शुक्रवार, 15 जनवरी 2016

छॉलीवुड को सरकार की मदद चाहिए : बॉबी खान

छत्तीसगढ़ी फिल्मो के मशहूर निर्माता निर्देशक बॉबी खान का कहना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों को माहौल बंनाने और अपार सफलता के लिए सरकार की मदद चाहिए, तभी हम आगे बढ़ सकते है। उनका कहना है कि सरकार एक फिल्म विकास निगम बनाये और उसे अच्छे अनुभवी हाथों में सौपे ताकि छत्तीसगढ़ी फिल्मों का उद्धार हो सके। वे कहते है कि भविष्य में छत्तीसगढ़ी भाषा, संस्कृति और फिल्म को आगे बढ़ाने का ही काम करूंगा। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह से मुलाकात कर इसकी मांग भी की है। ओडिय़ा और छत्तीसगढ़ी फिल्मे बना चुके बॉबी खान राजनीति में भी सक्रिय है। वे आरएसएस के मुस्लिम मंच के प्रदेश महामंत्री भी है। प्रस्तुत है बातचीत के संपादित अंश। 
फिल्मों की और रूचि कैसे हुई ?
बचपन से ही इस ओर मेरी रूचि रही है। 1995 में हिन्दी फिल्म पॉयजन बनाई। 2012 में जावेद अली का एक एल्बम बनाया, जिसकी शूटिंग हमने खंडाला में की। 
आपने अभिनय की शुरुवात कब और कहाँ से की?
अभिनय तो मै स्कूल लाइफ से ही करता आ रहा हूँ। 1995 में ही मैंने फिल्म में अभिनय और निर्माता निर्देशक का काम शुरू कर दिया था। 
आप निर्माता, निर्देशक और अभिनेता हैं, तीनो काम कैसे मैनेज करते हैं?
मुझे कोई दिक्कत नहीं होती। सब काम मै बखूबी कर लेता हूँ। अभिनय तो मेरे रग रग में है। फिल्मो का निर्माण और निर्देशन मेरा शौक है। 
अब तक आपकी उपलब्धि क्या है?
दो छत्तीसगढ़ी फिल्म सोनचिरैया और तोर मया मा, हिन्दी फिल्म पॉयजन और उडिय़ा फिल्म ए मोर प्रिया मेरी सबसे बड़ी उपलब्धी है। इसके अलावा एल्बम भी है। 
भविष्य में क्या करना चाहेंगे ,छत्तीसगढ़ के लिए ?
भविष्य में छत्तीसगढ़ी भाषा,संस्कृति और फिल्म को आगे बढ़ाने का ही काम करूंगा । छत्तीसगढ़ मेरी धरती है। इसके लिए मै अपना जीवन लगाना चाहता हूँ। 
ऐसा कोई क्षण जब आपको बहुत खुशी हुई हो?
जब मेरी फिल्म सोनचिरैया को मुख्यमंत्री के हाथो बेस्ट फिल्म का अवार्ड मिला, मै बहुत ही खुश हुआ था। 
और कोई ऐसा क्षण जब निराश हुई हों?
जब फिल्मे नहीं चल पाती तो निराशा होती है पर एक दिन
ऐसा भी आएगा जब हिन्दी फिल्मे टाकीज के लिए मोहताज होगी और छत्तीसगढ़ी फिल्मे सुपर-डुपर होगी।
रील लाइफ और रियल लाइफ में कितना फर्क होता है?
रील लाइफ और रियल लाइफ में बहुत अंतर होता है। रील लाइफ में कहानी के अनुसार चलना पड़ता है। रियल लाइफ में अपने हिसाब से चलना पड़ता है। 
छत्तीसगढ़ी फिल्मे टाकीजो में क्यों नहीं टिक पाते?
एक दिन ऐसा भी आएगा जब हिन्दी फिल्मे टाकीज के लिए मोहताज होगी और छत्तीसगढ़ी फिल्मे सुपर-डुपर होगी। बस सरकार से मदद चाहिए। सरकार एक फिल्म विकास निगम बनाये और उसे अच्छे अनुभवी हाथो में सौपे ताकि छत्तीसगढ़ी फिल्मो का उद्धार हो सके। 
संक्षिप्त परिचय 
नाम -  बॉबी खान 
पेशा     -  फिल्म निर्माता,  निर्देशक, अभिनेता 
फिल्म
एक उडिय़ा, दो छत्तीसगढ़ी 
बनने वाली फिल्म
मोर मया ला राखे रहिबे 
शिक्षा
बीई इलेक्टिकल्स 
अवार्ड
बेस्ट फिल्म अवार्ड 

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