मंगलवार, 14 दिसंबर 2021

प्रमिला रात्रे का गायन से लेकर अभिनय तक का संघर्षमय जीवन

0 मात्र 300 रुपए महिने में गीतों के माध्यम से गांव के बच्चों को पढ़ाती थी 0 टेली फिल्म ‘मणिराम की बगिया’ से अभिनय की शुरुआत की - केसर सोनकर बचपन से ही संघर्ष करते आ रही प्रमिला रात्रे साक्षरता अभियान के अंतर्गत मास्टर कला जत्था की टीम के साथ गांव के लोगों को गीतों के द्वारा जागरुक करते थे। 18 साल की उम्र में उन्होंने अभिनय शुरु किया। वर्तमान में शॉर्ट फिल्म करने में व्यस्त है। वह कई रुपांतरित फिल्मों में भी काम की। बड़े परदे पर वह 5-6 फिल्मों में छोटाछोटा रोल निभायी है। वह चाहती है कि उसे बड़े परदे के लिए भी बड़ा रोल मिले। प्रमिला रात्रे ने बताया कि वह गांव में जन्मी और शहर में पढ़ाई की है। चंचल चुलबुली प्रमिला को 17 साल की उम्र में घर की जिम्मेदारी का बोझ उसे बड़ा बना दिया। बचपन से वह अपने दादा को गीत गाते और चिकारा बजाते देख उनके साथ गीत गाने का शौक हुआ। प्रमिला अपने दादा के साथ रहकर गीत गाना शुरु की फिर ग्राम कुर्रा, धरसींवा निवासी उनके मामा बसंत लहरी ने उसे रात रात भर गाना गाना सिखाए। अपने लोक कला मंच में गणेश चतुर्थी और 18 दिसम्बर को गुरुघासीदास स्मारक गिरौदपुरी में उसे गाना गाने का मौका दिए। इसके बाद वह गीत के साथ साथ नाटक भी करने लगी। फिर वह घर के आंगन में सेवा भारती में मात्र 300 रुपए महिने में गीतों के माध्यम से गांव के बच्चों को पढ़ाती थी। मास्टर कला जत्था की टीम के साथ नाटक और गीत के द्वारा गांव के लोगों को भी पढ़ाई के लिए जागरुक करते गए। उसके बाद वह 1995 में साक्षरता अभियान के अंतर्गत मास्टर कला जत्था में बतौर गायिका के रुप में 6000 रुपए में गाना गाना शुरु की। उन्होंने बताया कि 18 वर्ष की उम्र में उनकी अभिनय कला की शुरुआत हुई। उनके काम से प्रभावित होकर पत्रकार अजय शर्मा नेे सच्ची घटना पर आधारित एक टेली फिल्म ‘मणिराम की बगिया’ में काम करने का मौका दिया। यह फिल्म दिल्ली दूरदर्शन में बेस्ट फीचर फिल्म अवॉर्ड घोषित हुआ। फिर इसके बाद वह मिर्जा मसूद के नाटक मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानी ‘गोदान’ से 1996 मेें नाटक की शुरुआत की, जो आज तक नहीं रुका है। फिर इसके बाद उसे कई रुपांतरित फिल्मों में काम करने का मौका मिलने लगा। वह शिमला, दिल्ली, भोपाल, ग्वालियर और छत्तीसगढ़ के कई जिलों में मंच पर बहुत सारे नाटक, नुक्कड़ की है। उन्होंने बताया कि मैंने इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से लोक संगीत में डिप्लोमा की है और शास्त्री सगीत में ग्रेजुएशन व ब् साल का मध्यमा अंतिम की है। छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘परदेसिया होगे’ में उन्होंने अपनी आवाज दी है। प्रमिला ने कहा कि जलील रिजवी , मिर्जा मसुद मेरे नाटक गुरु हैं। अब वह किसी अच्छे निर्देशक के साथ बड़े परदे पर काम करना चाहती है। -------------

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