शनिवार, 13 मई 2017

उभरती अदाकारा अंजना दास

बिन बिहाव गवना में दोहरी भूमिका में दिखेंगी 
छॉलीवुड की उभरती अदाकारा अंजना दास होम प्रोडक्शन की फिल्म बिन बिहाव गवना में दोहरी भूमिका में नजर आएंगी । यह फिल्म अगले महीने फरवरी में रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म की डायरेक्टर उनकी मम्मी ही है। अंजना कहती है की यह फिल्म बहुत ही अच्छी बनी है और मुझे इस फिल्म से बहुत ज्यादा उम्मीदें है। यह दो बहनों की कहानी है और दोनों बहनों की भूमिका में अंजना दास ही नजर आएंगी। अंजना ने इस फिल्म के लिए बहित ही मेहनत की है। उनके मम्मी पापा ने बेटी को लेकर बिन बिहाव गौना बनाई है जो एक पारिवारिक फिल्म है जिसमे अंजना की भूमिका भी प्रभावशाली है।


अंजना की एक ही तमन्ना है कि वे फिल्मों में अपनी अदाकारी से नाम कमाकर अपनी माता पिता का सपना पूरी कर सके. उनमे खूबियों का खजाना है। वे एक अच्छी कलाकार है ।  उन्हें अपने काम के प्रति जूनून है। उनका कहना है कि वे छालीवुड की फिल्मों में छा जाना चाहती हैं । उनका सपना छालीवुड के साथ बंगाली फिल्मों की स्टार बनने की है।  छत्तीसगढ़ी फिल्मों के साथ साथ अंजना अभी हिन्दी और भोजपुरी फिल्मों में भी अपनी कला का लोहा मनवा रही हैं। उन्होंने पांच फिल्में और 150 से ज्यादा एल्बम किया है।
अंजना को एक्टिंग का शौक नहीं था, पर मम्मी डॉ काजुल् दास की जिद्द और मेहनत ने उसे छालीवुड की एक अच्छी अदाकारा बना दी है7 मम्मी -पापा ही अंजना के लिए सब कुछ है यही कारण है कि अब अंजना के लिए एक्टिंग शौक नहीं , पागलपन बन गया है। वे कहती है कि़ शौक तो ख़त्म हो जाता है पर पागंलपन हमेशा बना रहता है। ये मेरा जूनून है जो कभी ख़त्म नहीं होगा। अब यही उनका करियर है।
अंजना छालीवुड की फिल्मों के साथ साथ बंगाली फिल्मों में भी छा जाना चाहती है। उनका सपना बंगाली की  सुपरस्टार बनने ने की ही है। लोग मुझे बंगाली फिल्मों कीश्रेष्ठ स्टार के रूप में जाने यही उनकी ख्वाहिश है7 अंजना की अभी दो फिल्में बंध गईल पिरितिया के डोर (भोजपुरी) और मोगरा (छत्तीसगढ़ी) निर्माणाधीन है7 अंजना की फिल्मों में एंट्री भी दिलचस्प है7 मनोजदीप के एक एल्बम में उनकी एक्टिंग से प्रभावित होकर फिल्म असली संगवारी के डायरेक्टर ने उन्हें अपने फिल्म में ले लिया7 अंजना की माने तो यहां फिल्मे कमजोर बन रही है और  की नकल होती है। फिल्मे नहीं चल पाती इसकी वजह भी हैं और वो सब जानते हैं कि पिछड़े हुए राज्य में टॉकीजों का विकास नहीं होना। छत्तीसगढ़ में मिनी सिनेमाघर दो सौ दर्शकों की क्षमता वाली टॉकिजों की बड़ी आवश्यकता है जहां छत्तीगसढ़ी फिल्मों के दर्शक आसानी से पहुंच सके। पात्र के हिसाब से कलाकारों का चयन नहीं होता। कुछ लोग इस इंडस्ट्री को खराब कर रहे हैं , वे ऐसे लोग है जो काम लागत में कुछ भी फिल्में बना लेते हैं। 

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