बुधवार, 18 सितंबर 2019

आचार्य चाणक्य शिक्षाविद सम्मान डॉ अजय सहाय कॊ

कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया दिल्ली मेँ
 
छत्तीसगढ़ के जाने माने चिकित्सा विशेषज्ञ ,अध्यापक डॉ अजय मोहन सहाय को शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर उत्कृष्ट सेवा और अथक प्रयासों के लिए आचार्य चाणक्य शिक्षाविद सम्मान- 2019 से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया द्वारा दिल्ली मेँ आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया. इस कार्यक्रम की मुख्य आयोजिका मुम्बई की संस्था " फन टू लर्न " संस्था की सीईओ श्रीमती रचना भीम राजका थीं। इस दौरान बातचीत में डॉ सहाय ने बताया कि इस रतिष्ठित पुरस्कार के लिए उन्हें अपने आप पर गर्व है। उन्होंने कहा कि उनका कार्य है शिक्षा का अलख जागाना और वह उस कार्य को एक डाक्टर से लेकर एक अध्यापक के तौर पर बखूबी ढंग से निभाना हैं। डॉ सहाय में खूबियों का खजाना है. वे विगत 30 वर्षों से विभिन्न मेडिकल कॉलेजों , पेरामेडिकल व नर्सिंग कालेजों में अध्यापन कर रहें हैँ. अपने पढ़ाने के अंदाज के कारण वे छात्र छात्राओं के बीच विशेष लोकप्रिय हैँ. हिन्दी व छत्तीसगढ़ी भाषा में कई दर्जन कहानियां व पटकथाए लिख
चुके है जिन का  दूरदर्शन रायपुर द्वारा छायांकन व फिल्मांकन कर प्रसारण किया जा चुका है। डॉ अजय सहाय जितने अच्छे चिकित्सक है उतने ही अच्छे फिल्म अभिनेता भी हैं. उनकी कला का लोहा सभी मानते हैं. फ़िल्मी दुनिया में भी सैकड़ों अवार्ड उनके नाम है. छत्तीसगढ़ी फिल्मो का वे एक आधार स्तम्भ है। उन्होंने एक नहीं कई भाषाओं की फिल्मो में अभिनय कर सबके सामने एक चुनौती पेश की है। पांच भाषाओं में अभिनय करना भी एक रिकार्ड है। उनके स्वाभाविक अभिनय और प्रतिभा की पराकाष्ठा ही थी कि लोगों के बीच वे काफी लोकप्रिय हैं। डॉ सहाय के लिए समय सबसे अनमोल चीज है।
प्रसिद्ध रचनाएँ
लाडली ,  कसक ,  अधूरा प्रेम ,  परिवर्तन (धारावाहिक ) , कैसे बताऊँ ,   जख्म ,  परछाईं ,  तमाशा ,  जिंदगी एक तमाशा ,  मैँ वो नहीँ ,  डॉक्टर की बीबी। 

शनिवार, 7 सितंबर 2019

रंगरसिया से आगे निकलने की कोशिश है ‘रंगोबती’ - पुष्पेंद्र सिंह

अनुज चुलबुली युवती के रोल में
जाने माने अभिनेता पुष्पेंद्र सिंह आज किसे परिचय के मोहताज नई है। हर कला में वे पारंगत हैं.वे जितने अच्छे अभिनेता हैं उतने ही अच्छे निर्देशक और लेखक भी हैं। वे चेहरे से तो सख्त नजर आते हैं लेकिन अपने जीवन में  उतने ही हंसमुख और मिलनसार हैं। इनके व्दारा निर्देशित छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘रंगोबती’ 13 सितम्बर को रिलीज होए जा रही है। बॉलीवुड में भी पुष्पेंद्र ने अपनी कला का लोहा मनवा चुके हैं. ‘हंस झन पगली फंस जबे’ तथा ‘आई लव यू-2’ में तो अपनी दमदार कला से सबका दिल जीता है उनकी आने वाली फिल्में हैं ‘ससुराल’, ‘तोर मोर यारी’, ‘दिल परदेसी होगे रे’ एवं ‘जोहार छत्तीसगढ़’ । बातचीत - अरुण बंछोर 

