एक्टिंग,रैम्पवॉक , मॉडलिंग में है माहिर
कहतें हैं मोबाइल से खेलना बच्चों के लिए बहुत ही हानिकारक है पर धीर उपारकर एक ऐसा मासूम बालक है जिसे मोबाइल ने ही एक कलाकार बना दिया। मोबाइल से खेलते खेलते धीर उपारकर एक्टिंग, रैम्पवॉक , मॉडलिंग में महारत हासिल कर ली है. मात्रा 4 साल की उमरी में धीर ने कई अवार्ड और सम्मान जीते है.उनके घर में ऐसा कोइ माहौल नहीं है.माँ प्रियंका उपारकर एक गृहणी है और पापा का कला के क्षेत्र से कोइ नाता नहीं है.हाँ स्कूल में धीर जरूर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया करता था.पापा प्रवीण उपारकर बताते है कि धीर को घर में कभी भी ऐसा कोइ माहौल नहीं मिला। बस मोबाइल से खेला करते थे.ऐसा करते करते वह रेनवॉक करने लगा फिर टीवी देखकर कलाकारों का नक़ल करने लगा.कब धीर एक्टिंग में माहिर हो गया पता नहीं चला.उनकी रूचि को देखते हुए स्पर्धाओं में हमने शामिल कराया उसका परिणाम बेहतर मिला, धीर अब तक कई एवार्ड जीत चुका है.मम्मी प्रियंका उन्हें भरपूर साथ देती है उनका मानना है कि उनकी रूचि कला में है इसलिए जरूरी है कि बच्चो अपने टैलेंट को अपनी विशेषता बनाएं।
कहतें हैं मोबाइल से खेलना बच्चों के लिए बहुत ही हानिकारक है पर धीर उपारकर एक ऐसा मासूम बालक है जिसे मोबाइल ने ही एक कलाकार बना दिया। मोबाइल से खेलते खेलते धीर उपारकर एक्टिंग, रैम्पवॉक , मॉडलिंग में महारत हासिल कर ली है. मात्रा 4 साल की उमरी में धीर ने कई अवार्ड और सम्मान जीते है.उनके घर में ऐसा कोइ माहौल नहीं है.माँ प्रियंका उपारकर एक गृहणी है और पापा का कला के क्षेत्र से कोइ नाता नहीं है.हाँ स्कूल में धीर जरूर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया करता था.पापा प्रवीण उपारकर बताते है कि धीर को घर में कभी भी ऐसा कोइ माहौल नहीं मिला। बस मोबाइल से खेला करते थे.ऐसा करते करते वह रेनवॉक करने लगा फिर टीवी देखकर कलाकारों का नक़ल करने लगा.कब धीर एक्टिंग में माहिर हो गया पता नहीं चला.उनकी रूचि को देखते हुए स्पर्धाओं में हमने शामिल कराया उसका परिणाम बेहतर मिला, धीर अब तक कई एवार्ड जीत चुका है.मम्मी प्रियंका उन्हें भरपूर साथ देती है उनका मानना है कि उनकी रूचि कला में है इसलिए जरूरी है कि बच्चो अपने टैलेंट को अपनी विशेषता बनाएं।
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