दर्शकों का प्यार मेरे लिए सबसे बड़ा तोहफा
- श्रीमती केशर सोनकर
मां और भाभी दो ऐसे चरित्र है जिसे जीना सबसे बड़ी चुनौती होती है और इस चुनौती को परदे पर जीवंत करती है पुष्पांजली शर्मा। माँ दुनिया की सबसे अनमोल धरोहर है. मां जहां भी होती है खुशियों से हमारी झोली भर ही देती है. जब जीवन के हर क्षेत्र में मां का स्थान इतना अहम है तो भला हमारा छत्तीसगढ़ी सिनेमा इससे कैसे वंचित रह सकता था। छत्तीसगढ़ी सिनेमा में भी ऐसी कई अभिनेत्रियां हैं जिन्होंने मां के किरदार को सिनेमा में अहम बनाया है। छत्तीसगढ़ी सिनेमा में जब भी मां के किरदार को सशक्त करने की बात आती है तो सबसे पहला नाम पुष्पांजली शर्मा का आता है जिन्होंने अपनी बेमिसाल अदायगी से मां के किरदार को छत्तीसगढ़ी सिनेमा में टॉप पर पहुंचाया। इसीलिये पुष्पांजली को छत्तीसगढ़ की निरुपाराय कहा जाता है. ये नाम हमने पुष्पांजली को इसलिए दिया है क्योकि पुशअंजली बॉलीवुड की निरुपाराय से कहीं भी कमतर नहीं है. एक्टिंग और हावभाव निरुपा जैसा ही है.वे प्रकाश अवस्थी, अनुज शर्मा, करण खान, चन्द्रशेखर चकोर जैसे तमाम बड़े नायको की माँ की भूमिका निभा चुकी है. उनकी फिल्म राजू दिलवाला अभी हाल ही में रिलीज हुई और टुरा चायवाला आने वाली है. दूरदर्शन की सीरियल परिवर्तन में उन्होंने मुख्या भूमिका निभाई है. पुष्पांजली ने 100 से अधिक फिल्मे की है जो उपासना वैषणव के बाद फिल्मे हैं. 3 बार उन्हें सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेत्री का अवार्ड मिल चुका है.लीगल एवरनेस पर बनी शार्ट मूवी नन्ही पारी (2018)और नाबालिक (2017) को बेस्ट फिल्म का अवार्ड मिल चुका है. 'मया के घरौंदाÓ में उनकी भूमिका वाकई गजब थी। मां के रूप में जब भी पर्दे पर आई लोगों ने उन्हें खूब प्यार दिया। पहुना, टूरी नंबर वन आदि में उनकी भूमिका दमदार थी। पुष्पांजली को आज छत्तीसगढ़ी सिनेमा की बेहतरीन अदाकारा माना जाता है। फिल्मों में उनकी एंट्री बड़े ही निराले ढंग से हुई। कभी अभिनय न तो की थी और ना ही कभी सोची थी। निर्माता एजाज वारसी इन्हे फिल्मो में लेकर आये और डॉ अजय सहाय ने इनका होसला अफजाई किया, जिसकी वजह से ही आज वे इस मुकाम को पा सकी है। वे कहती है कि मां के चरित्र को फिल्म में जीवंत बनाने की पूरी कोशिश करती हूँ । 100 से अधिक फिल्मो में काम कर चुकी पुष्पांजली को किस्मत ने फिल्मो में खिंच लाया। माँ की भूमिका निभाना उन्हें बेहद पसंद है वैसे पुष्पांजली कई फिल्मो में भाभी की भूमिका भी निभा चुकी है। पुष्पांजली बताती है कि उन्हें एक्टिंग का शौक बचपन से रहा है, पर फिल्मो में काम करने के बारे में नहीं सोची थी। मौका मिला तो आ गयी। या यूं कहूँ किस्मत ने खिंच लाया। एजाज वारसी मुझे फिल्मो में लेकर आये थे , लेकिन मेरे प्रेरणाश्रोत डॉ अजय सहाय है ,जिन्होंने मुझे प्रेरणा दी और मेरा हौसला अफजाई किया। मेरे पीछे मेरी ताकत बनकर हमेशा खड़े रहे। वे कहती है कि मुझे कोई भी रोल मिले मैं पूरी तरह डूबकर काम करती हूँ। माँ की भूमिका निभाते समय जीवंत अभिनय करती हूँ , ताकि अपनी भूमिका के साथ न्याय कर सकूँ। उनका कहना है कि घर की मै बड़ी बहू होने के कारण मुझ पर घर की भी बड़ी जिम्मेदारी है. की तरह अपने परिवार को बांधकर रखने की पूरी कोशिश करती हूँ। कभी किसी का दिल ना दुखे , भले ही मुझे दु:ख सहन करना पड़े, ये मेरा प्रयास होता है। मै एक माँ की तरह अपने परिवार को वही स्नेह देती हूं जो फिल्मो में करती हूँ।
