शुक्रवार, 12 मई 2017

छालीवुड ही मेरी जिन्दगी है

कभी निराश नहीं होता - अरविन्द
छत्तीसगढ़ी फिल्मो के खलनायक अरविंद गुप्ता की एक्टिंग का अब सभी निर्माता निर्देशक कायल हैं। वे जितने अच्छे एक्टर हैं उतने ही मिलनसार और व्यवहारिक भी है। जिन्दगी में काफी उतार चढ़ाव देखने वाले अरविंद का कहना है कि छालीवुड ही मेरी जिन्दगी है और मै यहाँ काम करता रहूंगा। काम नहीं मिलाने पर मै निराश भी नहीं होता। छालीवुड में काम करने वाली सभी एक्टर उनके आदर्श है। क्योकि सबसे मुझे कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता है। मै अपने कामो से पूरी तरह से संतुष्ट हूँ। अरविंद को कभी निराशा नहीं होती । उनकी आने वाली फिल्म है-  डर्टी मया, अंधियार, हिन्दी में प्रतिशोध। डर्टी मया को लेकर अरविन्द गुप्ता बहुत ही उत्साहित है क्योकि इस अफिल्म ने उन्होंने विलेन की भूमिका अदा की है। वे कहते है कि वे नक़ल नहीं करना चाहते और अपने बलबूते पर ही आगे बढऩा चाहते हैं। अरविन्द स्कूल में ड्रामा किया करता था और आज फिल्मो के विलेन है।

उनकी आने वाली फिल्म है - डर्टी मया, अंधियार, हिन्दी में प्रतिशोध। वे कहतें हैं कि ये तीनों ही फिल्मे मेरे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। डर्टी मया कुछ सालो से बनाकर तैयार है अब तकनीक रूप से पूरी होने वाली है। अरविंद को बचपन से शौक था एक्टिंग करने का। वे कहते है कि लोगो को देखकर लगा की मुझे भी इस क्षेत्र में कुछ करना चाहिए। स्कूल में ड्रामा तो करता ही था। बाद में मुझे थियेटर का शौक हुआ। ऐसा करते करते मैंने छत्तीसगढ़ी फिल्मो की ऑर कदम बढ़ाया। अरविन्द बतातें हैं कि पिछले 16 सालों से मै इस क्षेत्र में काम कर रहा हूँ। इसके पहले हिन्दी एल्बम में काम किया है जो काफी चर्चित हुई थी। मैंने करीब 14 छत्तीसगढ़ी फिल्मो में काम किया है और कुछ एल्बम बनाये है। हिन्दी में बनी एल्बम साईं मेरे सरकार सबसे चर्चित एल्बम है जो पूरे देश में देखे और सुने जाते है। इसमें मैंने एक्टिंग भी की है। उनका कहना है कि छालीवुड में काम करने वाली सभी एक्टर उनके आदर्श है। क्योकि सबसे मुझे कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता है। वे अपने कामों से पूरी तरह से संतुष्ट है। अरविन्द किसी की नक़ल नहीं करना चाहते और अपने बलबूते पर ही आगे बढऩा चाहते हैं। सब उनके लिए अच्छे है पर वे किसी भी कलाकार को भी फॉलो नहीं करता। फिल्म निर्माता निर्देशक और एक्टर एजाज वारसी उनके प्रेरणाश्रोत है। उन्होंने ही उसे इस क्षेत्र में लेकर आये है और काम दिलाये उसके बाद से उन्होंने पीछे मुडकऱ नहीं देखा । फिल्म में उन्हें उनके कामो के लिए हर तरफ तारीफ़ ही मिली है। अरविन्द कभी निराश नहीं होते। उनका कहना है कि मैं सिखता रहता हूँ और कोशिश करता हूँ की मुझे काम मिलता रहे। काम नहीं मिलने पर भी मै निराश नहीं होता हूँ। 

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