काम करता हूं ,फल की चिंता नहीं करता
छालीवुड अभिनेता राजेश पण्डया आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है. लेकिन इन दिनों वे नए रूप में दिखाई दे रहे हैं । उन्हें कैमरे के साथ खेलते सकता है। उनके एल्बम छत्तीसगढ़ के गांव गांव और हर घरों में देखे सुने जाते हैं। सहज सरल राजेश की दिली तमन्ना है की लोग उन्हें एक अच्छे कलाकार के रूप में ही जाने पहचाने7 कई फिल्मों व एल्बमों में अपनी कला का जादू बिखेर चुके राजेश का कहना कि एक कलाकार कभी भी अपने कामो से संतुष्ट नहीं हो सकता। मुझे अभी बहुत कुछ करना है बहुत कुछ सीखना है। मै काम करता हूं ,फल की चिंता नहीं करता7 वे कहतें हैं कि छत्तीसगढ़ फिल्मों को थियेटरों की कमी से जूझना पड़ रहा है अगर सरकार सहूलियत दे और कारपोरेट सेक्टर प्रदेश में सौ-डेढ़ सौ नए सिनेमाघर बना दे तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों का रंग ही बदल जायेगा।
वे कहते हैं की छतीसगढ़ी फिल्में इस कारण थियेटर में ज्यादा नहीं चल पाती क्योंकि आज के बच्चे बॉलिवुड फिल्म को ज्यादा महत्व देते हैं। दूसरी तरफ जो गाँव के लोग है वो छतीसगढ़ी फिल्म को बड़े ही चाव से देखते है और महत्व भी देते है। लेकिन हम उन तक नहीं पंहुच पाते। राजेश का कहना है कि मैंने पूरी ईमानदारी से अपने किरदार के साथ न्याय किया है। जब मै भूमिका में होता हूं तो अपने किरदार में पूरी तरह से डूब जाता हूं । बचपन से ही उन्हें एक्टिंग का शौक रहा है। स्कूल कालेज के समय से ही ड्रामा और डांस करते आ रहा है फिर एल्बम करने लगा. जिसमे उसे लोगो ने बहुत सराहा वही उनका सबसे बड़ा तोहफा भी है। एलबम का उन्हें सुपरस्टार भी कहा जा सकता है। राजेश का कहना है की वे कभी निराश नहीं होते और ना कभी निराशा मिली है।एक कलाकार कभी भी अपने कामो से संतुष्ट नहीं हो सकता। मुझे अभी बहुत कुछ करना है बहुत कुछ सीखना है।छत्तीसगढ़ी सिनेमा में शौकिया तौर पर फिल्म बनाने वाले लोग बड़ी संख्या में आ रहे है। कई भाषाओं में क्षेत्रीय फिल्म निर्माण से छत्तीसगढ़ी फिल्मों की आउट सोर्सिंग हुई है भोजपुरी, और उडिय़ा से नया बाजार मिला है इसी तरह और भी तरीके ईजाद करने से इंडस्ट्रीज के
सभी लोगों का भला होगा। यहां कलाकारों की कतई कमी नहीं है।
छत्तीसगढ़ फिल्मों को थियेटरों की कमी से जूझना पड़ रहा है अगर सरकार सहूलियत दे और कारपोरेट सेक्टर प्रदेश में सौ-डेढ़ सौ नए सिनेमाघर बना दे तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों का रंग ही बदल जायेगा। उद्योगों की तरह रियायती दर में जमीन और उस पर कामर्शियल काम्प्लेक्स के निर्माण की अनुमति से नहीं कंपनियां सिनेमाघरों के निर्माण के लिए आकर्षित हो सकती है। राजेश की तमन्ना छालीवुड की फिल्मों में छा जाना की है। उनका सपना छालीवुड की सबसे अच्छे स्टार बनने की ही है।लोग मुझे छालीवुड स्टार के नाम से ही जाने।वे कहते है की हर प्रकार की भूमिका पसंद है। अब तक सभी रोल कर चुका हूँ , नायक ,खलनायक सह अभिनेता की भूमिका सब कुछ कर चुका हूँ।
