0 फिल्मों में काम करते रहने की तमन्ना है
छत्तीसगढ़ी फिल्मों में कदम रखने वाले अभिनेता अशोक खंडेलवाल की तमन्ना है कि हिन्दी फिल्मो में भी अभिनय करे। वे कहते है कि प्रमोशन की कमी और थियेटर नहीं मिलने के कारण छत्तीसगढ़ी फिल्मे अन्य भाषी फिल्मो से पिछड़ गयी है। सरकार का भी सही ढंग से सहयोग नहीं मिल पाता। जबकि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में अपनी संस्कृति, भाषा और लोक कला का भरपूर प्रदर्शन होता है,जो लोगो के दिलो को छू जाता है। रायपुर में पढ़े लिखे अशोक ने छत्तीसगढ़ी भाषा की फिल्म अंधियार से छालीवूड़ में एंट्री की है। उनसे हमने हर पहलूओं पर बेबाक बात की।
0 आपका रुझान फिल्मो की और कैसे हुआ?
00 बचपन से ही मुझे फिल्मो का शौक रहा है। जब मै कोई फिल्म देखता था तो उसे दोहराता था। और जब बड़ा हुआ तो मैंने अपना शौक दिल में ही दबाये रखा लेकिन अब अंधियार में मुझे मौका मिला तो एक्टिंग कर ली। रवि शर्मा ने मुझे सहयोग किया और हम एक्टिंग की दुनिया में आ गए।
0 अभिनय के लिए आपने क्या किया?
00 कुछ ख़ास नहीं । रूची थी पर अभिनय नहीं किया था। स्थानीय मंचो पर ही अभिनय करता रहा है। बचपन में ही मैंने लक्ष्य तय कर लिये था कि मुझे आगे चलकर अभिनय करना है।
0 अब तक आपने कितनी फिल्मे की है?
00 अभी अभी तो छालीवूड़ में एंट्री की है। अंधियार में मुझे ब्रेक दिया है एजाज वारसी ने।
0 छत्तीसगढ़ी फिल्मे खूब चले इसके लिए और क्या चाहिए?
00 प्रमोशन खूब करना होगा, प्रचार प्रसार की कमी है। थियेटर का अभाव है। यहां के थियेटर छत्तीसगढ़ी फिल्मो को ज्यादा दिन तक चलाना नहीं चाहते। दर्शक है पर थियेटर नहीं है। सरकार ऐसा नियम बनाये की पहले हमारे फिल्मो को थियेटरों में प्रदर्शन करना अनिवार्य होगा, अन्यथा उन पर कार्रवाई होगी। तब छत्तीसगढ़ी फिल्मो का भविष्य बन पायेगा।
0 क्या हिन्दी फिल्मो में काम करने के इच्छुक है।
00 हाँ जरूर! अगर मौका मिला तो जरूर अपने अभिनय को दिखाना चाहूँगा।
0 फिल्मो में अभिनय के अलावा और क्या करना चाहेंगे ?
00 अभिनय ही करना चाहूँगा। इसी क्षेत्र में आगे बढना चाहता हूँ। लोग मुझे एक कलाकार के रूप में जाने यही तमन्ना है।
छत्तीसगढ़ी फिल्मों में कदम रखने वाले अभिनेता अशोक खंडेलवाल की तमन्ना है कि हिन्दी फिल्मो में भी अभिनय करे। वे कहते है कि प्रमोशन की कमी और थियेटर नहीं मिलने के कारण छत्तीसगढ़ी फिल्मे अन्य भाषी फिल्मो से पिछड़ गयी है। सरकार का भी सही ढंग से सहयोग नहीं मिल पाता। जबकि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में अपनी संस्कृति, भाषा और लोक कला का भरपूर प्रदर्शन होता है,जो लोगो के दिलो को छू जाता है। रायपुर में पढ़े लिखे अशोक ने छत्तीसगढ़ी भाषा की फिल्म अंधियार से छालीवूड़ में एंट्री की है। उनसे हमने हर पहलूओं पर बेबाक बात की।
0 आपका रुझान फिल्मो की और कैसे हुआ?
00 बचपन से ही मुझे फिल्मो का शौक रहा है। जब मै कोई फिल्म देखता था तो उसे दोहराता था। और जब बड़ा हुआ तो मैंने अपना शौक दिल में ही दबाये रखा लेकिन अब अंधियार में मुझे मौका मिला तो एक्टिंग कर ली। रवि शर्मा ने मुझे सहयोग किया और हम एक्टिंग की दुनिया में आ गए।
0 अभिनय के लिए आपने क्या किया?
00 कुछ ख़ास नहीं । रूची थी पर अभिनय नहीं किया था। स्थानीय मंचो पर ही अभिनय करता रहा है। बचपन में ही मैंने लक्ष्य तय कर लिये था कि मुझे आगे चलकर अभिनय करना है।
0 अब तक आपने कितनी फिल्मे की है?
00 अभी अभी तो छालीवूड़ में एंट्री की है। अंधियार में मुझे ब्रेक दिया है एजाज वारसी ने।
0 छत्तीसगढ़ी फिल्मे खूब चले इसके लिए और क्या चाहिए?
00 प्रमोशन खूब करना होगा, प्रचार प्रसार की कमी है। थियेटर का अभाव है। यहां के थियेटर छत्तीसगढ़ी फिल्मो को ज्यादा दिन तक चलाना नहीं चाहते। दर्शक है पर थियेटर नहीं है। सरकार ऐसा नियम बनाये की पहले हमारे फिल्मो को थियेटरों में प्रदर्शन करना अनिवार्य होगा, अन्यथा उन पर कार्रवाई होगी। तब छत्तीसगढ़ी फिल्मो का भविष्य बन पायेगा।
0 क्या हिन्दी फिल्मो में काम करने के इच्छुक है।
00 हाँ जरूर! अगर मौका मिला तो जरूर अपने अभिनय को दिखाना चाहूँगा।
0 फिल्मो में अभिनय के अलावा और क्या करना चाहेंगे ?
00 अभिनय ही करना चाहूँगा। इसी क्षेत्र में आगे बढना चाहता हूँ। लोग मुझे एक कलाकार के रूप में जाने यही तमन्ना है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें