मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोई भी काम असम्भव नहीं होता। जो मन में ठान ले उसे पूरा करके ही रहता है। यह कर दिखाया है प्रेम कुमार यादव ने। प्रेम गीतकार बनने मुंगेली से मुम्बई गए थे लेकिन वहां उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा.जीवनयापन के लिए उन्हें नौकरी भी करनी पडी. जब उन्हें कोइ रास्ता नहीं सुझा तो वे फिल्म निर्माता बन गए,साथ ही अभिनेता भी.प्रेम यादव चार फिल्मे बना चुके हैं और सभी फिल्मों में वे ही हीरो हैं.लेखन में प्रेम की अच्छी पकड़ है. उनकी करीब 400 कवितायें अखबारों में प्रकाशित हो चुकी है. उन्होंने अभी हांल ही में छत्तीसगढ़ी फिल्म संगी रे की शूटिंग पूरी की है. इसके पहले उन्होंने दो भोजपुरी फिल्म गाँव आ जा रे परदेशी ,बलमा हरजाई रे और एक हिंदी फिल्म ब्लैक बनाई थी.
प्रेम कुमार यादव की गीतकार से फिल्म निर्माता और अभिनेता बनने की कहानी भी रोचक है. उनका असली नाम भागीरथ यादव है लेकिन फिल्मों के लिए उन्होंने अपना नाम बदलकर प्रेम कुमार यादव कर लिया।फिल्मो में काम करने प्रेम छत्तीसगढ़ के मुंगेली से मुम्बई पहुंचे। पर उन्हें फिल्मो में काम नहीं मिला। मुम्बई में टिके रहने के लिए प्रेम ने एक कोरियर सर्विस में नौकरी कर ली.काफी संघर्ष के बाद उन्होंने खुद ही फिल्म बनाने की सोची और जुट गए फिल्म निर्माण में.सबसे पहले उन्होंने भोजपुरी फिल्म गाँव आ जा रे परदेशी बनाई जिसमे संगीतकार थे रविंद्र जैन और आवाजें दी थी साधना सरगम, श्रेया घोषाल और वाडेकर थे. फिर 2007 में एक और भोजपुरी फिल्म बनाई बलमा हरजाई रे. एक प्रश्न के उत्तर में प्रेम यादव कहते हैं कि छत्तीसगढ़ी फिल्मे नहीं चलती इसलिए भोजपुरी फिल्मे बनाई।अब छत्तीसगढ़ी फिल्म संगी रे बनाकर किश्मत आजमा रहा हूँ. संगी रे एक रोमांटिक और शिक्षाप्रद फिल्म हैं. यह कहानी और आगे बढ़ेगी। अक्टूबर में संगी रे 2 बनाने जा रहा हूँ जो इस फिल्म के आगे की कहानी होगी।
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