शुक्रवार, 12 मई 2017

बाबा घासीदास की जीवनी अब परदे पर

बिल्हा में चल रही है फिल्म की शूटिंग

बाबा गुरु घासीदास को एक समाज विशेष के लोग भगवान् मानते हैं। उनके कई धार्मिक सन्देश भी है। उनका जीवन बड़ा ही सात्विक था। अब उनका पूरा जीवन वृत्त बड़े परदे पर दिखाई देगा। छत्तीसगढ़ के बिल्हा में इस फिल्म की शूटिंग चल रही है। जिसका पहला शेड्यूल आज समाप्त हुआ। संदीप गर्ग निर्मित इस फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं मनोज दीप जो छालीवूड़ के श्रेष्ठ कोरियोग्राफर भी है और उन्हें हिन्दी फिल्म डायरेक्ट कन्ने का भी अनुभव है। उनके साथ दिनेश चेल्के भी डायरेक्शन में लगे हुए हैं। फिल्म में बाबा गुरु घासीदास के जन्म से लेकर अंत तक की कहानी का बड़ी बखूबी से वार्वन किया जा रहा है। चांपा के रंजन राय पिता मंहगू दास और महाराष्ट्र की नेहा राउत माता अमरौतीन की भूमिका में है। इस फिल्म में करीब 90 कलाकार होंगे।
बाबा गुरु घासीदास का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में गिरौद नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम मंहगू दास तथा माता का नाम अमरौतिन था और उनकी धर्मपत्नी का सफुरा था। गुरु घासीदास का जन्म ऐसे समय हुआ जब समाज में छुआछूत, ऊंचनीच, झूठ-कपट का बोलबाला था, बाबा ने ऐसे समय में समाज में समाज को एकता, भाईचारे तथा समरसता का संदेश दिया।  घासीदास की सत्य के प्रति अटूट आस्था की वजह से ही इन्होंने बचपन में कई चमत्कार दिखाए, जिसका लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा। गुरु घासीदास ने समाज के लोगों को सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने न सिर्फसत्य की आराधना की, बल्कि समाज में नई जागृति पैदा की और अपनी तपस्या से प्राप्त ज्ञान और शक्ति का उपयोग मानवता की सेवा के कार्य में किया।   इसी प्रभाव के चलते लाखों लोग बाबा के अनुयायी हो गए। फिर इसी तरह छत्तीसगढ़ में 'सतनाम पंथ' की स्थापना हुई। इस संप्रदाय के लोग उन्हें अवतारी पुरुष के रूप में मानते हैं। गुरु घासीदास के मुख्य रचनाओं में उनके सात वचन सतनाम पंथ के 'सप्त सिद्धांत' के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इसलिए सतनाम पंथ का संस्थापक भी गुरु घासीदास को ही माना जाता है। बाबा ने तपस्या से अर्जित शक्ति के द्वारा कई चमत्कारिक कार्यों कर दिखाएं। बाबा गुरु घासीदास ने समाज के लोगों को प्रेम और मानवता का संदेश दिया। संत गुरु घासीदास की शिक्षा आज भी प्रासंगिक है। 

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