हर प्रकार की भूमिका करना चाहूंगी - अंजली सिंह चौहान
जिसने भी छत्तीसगढ़ी फिल्म कारी देखी है, उन्हें वो चेहरा जरूर याद होगा ,जिन्होंने कारी की भूमिका में जान डाल दी थी. जी हाँ हम अंजली सिंह चौहान की ही बात कर रहे हैं. कारी यानी अंजली सिंह चौहान से हमारी मुलाक़ात डार्लिंग प्यार झुकता नहीं के सेट पर हुई तो हमने उनसे हर पहलुओं पर बात की. उन्होंने बेबाक सब कुछ बताया। पेश है उनसे हुई बातचीत के सम्पादित अंश. - अरुण बंछोर/ श्रीमती केशर सोनकर
अंजली को फिल्म कारी से ही पहचान मिली, हालांकि उन्होंने काई एलबम और फिल्में की है लेकिन कारी फिल्म की बात ही कुछ और है. उसके बाद अंजली के जीवन में एक मोड़ आया और वे मुम्बई शिफ्ट हो गयी थी और छत्तीसगढ़ की फ़िल्मी दुनिया से दूर हो गयी थी. बॉलीवुड के छोटे परदे पर धारावाहिक में काम करने लगी थी. अब अंजली की छालीवुड में धमाकेदार वापसी हुई है. इन दिनों वे प्रणव झा के निर्देशकन में बन रही फिल्म डार्लिंग प्यार झुकता नहीं की शूटिंग में व्यक्त हैं. इसके पहले अंजली ने महुँ कुंवारा तहूँ कुंवारी, दइहान, मार डारे मया मा, तैं दिया मैं बाती , सुन सुन मया के धुन फिल्मों में अभिनय कर छालीवुड में धमाकेदार वापसी किया है. वे कहती है कि उन्हें हर प्रकार की भूमिका पसंद है, वी हर तरह का रोल करना चाहेंगी,बशर्तें रोल तगड़ा हो. छोटी सी भूमिका भी कलाकार को बड़ा बना देता है. अंजली सिंह चौहान ने अपनी कला की शुरुवात लोका कला मंच से किया, उसके बाद एल्बम की और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। कारी फिल्म उनके जीवन में महत्वपूर्ण साबित हुआ है, उन्हें इसी फिल्म से पहचान मिली। कुछ दिनों बाद वे शादी कर मुम्बई शिफ्ट हो गयी. ससुराल वालों के दबाव में उन्हें फ़िल्मी दुनिया से दूर होना पड़ा लेकिन एक कलाकार को कला से दूर नहीं किया जा सकता। यही कारण है अंजलि सिंह चौहान सब कुछ छोड़कर फिर कला की दुनिया में लौट आई है. अंजली को सभी तरह की शिक्षा या कला का ज्ञान अपनी माँ से ही मिला है. उनकी माँ उन्हें हर पल हर कदम पर साथ देती है. आज वे जो कुछ भी है अपनी माँ की वजह से ही है. अंजली कहती है कि आज भी मई अपने सीनियरों से कुछ ना कुछ सीखती रहती हूँ. और यह भी कहना चाहती हूँ की अब छालीवुड में काम करती रहूंगी।
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