होली और करमा कोलम्बो विवि के पाठ्यक्रम में शामिल
- अरुण बंछोर
छत्तीसगढ़ की अंजली मिश्रा श्रीलंका में अपनी कल्चर की बड़े पैमाने पर प्रचार प्रसार कर रही है। श्रीलंका की राजधानी कोलम्बो के विजुवल एंड परफार्मिंग विश्वविद्यालय में वे इस समय भारत और एशिया डांस विभाग की प्रमुख है। उन्होंने होली और करमा नृत्य को अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है। जो फोक डांस के अंतर्गत आता है। इस संस्थान में एक विषय भारतीय लोक नृत्य भी है। अंजली का कहना है कि उनकी तमन्ना छत्तीसगढ़ी नृत्य को श्रीलका में प्रचारित करना और यहाँ के कलाकारों को श्रीलंका बुलाकर लाईव परफार्मेंस कराना है। अंजली में कत्थक नृत्य की शिक्षा खैरागढ़ विश्वविद्यालय से हासिल की है। और कत्थक में ही पी एच डी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से प्राप्त की है। सन 2007 में श्रीलंका विश्वविद्यालय से उन्हें आफर मिला और वे वहां जा पंहुंची। इसके पहले अंजली छत्तीसगढ़ में थियेटर से जुडी रही है और कई नाटकों का मंचन भी किया है। वे एक फिल्म बनाने के सिलसिले में रायपुर आई हुई हैहमने उनसे हर पहलुओं पर बात की है।
अंजली बताती है कि मैंने भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करना शुरू किया है लेकिन विभागीय प्रमुख होंने के कारण त्यौहारों के बारे में बच्चों को विस्तार से बताना शुरू किया है और पर्वों को मनाना भी शुरू किया है। शिव मंदिर में बाकायदा धार्मिक पर्व मनाते हैं। अंजली ने आठ साल की उम्र में पहला नाटक अपने स्कूल में किया और पुरस्कार जीती तब उनके माता पिटा को उनकी काबिलियत का पता चला। उसके बाद अंजली ने नाटक और नृत्य में भाग लेना शुरू किया फिर पलटकर नहीं देखा। 16 साल की उम्र में पंडित बर्मन लाल रायगढ़ घराना से कत्थक नृत्य की शुरुआत की। पर पीएचडी करते ही श्रीलंका सरकार से उन्हें आफर मिला और वे वहां चली गयी। अंजली ने बताया कि छत्तीसगढ़ की परम्परा और यहाँ की नृत्य की जानकारी पहली बार उन्होंने ही शुरू की। और आज वहां सिलेबस में शामिल है। अंजली की दिली तमन्ना है कि छत्तीसगढ़ी नृत्य को श्रीलका में प्रचारित करना और यहाँ के कलाकारों को श्रीलंका बुलाकर लाईव परफार्मेंस कराना है।ताकि वहां के छात्र हमारी परम्परा व् नृत्य को करीब से देख सके। उनके पति श्रीलंका में ही गाना विभाग में लेक्चरार है और फेमस सिंगर भी है। अंजली मिश्रा श्रीलंका के थियेटर में भी काम कर चुकी है। हर वर्ष भारत के बड़े गुरुओं को बुलाकर श्रीलंका में वर्कशाप करवाती है अंजली ताकि बच्चे भारतीय संस्कृति से भली भाँती परिचित हो सके।
- अरुण बंछोर
छत्तीसगढ़ की अंजली मिश्रा श्रीलंका में अपनी कल्चर की बड़े पैमाने पर प्रचार प्रसार कर रही है। श्रीलंका की राजधानी कोलम्बो के विजुवल एंड परफार्मिंग विश्वविद्यालय में वे इस समय भारत और एशिया डांस विभाग की प्रमुख है। उन्होंने होली और करमा नृत्य को अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है। जो फोक डांस के अंतर्गत आता है। इस संस्थान में एक विषय भारतीय लोक नृत्य भी है। अंजली का कहना है कि उनकी तमन्ना छत्तीसगढ़ी नृत्य को श्रीलका में प्रचारित करना और यहाँ के कलाकारों को श्रीलंका बुलाकर लाईव परफार्मेंस कराना है। अंजली में कत्थक नृत्य की शिक्षा खैरागढ़ विश्वविद्यालय से हासिल की है। और कत्थक में ही पी एच डी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से प्राप्त की है। सन 2007 में श्रीलंका विश्वविद्यालय से उन्हें आफर मिला और वे वहां जा पंहुंची। इसके पहले अंजली छत्तीसगढ़ में थियेटर से जुडी रही है और कई नाटकों का मंचन भी किया है। वे एक फिल्म बनाने के सिलसिले में रायपुर आई हुई हैहमने उनसे हर पहलुओं पर बात की है।
अंजली बताती है कि मैंने भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करना शुरू किया है लेकिन विभागीय प्रमुख होंने के कारण त्यौहारों के बारे में बच्चों को विस्तार से बताना शुरू किया है और पर्वों को मनाना भी शुरू किया है। शिव मंदिर में बाकायदा धार्मिक पर्व मनाते हैं। अंजली ने आठ साल की उम्र में पहला नाटक अपने स्कूल में किया और पुरस्कार जीती तब उनके माता पिटा को उनकी काबिलियत का पता चला। उसके बाद अंजली ने नाटक और नृत्य में भाग लेना शुरू किया फिर पलटकर नहीं देखा। 16 साल की उम्र में पंडित बर्मन लाल रायगढ़ घराना से कत्थक नृत्य की शुरुआत की। पर पीएचडी करते ही श्रीलंका सरकार से उन्हें आफर मिला और वे वहां चली गयी। अंजली ने बताया कि छत्तीसगढ़ की परम्परा और यहाँ की नृत्य की जानकारी पहली बार उन्होंने ही शुरू की। और आज वहां सिलेबस में शामिल है। अंजली की दिली तमन्ना है कि छत्तीसगढ़ी नृत्य को श्रीलका में प्रचारित करना और यहाँ के कलाकारों को श्रीलंका बुलाकर लाईव परफार्मेंस कराना है।ताकि वहां के छात्र हमारी परम्परा व् नृत्य को करीब से देख सके। उनके पति श्रीलंका में ही गाना विभाग में लेक्चरार है और फेमस सिंगर भी है। अंजली मिश्रा श्रीलंका के थियेटर में भी काम कर चुकी है। हर वर्ष भारत के बड़े गुरुओं को बुलाकर श्रीलंका में वर्कशाप करवाती है अंजली ताकि बच्चे भारतीय संस्कृति से भली भाँती परिचित हो सके।
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