चित अभिनेत्री एलीना डेविड मसीह आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। उनकी कला और अभिनय के सब कायल हैं। एलीना ने आने वाली फिल्म ऑटो वाले भाटो में गजब का अभिनय किया है।
निर्माता क्षमानिधि मिश्रा भी उनकी तारीफ़ करते नहीं थकते हैं। एलीना की तमन्ना नंबर वन अभिनेत्री बनकर छालीवुड में राज करने की है। वे कहती है कि गाँवों में फिल्म देखने की व्यवस्था हो तभी छत्तीसगढ़ी फिल्मे चलेंगी। पहले एलीना हैदराबाद में रामूजी फिल्म सीटी में कोरियोग्राफर थी और बाद में छत्तीसगढ़ी फिल्मो में कदम रखी। रियल लाइफ में एलीना अपने पापा की लाडली बेटी बन कर घर सम्हालती है । कई फिल्मो में अपनी अभिनय का लोहा मनवाने वाली एलीना से हमने हर पहलूओं पर बेबाक बात की है। पेश  हुई बातचीत के संपादित अंश।
आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
मुझे एक्टिंग करने का शौक बचपन से ही रहा है जब भी मैं कोई फिल्म या सीरियल देखती थी तो उस जगह अपने आप को रखकर सोचती थी ।
मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
फिल्म लाइन में आने से पैहले मै हैदराबाद में रामूजी फिल्म सीटी में कोरियोग्राफर थी लेकिन यहां आकर एक्टिंग करने लगी । मेरे आदर्श मेरे पिता जी ही है। और छत्तीसगढ़ के सभी बड़े कलाकारों ने एक के बाद एक मुझे फिल्म एल्बम और टेली फिल्म के लिए सहयोग किये।
अभिनय की ओर आपका रुझान कैसे हुआ ?
हैदराबाद फिल्म सीटी में टॉलीवुड और बॉलीवुड की शूटिंग देख कर अभिनय की ओर मेरा रुझान हूआ।
कोई ऐसा अवसर आया हो ,जब आप बहुत उत्साहित हुई हो?
जी जब मैंने अपनी पेहली फिल्म छलिया की तो बहुत ही रोमांचित हुई और मेरा मनोबल उत्साह काफी बढ़ गया।
आप फिल्मो में अभिनेत्री की भूमिका निभाती है, तो आपको कैसा महसूस होता है?
जब मैं कोई अभिनेत्री का भूमिका निभाती हूँ तो मुझे गर्व महसूस होता हैं की मैं अपने रोल को बखूबी से कर पा रही हूँ।
रील लाइफ और रीयल लाइफ में क्या अंतर है?
दोनों अलग अलग चीज है रियल लाइफ को रील लाइफ में नहीं जोड़ सकती । रील लाइफ में मैं एक प्रोफेशनल भूमिका निभाती हूँ और रियल लाइफ में अपने पापा की लाडली बेटी बन कर घर सम्हालती हूँ और दोनो ही चीज में मेरे बड़े और फ्रैंडस साथ देते है।
ऐसा कोई क्षण जब निराशा मिली हो?
जब छतीसगढ़ फिल्म इन्डस्ट्री एसोसियशन सम्मान समारोह हूआ था।और मुझे भी बेस्ट अभिनेत्री से सम्मानित किया गया था और मैं वहा नहीं जा पाई थी तब मुझे बहुत निराश हुई थी।
छत्तीसगढ़ी फिल्मे थियेटरों में ज्यादा दिन नही चल पाती ,आप क्या कारण मानती है ?
छतीसगढ़ी फिल्में इस कारण थियेटर में ज्यादा दिन नहीं चल पाती क्योंकि आज के बच्चे और नोजवान छतीसगढ़ी नहीं समझ पाते और बॉलिवुड फिल्म को ज्यादा महत्व देते हैं । दूसरी तरफ जो गाँव के लोग है वो छतीसगढ़ी फिल्म को बड़े ही चाव से देखते है और महत्व भी देते है अगर हमारे आस पास के गाँव कस्बो में थियेटर की व्यवसथा कराई जाए तो छतीसगढ़ी फिल्म चलेगी भी और आगे भी बढेगी।
आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
मेरा सपना है छालीवुड में एकछत्र राज करने की है और मैं अपने इस सपने को पूरा होते देखना चाहती हूँ।
छत्तीसगढ़ी फिल्मे ज्यादा व्यवसाय क्यों नहीं कर पाती। कारण क्या मानते?
छतीसगढ़ी फिल्मेँ ज्यादा व्यवसाय इसलिए नहीं कर पाती क्योंकि उन्हें अलग - अलग क्षेत्र में सेंटर नहीं मिल पाता।छोटे छोटे कस्बों में भी थियेटरों की व्यवस्था हो । 

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