शनिवार, 7 सितंबर 2019

रंगरसिया से आगे निकलने की कोशिश है ‘रंगोबती’ - पुष्पेंद्र सिंह

अनुज चुलबुली युवती के रोल में
जाने माने अभिनेता पुष्पेंद्र सिंह आज किसे परिचय के मोहताज नई है। हर कला में वे पारंगत हैं.वे जितने अच्छे अभिनेता हैं उतने ही अच्छे निर्देशक और लेखक भी हैं। वे चेहरे से तो सख्त नजर आते हैं लेकिन अपने जीवन में  उतने ही हंसमुख और मिलनसार हैं। इनके व्दारा निर्देशित छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘रंगोबती’ 13 सितम्बर को रिलीज होए जा रही है। बॉलीवुड में भी पुष्पेंद्र ने अपनी कला का लोहा मनवा चुके हैं. ‘हंस झन पगली फंस जबे’ तथा ‘आई लव यू-2’ में तो अपनी दमदार कला से सबका दिल जीता है उनकी आने वाली फिल्में हैं ‘ससुराल’, ‘तोर मोर यारी’, ‘दिल परदेसी होगे रे’ एवं ‘जोहार छत्तीसगढ़’ । बातचीत - अरुण बंछोर 

0 ‘रंगोबती’ कैसी फिल्म है और आपको क्या उम्मीद है?
00 ‘रंगोबती’ एक कॉमिक फिल्म है। छत्तीसगढ़ में नाचा एक बड़ी विधा है। गम्मत का विशेष स्थान है। कैसे पुरुष कलाकार महिला का वेश धरकर मंच पर अपनी अमिट छाप छोड़ता है, नाचा-गम्मत ही रंगोबती का आधार बना। ‘रंगोबती’ में अनुज शर्मा दूसरों की भलाई के लिए महिला का वेश धरते हैं, न कि अपने स्वार्थ के लिए। फिर मुझे फिल्म के लिए ऐसा विषय चुनना था जिसे देखने दर्शक खींचे चले आएं और प्रोड्यूसर सुरक्षित रहे।
0 आपके डायरेक्शन की पहली फिल्म है ‘रंगरसिया’और अब ‘रंगोबती’ दोनों में क्या फर्क है?
00 मेरा मानना है जब कोई आप नया काम करें, पिछले काम की तुलना में ग्रोथ ज्यादा नजर आनी चाहिए। रंगरसिया से हमने आगे निकलने की कोशिश की है। अनुज को महिला के रोल में ढालना आसान काम नहीं था। उनकी इमेज एक चुलबुले हीरो की रही है। हमें रंगोबती में उन्हें चुलबुले युवक के साथ चुलबुली युवती भी दिखाना था। अनुज दोनों में एकदम खरे उतरे हैं। और रंगरसिया अपने आप में एक अच्छी फिल्म साबित हुई है.
0 अनुज के अपोजिट लेजली त्रिपाठी को आपने ‘रंगरसिया’ के बाद ‘रंगोबती’ में भी रिपीट किया। लेजली मुम्बई से हैं। क्या ‘रंगोबती’ के लिए छत्तीसगढ़ में हीरोइन नहीं मिला
00 छत्तीसगढ़ में अनिकृति व मुस्कान हैं, लेकिन सवाल यह था कि क्या ये अनुज के साथ मैच करेंगी। उम्र का अंतर लोग बॉलीवुड की फिल्मों में डाइजेस्ट कर लेते हैं छॉलीवुड में नहीं। लेजली न सिर्फ दिखने में अच्छी लगती हैं, उनका अभिनय भी सधा हुआ है। मैं उनके साथ सीरियल कर चुका हूं। हम लोग एक दूसरे के काम को बखूबी समझते हैं। इसलिए मेरे सामने वही बेहतर विकल्प थीं।
0 प्रोड्यूसर अशोक तिवारी जी के साथ भी यह आपकी दूसरी फिल्म है, कैसा समन्वय है?
00 अशोक तिवारी जी बहुत ही समझदार और अच्छे प्रोड्यूसर हैं। उनके जैसे प्रोफेशनल तरीके से काम करने वाले प्रोड्यूसर छत्तीसगढ़ में कम ही हैं। अधिकांश प्रोड्यूसरों की ख्वाहिश रहती है कि फिल्म में कोई ना कोई अहम् भूमिका वे करें, और भी कई मामलों में उनका इंटरफेयरेन्स रहता है। तिवारी जी इन सब चीजों से दूर हैं। इसलिए मुझे वो कंफर्ट लगते हैं। फिल्म के संगीत को लेकर जरूर कभी-कभी वो अपनी बात रखते हैं और यह उनका अधिकार है, इसलिए कि छत्तीसगढ़ की संगीत विधा की उन्हें गहरी समझ है।

0 ‘रंगोबती’ की खासियत क्या है?
00 ‘रंगोबती’ 13 सितंबर को पूरे छत्तीसगढ़ में रिलीज होने जा रही है। हमारी फिल्म में अनुज जैसा चर्चित चेहरा है। वहीं वे लड़की की भूमिका में भी नजर आएंगे। यह एक नये टेस्ट की फिल्म है। हम मानकर चल रहे हैं, यह नया टेस्ट दर्शकों को मजा देगा।
0 छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम अध्यक्ष पद के दावेदारों में सबसे आगे हैं क्या कहेंगे ?
00 यदि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत जी की तरफ से निगम के लिए कुछ काम करने का मौका मिला तो मेरी कोशिश यही रहेगी, छत्तीसगढ़ी सिनेमा आज जहां पर खड़ा है, उससे बहुत आगे ले जाऊं। छत्तीसगढ़ की कला व संस्कृति को नई ऊंचाई मिले। अपने सिनेमा व लोक कलाकार एवं टेक्नीशियन साथियों के हित में कुछ बेहतर काम कर सकूं।
0 ऐसा कोइ सपना जिसे आप पूरा होते हुए देखना चाहते हैं ?
00 वरिष्ठ राजनेता स्व. विद्याचरण शुक्ल पर बायोपिक बनाना चाहता हूं, झीरम घाटी नक्सली हमले में जिनकी शहादत हुई। एक और फिल्म करने का प्लान है- मया जनम-जनम के। यह पुनर्जन्म की कथा है। यह छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले की सत्य घटना पर आधारित होगी। इसे मैंने और संजय मैथिल ने मिलकर लिखा है।


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