0 ‘रंगोबती’ कैसी फिल्म है और आपको क्या उम्मीद है?
00 ‘रंगोबती’ एक कॉमिक फिल्म है। छत्तीसगढ़ में नाचा एक बड़ी विधा है। गम्मत का विशेष स्थान है। कैसे पुरुष कलाकार महिला का वेश धरकर मंच पर अपनी अमिट छाप छोड़ता है, नाचा-गम्मत ही रंगोबती का आधार बना। ‘रंगोबती’ में अनुज शर्मा दूसरों की भलाई के लिए महिला का वेश धरते हैं, न कि अपने स्वार्थ के लिए। फिर मुझे फिल्म के लिए ऐसा विषय चुनना था जिसे देखने दर्शक खींचे चले आएं और प्रोड्यूसर सुरक्षित रहे।
0 आपके डायरेक्शन की पहली फिल्म है ‘रंगरसिया’और अब ‘रंगोबती’ दोनों में क्या फर्क है?
00 मेरा मानना है जब कोई आप नया काम करें, पिछले काम की तुलना में ग्रोथ ज्यादा नजर आनी चाहिए। रंगरसिया से हमने आगे निकलने की कोशिश की है। अनुज को महिला के रोल में ढालना आसान काम नहीं था। उनकी इमेज एक चुलबुले हीरो की रही है। हमें रंगोबती में उन्हें चुलबुले युवक के साथ चुलबुली युवती भी दिखाना था। अनुज दोनों में एकदम खरे उतरे हैं। और रंगरसिया अपने आप में एक अच्छी फिल्म साबित हुई है.
0 अनुज के अपोजिट लेजली त्रिपाठी को आपने ‘रंगरसिया’ के बाद ‘रंगोबती’ में भी रिपीट किया। लेजली मुम्बई से हैं। क्या ‘रंगोबती’ के लिए छत्तीसगढ़ में हीरोइन नहीं मिला
00 छत्तीसगढ़ में अनिकृति व मुस्कान हैं, लेकिन सवाल यह था कि क्या ये अनुज के साथ मैच करेंगी। उम्र का अंतर लोग बॉलीवुड की फिल्मों में डाइजेस्ट कर लेते हैं छॉलीवुड में नहीं। लेजली न सिर्फ दिखने में अच्छी लगती हैं, उनका अभिनय भी सधा हुआ है। मैं उनके साथ सीरियल कर चुका हूं। हम लोग एक दूसरे के काम को बखूबी समझते हैं। इसलिए मेरे सामने वही बेहतर विकल्प थीं।
0 प्रोड्यूसर अशोक तिवारी जी के साथ भी यह आपकी दूसरी फिल्म है, कैसा समन्वय है?
00 अशोक तिवारी जी बहुत ही समझदार और अच्छे प्रोड्यूसर हैं। उनके जैसे प्रोफेशनल तरीके से काम करने वाले प्रोड्यूसर छत्तीसगढ़ में कम ही हैं। अधिकांश प्रोड्यूसरों की ख्वाहिश रहती है कि फिल्म में कोई ना कोई अहम् भूमिका वे करें, और भी कई मामलों में उनका इंटरफेयरेन्स रहता है। तिवारी जी इन सब चीजों से दूर हैं। इसलिए मुझे वो कंफर्ट लगते हैं। फिल्म के संगीत को लेकर जरूर कभी-कभी वो अपनी बात रखते हैं और यह उनका अधिकार है, इसलिए कि छत्तीसगढ़ की संगीत विधा की उन्हें गहरी समझ है।

0 ‘रंगोबती’ की खासियत क्या है?
00 ‘रंगोबती’ 13 सितंबर को पूरे छत्तीसगढ़ में रिलीज होने जा रही है। हमारी फिल्म में अनुज जैसा चर्चित चेहरा है। वहीं वे लड़की की भूमिका में भी नजर आएंगे। यह एक नये टेस्ट की फिल्म है। हम मानकर चल रहे हैं, यह नया टेस्ट दर्शकों को मजा देगा।
0 छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम अध्यक्ष पद के दावेदारों में सबसे आगे हैं क्या कहेंगे ?
00 यदि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत जी की तरफ से निगम के लिए कुछ काम करने का मौका मिला तो मेरी कोशिश यही रहेगी, छत्तीसगढ़ी सिनेमा आज जहां पर खड़ा है, उससे बहुत आगे ले जाऊं। छत्तीसगढ़ की कला व संस्कृति को नई ऊंचाई मिले। अपने सिनेमा व लोक कलाकार एवं टेक्नीशियन साथियों के हित में कुछ बेहतर काम कर सकूं।
0 ऐसा कोइ सपना जिसे आप पूरा होते हुए देखना चाहते हैं ?
00 वरिष्ठ राजनेता स्व. विद्याचरण शुक्ल पर बायोपिक बनाना चाहता हूं, झीरम घाटी नक्सली हमले में जिनकी शहादत हुई। एक और फिल्म करने का प्लान है- मया जनम-जनम के। यह पुनर्जन्म की कथा है। यह छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले की सत्य घटना पर आधारित होगी। इसे मैंने और संजय मैथिल ने मिलकर लिखा है।


