शनिवार, 7 जुलाई 2018

संधर्ष और सफलता का एक नाम उर्वशी साहू

जी हाँ ,हम बात कर रहे है छालीवुड फि़ल्म की चर्चित अभिनेत्री उर्वशी साहू की आज वह जिस मुकाम पे है उसके लिए उसने बहुत संधर्ष और मेहनत की है कलाकार परिवार में जन्मी उर्वशी की पूरी फेमली कलाकार है उनके नाना जी स्वर्गीय स्वर्ण कुमार साहू चरणदास चोर जमादारिन पोगा पंडित हब्बीब तनवीर इन नाटकों के गीतकार और डायलॉग के महारथी थे पापा प्रसिद्ध पंडवानी रेवाराम गणेशराम में तबला वादक थे साथ ही गोदना गोदा ले जैशे गीतों के रचनाकार थे माँ गायिका थी भाई भी गीतकार थे इन सभी के बीच सबसे छोटी उर्वशी ने महज 5 साल की उम्र में अपनी कला यात्रा सुरु की धुरवाराम दुखिया बाई की लोक मंच से निर्त्य की जो आज तक निरंतर जारी है उस समय परिवार की आर्थिक इस्थिति ठीक नही होने के कारण उर्वशी हर संथा में जाने लगी धीरे धीरे ये कला रोजी रोटी का साधन बन गया जिससे परिवार चलने लगा 20 साल की उम्र में  शादी हो गई शादी के बाद भी परिवार को पालने की जिम्मेदारी आ गई कहते है जिसको सुख नई मिलता उनको त उम्र नई मिलता यही कहावत उर्वशी के साथ भी थी 4 साल बाद पति के नई रहने से 2 बच्चो को पालने की जिम्मेदारी आ गई अब तो बस कलाकारी का ही सहारा था उसे ही रोजगार मानकर आगे काम जारी रखी फिर किस्मत से पहली छत्तीशगढ़ी फि़ल्म नकुल म्हलवार दारा दाढ़ में अभिनय करने का मौका मिला फिर देवदास के बिहाव फिर तो फि़ल्म की लाइन लग गई उस समय सीडी फि़ल्म अल्बम का दौर था फिल्में खूब चलती थी इस तरह आगे बढ़ते बढ़ते फिर बड़े पर्दे वाली फिल्म बनने लगी जिससे कलाकारों का काम बढऩे लगा अब उर्वशी थोड़ा नाम के साथ सक्चम होने लगी पर संधर्ष खत्म नई हुआ कलाकारी में उतना कमाई नई होती थी जिससे परिवार चल सके बच्चो के साथ आँगरोल का ठेला भी लगाने लगी जिससे थोड़ी आय होने लगी फिर उर्वशी ने अपनी एक लोकमंच तैयार की मया के संदेश नाम से जिसमे छोटे छोटे सभी कलाकारों को जोड़कर जत्था चुनाव और लोक मंच का काम करने लगी और देखते देखते ये संथा छत्तीशगढ़ की नमी संथा बन गई जो अब देश विदेश तक अपनी कला और संस्कृति को लेकर काम कर रही है फि़ल्म से भी उर्वशी की सराहना होने लगी बेस्ट एक्ट्रेस बेस्ट कॉमेडियन का अवार्ड मिलने लगा अब तक संधर्ष करते उर्वशी नाम के साथ समाज सेवा से जुड़ गई अब परिवार के कोई नही है सब इस दुनिया से जा चुके है इस संधर्ष भरे जीवन को अकेली अपने बच्चो के साथ नाम शोहरत के साथ जी रही है समाज सेवा और कला के छेत्र में योगदान के लिए उर्वशी को कौसिल्या माता सम्मान भी दिया गया सम्मान तो उर्वशी को बहुत मिला पर वह कहती है उसका सबसे बड़ा सम्मान दर्शोको का प्यार है जो उससे आज इस मुकाम तक पहुचाया है आज उर्वशी लोक मंच और छत्तीशगढ़ी फि़ल्म की सुपर स्टार है जो हर रोल को बखूबी करती है जिससे उनका एक अलग नाम है अपनी संथा मया के संदेश को लेकर वह अभी अंडमान निकोबार उत्तराखंड लखनऊ  देहरादून गई थी अभी उर्वशी फिल्मो में काफी बिजी है इन 6 महीनों में उर्वशी ने लगभग 12 फिल्में की है जिसमे हिंदी भोजपुरी और छत्तीशगढ़ी सामिल है हमारी शुभकामना है उर्वशी साहू कला के छेत्र में यू ही निरंतर आगे बड़े और छत्तीशगढ़ का नाम रोशन करे. 

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