रविवार, 19 अगस्त 2018

अच्छे दिन के आसार - सम्पादकीय

भारतीय सिनेमा की शताब्दी पर छत्तीसगढ़ी फिल्में कहां और किस दिशा मे है इस पर चिंतन किया जाना जरूरी हो गया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्रीज अब अच्छी स्थिति में पहुँच गयी है हालांकि अब भी उसे ढेर सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदर्शन के लिए गिने चुने करीब 36 सेंटर ही है लेकिन निर्माण करने वालों का हौसला कम नहीं हो रहा है। छोटे से बाजार में बड़ी उम्मीदों के साथ जुड़े छत्तीसगढ़ी फिल्म के कलाकारों की हिम्मत की सराहना की जानी चाहिए की अपनी भाषा, अपनी संस्कृति की सौंधी सुगंध को सहेजने के लिए उनका साहस कम नहीं हुआ है। आलोचक भले ही मुंह बनाएं की छत्तीसगढ़ी फिल्मों में मुंबईयां मसालों की छौंक से जायका बिगड़ रहा है लेकिन इसके इतर छत्तीसगढ़ी भाषा का तड़का और अपने बीच के लोगों के अपनेपन ने रंजन को कम नहीं होने दिया है। ठीक ठीक आंकलन तो नहीं है लेकिन अंदाजा है कि छत्तीसगढ़ी फिल्में भी सौ की संख्या के करीब है। हिन्दी फिल्मों के शताब्दी वर्ष में छत्तीगढ़ी फिल्मों का सैकड़ा होने की उपलब्धि से हम सब छत्तीसगढिय़ा गर्व का अनुभव तो कर ही सकते है।
छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माण प्रारंभ सन् 1964 में ब्लैक एण्ड व्हाइट फिल्म 'कहि देबे संदेश से मनु नायक ने किया जिसका प्रदर्शन 14 अपै्रल 1965 को दुर्ग भाटापारा में हुआ। तब से लेकर फिल्मो का निर्माण निरंतर जारी है.उतार चढ़ाव के बीच 2016 में राजा छत्तीसगढिय़ा ने छालीवुड को आक्सीजन देने का काम किया था उसके बाद कई ऐसी फिल्मे आई जो इंडस्ट्री को फिर काफी पीछे ले गयी. इस साल 2018 में आई फिल्म आई लव यूं ने एक बार फिर छालीवुड को उबारा। इससे लगता है की अब फिल्म इंडस्ट्री के अच्छे दिन आने वाले हैं.इसमें कोइ दो राय नहीं की बजट भले ही कम हो और फिल्म अच्छी बने तो दर्शकों को टाकीज तक पहुँचने से कोइ नहीं रोक पायेगा। स्वतंत्र रूप से छत्तीसगढ़ी सिनेमा की शुरुआत भले ही 1965 में हुई हो लेकिन सन् 1953 में निर्मित हिन्दी नदिया के पार में संवाद छत्तीसगढ़ी पुट लिए हुए थे और इसकी वजह थे इसके कलाकार किशोर साहू जो छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव के निवासी थे। टेक्नोलॉजी के विस्तार से सन् 1985 में वीडियो होम सिस्टम के कैमरे से पहली वीडियो फिल्म 'जय मां बम्लेश्वरी का निर्माण सुंदरानी बंधुओं ने कर छत्तीसगढ़ी वीडियों फिल्म निर्माण की नयी विधा का प्रारंभ किया। इस फिल्म का निर्देशन मशहूर नाटककार जलील रिजवी ने किया। इस फिल्म ने भी उस समय वीडियो थियेटरों में लंबी लाइनें लगवा दी थी और अपने समय में कमाई का रिकार्ड भी बनाया। छत्तीसगढ़ी सिनेमा को पुर्नजीवित करने और इसे उद्योग में तब्दील करने का श्रेय सतीश जैन को है जिन्होंने छत्तीसगढ़ी की पहली रंगीन फिल्म मोर छइयां भुइयां का निर्माण सन् 2000 में किया। सहीं मायनों में कहा जाए तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों का दौर यहीं से शुरू हुआ जो पिछले 18 वर्षो से जारी है. हालांकि सन् 2004 से 2017 तक यह पांच साल हिचकोले खाता रहा लेकिन अब अच्छे दिन आने के आसार हैं.

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