रविवार, 1 सितंबर 2019

लीक से हटकर है ‘रंगोबती’ का सब्जेक्ट

प्रोड्यूसर अशोक तिवारी को निर्देशक पुष्पेंद्र सिंह पर भरोसा
निर्माता अशोक तिवारी को पूरा भरोसा है कि उनकी आने वाली फिल्म ‘रंगोबती’ दर्शकों का मनोरंजन करने में जरूर कामयाब होगी। इसका कारण वे बतातें हैं कि ‘रंगोबती’ का सब्जेक्ट लीक से हटकर है. उन्हें अपने निर्देशक पुष्पेंद्र सिंह पर भी भरोसा है. उनका कहना है- पुष्पेंद्र सिंह ने इस फिल्म के पीछे पूरी ताकत झोंक दी, ताकि कहीं कोई कमी नहीं रह जाए।हीरा फिल्म्स क्रिएशन की फिल्म रंगरसिया’ के बाद अब 13 सितंबर को ‘रंगोबती’ रिलीज होने जा रही है. इसका प्रदर्शन छत्तीसगढ़ के 30 टाकीजों और अधिकाँश मल्टीप्लेक्स में होने
जा रहा है। अशोक तिवारी का कहना है- ‘रंगरसिया’ से ‘रंगोबती’ और कई कदम आगे होगी, इसलिए कि इसका सब्जेक्ट नया है। ‘रंगोबती’ के हीरो अनुज शर्मा हैं, जो पुरुष और स्त्री दोनों की भूमिका में दिखाई देंगे। निर्माता अशोक तिवारी की रूचि शुरू से ही संगीत गीत में रही है. उनके प्रमुख अलबम करेजा मा बान, मान जाही, बबा बीड़ी दे दे, करिया महादेव, पताल जइसन तोर गाल हैं। इसके अलावा अनेक भजन देवी जस गीत भी उन्होंने गाए। वे आकाशवाणी रायपुर के लिए गीत लिखे। गाने भी गाए। माटी मोर मितान नाम से लोक कला मंच बनाया। इसी नाम पर उनकी पहली फिल्म बनी। पहली फिल्म ‘माटी मोर मितान’ का कॉसेप्ट कैसे दिमाग में आया, इस सवाल पर अशोक तिवारी कहते हैं- मेरे मन में अक्सर यह प्रश्न उभरा रहता कि पढ़ लिखकर आदमी नौकरी ही क्यों करे, गांव में रहकर विकास कार्यों एवं खेती-किसानी में क्यों उसका योगदान नहीं होना चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए ‘माटी मोर मितान’ उन्होंने खुद लिखी। फिल्म बनाने में काफी धन की जरूरत होती है। उन्होंने पहले से तय कर रखा था एक नहीं तीन फिल्में बनाएंगे , जिस दिन ‘माटी मोर मितान’ का मुहुरत हुआ, उस दिन उन्होंने एक नहीं तीन फिल्मों के हिसाब से तीन नारियल फोड़े थे। दूसरी फिल्म ‘रंगरसिया थी’ और अब तीसरी रंगोबती है। रंगरसिया ठीक चली। रंगोबती का भविष्य दर्शकों के हाथ में है। रंगोबती की कहानी उनकी ही लिखी हुई है। पटकथा व संवाद जॉनसन अरुण व पुष्पेंद्र सिंह ने मिलकर लिखे हैं। संगीत सुनील सोनी का है। बेक ग्राउंड म्यूजिक मोहम्मद सिराज ने दिया है। कैमरामेन दिनेश ठक्कर है। कोरियोग्राफी निशांत उपाध्याय की है। मुख्य भूमिका अनुज शर्मा व लेजली त्रिपाठी की है। अन्य प्रमुख कलाकार प्रदीप शर्मा, निशांत उपाध्याय, उपासना वैष्णव, विक्रम राज, राजू पांडे, जॉनसन अरुण, संजना, संगीता निषाद, शैलेन्द्र भट्ट, तरुण बघेल, संतोष यादव, सरला सेन, प्रतिभा चौहान, राजू पांडे, दिनेश मिश्रा, निशा चौबे, रज्जू चंद्रवंशी, टिंकू सहारे, टी.एस. नाग एवं टिकेन्द्र सिंह हैं।
अरुण बंछोर/ केशर सोनकर
(मुस्कान पीआर मीडिया 24x7)