डॉ सहाय एक ऐसे समर्पित व प्रतिभा वान कलाकार है जिन्हें प्रोड्यूसर व डायरेक्टर स्क्रिप्ट सौंपकर भूल जाते है। रोल चाहे छोटा हो या बड़ा उसे वो यादगार बना देते हैं। डीडी किसान नैशनल चैनल के लिए उनके द्वारा बनाये गये धारावाहिक ने राष्ट्रीय पहचान दिलाई। 2015 में निर्मित यह धारावाहिक शौचालय की समस्या पर आधारित था।विदित हो कि एक अंतराल के बाद आई हिंदी फीचर फिल्म टॉयलेट एक प्रेमकथा की विषयवस्तु भी यही थी। उनका यह सीरियल राष्ट्रीय व विभिन्न राज्यों की टीवी चैनल्स द्वारा बारम्बार प्रसारित हुआ। अजय सहाय ने पटकथा लेखन व निर्देशन के क्षेत्र में भी अपनी तूती बजा दी है। जनवरी 2018 में विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा रायपुर में आयोजित शार्ट फि़ल्म फेस्टिवल में उनकी फिल्म "कैसे बताऊ" को सर्वश्रेष्ठ फि़ल्म का खिताब मिला। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के कर कमलों द्वारा उनके एक लाख रुपए का पुरस्कार दिया गया। साथ ही बेटी बचाओ विषय पर उनके द्वारा बनाई गई दूसरी शार्ट फि़ल्म नन्ही परी में श्रेष्ठ अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। इसी फि़ल्म की बाल कलाकार बेबी यास्मीन को सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। विदित हो कि इस फेस्टिवल में 55 देशों से लगभग 500 शॉर्ट फिल्मों ने अपनी फि़ल्मे प्रस्तुत की थी।सिर्फ 30 फिल्मों को पब्लिक स्क्रीनिंग के लिए रखा गया था जिसमे अजय सहाय की तीसरी फि़ल्म ज़ख्म को भी चयनित किया गया था। यू तो डॉ अजय सहाय हर क्षेत्र में सैकड़ों क्षेत्रीय, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार हासिल कर चुके हैं लेकिन उन्होंने एक ही वर्ष में दादा साहेब फाल्के एकेडेमी अवार्ड व दादा साहेब फाल्के फाउंडेशन अवार्ड जैसे दो पुरस्कार प्राप्त कर के एक कीर्तिमान स्थापित किया है। उनकी लगभग एक दर्जन फि़ल्मे प्रदर्शन हेतु तैयार है।
ऐसे हैं डॉ सहाय
नायक ,खलनायक ,लेखक ,निर्देशक साहित्यकार, कवि, रंगकर्मी, पटकथा जैसे अनेक कला किसी एक व्यक्ति में हो ऐसे बिरले ही होते है और यह सब कला है डॉ अजय मोहन सहाय में। छत्तीसगढ़ी फिल्मो का वे एक आधार स्तम्भ है। उन्होंने एक नहीं कई भाषाओं की फिल्मो में अभिनय कर सबके सामने एक चुनौती पेश की है। पांच भाषाओं में अभिनय करना भी एक रिकार्ड है। जितने अच्छे वे मधुमेह व् हृदयरोग विशेषज्ञ है उतने ही बेहतर कलाकार है। डॉ सहाय को कला विरासत में मिली है। माँ से कला मिली है तो पिता से शिक्षा। छालीवुड में डॉ सहाय एक ऐसे नायक खलनायक लेखक ,निर्देशक है जिन्होंने फिल्म उद्योग पर हर भूमिका में एकछत्र राज कर रहे हैं और अपने अभिनय का लोहा मनवाया है। उनके स्वाभाविक अभिनय और प्रतिभा की पराकाष्ठा ही थी कि लोगों के बीच वे काफी लोकप्रिय हैं।
ऐसे हैं डॉ सहाय
नायक ,खलनायक ,लेखक ,निर्देशक साहित्यकार, कवि, रंगकर्मी, पटकथा जैसे अनेक कला किसी एक व्यक्ति में हो ऐसे बिरले ही होते है और यह सब कला है डॉ अजय मोहन सहाय में। छत्तीसगढ़ी फिल्मो का वे एक आधार स्तम्भ है। उन्होंने एक नहीं कई भाषाओं की फिल्मो में अभिनय कर सबके सामने एक चुनौती पेश की है। पांच भाषाओं में अभिनय करना भी एक रिकार्ड है। जितने अच्छे वे मधुमेह व् हृदयरोग विशेषज्ञ है उतने ही बेहतर कलाकार है। डॉ सहाय को कला विरासत में मिली है। माँ से कला मिली है तो पिता से शिक्षा। छालीवुड में डॉ सहाय एक ऐसे नायक खलनायक लेखक ,निर्देशक है जिन्होंने फिल्म उद्योग पर हर भूमिका में एकछत्र राज कर रहे हैं और अपने अभिनय का लोहा मनवाया है। उनके स्वाभाविक अभिनय और प्रतिभा की पराकाष्ठा ही थी कि लोगों के बीच वे काफी लोकप्रिय हैं।
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