- श्रीमती केशर सोनकर
मां और भाभी दो ऐसे चरित्र है जिसे जीना सबसे बड़ी चुनौती होती है और इस चुनौती को परदे पर जीवंत करती है पुष्पांजली शर्मा। माँ दुनिया की सबसे अनमोल धरोहर है. मां जहां भी होती है खुशियों से हमारी झोली भर ही देती है. जब जीवन के हर क्षेत्र में मां का स्थान इतना अहम है तो भला हमारा छत्तीसगढ़ी सिनेमा इससे कैसे वंचित रह सकता था। छत्तीसगढ़ी सिनेमा में भी ऐसी कई अभिनेत्रियां हैं जिन्होंने मां के किरदार को सिनेमा में अहम बनाया है। छत्तीसगढ़ी सिनेमा में जब भी मां के किरदार को सशक्त करने की बात आती है तो सबसे पहला नाम पुष्पांजली शर्मा का आता है जिन्होंने अपनी बेमिसाल अदायगी से मां के किरदार को छत्तीसगढ़ी सिनेमा में टॉप पर पहुंचाया। इसीलिये पुष्पांजली को छत्तीसगढ़ की निरुपाराय कहा जाता है. ये नाम हमने पुष्पांजली को इसलिए दिया है क्योकि पुशअंजली बॉलीवुड की निरुपाराय से कहीं भी कमतर नहीं है. एक्टिंग और हावभाव निरुपा जैसा ही है.वे प्रकाश अवस्थी, अनुज शर्मा, करण खान, चन्द्रशेखर चकोर जैसे तमाम बड़े नायको की माँ की भूमिका निभा चुकी है. उनकी फिल्म राजू दिलवाला अभी हाल ही में रिलीज हुई और टुरा चायवाला आने वाली है. दूरदर्शन की सीरियल परिवर्तन में उन्होंने मुख्या भूमिका निभाई है. पुष्पांजली ने 100 से अधिक फिल्मे की है जो उपासना वैषणव के बाद फिल्मे हैं. 3 बार उन्हें सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेत्री का अवार्ड मिल चुका है.लीगल एवरनेस पर बनी शार्ट मूवी नन्ही पारी (2018)और नाबालिक (2017) को बेस्ट फिल्म का अवार्ड मिल चुका है. 'मया के घरौंदाÓ में उनकी भूमिका वाकई गजब थी। मां के रूप में जब भी पर्दे पर आई लोगों ने उन्हें खूब प्यार दिया। पहुना, टूरी नंबर वन आदि में उनकी भूमिका दमदार थी। पुष्पांजली को आज छत्तीसगढ़ी सिनेमा की बेहतरीन अदाकारा माना जाता है। फिल्मों में उनकी एंट्री बड़े ही निराले ढंग से हुई। कभी अभिनय न तो की थी और ना ही कभी सोची थी। निर्माता एजाज वारसी इन्हे फिल्मो में लेकर आये और डॉ अजय सहाय ने इनका होसला अफजाई किया, जिसकी वजह से ही आज वे इस मुकाम को पा सकी है। वे कहती है कि मां के चरित्र को फिल्म में जीवंत बनाने की पूरी कोशिश करती हूँ । 100 से अधिक फिल्मो में काम कर चुकी पुष्पांजली को किस्मत ने फिल्मो में खिंच लाया। माँ की भूमिका निभाना उन्हें बेहद पसंद है वैसे पुष्पांजली कई फिल्मो में भाभी की भूमिका भी निभा चुकी है। पुष्पांजली बताती है कि उन्हें एक्टिंग का शौक बचपन से रहा है, पर फिल्मो में काम करने के बारे में नहीं सोची थी। मौका मिला तो आ गयी। या यूं कहूँ किस्मत ने खिंच लाया। एजाज वारसी मुझे फिल्मो में लेकर आये थे , लेकिन मेरे प्रेरणाश्रोत डॉ अजय सहाय है ,जिन्होंने मुझे प्रेरणा दी और मेरा हौसला अफजाई किया। मेरे पीछे मेरी ताकत बनकर हमेशा खड़े रहे। वे कहती है कि मुझे कोई भी रोल मिले मैं पूरी तरह डूबकर काम करती हूँ। माँ की भूमिका निभाते समय जीवंत अभिनय करती हूँ , ताकि अपनी भूमिका के साथ न्याय कर सकूँ। उनका कहना है कि घर की मै बड़ी बहू होने के कारण मुझ पर घर की भी बड़ी जिम्मेदारी है. की तरह अपने परिवार को बांधकर रखने की पूरी कोशिश करती हूँ। कभी किसी का दिल ना दुखे , भले ही मुझे दु:ख सहन करना पड़े, ये मेरा प्रयास होता है। मै एक माँ की तरह अपने परिवार को वही स्नेह देती हूं जो फिल्मो में करती हूँ।
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