छालीवुड अभिनेता राजेश पण्डया आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है. लेकिन इन दिनों वे नए रूप में दिखाई दे रहे हैं । उन्हें कैमरे के साथ खेलते सकता है। उनके एल्बम छत्तीसगढ़ के गांव गांव और हर घरों में देखे सुने जाते हैं। सहज सरल राजेश की दिली तमन्ना है की लोग उन्हें एक अच्छे कलाकार के रूप में ही जाने पहचाने7 कई फिल्मों व एल्बमों में अपनी कला का जादू बिखेर चुके राजेश का कहना कि एक कलाकार कभी भी अपने कामो से संतुष्ट नहीं हो सकता। मुझे अभी बहुत कुछ करना है बहुत कुछ सीखना है। मै काम करता हूं ,फल की चिंता नहीं करता7 वे कहतें हैं कि छत्तीसगढ़ फिल्मों को थियेटरों की कमी से जूझना पड़ रहा है अगर सरकार सहूलियत दे और कारपोरेट सेक्टर प्रदेश में सौ-डेढ़ सौ नए सिनेमाघर बना दे तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों का रंग ही बदल जायेगा।
वे कहते हैं की छतीसगढ़ी फिल्में इस कारण थियेटर में ज्यादा नहीं चल पाती क्योंकि आज के बच्चे बॉलिवुड फिल्म को ज्यादा महत्व देते हैं। दूसरी तरफ जो गाँव के लोग है वो छतीसगढ़ी फिल्म को बड़े ही चाव से देखते है और महत्व भी देते है। लेकिन हम उन तक नहीं पंहुच पाते। राजेश का कहना है कि मैंने पूरी ईमानदारी से अपने किरदार के साथ न्याय किया है। जब मै भूमिका में होता हूं तो अपने किरदार में पूरी तरह से डूब जाता हूं । बचपन से ही उन्हें एक्टिंग का शौक रहा है। स्कूल कालेज के समय से ही ड्रामा और डांस करते आ रहा है फिर एल्बम करने लगा. जिसमे उसे लोगो ने बहुत सराहा वही उनका सबसे बड़ा तोहफा भी है। एलबम का उन्हें सुपरस्टार भी कहा जा सकता है। राजेश का कहना है की वे कभी निराश नहीं होते और ना कभी निराशा मिली है।एक कलाकार कभी भी अपने कामो से संतुष्ट नहीं हो सकता। मुझे अभी बहुत कुछ करना है बहुत कुछ सीखना है।छत्तीसगढ़ी सिनेमा में शौकिया तौर पर फिल्म बनाने वाले लोग बड़ी संख्या में आ रहे है। कई भाषाओं में क्षेत्रीय फिल्म निर्माण से छत्तीसगढ़ी फिल्मों की आउट सोर्सिंग हुई है भोजपुरी, और उडिय़ा से नया बाजार मिला है इसी तरह और भी तरीके ईजाद करने से इंडस्ट्रीज के
सभी लोगों का भला होगा। यहां कलाकारों की कतई कमी नहीं है।
छत्तीसगढ़ फिल्मों को थियेटरों की कमी से जूझना पड़ रहा है अगर सरकार सहूलियत दे और कारपोरेट सेक्टर प्रदेश में सौ-डेढ़ सौ नए सिनेमाघर बना दे तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों का रंग ही बदल जायेगा। उद्योगों की तरह रियायती दर में जमीन और उस पर कामर्शियल काम्प्लेक्स के निर्माण की अनुमति से नहीं कंपनियां सिनेमाघरों के निर्माण के लिए आकर्षित हो सकती है। राजेश की तमन्ना छालीवुड की फिल्मों में छा जाना की है। उनका सपना छालीवुड की सबसे अच्छे स्टार बनने की ही है।लोग मुझे छालीवुड स्टार के नाम से ही जाने।वे कहते है की हर प्रकार की भूमिका पसंद है। अब तक सभी रोल कर चुका हूँ , नायक ,खलनायक सह अभिनेता की भूमिका सब कुछ कर चुका हूँ।
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