शनिवार, 13 मई 2017

एक अच्छी खलनायिका बनना चाहती है संजू

हर काम पसंद है सिर्फ कहना बनाना नहीं
छालीवुड में हर प्रकार की भूमिका निभा चुकी संजू साहू की दिली तमन्ना एक अच्छी खलनायिका बनने की है। छोटी सी उम्र में कला के प्रति समर्पित संजू ने कम उम्र में ही फिल्म मोर छईयां - भूइयां में अनुज शर्मा की माँ का रोल कर अपने अभिनय से सबको चौका दिया था। तब से लेकर अब तक उन्होंने पीछे मुडकऱ नहीं देखा। आज वे एक कामयाब अभिनेत्री है। वे कहती है कि अभी तो छालीवुड में बहुत कुछ करना है ,अब तक जो किया है वह काम है। संजू एक गृहणी भी है उन्हें घर का हर काम पसंद है पर खाना बनाना नहीं। सन 2005 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री चुनी गयी थी। छोटी बड़ी सौ फिल्में, 300 से अधिक एल्बम और 450 से अधिक स्टेज शो कर चुकी है।
संजू को मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में नाटकों में भाग लिया करती थी। जब जब मैं  देखती थी तब तब मुझे लगता था कि मुझे भी ऐसे ही कुछ बनना चाहिए । फिर बड़े बड़े लोकगायकों के साथ स्टेज शो करने लगी थी। शुरू से ही मेरा रुझान इसी ओर था। मेरे मन में बहुत कुछ कर गुजरने की इच्छा थीजिसे लेकर मैं आगे बड़ी और आज मै इस मुकाम पर हूँ। उनकी पहली फिल्म मोर छईयां - भूइयां है वे कहती है की उसमे मुझे बहुत ही काम उम्र में माँ का रोल दिया गया और जब मैंने अपने किरदार के साथ न्याय किया तो सब देखते ही रह गए। फिर मैंने पीछे पलटकर नहीं देखा। फिल्म दाई में मैंने मुख्य किरदार में थी तब लोगो को मेरा अभिनय इतना पसंद आया कि मुझे लेडी अमिताभ का खिताब दिया गया जो मेरे लिए सबसे बड़ा अवार्ड है। उसके बाद तो मुझे कई अवार्ड मिले।
संजू की नजर में छालीवुड की सम्भावनाये बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए । थियेटरों  की कमी को सरकार पूरा करे। क्योकि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां होती है। फिल्मो में वो गुणवत्ता नहीं होती जो यहां के लोगो को चाहिए। कहानी प्रधान फिल्में नहीं बनती, मिट्टी से जुड़ाव होना चाहिए , फूहड़ कॉमेडी नहीं होना चाहिए, अगर अच्छी फिल्में बने तो लोग जरूर देखेंगे। संजू बताती है कि मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। नाटकों में भाग लेने के बाद लोगो ने मेरा अभिनय देखा और फिल्मो में मौका दिया। फिल्म अभिनेत्री श्रीदेवी को मैं सबसे ज्यादा पसंद करती हूँ। हेमामालिनी, रेखा, अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना मेरे आदर्श हैं। प्रेम की जीत को वे अपनी सबसे अच्छी फिल्म मानती है! उनका कहना है कि शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चली हूँ। अब इसी लाईन पर काम करती  रहूंगी। मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी  , लेकिन निगेटिव रोल पसंद है। सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके। संजू की तमन्ना है कि छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहती हूँ। एक अच्छी खलनायिका बनने की तमन्ना है।
अब गायन में दे रही है ध्यान
छालीवुड की जानी मानी अभिनेत्री संजू साहू जितनी सुन्दर है उतनी ही अच्छी अदाकारा भी है। संजू को खूबियों का खजाना कहे तो कोइ अतिशियोक्ति नहीं होगी। परेम की जीत में दोहरी भूमिका निभाकर छालीवुड को एक नई दिशा भी उन्होंने ही दी है। एक्टिंग में माहिर संजू का इन दिनों एक नया रूप भी सामने आया है। वे इन दिनों गायन में ज्यादा ध्यान दे रही है। उनकी अपनी संस्था है संजू साहू स्टार नाईट जिसकी कमान जाने माने अभिनेता डॉ अजय सहाय के हाथों में है। वे एक मात्रा ऐसी अभिनेत्री है जिन्होंने फिल्म दाई में अपने बच्चे को बचाने के लिए सच में शेर से भीड़ गयी थी। ऐसा आज तक छत्तीसगढ़ी फिल्मो में नहीं हुई है। बॉलीवुड में जरूर देखने को मिलता है। भले ही शेर पालतू हो लेकिन उसके सामने जाने में अच्छों अच्छों की साँसे रूक जाती है। यह बात मुझे अभी हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान पता चला तो अच्छा भी लगा और आश्चर्य भी। अच्छा इसलिए की हमारे छालीवुड में ऐसे साहसी कलाकार भी है जो अपने किरदार को जीवंत बनाने के किये कोइ कसर नहीं छोड़ते। संजू सच्चाई पसंद अभिनेत्री है।उन्होंने फिल्म छइयां भुईयां में बहुत ही कम उम्र में माँ की अच्छी भूमिका निभाकर सबको आश्चर्य में डाल दिया था। यहीं से उनकी पहचान फिल्मों में बनी थी और उन्हें ब्रेक मिला प्रेम की जीत से। संजू अब संगीत के हर अंदाज़ को जीना चाहती है और कुछ नया करना चाहती है। गाना सुन-सुनकर संगीत को महसूस करना सीखा है.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें